नुकसान को अगर अनुमानित कमायी के साथ जोड़ दें तो यह और भी बहुत ज्यादा हो जाता है. इसीलिए बीमा उद्योग कोरोना कवर को लेकर आया है. मगर सवाल है क्या कोरोना कवर से बौलीवुड की समस्या खत्म हो जायेगी? हालांकि अनुमान के किसी नुकसान को तकनीकी रूप से नुकसान कहना सही नहीं होगा. लेकिन इस साल जनवरी से लेकर 30 जून 2020 तक बौलीवुड की उन तमाम फिल्मों की लागत को अगर उनके द्वारा की गई कमायी के हिसाब से देखें जो फिल्में इस दौरान रिलीज हुई हैं तो पता चलता है कि 95 फीसदी फिल्में अपनी लागत नहीं निकाल पायीं.
इस तरह देखा जाए तो साल 2020 की पहली छमाही में बौलीवुड को करीब 2000 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है. चूंकि अब कोई भी दावे से यह नहीं कह सकता कि कोरोना का कहर फिल्म उद्योग पर कब तक टूटेगा, इसलिए अब फिल्में कोरोना के जोखिम को ध्यान में रखकर ही सोची, बनायी और रिलीज की जाएंगी. बीमा उद्योग ने भी इस जोखिम में हिस्सेदारी के लिए या कहें कारोबार के लिए कमर कस ली है और अतुल कस्बेकर की फिल्म ‘लूप लपेटा’ पहली वह फिल्म हो गई है, जिसे कोरोना कवर मिला है. सवाल है क्या बीमा उद्योग द्वारा लाये गये कोरोना कवर के बाद बौलीवुड फिल्म बनाने, बेचने और वितरित करने के मामले में बेफिक्र हो जायेगा?
तापसी पन्नु, ताहिर राज भसीन, के अभिनय से सजी जर्मन फिल्म ‘रन लोला रन’ की आधिकारिक हिंदी रीमेक ‘लूप लपेटा’ पहली वह फिल्म बन गई है, जिसे कोरोना के इस कहर के दौर में बीमा कवर मिला है. यूं तो बाजार में कोरोना महज एक तबाही का नाम ही नहीं है बल्कि तमाम लोगों ने इसमें अच्छा खासा बिजनेस भी तलाश लिया है और इस मामले में मेडिकल के बाद सबसे आगे बीमा क्षेत्र है. पिछले कुछ महीनों में जब से कोरोना का विश्वव्यापी कहर लगातार खतरनाक होता जा रहा है, बीमा उद्योग इसे एक बहुत बड़े अवसर के रूप में देख रहा है और पिछले कुछ महीनों में सैकड़ों किस्म के कोरोना कवर बाजार में आ गये हैं.