नोवल कोरोना वायरस के आगे सभी घुटने टेक चुके हैं. उम्मीद है तो साइंस से या वैज्ञानिकों से. वैज्ञानिक रिसर्च में जुटे हैं, हल खोज रहे हैं. दुनिया के उच्च श्रेणी के एक वैज्ञानिक ने कहा है कि नोवल कोरोना वायरस की कोविड-19 के ऐसी महामारी होने की संभावना है जो लंबे समय तक इंसानों में रह सकती है, मौसमी बन सकती है और मानव शरीर के भीतर बनी रह सकती है.

लौकडाउन में हमआप कब तक रहेंगे, कब लौकआउट होंगे, इस सवाल के कोई माने नहीं जब, हो सकता है, हमआप अपने जिस्मों के लौकअप में वायरस को कैद किए घूम रहे हों, आम जीवन जी रहे हों.

विज्ञान और वैज्ञानिकों की तो माननी पड़ेगी, इस समय वही आस हैं. इन्हीं वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस ख़त्म नहीं होगा और इसके संक्रमण के मामले हर साल आते रहने की आशंका है. ऐसा मानने के पीछे एक तर्क तो यही है कि नोवल कोरोना वायरस, एसएआरएस यानी गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम के परिवार का ही एक वायरस है और यह एसएआरएस वायरस 17 वर्षों पहले आया था. एसएआरएस का मामला पहली बार नवंबर 2002 में चीन में आया था और फ़रवरी 2003 में इसकी पहचान की गई थी. यह वायरस ख़त्म नहीं हुआ है और इसके संक्रमण के मामले जबतब आते रहे हैं.

ये भी पढ़ें- लॉकडाउन 3.0: वायरस संग जीने की आदत

दुनियाभर के शीर्ष शोधकर्ताओं और सरकारों के बीच एक आम सहमति यह बन रही है कि लौकडाउन के बावजूद इस वायरस को ख़त्म होने की संभावना नहीं है. अमेरिका के नेशनल इंस्टिट्यूट औफ़ एलर्जी ऐंड इंफैक्शस डिजीज के निदेशक एंथोनी फ़ौसी ने पिछले महीने कहा था कि वायरस के कारण होने वाली बीमारी कोविड -19 एक मौसमी बीमारी बन सकती है. उन्होंने यह बात कई देशों में ऐसे मामले सामने आने के बाद कही थी.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...