समय से पहले जन्‍म लेने वाले शिशुओं को कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं उसे चीजों को पहचानने, किसी भी चीज का निर्णय लेने, कई तरह की अन्य व्यावहारिक कठिनाइयों और ध्यान केंद्रित करने सम्बन्धी जोखिम से गुजरना पड़ सकता है. समय से पहले जन्मे ज्यादातर शिशुओं को ध्यान केंद्रित करने जैसी समस्या का सामना करना पड़ता है, जिसे अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसआर्डर (एडीएचडी) कहा जाता है. ऐसे बच्चों को स्कूल में अच्छा प्रदर्शन करने में कठिनाई आ सकती है.

एक रिपोर्ट के अनुसार हर साल विश्व में हर दस में से एक बच्चा प्रीटर्म जन्म लेता है. इसका मतलब यह हुआ कि हर साल लगभग 1.5 करोड़ प्रीटर्म बच्चे दुनिया भर में जन्म लेते हैं. भारत में, हर साल पैदा होने वाले 2.7 करोड़ बच्चों में से 35 लाख बच्चे प्रीटर्म श्रेणी के होते हैं.

ऐसे होते हैं प्रीटर्म बच्‍चे

डाक्टरों का कहना है कि समय से पूर्व जन्म लेने का अर्थ गर्भावस्था के दौरान 37 सप्ताह से पहले ही शिशु का जन्म लेना है. सामान्य गर्भावस्था आमतौर पर लगभग 40 सप्ताह की होती है. 37 सप्ताह से पहले जन्मे बच्चे को गर्भ में विकसित होने के लिए कम समय मिलता है, इसीलिए अक्सर उनमें चिकित्सा समस्याएं जटिल होती जाती हैं. ऐसे कई शिशुओं को दिमागी लकवा यानी सेरीब्रल पाल्सी, सीखने में कठिनाई और सांस संबंधी बीमारियों जैसे विभिन्न रोग होने का डर रहता है. ऐसे बच्चे आगे के जीवन में कई शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और आर्थिक कठिनाइयों का कारण बनते हैं. प्रीटर्म शिशु आकार में छोटा, बड़े सिर वाला होता है. इनके शरीर पर बाल अधिक होते हैं.

प्रीटर्म बच्‍चे होने के कारण

हालांकि समय से पहले जन्म लेने के पीछे का कोई एक कारण बताना बेहद मुश्किल है. फिर भी, गर्भवती महिला की आयु का कम होना, पहले भी प्रीटर्म केस होना, मधुमेह और उच्च रक्तचाप आदि कुछ सामान्य कारण हैं. इसके पीछे आनुवंशिक कारण भी हो सकता है. गर्भवती महिला की प्रसव से पहले अच्छे से देखभाल करके और उनमें जागरुकता लाकर इस स्थिति से निकला जा सकता है.

समय पूर्व प्रसव टालने के कुछ उपाय

अपने चिकित्सक से खानपान के बारे में सही से जानकारी ले.

सही भोजन लें. आहार पौष्टिक होना चाहिए. पूरे गेहूं वाले काबोर्हाइड्रेट, प्रोटीन और डेयरी उत्पाद, फल व सब्जियों पर अधिक जोर दें.

जन्म के पूर्व की देखभाल की अनदेखी न करें.

अगर धूम्रपान की आदत है तो इसे छोड़ दें क्योंकि इससे प्रीटर्म की समस्या में वृद्धि होती है.

शरीर के प्रकार और बच्चे के लिए कितना वजन उपयुक्त है यह जानें. बहुत अधिक वजन बढ़ने से गर्भावधि में डायबिटीज हो सकता है, इसलिए अपना वजन सही रखें.

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