डायरेक्टर और प्रोड्यूसर महेश भट्ट का नाम बौलीवुड में आज बड़े डायरेक्टर्स की लिस्ट में शुमार है. लेकिन एक समय ऐसा भी था जब महेश भट्ट के पास कोई फिल्म नहीं थी. इसके पीछे की वजह उनकी फिल्मों का लगातार फ्लौप होना था.

जिसके बाद कोई भी प्रोड्यूसर और एक्टर उनके निर्देशन में काम करना नहीं चाहता था. विनोद खन्ना जब 1971 में फिल्म ‘मेरा गांव मेरा देश’ की शूटिंग कर रहे थे तो उनकी मुलाकात महेश भट्ट से हुई थी. काफी दिनों तक साथ काम करने की वजह से इन दोनों की दोस्ती हो गई.

महेश उन दिनों डायरेक्टर राज खोसला के असिस्टेंट हुआ करते थे. लेकिन इस फिल्म के बाद काफी समय तक विनोद और महेश की मुलाकात नहीं हुई. विनोद जहां अपनी फिल्मों के जरिए एक नया मुकाम हासिल कर रहे थे तो वहीं महेश भट्ट की फिल्में लगातार फ्लौप होती जा रही थी.

‘मंजिलें और भी हैं’ और ‘विश्वासघात’ फ्लौप होने के बाद कोई भी महेश भट्ट के साथ काम नहीं करना चाहता था. महेश ने ऐसे समय में शादी भी कर ली थी और पूजा भट्ट का जन्म भी हो गया था. लिहाजा महेश के लिए समय निकालना काफी मुश्किल हो गया था.

जब इस बात की जानकारी विनोद खन्ना को हुई तो उन्होंने महेश की मदद करने की ठान ली. विनोद खन्ना उस समय फिल्म ‘लहू के दो रंग’ में काम कर रहे थे.

विनोद खन्ना ने प्रोड्यूसर पर डायरेक्टर के तौर पर महेश को लेने की विनती की. महेश सेट पर आए तो किसी बात को लेकर उनमें और विनोद में अनबन हो गई. जिसके बाद वो प्रोड्यूसर के पास विनोद को इस फिल्म से हटाने की मांग करने लगे.

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