जिन देशों के रेस्तरांओं, पबों, होटलों, रिजोर्टों के दबाव में कोरोना की रोकटोक पर छूट दी थी उन में मामले फिर से बढ़ने लगे हैं और अब यह साफ लग रहा है कि कोरोना की वजह से सोशल गैदरिंग अभी काफी दिनों तक चालू नहीं हो सकती. हम ने अपनी जीवनशैली तो ऐसी बना ली है कि जब तक अर्थव्यवस्था न चले हमारी रोजमर्रा की जिंदगी भी खतरे में पड़ जाएगी पर कोरोना का कहर और आफत वाला है.
अभी न किट्टी पार्टियों में जाना सही है, न शादियों में और न ही मंदिरों में. इन सब जगहों में आप उन से तो मिलते ही हैं, जिन्हें बीमारी नहीं है पर आप को उन से भी मिलना होता है, जो बीमारी लिए घूम रहे होते हैं. इन सब में हैल्परों, सप्लायरों, पब्लिक स्पेसों की जरूरत होती है और वहां एक बीमार भी सौ को बीमारी दे सकता है.
इस का मतलब है कि अभी औरतों को घरों में बंद रहना होगा और हो सकता है कि अपने पतियों, बच्चों, मातापिताओं के साथ तंग जगह शेयर करते रहना होगा. यह उतना आसान नहीं जितना सरकार ने कह दिया था.
नरेंद्र मोदी ने बड़ी शान से 24 मार्च को कह दिया था कि वे महाभारत के युद्ध की तरह कोरोना को सिर्फ 21 दिनों में जीत लेंगे एक मंजे हुए राजनीतिबाज की तरह. अब वे अपने उस कथन को भूल कर भी नहीं दोहराते. उन की पार्टी भी इस पर चुप है, मगर परेशान तो वे औरतें हैं, जो सोच रही थीं कि यह 21 दिन की जेल तो किसी तरह भुगत लेंगी.