रंगोली को विभिन्न राज्यों में अलग अलग नामों से जाना जाता है. बंगाल में अल्पना, आंध्र प्रदेश में मुग्गुल, तमिलनाडु में कोलम, राजस्थान में मांडना, हिमाचल में अडूपना और उत्तर प्रदेश में चौक व बिहार में एपन के नाम से जाना जाता है.

रंगोली का प्रचलन गुजरात और महाराष्ट्र में ज्यादा है. परंतु महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश से होती हुई यह कला अब पूरे देश में प्रचलित हो चुकी है. महाराष्ट्र में तो दशहरे के बाद से ही प्रतिदिन गृहिणियां सुबह उठ कर मुख्य द्वार पर नई रंगोली बनाने के बाद ही घर के दूसरे काम निबटाती हैं. रंगोली का तात्पर्य ही है रंगों के माध्यम से मन के भावों को अभिव्यक्त करना.

आइए, आप को रूबरू कराते हैं इस के अलगअलग रंगरूप से.

फ्री हैंड रंगोली

इस के अंतर्गत आप कैसी भी फूलपत्ती, कलाकृति आदि के डिजाइन बना सकती हैं. जिन की स्कैचिंग और ड्राइंग अच्छी होती है वे इस का अधिक प्रयोग करते हैं.

डौटेड रंगोली

इस के अंतर्गत बिंदु से बिंदु आपस में जोड़ते हुए डिजाइंस बनाते हैं. इस के माध्यम से ज्यामितीय, वर्गाकार या आयताकार डिजाइन अधिक बनाई जाती हैं.

रैडीमेड रंगोली

यह बाजार में विभिन्न डिजाइंस में पेपर या प्लास्टिक शीट पर मिलती है. डिजाइन के अनुसार पेपर में छेद होते हैं जिन के ऊपर रंग डाल कर डिजाइंस तैयार किए जाते हैं.

आर्टीफिशियल रंगोली

यह प्लास्टिक शीट्स पर कई डिजाइंस में मिलती है. इस में एक ओर ग्लू लगा होता है. ग्लू पर लगे कागज को हटा कर इसे आप मनचाहे स्थान पर चिपका सकती हैं.

हर्बल रंगोली

यह गुलाब, गेंदा जैसे विभिन्न रंगों के फूलों और पेड़ों की पत्तियों से बनाई जाती है. यह दिखने में बहुत खूबसूरत लगती है.

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