भाग्या के घर में उस की शादी की बातें हो रही थीं. उस के पापा राज ने अपने समाज के कुछ लड़के देखे थे. बात आगे बढ़ाने से पहले उन्होंने भाग्या से कहा, ‘‘यदि तुम्हें कोई लड़का पसंद हो तो बता दो, हम उस से मिल कर तुम्हारी शादी करवा देंगे.’’
जवाब में भाग्या ने घरवालों की बात पर अपनी मोहर लगाते हुए कहा, ‘‘पापा, कोई नहीं है. आप को जैसा ठीक लगे, मु झे मंजूर है.’’
‘‘ठीक है, फिर मैं लड़के वालों से बात कर के मिलने की तारीख तय कर देता हूं. आपस में तुम लोग एकदूसरे से मिल लो, फिर बात आगे बढ़ेगी.’’
घर पर शादी की तैयारियां शुरू हो गईं. इधर भाग्या भी अपने काम में व्यस्त थी. समय पंख लगा कर उड़ रहा था. 2 दिनों बाद लड़के वालों से मिलने सब दूसरे शहर जाने वाले थे. आज सुबह भाग्या ने अपना बैग पैक किया व औफिस जाने के लिए जैसे ही बाहर निकली कि उस की मां मोना ने उसे आवाज दी, ‘‘भाग्या, आज अपने औफिस में छुट्टी की बात कर लेना, हमें परसों निकलना है.’’ भाग्या ने बिना पलटे ही, ‘‘ठीक है मां,’’ कहा और तेजी से घर से बाहर निकल गई.
रात के 9 बज चुके थे. सब के घर आने का समय हो गया था. मोना भोजन तैयार कर सब के घर आने की राह देख रही थी. भाग्या अभी तक घर नहीं आई तो मोना कुछ चिंतित सी हो गईं. साधारणतया वह 9 बजे तक आ जाती थी. 9.30 बज गए थे. राज भी घर पर आ गए. मोना को घर पर अकेली परेशान देख कर राज ने पूछा, ‘‘भाग्या अभी तक नहीं आई? क्या बात है?’’ मोना ने पलट कर कहा, ‘‘हां, आती होगी. आजकल काम ज्यादा है इसलिए जल्दी जाती है और देरी से घर आती है. मैं फोन लगा कर पूछती हूं कि कहां है.’’
उन्होंने भाग्या को फोन लगाया. घंटी जा रही थी किंतु उस ने फोन नहीं उठाया. सब परेशान हो रहे थे. समय गुजर रहा था. 10 बजे तक भाग्या घर नहीं आई तो राज ने कहा, ‘‘मैं देख कर आता हूं. चल संजू.’’ संजू भाग्या का छोटा भाई था. राज ने जैसे ही घर के बाहर कदम रखा कि मोना के फोन की घंटी बजी. मोना ने वहीं से आवाज दे कर कहा, ‘‘रुको, भाग्या का फोन है.’’ आवाज दे कर मोना ने फोन उठाया, ‘‘कब से तु झे फोन कर रहे हैं, उठा भी नहीं रही है, सब ठीक है न? कहां है, कब तक आएगी? सब परेशान हैं.’’ लेकिन भाग्या ने मोना की बात बीच में काट कर कहा, ‘‘मां, मेरी चिंता मत करो. मैं ठीक हूं. मैं ने शादी कर ली है. मु झे ढूंढ़ने की कोशिश मत करना. हम नहीं मिलेंगे. हम ने शहर भी छोड़ दिया है,’’ कह कर उस ने फोन काट दिया.
‘‘हैलो, भाग्या, सुन…’’ मोना बोलती रहीं और कंठ अवरुद्ध हो गया. फोन हाथ से छूट कर जमीन पर गिर गया. कटी हुई डाली की तरह मोना धम्म से जमीन पर गिर पड़ीं. यह देख कर सभी उन की तरफ दौड़े, ‘‘क्या हुआ?’’
मोना ने अस्फुटित शब्दों में कहा, ‘‘उस ने शादी कर ली है, और कहा है कि वह वापस नहीं आएगी, उसे मत ढूंढ़ना. वह यह शहर छोड़ कर चली गई है.’’
