दुनिया के इन्वेस्टिंग गुरु माने जाने वाले वारेन बफे का मानना है कि किसी मैनेजमेंट छात्र को चार साल में उसके जो प्रोफेसर, टीचर नहीं सिखा पाते, वह कोई बिजनेस गुरु उन्हें एक मिनट में या अपने आधा घंटे के लैक्चर में सिखा जाता है. वारेन बफे के मुताबिक मैनेजमेंट के छात्र अपने काॅलेजों में ज्यादा कुछ नहीं सीखते. काॅलेज में यह पूरे साल जितना सीखते हैं, उससे कहीं ज्यादा किसी विजिटिंग बिजनेस गुरु के एक लैक्चर में सीख लेते हैं. बफे के मुताबिक काॅलेज फिर चाहे वो मैनेजमेंट के काॅलेज ही क्यों न हों, वहां हमेशा कुशलता न तो विकसित होती है और न ही निखरती है. इसे विकसित करने में और निखारने में सबसे बड़ी भूमिका उन लोगों की होती है, जिन्होंने व्यवहारिक दुनिया में कामयाबियां हासिल की होती हैं.
गौरतलब है कि वारेन बफे खुद कभी बिजनेस की कोई तरकीब काॅलेज से नहीं सीखी. खबरों के मुताबिक वारेन बफे ने साल 2012 में वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के आईवे बिजनेस स्कूल के छात्रों के साथ अपनी इस विचार को साझा करते हुए कि आखिरकार बिजनेस गुरु मैनेजमेंट के छात्रों को क्या सिखाते हैं, एक अच्छा खासा लैक्चर दिया था. तब उन्होंने बड़े दार्शनिक अंदाज में कहा था, कामयाबी के महज 2 से 4 फीसदी फार्मूले बड़े बड़े शिक्षालयों में निर्मित होते हैं, वरना सब कुछ बाहर ही विकसित होता है. हालांकि बफे यह भी मानते हैं कि अध्यात्म की तरह बिजनेस की तरकीबें भी सबसे ज्यादा आप अपने आब्र्जवेशन और अनुभव से विकसित करते हैं.
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