बच्चन परिवार और गांधी-नेहरू परिवार के बीच नजदीकियों की बात किसी से छिपी नहीं है. एक वक्त ये दोनों ही परिवार एक दूसरे के सबसे करीबी माने जाते थे लेकिन उसके बाद दोनों के बीच दूरियां इतनी बढ़ गयीं कि उनके संबंध पूरी तरह खत्म ही हो गये.

साल 2004 में दोनों परिवारों के आपसी रिश्ते के बारे में पूछने पर अमिताभ ने गांधी परिवार को राजा और अपने परिवार को रंक बताया था. बच्चन और नेहरू-गांधी परिवार की दोस्ती आजादी से पहले की थी. दोनों ही परिवार इलाहाबाद के थे और तभी से उनमें दोस्ती भी थी.

कहा जाता है कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने केवल हरिवंश राय बच्चन को नौकरी देने के लिए विदेश मंत्रालय में हिन्दी अधिकारी का पद सृजित करवाया था.

हरिवंश राय बच्चन को नेहरू जी ने राज्य सभा में भी मनोनीत किया था. उन्हें नेहरू जी के निवास के बगल वाला बंगला आवंटित किया गया था. नेहरू और हरिवंश राय बच्चन की तरह दोनों परिवारों के बाकी सदस्यों के बीच भी काफी मधुर संबंध थे.

अमिताभ खुद भी बता चुके हैं कि उनकी और नेहरू के नाती राजीव गांधी के बीच पहली मुलाकात तब हुई थी जब अमिताभ चार साल के थे और राजीव दो साल के. जब अमिताभ बच्चन कुली फिल्म की शूटिंग में घायल हुए थे तो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उन्हें देखने अस्पताल गयी थीं. लेकिन बाद के सालों में दोनों परिवारों के बीच आई दूरियों की वजह अभी तक आधिकारिक रूप से न तो गांधी परिवार के किसी सदस्य ने और न ही बच्चन परिवार के किसी सदस्य ने जाहिर की है.

लेकिन माना जाता है कि दोनों परिवार के बीच दूरी तब बढ़ी जब इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी के कहने पर अमिताभ बच्चन ने इलाहाबाद से लोक सभा चुनाव लड़ा और भारी बहुमत जीत हासिल की. चुनाव जीतने जिताने तक राजीव और अमिताभ के बीच सबकुछ सही रहा लेकिन उसके बाद राजनीति ने रंग दिखाना शुरू कर दिया.

जयप्रकाश चौकसे की मानें तो उस समय संसद के गलियारों में ये कानाफूसी होती थी कि अमिताभ बच्चन के कहने पर किसी कारोबारी को सरकार ने लाइसेंस दिया था. कांग्रेसी नेताओं का मानना था इस डील में पैसे का लेन देन हुआ था और वो पैसा कांग्रेस के कोषागार में नहीं जमा कराया गया था. जबकि कुछ लोगों का कहना था कि कथित डील में अमिताभ ने कभी पैसा नहीं लिया था और उन्होंने बस दोस्ती में मदद की थी.

बाद में बोफोर्स घोटाले में भी अमिताभ बच्चन का नाम घसीटा गया. अमिताभ उसके खिलाफ ब्रिटेन की अदालत में गये और मुकदमा जीता. लेकिन शायद तब तक दोनों परिवारों के रिश्तों के बीच दरार पड़ चुकी थी जो वक्त के साथ चौड़ी होती चली गयी.

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