उस के इस कदम से घर के सभी लोग स्तब्ध हो गए. नींद उड़ गई थी सब की. भोजन ठंडा हो गया था. घर में भय से भरा सन्नाटा पसरा हुआ था. बाहर के कमरे में सभी लोग बैठे थे किंतु वे सभी कुछ कहनेसुनने व सोचने की स्थिति में नहीं थे. अब जाएं भी तो कहां जाएं. जवान लड़की का इस तरह चले जाना इज्जत का सवाल होता है. ऐसी खबरें भी आग की तरह फैलती हैं. मोना छाती पीट कर रो रही थीं. उधर राज का क्रोध सातवें आसमान पर था. वे मोना पर अपने क्रोध के अग्निबाण चला रहे थे.
‘‘सब तेरा ही सिखायापढ़ाया है, घर पर क्या करती हो, बच्चों का ध्यान नहीं रख सकती.’’ उस के पिता ने उन्हें बीच में टोक दिया, ‘‘अब लड़ने झगड़ने से क्या फायदा होगा. तुम्हारी इसी हरकत से वह चली गई है. जब देखो एकदूसरे को काटने के लिए दौड़ते हो. अब शांत हो कर आगे की सोचो. लड़की जात है, इस बात का ध्यान रखना कि बात घर से बाहर नहीं जाए. अब शादी कर ली है तो लड़की को घर लाने की बात सोचो. मन को शांत रखो. उसे सम झाबु झा कर घर लाना होगा.’’
उन की बात सुन कर सब लोग चुप थे. मन में उथलपुथल मची हुई थी और हारे हुए से अपने समय को कोस रहे थे. 2 दिन हो गए, भाग्या की कोई खबर नहीं मिली. परिवार के सभी लोग इस बात से चिंतित थे कि कहीं लड़की के साथ कुछ गलत तो नहीं हुआ, कौन सी जाति का लड़का है? क्या करता है? आजकल समाज में जिस तरह की घटनाएं हो रही थीं, चिंता होना लाजमी थी. कहते हैं न इश्कमुश्क छिपाए नहीं छिपता है. इस बात को परिवार भरसक छिपाने का प्रयास कर रहा था, लेकिन जल्दी हवा में सुगबुगाहट शुरू हो गई थी. गांव में ऐसी बातें जल्दी फैलती हैं. इधरउधर से लड़के की जानकारी भी मिल रही थी कि इसे भाग्या के साथ देखा गया था. 2 दिन तक जब भाग्या की कोई खबर नहीं मिली तो सब ने पुलिस की मदद लेने का फैसला लिया. लेकिन तभी फोन की घंटी बजी. नया नंबर देख कर राज ने फोन उठाया. उधर से भाग्या की आवाज आई, ‘‘पुलिस में खबर करने की जरूरत नहीं है. मैं बहुत खुश हूं. हमें ढूंढ़ने की कोशिश मत करो. हम आप को नहीं मिलेंगे, न ही घर आएंगे.’’
राज ने मन शांत रख कर कहा, ‘‘ठीक है, तुम ने शादी कर ली है. अब तो घर आ जाओ. बैठ कर बात करेंगे. हम उसी लड़के से तुम्हारी शादी समाज के सामने करवा देंगे. ऐसे हम समाज में क्या मुंह दिखाएंगे. हमें भी तो लड़के से मिलने दो. नहीं आई तो मजबूरन हमें पुलिस की मदद लेनी पड़ेगी.’’
‘‘मैं ने कहा न कि मैं बहुत खुश हूं. हमें ढूंढ़ने की कोशिश मत करना. हम ने शहर छोड़ दिया है. मैं अब बालिग हूं, अपना भलाबुरा सोच सकती हूं,’’ इस के बाद फोन बंद हो गया. आजकल सोशल मीडिया ने सब की जिंदगी में अपने पांव पसार रखे हैं. दुनिया में यह जीवन की खुली किताब का सब से आसान जरिया भी बन गया है. देररात भाग्या ने अपने सोशल अकाउंट पर शादी की तसवीरें पोस्ट कर के अपनी शादी को सार्वजनिक कर दिया. उस के बाद उस ने अपना फोन भी बंद कर दिया. परिवार जिस इज्जत की दुहाई दे रहा था, उसे उस ने पलभर में चकनाचूर कर दिया था. समाज रिश्तेदारों में यह बात आग की तरह फैल गई थी. जितने मुंह उतनी बातें. लड़के की तसवीर देख कर भाग्या के घरवालों ने लड़के के घर का पता ढूंढ़ना शुरू किया. गांव के कुछ शुभचिंतकों ने लड़केवालों का पता भी दे दिया था. ऐसे समय में शुभचिंतक भी बहुत पैदा हो जाते हैं. सब भागेभागे लड़के के घर गए व उस के मातापिता से कहा, ‘‘हमें हमारी लड़की से मिलने दो.’’ लेकिन, उन्होंने भी साफ कह दिया कि उन का लड़का भी घर से गायब है व उस का फोन भी बंद आ रहा है. वे भी बहुत परेशान हैं. उस से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं. राज को गुस्सा आ गया, वे बोले,’’ आप को जैसे ही पता चले हमें भी अवगत कराएं. आप के लड़के ने हमारी लड़की को भगाया है. हम उसे नहीं छोड़ेंगे.’’ लड़के वाले भी घबरा गए. वे बोले, ‘‘देखिए, हम भी उतने ही परेशान हैं जितने आप. हमारा लड़का भी घर से भाग गया है. हम क्या कहें.’’
