बचपन से अभिनय की इच्छा रखने वाले अभिनेता मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) ने ‘बेंडिट क्वीनफिल्म से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा. उन्हें पॉपुलैरिटी फिल्म ‘सत्या’ से मिली. इस फिल्म ने उन्हें उस समय की सभी बड़े अभिनेताओं की श्रेणी में रख दिया. इस फिल्म के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया. हिंदी के अलावा उन्होंने तमिल और तेलगू भाषाओं में फिल्में की है.

बिहार के पश्चिमी चंपारण के एक छोटे से गाँव से निकलकर यहाँ तक पहुंचना और कामयाबी हासिल करना मनोज बाजपेयी के लिए आसान नहीं था. साधारण और शांत व्यक्तित्व के मनोज फिल्मों के लिए ‘चूजी’ नहीं, उन्हें जो भी कहानी प्रेरित करती है, वे उसे कर लेते है.यही वजह है कि उन्होंने हर तरह की फिल्में की है. उनके इस सफ़र में उनकी पत्नी नेहा और बेटी का साथ है, जिनके साथ वे क्वालिटी टाइम बिताना पसंद करते है. लॉक डाउन के इस समय में वे उत्तराखंड के किसी होटल में अपने परिवार के साथ समय बिता रहे है.

मनोज बाजपेयी को बचपन से कवितायें  पढ़ने का शौक है. उन्हें हिंदी और अंग्रेजी  में हर तरह की कवितायें पढ़ी है. उन्होंने कई प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कार भी जीता है,पर वे कविता खुद लिखते नहीं. साल 2019 में साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री अवार्ड से भी नवाजा गया है. अभी उनकी फिल्म ‘मिसेज सीरियल किलर’ डिजिटल पर रिलीज हो चुकी है. बातचीत हुई, पेश है कुछ खास अंश.

सवाल-लॉक डाउन में कहाँ है और क्या कर रहे है?

मैं अपने परिवार के साथ उत्तराखंड के एक होटल में हूं. पहाड़ों और वादियों का लुत्फ़ उठा रहा हूं. मैं इधर एक शूटिंग के लिए आया था और परिवार वाले भी यहाँ मुझसे मिलने आ गए थे. इतने में लॉक डाउन हो गया और यही रहने लगा हूं. मुझे अच्छा लग रहा है कि मुंबई की भीड़ भाड़ से दूर यहाँ प्राकृतिक वातावरण के बीच में दो महीने से रह रहा हूं.

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सवाल-इस फिल्म को करने की ख़ास वजह क्या है?

इसकी स्क्रिप्ट बहुत अच्छी थी. निर्देशक शिरीष कुंदर के साथ मैंने कई शोर्ट फिल्में की थी. इस वजह से हम दोनों की केमिस्ट्री बहुत अच्छी हो गयी थी. साथ ही हम दोनों पडोसी भी है. भूमिका बड़ी नहीं है, पर बहुत पावरफुल है. इसके अलावा शिरीष एक अच्छे निर्देशक भी है, इसलिए उनके साथ काम करने की इच्छा हुई और मैंने फिल्म की.

सवाल-आप किसी भी फिल्म में एक अलग छाप छोड़ते है, ये कैसे होता है? इसके लिए आपको क्या अलग से मेहनत अपनी भूमिका के लिए करनी पड़ती है?

मैं अपना काम करता हूं. दर्शकों को पसंद आता है इसकी ख़ुशी मुझे है. मैं कई सालों से काम कर रहा हूं. हर फिल्म के साथ वर्कशॉप करना, अभिनय की तकनीक को सीखना आदि करता आ रहा हूं. मेहनत, लगन और तकनिकी ज्ञान सब होने पर ही ये शायद हो पाता है. दर्शकों का प्यार ही मुझे यहाँ तक ले आया है और मैं अच्छा काम कर पा रहा हूं.

सवाल-आपके यहां तक पहुंचने में परिवार किस तरह से सहयोग देता है?

