कन्नड़, तमिल, तेलगू, मलयालम फिल्मों में अभिनय करने वाली राय लक्ष्मी कनार्टक के बेंगलुरु की है. स्वभाव से नम्र हंसमुख राय लक्ष्मी 15 साल की उम्र में अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा, जिसमें साथ दिया उनके माता-पिता ने. उन्होंने दक्षिण की सभी भाषाओं की फिल्मों में अभिनय किया है. राय लक्ष्मी का नाम कई बार क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी के साथ जुड़ा, जिसे वह केवल एक दोस्ती कहती हैं.

इसके अलावा साउथ में वह कई सोशल वर्क भी करती हैं. जिसमें अनाथ बच्चे,अपंग व्यक्ति और महिलाएं खास होती है. राय लक्ष्मी ने ‘अकीरा’ में कैमियों रोल किया था. इसके बाद अब जूली 2 में मुख्य भूमिका निभा रही हैं. ये फिल्म उनकी 50वीं फिल्म है, जिसे लेकर वह काफी खुश हैं. उनसे बात करना रोचक था, पेश है अंश.

अपने बारें में बताएं.

मैंने अपने करियर की शुरुआत मौडलिंग से की है, जिसे मैंने स्कूल से शुरू किया था. इसके बाद मैं राज्य स्तर पर मौडलिंग करने लगी थी. इससे पहले मैंने ‘मिस कर्नाटका’ में भी भाग लिया था. इससे मुझे लोगों ने जाना और मुझे तमिल इंडस्ट्री में काम करने का अवसर मिला.

कितना संघर्ष था?

फिल्मों में एंट्री तो आसानी से मिली, लेकिन उसके बाद संघर्ष का दौर शुरू हुआ, क्योंकि मैं नौन फिल्मी बैकग्राउंड से हूं. कुछ पता नहीं था, भाषा के बारें में भी जानकारी नहीं थी. मेरे लिए सब कुछ नया था, ऐसे में क्या सही क्या गलत है, इसे समझने में समय लगा. जिससे कई फिल्में हिट रही, तो कुछ फ्लौप. असल में सही दिशा निर्देशन की जरुरत इंडस्ट्री में अधिक होती है, जो मुझे नहीं मिला, क्योंकि लोग अपनी कमीशन के लिए कुछ बताते नहीं थे और मेरी जानकारी भी कम थी. इंडस्ट्री में ये जरूरी है कि जो फिल्में आप चुनते हैं उसी के आधार पर आपकी इमेज तैयार होती है. तीन से चार साल तक इस तरह की सघर्ष से मैं गुजरी हूं. तमिल फिल्म ‘धामधूम’ की सफलता के बाद से मुझे मुड़कर देखना नहीं पड़ा. जिसकी हिंदी फिल्म ‘रन’ बनी थी. इसके बाद दर्शकों की सोच भी मेरे लिए बदल गयी. मैं इसके लिए रिग्रेट नहीं करती, अभी मैं अधिक स्ट्रोंग हो चुकी हूं. सही फिल्म चुनना जान चुकी हूं.

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