कोरोना महामारी की भयावहता को देखते हुये भारत सरकार द्वारा राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन का निर्णय लिया गया है जिसे सुनकर हर दिमाग बौखला गया है. इस वाइरस की दहशत ने बेराजी ही सही लेकिन हर व्यक्ति को इस फैसले को मानने को मजबूर कर दिया है.
हम हमेशा से पढ़ते-सुनते आए हैं कि व्यक्ति को हर प्रतिकूल परिस्थिति का सामना धर्य के साथ सकारात्मक सोच अपनाते हुये करना चाहिए. आज की परिस्थितियों में यह फॉर्मूला अत्यंत प्रभावी है.
अब निशा को ही देखिये. लॉकडाउन के कारण कानपुर पढ़ने वाली उसकी बेटी घर आ गई. पति का ऑफिस और छुटकी का स्कूल भी बंद है. घर से बाहर कहीं आना-जाना नहीं. ऐसे में चारों जने घर के बर्तनों कि तरह जब-तब टकराने लगते हैं. कहाँ तो निशा अपने परिवार के साथ इस तरह के समय को तरसती रहती थी और कहाँ अब हर समय इस कैद से आजादी के लिए छटपटा रही है.
निशा ही नहीं बल्कि हर परिवार इस गंभीर समस्या से जूझ रहा है. ऐसे में क्यों न इस क्वान्टिटी टाइम को क्वालिटी टाइम बनाने की कोशिश की जाये.
क्या करें
सुबह जल्दी उठने की जल्दबाज़ी न करें और अपने तन-मन को आराम दें.
घर के सभी सदस्य एक साथ योगा-कसरत, मेडिटेशन आदि करें.
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साफ-सफाई आदि का कोई काम पेंडिंग हो तो सब मिलकर उसे निपटाये.
पति एवं बच्चों से अधिकारपूर्वक रसोई में मदद करने के लिए कहें. मिलकर बनाएँ... मिलकर खाएं...
लूडो, कैरम, शतरंज जैसे इनडोर गेम खेलें. घर में उपलब्ध नहीं हों तो इंटरनेट का सहारा लिया जा सकता है.