शादी के बाद पतिपत्नी प्यार से अपने जीवन का घोंसला तैयार करते हैं. कैरियर बनाने के लिए बच्चे जब घर छोड़ कर बाहर जाते हैं तो यह घोंसला खाली हो जाता है. खाली घोंसले में अकेले रह गए पतिपत्नी जीवन के कठिन दौर में पहुंच जाते हैं. तनाव, चिंता और तमाम तरह की बीमारियां अकेलेपन को और भी कठिन बना देती हैं. ऐसे में वह एंप्टी नैस्ट सिंड्रोम का शिकार हो जाते हैं. आज के दौर में ऐसे उदाहरण बढ़ते जा रहे हैं. अगर पतिपत्नी खुद का खयाल रखें तो यह समय भी खुशहाल हो सकता है, जीवन बोझ सा महसूस नहीं होगा. जिंदगी के हर पड़ाव को यह सोच कर जिएं कि यह दोबारा मिलने वाला नहीं.
राखी और राजेश ने जीवनभर अपने परिवार को खुशहाल रखने के लिए सारे इंतजाम किए. परिवार का बोझ कम हो, बच्चे की सही देखभाल हो सके, इस के लिए एक बेटा होने के बाद उन्होंने फैमिली प्लानिंग का रास्ता अपना लिया. बच्चे नितिन को अच्छे स्कूल में पढ़ाया. बच्चा पढ़ाई में होनहार था. मैडिकल की पढ़ाई करने के लिए वह विदेश गया. वहां उस की जौब भी लग गई. राखी और राजेश ने नितिन की शादी नेहा के साथ करा दी. नेहा खुद भी विदेश में डाक्टर थी. बेटाबहू विदेश में ही रहने लगे. राखी और राजेश का अपना समय अकेले कटने लगा. घर का सूनापन अब उन को परेशान करने लगा था.
राखी ने एक दिन कहा, ‘‘अगर बेटाबहू साथ होते तो कितना अच्छा होता. हम भी बुढ़ापे में आराम से रह रहे होते.’’
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