आज 10 से 8 भारतीय कमर दर्द के शिकार हैं. हैल्थ इंडिया नामक गैरसरकारी संस्थान ने 8 शहरों में अध्ययन करने के बाद पाया कि 67% कर्मचारी कमर दर्द से पीडि़त हैं. इस से आप यह नतीजा न निकालें कि दफ्तर में कड़ी मेहनत आप की कमर तोड़ देती है. कम से कम हमेशा तो ऐसा नहीं होता. कमर, गरदन और संबंधित दर्दों के लिए कार्यस्थल पर इल्जाम लगाना सामान्य सी बात है, लेकिन इस के लिए हमारे घर भी जिम्मेदार हैं. घर ‘बीमार’ होंगे तो आप भी बीमार होंगे.

एक दिन डा. राधा गुप्ता चुकंदर काट रही थीं तो एक टुकड़ा मेज से नीचे गिर गया. उसे उठाने के लिए वे जैसे ही झुकीं, उन से फिर सीधा न हुआ गया. रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में उन्हें जबरदस्त दर्द का एहसास हुआ.

34 वर्षीय नरेंद्र शर्मा ने घर लौटने पर अपने कंप्यूटर को औन किया और अपनी पसंदीदा बीन बैग में समा गए. कंप्यूटर बूट हुआ तो उन्होंने बैग में बैठेबैठे ही माउस पकड़ने के लिए अपना हाथ बढ़ाया. अचानक रीढ़ की हड्डी में दर्द उठा और उन के पूरे निचले हिस्से में फैल गया. वे स्थिर हो कर रह गए.

सुधा मल्होत्रा एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में क्लर्क हैं. दिन भर कुरसी पर बैठी रहती हैं. फाइलों में दिमाग खपाती हैं. लेकिन उपन्यास पढ़ने का ऐसा शौक है कि घर पर जैसे ही फुरसत मिलती है, अपने बिस्तर पर कमर के बल लेट कर घंटों जासूसों की दुनिया में खोई रहती हैं. एक दिन ऐसी ही स्थिति में, बिना हरकत किए, उन्हें उपन्यास पढ़ते हुए 3 घंटे से ज्यादा हो गए थे. तभी कान पर मच्छर की भिनभिन को हटाने के लिए उन्होंने कलाई को घुमाया और बहुत तेज दर्द उन के पूरे हाथ में उंगलियों से ले कर कंधे तक फैल गया.

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