कोई भी व्यक्ति, हिंदू अविभाजित परिवार, कंपनी, फर्म, व्यक्तियों का समूह आदि, जिन की आमदनी आयकर छूट सीमा से अधिक है, उन्हें अपनी सालाना आय का लेखाजोखा प्रत्येक साल आयकर विभाग के पास जमा कराना होता है. इसे आयकर रिटर्न कहते हैं. रिटर्न में पिछले वर्ष की आमदनी और निवेश का विवरण होता है.

वित्तीय वर्ष 2009-10 (1-4-09 से 31-03-10) के लिए आकलन वर्ष, 2010-11 में रिटर्न दाखिल की जाएगी.

किसे भरना है टैक्स

65 वर्ष से कम उम्र की महिलाएं, जिन की सालाना आय 1 लाख 90 हजार रुपए से ऊपर हो.

65 वर्ष या उस से ऊपर के स्त्रीपुरुष, जिन की सालाना आय 2 लाख 40 हजार रुपए से ऊपर है.

अन्य 65 वर्ष से कम उम्र के पुरुष, फर्म व कंपनियां, जिन की सालाना आय 1 लाख 60 हजार रुपए से ज्यादा हो.

कंपनियां लाभ अर्जित कर रही हों या हानि, टैक्स भरना अनिवार्य है.

टैक्स नियत तिथि से पहले भरें ताकि पेनल्टी से बच सकें.

अंतिम तिथि

वित्तीय वर्ष 2009-10 के लिए टैक्स भरने की अंतिम तिथि :

1. वेतनभोगी या फिर जिन की कमाई आडिट नहीं होती- 31 जुलाई, 2010 तक.

2. जिन की कमाई आडिट होती है यानी 40 लाख रुपए से ज्यादा टर्नओवर करने वाले बिजनेसमैन या फिर 10 लाख रुपए से ज्यादा बिल इशू करने वाले डाक्टर, वकील, सी.ए. जैसे प्रोफेशनल व्यक्ति- 30 सितंबर, 2010 तक.

टैक्स स्लैब

65 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं के लिए

0.00 से 1.90 लाख तक     कोई टैक्स नहीं

1.90 लाख से 3.00 लाख तक 10%

3.00 लाख से 5.00 लाख तक 20%

5.00 लाख से ऊपर   30%

सरचार्ज खत्म कर दिया गया है. मगर एजुकेशन सेस टैक्स का 2% लगेगा. सेकेंडरी और हायर एजुकेशन टैक्स का 1% लगेगा.

टैक्स स्लैब

65 वर्ष से अधिक उम्र के स्त्रीपुरुष

0.00 से      2.40 लाख तक कोई टैक्स नहीं

2.40 लाख से 3.00 लाख तक 10%

3.00 लाख से 5.00 लाख तक 20%

5.00 लाख से  ऊपर   30%

जरूरी कागजात

1. आयकर रिटर्न भरते वक्त पैन कार्ड नंबर लिखना जरूरी होता है. फोटो आइडेंटिटी और एडे्रस प्रूफ दे कर आप 15 दिनों में अपना पैन कार्ड बनवा सकते हैं.

2. सेलरी से आय है तो नियोक्ता से फार्म 16 लें.

3. एनएससी, एलआईसी, इक्विटी लिंक्ड सेविंग प्लान वगैरह में इनवेस्ट किया है तो उन की रसीद पीपीएफ, टीडीएस आदि के सर्टिफिकेट की फोटोकापी, एडवांस टैक्स की रसीद रिटर्न के साथ कोई भी दस्तावेज/अटैचमेंट जमा नहीं करना होता. मगर करदाता को वे सभी दस्तावेज अपने पास संभाल कर रखने चाहिए. आयकर कानून के तहत अधिकारी, जांच या किसी अन्य प्रक्रिया के दौरान ये दस्तावेज मांगते हैं तो इन की मूल प्रति पेश करनी होती है.

कौन सा फार्म भरें

1. जिन लोगों को वेतन, पेंशन या ब्याज से होने वाली आमदनी है, उन के लिए फार्म- आईटीआर-1.

2. सेलरी/ब्याज के अलावा जिन्हें प्रौपर्टी/कैपिटल गेन से लाभ हुआ है मगर बिजनेस/प्रोफेशन से आय नहीं है- आईटीआर-2.

3. जो कहीं साझेदारी में हैं, फर्म में पार्टनर हैं, उन के लिए- आईटीआर-3.