वे मायूस हो कर घर लौट गए. घर से बाहर निकलना मुश्किल हो रहा था. उधर लड़के वालों का भी संदेश आ गया, अच्छा हुआ लड़की शादी से पहले भाग गई. वरना हमारे बच्चे की जिंदगी खराब हो जाती.’
राज ने घर में सब से कह दिया, ‘‘इस लड़की ने हमारी नाक कटा कर रख दी है. अब हमें उस से कोई नाता नहीं रखना है.’’ इधर भाग्या के जीवन में बसंत ने खुशियों की दस्तक दी थी. पलाश के प्यार ने उस के जीवन को महका दिया था. आज वह दुनिया से चीखचीख कर कहना चाहती थी कि मैं आजाद हूं. जैसे कोई पंछी पिंजरे से बाहर निकल कर खुले आसमान में मदमस्त हो कर विचरण करता है, वैसे ही भाग्या का मन उड़ान भर रहा था. उमंगें जहां हृदय में हिलोरें मार रही थीं वहीं भय भी ग्रहण बन कर बैठा था. कब क्या होगा, कोई नहीं जानता था. उसे पता था कि उस का परिवार इतनी आसानी से उन्हें जीने नहीं देगा.
इधर पलाश हर कदम पर उस के साथ खड़ा था. हर 2 दिन में वे शहर बदलते रहे कि कहीं उन का नंबर ट्रेस कर के ढूंढ़ लिया तो पकड़े जा सकते हैं. इस भागमभाग में भी यह प्रेमिल जोड़ा अपनी दुनिया में खुशियों के रंग भर रहा था. भाग्या के माथे पर सिंदूर की लालिमा दमक रही थी. वहीं, आंखों में भविष्य के सुनहरे सपने पल रहे थे. प्यार के रंग में रंगी उस की जिंदगी में इंद्रधनुषी रंग भर गए थे. उस के ससुराल वालों ने उसे अपनी पलकों पर बिठा कर इतना दुलार दिया कि उसे मातापिता की कमी महसूस नहीं हुई. उन के साथ के बिना यह शादी संभव नहीं थी. शादी की तसवीर पोस्ट करने के बाद दोनों गुजरात के एक होटल में 2 दिन के लिए रुक गए. रात को पलाश ने अपने घर फोन कर के मातापिता से स्थिति का जायजा लिया व उन्हें अपने सकुशल होने की सूचना दी.
नवविवाहित जोड़ा प्यार की खुमारी के रंग में रंगा हुआ अपने जीवन को सतरंगी बना रहा था. रात को पलाश थक कर सो गया, पर भाग्या की आंखों में नींद नहीं थी. पलाश की आगोश में लेटी हुई वह अपने अतीत में विचरण कर रही थी. बचपन से ही उस ने अपने घर में प्यार के दो शब्द भी नहीं सुने थे. मातापिता को हमेशा लड़ते देखा था. दोनों का गुस्सा भाग्या पर निकलता था. मां ने भी हमेशा संजू और उस में फर्क किया. जैसे उस का लड़की होना ही बुरा था. वे लड़की की जिम्मेदारियों से बचना चाहते थे. बातबात पर भाग्या को कोसना व मारना आम बात थी. मां हर वक्त उसे डांटती रहतीं, तो कभी गुस्से में उस का सिर दीवार से फोड़ देतीं.
