कहानी- वीना शर्मा

शालिनीने घड़ी देखी. 12 बज रहे थे. अभी आधा रास्ता भी पार नहीं हुआ था.

‘‘हम लोग 1 बजे तक बच्चों के स्कूल पहुंच जाएंगे न?’’ शालिनी ने कुछ अधीर स्वर में अपने ड्राइवर भुवन से पूछा.

‘‘पहुंच जाएंगे मैडम. इसीलिए तो मैं इस रोड से लाया हूं. यहां ट्रैफिक कम होता है.’’

‘‘ट्रैफिक तो अब किसी भी रोड पर कम नहीं होता,’’ पास बैठी शालिनी की सहेली रीना बोली.

रीना का बेटा चिंटू भी उसी स्कूल में पढ़ता था, जिस में शालिनी के दोनों बच्चे अनूषा और माधव थे.

शालिनी और रीना बचपन की सहेलियां थीं. साथ पढ़ी थीं और समय के साथ दोस्ती बढ़ती ही गई थी. शालिनी के पति अमर कुमार मशहूर फिल्म अभिनेता थे और रीना के पति बिशन एक बड़े व्यापारी. दोनों का जीवन अति व्यस्त था.

अमर कुमार की व्यवस्तता तो बहुत ही अधिक थी. पिछले 7 सालों में उन की इतनी फिल्में जुबली हिट हुई थीं कि शालिनी को अब गिनती भी याद नहीं थी. इतनी अधिक सफलता की कल्पना तो न शालिनी ने की थी न अमर कुमार ने. शालिनी को गर्व था अपने पति पर. हर जगह अमर के नाम की धूम मची रहती थी. बच्चों को भी अपने पापा पर कम गर्व नहीं था. पापा की वजह से वे स्कूल में वीआईपी थे.

आज अनूषा और माधव ने चिंटू और अपनी क्लास के अन्य साथियों के साथ पापा की नई गाड़ी में घूमने का प्रोग्राम बनाया था. स्कूल में जल्दी छुट्टी होने वाली थी.

बच्चों में पापा की नई गाड़ी के लिए बहुत उत्साह था. सब से बढि़या गाड़ी जो अभी तक सिर्फ उन के पापा के पास थी. कितने उत्साह से दोनों आज के दिन का इंतजार कर रहे थे, जब उन के स्कूल में जल्दी छुट्टी होने वाली थी.

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