एवैस्कुलर नेकरोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें बोन टिशू मरने लगते हैं जिसके कारण हड्डियां गलने लगती हैं. इसे ऑस्टियोनेकरोसिस के नाम से भी जाना जाता है. दरअसल, जब रक्त हड्डियों के टिशू यानी कि उत्तकों तक ठीक से नहीं पहुंच पाता है तो ऐसी स्थिति में इस बीमारी का खतरा बनता है. हालांकि, यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है लेकिन आमतौर पर 20-60 वर्ष की उम्र वाले लोग इसकी चपेट में ज्यादा आते हैं. इसके अलावा इसका खतरा उनमें भी ज्यादा होता है जो लोग पहले से डायबिटीज़, एचआईवी/एड्स, गौचर रोग या अग्न्याशय की बीमारी से ग्रस्त होते हैं. जब किसी व्यक्ति की हड्डी टूट जाती है या जोड़े अपनी जगह से खिसक जाते हैं तो रक्त हड्डियों तक पहुंचने में अक्षम हो जाता है. यह समस्या शराब, धूम्रपान और दवाइयों के अत्यधिक सेवन के कारण होती है. जिम जाने वाले युवा बॉडी बिल्डिंग के लिए सप्लीमेंट में स्टेरॉयड का सेवन करते हैं. यह स्टेरॉयड उनकी हड्डियों को नुकसान पहुंचाता है और उन्हें इस बीमारी का शिकार बनाता है.

कुछ लोगों में यह बीमारी एक या दोनों कूल्हों और जोड़ों में हो सकती है. इसमें होने वाला दर्द हल्का से गंभीर हो सकती है जो वक्त के साथ धीरे-धीरे बढ़ता जाता है. बीमारी का समय पर निदान और इलाज जरूरी है अन्यथा एक समय के बाद जब बीमारी गंभीर हो जाती है तो हड्डियां पूरी तरह गलने लगती हैं. इसके बाद व्यक्ति को गंभीर आर्थराइटिस की बीमारी हो सकती है.

एवैस्कुलर नेकरोसिस के लक्षण

  • शुरुआती चरणों में इस बीमारी के कोई लक्षण नहीं नज़र आते हैं. हालांकि, जब बीमारी गंभीर होने लगती है तो वजन उठाने या एक्सरसाइज़ करने पर जोड़ों में दर्द होने लगता है.
  • जब बीमारी अपने चरम पर पहुंचने लगती है तो आराम के दौरान या बिना कोई काम किए भी दर्द होता है.
  • कूल्हों में होने वाला दर्द जांघों, पेड़ू या नितंब तक फैल सकता है.
  • हाथो और कंधों में दर्द
  • पैर और घुटनों में दर्द

यदि आपके कूल्हों या जोड़ों में लगातार दर्द बना हुआ है तो बिना देर किए हड्डियों के किसी अच्छे डॉक्टर से संपर्क करें.

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