देश एक बार फिर 74 वां स्वाधीनता दिवस मनाने जा रहा है, भारत के विभाजन के बाद जो राजनीतिक सत्ता देश में आई, उसे ही आज़ादी का नाम दे दिया गया, लेकिन 73 सालों बाद भी देश गरीबी, भुखमरी, कुपोषणता, बेरोजगारी के चंगुल से आज भी आजाद न हो सका. ये सही है कि अंग्रेजों के चंगुल से भारत आज़ाद हुआ, लेकिन आज़ादी का लाभ और आजादी किसे मिली? इस पर आज विचार करने की जरुरत है. इतना ही नहीं आज भी देश रुढ़िवादिता और सदियों पुराने रीतिरिवाजों में कैद है. समाज की कुप्रथाएं और बंद विचारधाराएं आज भी मौजूद है, ऐसे में आजादी सिर्फ कहने भर है, वास्तव में कही भी नहीं है. कठिन संघर्ष से मिली इस आजादी को किसी ने संजोया नहीं बल्कि जाति, धर्म, वर्ण, भाषा आदि का नाम देकर कभी इसे एक नहीं होने दिया. कहने के लिए भारत के नागरिक सर्वशक्तिशाली है, लेकिन इसका उदहारण देखने को नहीं मिला, कोरोना कहर में सब कुछ आँखों के सामने स्पष्ट है. बेसिक धरातल पर इस पर मंथन करने की आज जरुरत है. इसी बात पर टीवी जगत के कलाकारों ने अपनी-अपनी विचारधाराएं रखी है, आइये जानते है क्या कहते है वे.

ये रिश्ता क्या कहलाता है फेम एक्ट्रेस शिल्पा रायजादा कहती है कि आज़ादी की बात अगर मैं करूं तो महिलाओं के बारें में ही करना चाहूंगी. लड़कियों को आज़ादी आज भी नहीं मिली है. कई ऐसे परिवार है जहां बेटी और बहू में फर्क महसूस करवाया जाता है. बेटी अगर बिना सिर ढके घूम सकती है तो बहू क्यों नहीं. इसे बहुएं कहने से भी डरती है, क्योंकि पारिवारिक समस्या हो सकती है. मैं चाहती हूं कि आज़ादी लोगों के माइंड सेट में होने की जरुरत है, ताकि उनके विचार विकास के लिए हो, घुटन के लिए नहीं.

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