4. प्रोपराइटरी बिजनेस/प्रोफेशन से प्राप्त आय आईटीआर-4.

आय के प्रमुख मद

1. वेतन से आय : मूल वेतन, पेंशन, ग्रेच्युटी, कमीशन, अलाउंसेस वगैरह.

2. हाउस प्रौपर्टी : किराया, ब्याज आदि.

3. कैपिटल गेन : ट्रांसफर करने से होने वाला लाभ.

4. बिजनेस/प्रोफेशन इनकम.

5. दूसरे स्रोत : ब्याज, सेविंग, डिविडेंड, गिफ्ट.

एडवांस टैक्स

चार्टर्ड एकाउंटेंट सना बताती हैं कि वैसे इंडीविजुअल, जिन का सालाना टैक्स 10 हजार रुपए से ऊपर है, उन्हें एडवांस टैक्स इस तरह भरना होगा :

टैक्स का 30% :      हर वर्ष 15 सितंबर.

टैक्स का 60% :      हर वर्ष 15 दिसंबर.

टैक्स का 100% :     हर वर्ष 15 मार्च. (सेलरी वाले केस में टीडीएस कट गया हो तो एडवांस टैक्स सेलरी इनकम पर नहीं लगता.)

आई.आई.सी.एम. में सीनियर फाइनेंस आफिसर संजय सिंह बताते हैं, ‘‘रिटर्न मैनुअल भी भरी जा सकती है और औनलाइन भी. मैनुअल भरा हुआ फार्म इनकम टैक्स आफिस में जमा करना होता है. इनकम टैक्स आफिस में कई वार्ड/रेंज होते हैं. नाम और आय के मुताबिक नियत स्थान पर फार्म जमा करना होता है. आप चाहें तो अपना रिटर्न इनकम टैक्स प्रिपेयर की मदद से भी फाइल करा सकते हैं.’’

करदाताओं के लिए इंटरनेट के जरिए रिटर्न दाखिल करने का विकल्प भी मौजूद है. इसे ई रिटर्न कहा जाता है. यह आयकर विभाग की वेबसाइट है. यह तकनीक काफी सहज है और महिलाएं घर बैठबैठे रिटर्न भर सकती हैं.

इंटरनेट के जरिए रिटर्न दाखिल करने के लिए डिजिटल हस्ताक्षर का इस्तेमाल करना चाहिए. ऐसा करने पर करदाता को आयकर कार्यालय में आईटीआर-वी फार्म जमा करने की जरूरत नहीं होती और अगर करदाता औनलाइन रिटर्न भरने में डिजिटल हस्ताक्षर का इस्तेमाल नहीं करते तो उन्हें इंटरनेट पर रिटर्न दाखिल करने के बाद सिग्नेचर की वेरिफिकेशन के लिए आईटीआर-वी फार्म निकाल कर बंगलोर आफिस भेजना पड़ता है.

टैक्स बचाने के लिए निवेश

सीनियर एडवोकेट मिसेज प्रेमलता बंसल द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, इनकम एक्ट की धारा 80 ष् में टैक्स छूट 1 लाख रुपए तक है. यह छूट निम्न निवेशों पर मिलती है :

बीमा पौलिसियां

पब्लिक प्रोविडेंट फंड्स (अधिकतम 70,000 रुपए प्रतिवर्ष).

प्रोविडेंट फंड

इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम.

नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट.

होम लोम प्रिंसिपल अमाउंट रिपेमेंट- मूलधन के भुगतान पर (घर खरीदने या बनाने पर).

बच्चों की एक्चुअल ट्यूशन फीस.

बैंकों की खास स्कीमें जैसे, सीनियर सिटिजंस सेविंग स्कीम या टाइम डिपोजिट (5 वर्ष) स्कीम.

यूलिप-यूनिट लिंक्ड इश्योरेंस प्लान्स.

आईटी एक्ट की धारा 80 डी के अंतर्गत छूट

मेडिक्लेम प्रीमियम (अपना और परिवार का 15 हजार तक सीनियर सिटिजंस को एक्स्ट्रा 5 हजार तक.)

आईटी एक्ट की धारा 24 के अनुसार हाउसिंग लोन के ब्याज रिपेमेंट का डिडक्शन 1.50 लाख तक मिल सकता है.

पेनल्टी

नियत अवधि तक रिटर्न फाइल नहीं की तो नियत अवधि के बाद 1% प्रतिमाह पेनल्टी लगेगी.                   

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