एक्ट्रेस तापसी पन्नू का नाम आज सफल अभिनेत्रियों की सूची में शामिल हो चुका है. आउटसाइडर होने के बावजूद तापसी धीरे धीरे कामयाबी की सीढ़ी चढ़ती गयी. इस जर्नी में कई उतार-चढ़ाव आये, पर उन्होंने इसे सहजता से लिया. निर्देशक शूजित सरकार की फिल्म ‘पिंक’ उनके जीवन की टर्निंग पॉइंट थी, जिससे लोगों ने उसकी प्रतिभा को पहचाना. वह अपना अवॉर्ड दर्शकों के प्यार को समझती है, जिसकी वजह से वह आज यहां पहुंच पायी है. उनकी फिल्म ‘थप्पड़’ रिलीज पर है, जिसे लेकर वह बहुत उत्साहित है, पेश है उससे हुई बातचीत की कुछ खास बातें.

सवाल. रियल लाइफ में आपने किसी को थप्पड़ मारा है?

मैंने कभी किसी को थप्पड़ नहीं मारा. कभी जरुरत नहीं पड़ी और मुझे किसी को मारना अच्छा भी नहीं लगता. मेरे माता-पिता ने भी कभी मुझे मारा नहीं. मैं बातों से सब कर लेती हूं.

सवाल. कभी किसी लड़के ने आपको छेड़ा?

नहीं कभी किसी ने नहीं छेड़ा, क्योंकि किसी की हिम्मत नहीं हुई.

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सवाल. इस फिल्म को करने की खास वजह क्या थी?

मुल्क फिल्म की शूटिंग के दौरान मैंने कहा थी कि मुझे ऐसी फिल्म करनी है और ये लिखी गयी. फिर इसे डेवलप किया गया. इसमें केवल घरेलू अत्याचार ही नहीं, कई और मुद्दे हैं जो पुरुष, महिलाओं के लिए सोचते हैं उसे भी दिखाने की कोशिश की गयी है. ये सालों साल चलती आ रही हैं, ऐसे में एक थप्पड़ से ही व्यक्ति को साफ़-साफ़ दिखने लगती है. शारीरिक ही नहीं बल्कि कई सारे ऐसे मुद्दे है जिसे ‘टेकेन फॉर ग्रांटेड‘ लिया जाता है. इन्हीं सब बातों को बताया गया है.

सवाल. लड़की होने की वजह से आपको कभी ऐसी बातें अपने परिवार से सुनने को मिली?

हां कई बार सुनने को मिलती है. मेरी मां कहती है कि ‘एक चुप सौ सुख’, ये वह शुरू से बोलती आ रही है. मुझे कभी भी उनकी वह बात अच्छी नहीं लगी और इसलिए मैं ये पिक्चर कर रही हूं. मुझे परिवार में सभी बहस करने वाली लड़की कहते है.

सवाल. फिल्मों ने आपकी जिंदगी को कैसे बदली है?

पहले मैं बहुत शोर्ट टेम्पर थी, पर अभी सहन करना सीख लिया है. खासकर जब मेरा इंडस्ट्री से कोई परिचय नहीं है और मैं इस क्षेत्र में काम करना चाहती हूं, ऐसे में बदलना पड़ा. अभी भी हाइपर हूं, पर उम्र के साथ उसमें ठहराव आ गया है. महिलाएं हमेशा से पुरुषों से अधिक सहनशील होती है और ये मैच्योरिटी के साथ-साथ बढ़ती जाती है.

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सवाल. सालों से महिलाओं पर अत्याचार किसी न किसी रूप में होता आ रहा है, अगर वे आगे निकलकर कुछ कहती है तो जिम्मेदार उसे ही ठहरा दिया जाता है, इसमें आप किसकी गलती या जिम्मेदारी मानती है?

गलती हम सबकी है किसी एक की नहीं. सबको अपनी गलतियों को सुधारने की जरुरत है, क्योंकि एक व्यक्ति जब अपनी पत्नी को थप्पड़ मरता है तो वह इसे टेकेन फॉर ग्रांटेड लेता है, गलती उस मां की है ,जिसने अपने बेटे को महिलाओं का सम्मान करना नहीं सिखाया, गलती उस लड़की की है, जो इसे सहती है और अंत में गलती उस मां की भी हैं, जिसने अपनी बेटी को सहन करना सिखाया है.

