यूं तो दूरस्थ शिक्षा या डिस्टेंस एजुकेशन की महत्ता कई दशक पहले ही स्थापित हो गई थी. सच बात तो यह है कि भारत जैसे देश में जहां आज भी बमुश्किल 11-12 प्रतिशत लोगों को ही नियमित उच्च शिक्षा नसीब होती है, वहां दूरस्थ शिक्षा या डिस्टेंस एजुकेशन ही आम लोगों के लिए उच्च शिक्षा का एकमात्र माध्यम है. लेकिन जिस तरह से कोरोना का कहर लोगों की सदेह मौजूदगी पर टूटा है, उसके चलते, तो फिलहाल दूरस्थ शिक्षा या जिसे आजकल आनलाइन एजुकेशन कहना ज्यादा आसान हो गया है, लगभग अनिवार्य हो गई है. सिर्फ हिंदुस्तान में ही नहीं इस समय पूरी दुनिया में शिक्षा महज आनलाइन एजुकेशन के रूप में ही मौजूद है.

वैसे तो आनलाइन एजुकेशन धीरे-धीरे यूं भी विश्वसनीय हो चुकी है, बशर्ते आपके पास विश्वसनीय और सुरक्षित ब्राडबैंड यानी इंटरनेट कनेक्शन उपलब्ध हो. साथ ही  तमाम साफ्टवेयर और साफ्ट एजुकेशन प्रोडक्ट भी हों जिनके जरिये यह शिक्षा संभव होती है. इन संसाधनों के बाद आनलाइन या दूरस्थ शिक्षा इन दिनों सर्वाधिक विश्वसनीय हो चुकी है. भारत में आधुनिक शैक्षिक परिदृश्य में लगातार आनलाइन एजुकेशन का दायरा भी बढ़ रहा है और इसका टर्नओवर भी. केपीएमजी और गूगल द्वारा किये गये एक साझे अध्ययन के मुताबिक जिसका शीर्षक है, ‘आनलाइन एजुकेशन इन इंडिया: 2021’, भारत में आनलाइन शिक्षा का बाजार अगले साल यानी 2021 तक 1.6 अरब डालर का हो जायेगा. इस समय देशभर में 96 से ज्यादा पाठ्यक्रम मौजूद हैं और 9 लाख से ज्यादा छात्र इस माध्यम के जरिये पढ़ाई कर रहे हैं.

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