पापा का दिल उस के माथे से निकलते हुए खून को देख कर भी कभी नहीं पसीजा. घर में भाग्या का बचपन सहमते हुए ही बीता. बचपन से ही ताने सुनसुन कर व मार खाखा कर वह कुछ ढीठ सी हो गई थी. उसे युवावस्था में आतेआते घरवालों की हर बात से फर्क पड़ना बंद हो गया था. पैसे की लालची उस की मां ने उसे पढ़ने के साथसाथ काम पर भी लगवा दिया था. उस की मां को बस मिलने वाले गिफ्ट व पैसे के अलावा किसी बात से कोई मतलब नहीं था कि भाग्या बाहर क्या करती है. भाग्या ने भी उन्हें पैसे व गिफ्ट दे कर उन का ध्यान खुद से हटा दिया.
घर में उपेक्षित बच्चों के कदम बाहर जल्दी बहकते हैं. अपनेपन व प्यार के लिए तरसती भाग्या के कदम कम उम्र में ही बहक गए थे. एक बार अपनी क्लास के मुसलमान सहपाठी के साथ पकड़ी गई तो घर से बाहर निकलने के साथ उस का कालेज भी बंद करवा दिया गया. उसे घर में बंधक बना कर नजरबंद कर दिया गया. उस के दोस्त को मारपीट कर धमका कर हवालात के दर्शन करवा दिए व लड़की को बहलानेफुसलाने की रपट करवा दी. दोनों तरफ पहरे हो गए थे. बहुत कोशिश करने के बाद भी वह घर से बाहर नहीं जा सकी.
कम उम्र में सहीगलत की सम झ ही कहां होती है. मामला शांत करने के लिए कुछ दिनों बाद उसे ननिहाल में भेज कर घरवालों ने उस की शादी करवाने का निर्णय लिया. लेकिन, शादी की बात सुनते ही उस ने आत्महत्या करने की कोशिश की. बमुश्किल से कुछ रिश्तेदारों ने बीचबचाव कर के कहा, ‘लड़की अभी छोटी है. पहले लड़की को लिखाओपढ़ाओ, प्यार से सम झाओ.’ भाग्या के पास भी दूसरा मार्ग नहीं था, या तो वह पढ़े या शादी करे. उस ने फिर से पढ़लिख कर कुछ करने का मन बनाया. घर वालों ने भी उस के प्रति थोड़ी नरमी बरतनी शुरू कर दी. घर वालों ने प्राइवेट परीक्षा देने की अनुमति प्रदान की. लेकिन घर से बाहर उसे अकेले आनेजाने की अनुमति नहीं थी. वह सिर्फ परीक्षा देने ही जाती थी. उस का जीवन एक कैदी की तरह बीतने लगा. 2 वर्षों तक यों ही चलता रहा. फिर घरवालों को लगा कि वह सुधर गई है, तो फिर से पढ़ाने के साथ उस के घर वालों ने उसे अपने करीबी रिश्तेदार के यहां काम पर भी रख दिया, जिस से आमदनी भी होती रहे व उस का भविष्य भी सुधर जाए. परिवार का कोई न कोई सदस्य पहले उसे खुद लेनेछोड़ने जाता था.
खुली हवा में सांस लेने के लिए तरसती भाग्या के जीवन में पलाश के आने से बसंत का आगमन शुरू हो गया था. प्यार की फगुनाहट दिल में दस्तक देने लगी थी. मन का मौसम चुपके से बदल रहा था. वह उस के औफिस में काम से आता था, वहां एकदूसरे से नजरें मिलीं और दिल चुपचाप धड़कने लगे. रोज औफिस में होती मुलाकातों ने उन्हें एकदूसरे के करीब ला दिया. एक दिन पलाश ने भाग्या को शादी के लिए प्रपोज किया तो बिना देर किए भाग्या ने अपने जीवन को बदलने का मन बना लिया.