सवाल. शादी में समझौता और सामंजस्य को करने की बात कही जाती है, आप अपनी शादी के बाद किन-किन बातों पर समझौता करना पसंद करेंगी?

मैं सम्मान में कभी समझौता नहीं करुंगी. प्यार आता-जाता रहता है, पर रेस्पेक्ट एक बार चली जाय तो वापस नहीं आती. प्यार की नीव भी रेस्पेक्ट पर आधारित होती है.

सवाल. आप किसी भी नकारात्मक बात से कैसे बाहर निकलती हैं?

मेरे पास समय की कमी है और ऐसे में किसी की नकारात्मक बातों को सुनने के लिए मेरे पास समय नहीं है. मैं उसे देखती और सुनती नहीं हूं. जिस काम को करने में मुझे ख़ुशी मिले, उसे ही करने की कोशिश करती हूं. मैंने पैसे से अधिक काम को महत्व दिया है. शुरू में मैंने कई बड़े हीरो के साथ काम किया है, पर फिल्में नहीं चली. अब मैं वैसी गलती नहीं करती.

 

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Ho tum humare jitne the Sach kaho kya utne the…… Jaane do mat kaho kitne the….. #Thappad 28th Feb

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सवाल. क्या अभी आप किसी फिल्म को ना कहने में सहज है?

हां, लेकिन उसका कारण अवश्य बताती हूं. अजीबोगरीब बातें नहीं करती. नए निर्देशकों के साथ काम करने से पहले उनके काम को अवश्य देखती हूं. केवल एक स्क्रिप्ट के आधार पर मैं फिल्म को हां नहीं कह सकती. नामचीन निर्देशकों के साथ काम करने में भी मैं उनकी कहानी को अच्छी तरह समझने की कोशिश करती हूँ.

सवाल. आज पूरे देश में सीएए, एनआरसी को लेकर धरना और प्रदर्शन हो रहे है, इसका असर छात्रों से लेकर आम जनता पर भी हो रहा है, आपकी सोच इस बारें में क्या है?

मैंने हमेशा से नॉन वायलेंस को सहयोग दिया है. सरकार कोई भी हो, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता. मुझे नहीं पता कि हिंसा फ़ैलाने वाले लोग कहां से आ रहे है, पर उसका असर छात्रों और आम नागरिक पर पड़ रहा है. जिस कैम्पस में अटैक हुए है, मैं कुछ सालों पहले वहीं से पढ़कर निकली हूं. आगे भी हमारे परिवार के कुछ लोग वहां पढ़ रहे है. ऐसे में ऐसी घटनाओं से मुझे बहुत आघात लगा है, क्योंकि एक कैम्पस के अंदर इस तरह की हिंसा का होना वाकई दुखद है. कोई भी सरकार खड़ी होकर किसी को मारने के लिए नहीं कहती. राजनीति की खेल चलती रहेगी, पर इसमें आम जनता और छात्रों को जोड़ना सही नहीं.

सवाल. अवॉर्ड्स पर आप कितना विश्वास करती है?

साल 2016 में मेरे लिए दुखद था. उससे पहले मैं पुरस्कार पर बहुत विश्वास करती थी. फिल्म पिंक के रिलीज के बाद सबने मुझे कहा था कि इसमें मुझे अवॉर्ड मिलेगा, पर मुझे कही भी अवॉर्ड तो क्या नॉमिनेशन तक नहीं मिला. आज भी मुझे लोग ‘पिंक गर्ल’ कहते है. शूजित सरकार ने भी मुझे अवॉर्ड के लिए कपड़े सिलवाने को कहे थे, सिले हुए कपड़े आजतक पड़े है, पर मुझे अवॉर्ड नहीं मिला. उसके बाद से मेरा दिल टूट गया. फिल्म सांड की आंख के लिए मुझे अवॉर्ड मिला, ख़ुशी हुई, पर अब वो थ्रिल नहीं रहा.

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सवाल. महिला दिवस पर क्या कहना चाहती है?

महिलाओं को समान अधिकार हर जगह मिले, यही मेरी सोच है. महिलाओं को अलग कुछ नहीं चाहिए, जिसमें जो प्रतिभा है उसे वह काम मिले. झंडा लेकर खड़े होने से कुछ नहीं होगा. महिलाओं को भी अपनी प्रतिभा को आगे बढ़कर दिखाने की जरुरत है.

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