प्राकृतिक आपदाओं की चुनौतियों से निबटने के लिए आजादी के बाद देश के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने राष्ट्रीय राहत कोष बनाया था. अभी नोवल कोरोना वायरस के संक्रमण से उभरी कोविड-19 आपदा की चुनौतियों से निबटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में 28 मार्च को पीएम केयर्स (प्राइम मिनिस्टर्स सिटिजन असिस्टेंस ऐंड रिलीफ इन इमरजेंसी सिचुएशंस) फंड बनाया गया है.

मालूम हो कि ऐसी चुनौतियों से जूझने के लिए आज़ादी के 6 महीने बाद ही जनवरी 1948 में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष यानी प्राइम मिनिस्टर नेशनल रिलीफ फंड (पीएमएनआरएफ) बना लिया गया था, जो आज भी मौजूद है. बहरहाल, दोनों राहत फंड्स एकजैसे हैं या यों कहें कि पीएमएनआरएफ की फ़ोटोकौपी है पीएम केयर्स फंड. इसीलिए, यह सवाल लाज़िमी है कि जब बिलकुल हुबहू फंड पहले से मौजूद था तो फिर एक और नया बनाने की क्या ज़रूरत थी?

मोदी सरकार से इस बुनियादी सवाल को कई बार पूछा गया. सरकार की तरफ से बताया गया कि, 'पीएमएनआरएफ का संबंध सभी तरह की आपदाओं से है, जबकि पीएम केयर्स को ख़ासतौर पर कोरोना संकट को देखते हुए बनाया गया है.' यह जवाब भ्रामक है क्योंकि पीएमएनआरएफ की वैबसाइट पर साफ़साफ़ लिखा है कि इस फंड का इस्तेमाल किसी भी ‘प्राकृतिक आपदा’ में राहत और बचाव के लिए होगा. अब सवाल यह बचा कि क्या कोरोना की आफ़त को ‘प्राकृतिक आपदा’ का दर्ज़ा हासिल नहीं है? बिल्कुल है. पूरी तरह से है. तालाबंदी के वक़्त से ही मोदी सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 को लागू कर रखा है.  इसी के मुताबिक़, केंद्र सरकार की हिदायतों का पालन करना राज्यों के लिए अनिवार्य बनाया गया है.

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