औफिस लंच के समय भाग्या पलाश के घर वालों से भी कभीकभार मिलने लगी. इस बार वह सतर्क थी कि दिल में महकते हुए प्यार के फूलों की महक किसी तक न पहुंचे. फिर से कोई इन फूलों को न मसले. सुंदर, सलोनी लड़की पा कर पलाश के घर वालों ने उसे सहर्ष अपनी बहू के रूप में स्वीकार कर आशीष व नेह की बारिश में भिगो दिया. प्यार के लिए तरसती भाग्या का समय सच में उस पर मेहरबान हो रहा था. इधर परिवार में उस की शादी के चर्चे शुरू हुए तो भाग्या ने घबरा कर पलाश व उस के परिवार को सब बात बता दी. वह उन्हें खोना नहीं चाहती थी. उस ने कहा जल्दी शादी करो वरना हमारी शादी कभी नहीं होगी. पलाश के मातापिता ने कहा, ‘बेटी तुम चिंता मत करो, हम तुम्हारे घरवालों से बात करेंगे.’ कहते हैं न दूध का जला छाछ भी फूंकफूंक कर पीता है. तब उस ने कहा, ‘नहीं, मेरे घर वाले नहीं मानेंगे. मेरे पापा बहुत गुस्से वाले हैं. वे पलाश के साथ कुछ भी कर सकते हैं. उन की यहां सब से बहुत जानपहचान है.’
भय से उस का चेहरा पीला पड़ रहा था. औफिस के काम में भी मन नहीं लग रहा था. औफिस का मालिक उन के परिवार का करीबी था. वह सब जानता था. उस ने भाग्या के जीवन में खुशियों की खातिर उस का साथ देने का फैसला लिया. उस ने भाग्या को दिलासा दिया कि वह उस की मदद करेगा. पर किसी को भी यह बात पता नहीं चलनी चाहिए. उस ने भाग्या के घर पर संदेश दिया कि आजकल औफिस में काम ज्यादा है, इसलिए औफिस जल्दी आना होगा व देर तक रुकना होगा. रिश्तेदार होने के कारण किसी को उस पर शक नहीं हुआ. इधर पलाश व उस के घर वालों ने गुपचुप तरीके से झटपट शादी की तैयारियां शुरू कर दीं.
मातापिता बन कर वे बेटी को घर लाने की तैयारी कर रहे थे. किसी को कानोंकान खबर नहीं हुई. भाग्या ने भी घर छोड़ने के कुछ दिनों पहले से अपना सामान चुपचाप ले जा कर अपने होने वाले नए घर में रखना शुरू कर दिया. चुपचाप सारी तैयारियों को अंजाम देते हुए अंत में दूसरे शहर जा कर कोर्टमैरिज कर ली.
भाग्या के सासससुर, ननदननदोई सब ने मिल कर उस की झोली खुशियों से भर दी. उसी शाम दोनों पलाश की बहन के घर गुजरात चले गए. शेष सभी लोग देररात तक वापस शहर में आ गए. रात को राज ने उस के औफिस में जब पूछताछ की तो मालिक ने कह दिया, ‘मैं तो आज दिन में बाहर गया था, मु झे नहीं पता है.’ सब की कोशिशों ने भाग्या का जीवन बदल दिया था.
मामला ठंडा होने तक दोनों एक शहर से दूसरे शहर घूमते रहे. फिर पुलिस की मदद से अपने घर लौट आए. आज पंछी कैद से आजाद था, उसे पिंजरे के घुटनभरे माहौल से मुक्ति मिल गई थी. यहां सांस लेने के लिए खुला आसमान था, रहने के लिए घर था, जिसे वह अपना कह सकती थी. जो मन चाहे कर सकती थी. जीवन के नीरस रंग चटकीले रंगों में बदल गए थे. भय का कोई साया साथ नहीं था.
सुबहशाम घर में इतनी शांति उस ने कभी नहीं देखी थी. अब सुबह मधुर संगीत से होती थी तो शाम को घर में हंसी के ठहाके गूंजते थे. वह आज अपने घर में सुरक्षित थी. प्यार व दुलार का एहसास अब हो रहा था. सास के रूप में उसे मां मिली थीं जिन्होंने उसे अपने आंचल में छिपा कर अपनी ममता उस पर लुटा दी थी. जीवन पूर्ण सतरंगी हो गया था.
राज व मोना चाह कर भी कुछ नहीं कर सके. उन्होंने भाग्या से संबंध तोड़ लिए थे. लेकिन भाग्या ने मन बनाया कि कुछ समय बाद वह कोशिश करेगी कि अपने घर वालों के मन को भी मिठास का स्वाद चखा दे. पलाश के फूलों की महक सब के जीवन में ताउम्र महकती रहे. पंरिदे पिंजरे में कैद नहीं, खुले आसमान में विचरते ही अच्छे लगते हैं. कलरव की मधुरता ही जीवन को सुंदर बनाती है.