हर कोई जानता है कि बच्चे स्कूल से बहुत सी बीमारियां लाते हैं, जैसे: चिकन पॉक्स, फ्लू और वार्षिक रिटर्न-टू-स्कूल ज़ुकाम .

आजकल, इस बात का सबूत है कि वे अपने दोस्तों से कुछ और भी प्राप्त कर सकते हैं, वो है मोटापा I

एक नए अध्ययन में पाया गया कि जब स्केल एक व्यक्ति के लिए “अधिक वजन” की व्याख्या करता है, तो संभावना है कि उनके दोस्त 50 प्रतिशत से अधिक वज़न  वाले हो जाएंगे.

न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन के 26वें एडिशन में प्रस्तावित किया गया कि मोटापा “सामाजिक रूप से संक्रामक” है, क्योंकि यह निकट सांप्रदायिक समूहों के व्यक्तियों में फ़ैल सकता है. पहला जर्नल निकोलस क्रिस्टाकिस और जेम्स फाउलर द्वारा 2007 में प्रकाशित किया गया था. उन्होंने पाया कि मोटापा सोशल नेटवर्क के माध्यम से प्रसारित होता है. इस के लिए उपयुक्त उदाहरण है कि एक उचित शरीर के आकार के बारे में किसी व्यक्ति की अवधारणा क्या है ये उनके दोस्तों के आकार से प्रभावित होता है.

अनुसंधान ने संकेत दिया है कि मित्र एक-दूसरे के व्यवहार को प्रभावित करते हैं. एक पिछले अध्ययन में दिखाया गया है कि धूम्रपान और शराब पीने वाले दोस्तों के साथ रहने वाले किशोर स्वयं भी इस के आदी होंगे. न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययनों में 12,067 व्यक्तियों के एक विशाल सामाजिक नेटवर्क की एक विस्तृत परीक्षा शामिल थी, जो 1971 से 2003 तक लंबे समय तक दृढ़ता से की गयी थी. शोधकर्ता जानते थे कि कौन किसका दोस्त,  कौन किसका जीवन साथी या परिजन थे, और प्रत्येक व्यक्ति का तीन दशकों के विभिन्न अवसरों पर कितना वजन था. इससे उन्हें पता चलता है कि इन सालों में क्या  हुआ– कुछ लोग मोटे हो गए. क्या उनके दोस्त भी मोटे हो गए थे? क्या रिश्तेदार या पड़ोसी भी मोटे हो गए?

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इसका उत्तर यह था कि जब किसी व्यक्ति के दोस्त मोटे हो जाते हैं तो वह व्यक्ति भी मोटापे की ओर चल पड़ता है . इससे  किसी व्यक्ति की भारी होने की संभावनाएँ 57 प्रतिशत तक बढ़ जाती हैं. जब किसी पड़ोसी का वज़न बड़ा या घटा तो कोई असर नहीं पड़ा, अर्थात, दोस्तों की तुलना में पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने कम प्रभाव डाला. नज़दीकियों से कोई फर्क नहीं दिखाई दिया. दोस्तों का प्रभाव इस बात पर निर्भर नहीं किया कि साथी कई मील दूर था या नहीं. इसके अलावा, सबसे अच्छा प्रभाव सांझे और प्रिय दोस्तों के बीच था. ऐसी स्तिथि में अगर एक दोस्त मोटा हुआ, दूसरे के मोटे होने की संभावना काफी बढ़ गई.

डॉक्टर निकोलस क्रिस्टाकिस, एक चिकित्सक और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में चिकित्सा समाजशास्त्र के प्रोफेसर और नए अध्ययन में एक प्रमुख अन्वेषक, के अनुसार एक स्पष्टीकरण यह है कि दोस्त एक-दूसरे के शरीर के आकार की छाप को प्रभावित करते हैं. जब एक प्रिय साथी भारी हो जाता है, तो मोटापा शायद इतना भयानक नहीं लगता . डॉ. क्रिस्टाकिस ने कहा, “एक स्वीकार्य शरीर का प्रकार क्या है, इस के बारे में आपके अपने विचार आसपास के लोगों को देखकर बदलते रहते हैं.

फाउलर (यूसी सैन डिएगो के एक राजनीतिक शोधकर्ता) ने वजन बढ़ने का सबसे अच्छा सत्यापन किया. वो कहते हैं कि जिन व्यक्तियों को वे मित्र मानते थे, उनकी गतिविधियों पर उनके आचरण को पैटर्न देने के लिए अधिक संभावना थी. लेकिन ये समीकरण उलटे तरीके से लागु नहीं होता.

अगर आपने किसी और को एक साथी के रूप में चुना और आपके साथी का वज़न बड़ा, उस समय आप वज़न बड़ाने के लिए 50% बाध्य हो सकते हैं . इसके उल्ट, यदि आपके साथी ने आपको एक पारस्परिक मित्र के रूप में नामित नहीं किया है, और आप मोटे हो गए हैं, तो इससे आपके साथी के वजन पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा.

स्पष्ट प्रशन है :  केवल दोस्त ही क्यों? जीवन साथी भोजन और छत सांझा करते हैं; फिर भी  शोधकर्ताओं ने वजन बढ़ने का छोटा खतरा (सिर्फ 37%) पाया, जब एक साथी भारी हो गया.

भाई-बहन के जीन्स भी सांझे होते हैं फिर भी उनका प्रभाव बहुत कम था, एक-दूसरे के जोखिम को 40% तक बढ़ा दिया. फाउलर का मानना है कि जब हम उपयुक्त सामाजिक व्यवहार के बारे में सोचते हैं, तो ये सामाजिक मानकों से ज़्यादा प्रभावित होता है.  ‘मोटे दोस्त बनाओ और मोटे हो जाओ’ अधिक स्वीकार्य लगता है.

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फाउलर का मानना है कि “आप क्या खाएं, कितना खाएं, कितनी कसरत करें, — जब आप ये निर्धारण करते हैं तो शायद आप अपने जीवन साथी कि ओर नहीं देखते हैं.”   ज़रूरी  नहीं कि हम अपने परिजनों के विपरीत भी अनिवार्य रूप से जाएं .

निष्कर्ष ये है कि “हमें दोस्तों को चुनने का मौका मिलता है, लेकिन परिवारों को चुनने का नहीं.”

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