परिवार के सहयोग के बिना कुछ भी नहीं हो सकता. परिवार मेरी व्यस्तता को जानता और समझता है. साथ ही उसका आदर भी करता है. परिवार के साथ मेरा तालमेल हमेशा सही रहा है. समय मिलते ही मैं अधिक से अधिक समय उनके साथ बिताता हूं. काम के समय परिवार पूरा सहयोग देता है, ताकि मैं स्वछंद तरीके से काम को अंजाम दूँ. ये सामंजस्य है, जो बना हुआ है और मैं अपने आपको इस बारें में भाग्यशाली समझता हूं.

सवाल-कोरोना वायरस की वजह से कुछ एहतियात हर रोज बरतने को कही जा रही है, क्या लॉक डाउन के बाद इंडस्ट्री में भी कुछ बदलाव आयेगा?

लॉक डाउन एक न एक दिन अवश्य खुलेगा. वायरस भी एक दिन पूरे समाज से जायेगा. तब तक मास्क पहनना और अपना ख्याल रखना बहुत जरुरी है. उसके लिए क्या रास्ता अपनाया जायेगा, उसपर एसोसिएशन काम कर रही है. कैसे शूटिंग की जायेगी, कैसे सावधानी बरतते हुए इसे अंजाम दिया जायेगा आदि विषयों पर भी विचार किया जा रहा है. थिएटर को खोलने पर भी चर्चा हो रही है, लेकिन जब भी ये खुलेगी दर्शक आयेगे, क्योंकि समूह में बैठकर जो मजा फिल्म और नाटक देखने में है, उसे अकेले बैठकर नहीं लिया जा सकता. ये सही है कि ओटीटी प्लेटफार्म से जो मजा अभी दर्शक ले रहे है. आगे फिल्मों से उनकी अपेक्षा अधिक हो जाएगी. फिल्मों को भी उस स्तर पर प्रभावशाली कहानी कहने की जरुरत होगी.

सवाल-थ्रिलर फिल्म को बनाना कितनी चुनौती होती है, किस बात का बहुत ख्याल रखना पड़ता है?

इसमें चुनौती निर्देशक की होती है, निर्देशक पूरी फिल्म को देख रहा होता है और वह उसकी सुर और लय को पहचानता है, ऐसे में निर्देशक के विजन को समझने की बहुत जरुरत होती है. निर्देशक के साथ चलने और उसकी सुर को समझने पर काम आसान हो जाता है.

सवाल-आगे और क्या करने की सोच रहे है?

कोरोना वायरस के आने के बाद मैंने भविष्य की प्लानिंग करना छोड़ दिया है. आज जो है उसी के बारें में बात करें और जितना हो सके उसे जीने की कोशिश करें. ये एक बहुत बड़ी सीख है. मेरी दो फिल्में पूरी हो चुकी है. फॅमिली मैन 2 आने वाली है, लेकिन आगे समय में क्या परिवर्तन आएगा. इसके बारें में कुछ नहीं कह सकते.

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सवाल-क्या आप मानते है कि हमारी इंफ्रास्ट्रक्चर में भी बदलाव होने की जरुरत है?

हमने अपने जीवन और समाज में मेडिकल फैसिलिटी को लेकर उतना काम नहीं किया, जितनी जरुरत है. ये सेवा जन-जन तक गरीब लोगों में उपलब्ध हो. उन्हें हर तरह की सुविधा मिले, इसपर काम नहीं किया गया. इस पर अब सोचने की जरुरत है, क्योंकि आज पता चला है कि डॉक्टर नर्सेज और पैरामेडिकल स्टाफ हमारे जीवन के सबसे महत्वपूर्ण पहलू है.

सवाल-मां के साथ बिताया पल जिसे आप याद करते है?

मां शब्द पैदा होने के बाद से ही आप से जुड़ जाता है और जितना समय इस दुनिया में हम जीते है आप के साथ वह जुड़ा रहता है. इसलिए धरती को भी मां का दर्जा दिया गया है, जो सबसे अधिक विकराल और सबसे अधिक नम्र है. मेरा अस्तित्व और जो मैं आज हूं वह मां की वजह से है. हर दिन उनका है और हर दिन उनको चरणस्पर्श है.

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