रोज की तरह ठीक 6 बजे अलार्म की तेज आवाज गूंज उठी. उनींदी सी शिवानी ने साइड टेबल पर रखे अलार्म क्लॉक को बंद किया और फिर से करवट बदल कर सो गई. बगल के कमरे में अवनीश भी गहरी नींद में सोया हुआ था. अलार्म की आवाज सुन कर वह कभी नहीं उठता. शिवानी ही उसे उठाती है. पर आजकल शिवानी को उठने या उठाने की कोई हड़बड़ी नहीं होती. पिछले सप्ताह ही देश में प्रधानमंत्री ने तेजी से फैलते कोरोना वायरस के मद्देनजर पूरे देश में 21 दिन के लौकडाउन की घोषणा जो कर दी थी. अब वह वर्क फ्रॉम होम कर रही थी.
शिवानी के लिए वर्क फ्रॉम होम का मतलब था आनेजाने में बर्बाद होने वाले समय को नींद पूरी करने में लगाना.
शिवानी करीब 8 बजे उठी और फ्रेश हो कर नाश्ता बनाने लगी. अवनीश अब तक टांग पसार कर सो रहा था. शिवानी दोतीन बार अवनीश के कमरे का चक्कर लगा आई थी. आज उसे सोता हुआ अवनीश बहुत ही प्यारा और सीधासाधा सा लग रहा था. अपनी सोच पर उसे खुद ही हंसी आ गई. सीधासाधा और अवनीश, हो ही नहीं सकता.
पुरानी बातें याद आते ही उस का मन कसैला हो उठा. पिछले दोतीन महीने से दोनों के बीच कुछ भी अच्छा नहीं चल रहा था. शिवानी तो दिल से तलाक का फैसला भी ले चुकी थी. इसी वजह से उस ने अलग कमरे में सोना शुरू कर दिया था. मगर तलाक की बात उस ने अब तक अवनीश से कही नहीं थी. वह कहीं न कहीं खुद को पूरी तरह से श्योर कर लेना चाहती थी कि वाकई अवनीश बेवफा है.