आमतौर पर महिलाओं को अन्य कैंसर किसी भी उम्र में हो सकते हैं, लेकिन वल्वा कैंसर 60 और उस से ज्यादा उम्र की महिलाओं को ही होता है. मगर छोटी उम्र की महिलाएं इस से अछूती ही रहें, यह भी जरूरी नहीं है. हालांकि वल्वा कैंसर बहुत आम नहीं है, लेकिन गंभीर बहुत है, क्योंकि यह एक महिला की सैक्सुअल लाइफ को प्रभावित कर सकता है. यह सैक्स को दर्दनाक और कठिन बना सकता है.
ऐसा ही कुछ अंजना के साथ हुआ. उसे योनि पर एक गांठ का एहसास होता था, लेकिन उस ने कभी इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. मगर 2 साल बाद जब परेशानी होने लगी, तो डाक्टर को दिखाया. तब पता चलता कि उसे वल्वा कैंसर है.
अंजना कहती है कि कैंसर शुरुआती स्टेज में था, इसलिए डाक्टर ने 6 हफ्ते तक रैडिएशन थेरैपी दी, जिस से वहां की त्वचा जल गई और छाले पड़ गए. इसे ठीक होने में महीनों लग गए. लेकिन अभी भी कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. वल्वा कैंसर के ट्रीटमैैंट के बाद सैक्स करने में इतना दर्द होता है कि उस के सामने शायद आप को प्रसवपीड़ा भी कम लगे.
क्या है वल्वा कैंसर
इस बाबत डा. अनिता गुप्ता कहती हैं कि वैजाइना के बाहर जो लिप्स होते हैं उन्हें वल्वा कहते हैं और जब इन में कैंसर होता है तो वह वल्वा कैंसर कहलाता है. यह वल्वा कैंसर ह्यूमन पैपिलोमा वायरस यानी एचपीवी के कारण होने वाला यौन रोग है और सैक्सुअली ऐक्टिव किसी भी महिला में संक्रमण फैला सकता है. वल्वा कैंसर जल्दी संकेत या लक्षण पैदा नहीं करता है. शुरुआत में बस सफेद पैच या खुजली होती है, जिसे महिलाएं फंगल इन्फैक्शन सम झ कर नजरअंदाज कर देती हैं और बाद में यही नजरअंदाजी उन की परेशानी बढ़ा देती है.