गगर्भस्थ शिशु और उस के जन्म के तुरंत बाद की उस की स्थिति के बारे में वैज्ञानिक जानकारी हासिल करने का कुतूहल सभी लोगों में होता है. आइए जानिए, इस के बारे में कुछ रोचक तथ्य:
गर्भ में शरीर रचना
गर्भस्थ शिशु की 20वें सप्ताह तक लंबाई 10 सैंटीमीटर, 30वें सप्ताह तक 25 सैंटीमीटर व पूरे कार्यकाल में 53 सैंटीमीटर होती है.
गर्भस्थ शिशु का भार 12 सप्ताह तक कुछ नहीं या केवल मांसनुमा. 23वें सप्ताह तक 1 पौंड. उस के बाद गर्भकाल के अंतिम 3 माह में तेज गति से बढ़ता है तथा 3 पौंड तक हो जाता है. जन्म के 1 माह पूर्व 4.5 पौंड तथा जन्म के समय सामान्य वजन 7 पौंड माना गया है.
शिशु का दिल गर्भकाल के चौथे सप्ताह से धड़कना शुरू हो जाता है तथा इस के धड़कने की गति 65 प्रति मिनट होती है. जन्म से कुछ समय पूर्व इस की गति 140 प्रति मिनट तक पहुंच जाती है.
मस्तिष्क का निचला हिस्सा यानी मेरुरज्जा गर्भकाल के तीसरेचौथे सप्ताह में विकसित हो जाता है. मस्तिष्क का उच्चतम केंद्र यानी सेरेब्रल कार्टेक्स जन्म के समय भी पूर्ण विकसित नहीं होता है.
शिशु के गुरदे गर्भकाल के चौथे से छठे माह तक अपना कार्य शुरू कर देते हैं.
शिशु में लौह तत्त्व का अद्भुत संग्रहण होता है तथा यह रक्त के हीमोग्लोबिन में समाहित रहता है.
जन्म के बाद
फेफड़ों यानी श्वसन क्रिया की कार्यप्रणाली जन्म के समय शतप्रतिशत शुरू नहीं होती. वह धीरेधीरे पूर्णता की ओर बढ़ती है.
नवजात शिशु की पाचनक्रिया जन्म से ही शुरू हो जाती है. आंतों की प्रक्रिया दिन में 3-4 बार रंग लाती है. शुरू में मल का रंग गहरा हरा होता है जिसे ‘मेकोनियम’ कहते हैं. 3-4 दिन के बाद ही इस का रंग सामान्य हो जाता है.
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