लगभग हर दिन एक नया ट्रैंड आता है और लड़कियां अपना वार्डरोब नए ट्रैंडी कपड़ों से भरना शुरू कर देती हैं. हड़प्पा सभ्यता की बात लगती है जब चंद कपड़ों को ही स्टेटस सिंबल मान कर खुश रहा जाता था. आजकल तो एक से एक टौप, पैंट्स, शूज फैशन में हैं जिन के नाम भी किसी को जल्दी याद न हों, जैसे स्किनी जींस, बेल बौटम्स, बैगी पैंट्स, पंक पैंट्स, पेग लेग पैंट्स, कैमिसोल टौप, कार्डिगन, चोकर टौप, टैंक टौप इत्यादि. यह लिस्ट यहीं खत्म नहीं होती, बल्कि बढ़ती ही जाती है. पर फैशन का मतलब सिर्फ ट्रैंडी कपड़े पहन लेना ही नहीं है बल्कि सही तरीके से पहनना भी है. बेतरतीब तरीके से पहने गए कपड़े लुक और इम्प्रैशन तो खराब करते ही हैं, कंफर्टेबल भी नहीं होते जिस से हर समय अनईजी फील होता है.
लड़कियों के साथ एक अलग परेशानी यह है कि उन का साइज चार्ट अब बेहद बदल चुका है. मार्केट में जितनी तरह के ब्रैंड्स हैं उतने ही उन के अलगअलग साइज चार्ट हैं. मसलन, यदि एक ब्रैंड का मीडियम साइज आप पहन रहे हैं तो दूसरे ब्रैंड का मीडियम आप को टाइट भी हो सकता है.
इस में एक और मुश्किल यह आती है कि सभी लड़कियां मौल से या औनलाइन साइट्स से शौपिंग नहीं करतीं. वे सरोजिनी या कमला नगर जैसे बड़े बाजारों से तुक्के मार कपड़े ले आती हैं और किसी तरह ऐडजस्ट कर पहन भी लेती हैं. इस एडजस्टमैंट के चलते कभी वे कमर पर लगातार चुभने वाली बैल्ट लगाए रखती हैं तो कभी गले पर कसते हुए स्ट्रैप्स.