‘‘क्योंपारुल, कहीं जा रही हो क्या? सारे रास्ते तो बंद हैं? जगहजगह पुलिस खड़ी है?’’ मयूरी ने अपनी पड़ोसिन पारुल को स्मार्ट ड्रैसअप हो कर बालकनी में खड़ा देखा तो पूछ बैठी.
दरअसल, जब से लौकडाउन हुआ है तब से मयूरी तो अपनी नाइटी से बाहर ही नहीं आई है. घर में रहो तो नाइटी ही सब से सुविधाजनक ड्रैस लगती है. कौटन की हलकी, लूज और हवादार नाइटी में एक तो घर के काम करते वक्त गरमी नहीं लगती और थक जाओ तो इसी में थोड़ी देर सो जाओ. बारबार कपड़े बदलने का झंझट भी नहीं और लौकडाउन में कोई मेहमान भी तो नहीं आने वाला कि नहाधो कर सलवारकुरता और दुपट्टा धारण करो. खुद भी कहीं निकलना नहीं है.
इसलिए मयूरी आजकल दिनरात नाइटी में काट लेती हैं. मगर पारुल को सुबहसुबह बिलकुल फ्रैश, पूरे मेकअप और औफिस के कपड़ों में टिच देख कर मयूरी से रहा नहीं गया, तो अपनी बालकनी से आवाज दे कर पूछ ही बैठी.
‘‘नहींनहीं... कहीं जाना नहीं है, घर पर ही हूं,’’ पारुल ने जवाब दिया.
‘‘फिर ये सुंदर मिडीटौप क्यों? वैसे तुम बहुत स्मार्ट लग रही हो, कोई आने वाला है क्या?’’
मयूरी की उत्सुकता कारण जाने बिना खत्म होने वाली नहीं थी. आखिर जब घर में ही रहना है तो पारुल इतनी स्मार्टली ड्रैसअप हो कर क्यों घूम रही है?
‘‘अरे, कोई नहीं आने वाला है, बस थोड़ी देर में औफिस की मीटिंग शुरू होने वाली है औनलाइन, इसलिए तैयार हुई हूं.’’
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‘‘अरे, तो इस के लिए इतना तैयार होने की क्या जरूरत थी? मुझे तो लगा तुम्हारा औफिस खुल गया और तुम औफिस जाने की तैयारी में हैं,’’ मयूरी की उत्सुकता अभी कम नहीं हुई थी.
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