ये कभी आकस्मिक नहीं होता. केजुअल सेक्सिज़्म के बारे में ज्यादा गहराई से जानने से पहले हम यह जानेंगे की यह होता क्या है? जब हम किसी व्यक्ति के साथ उसके लिंग के आधार पर अलग किस्म से व्यवहार करतें हैं तो उसे ही अक्सर होने वाला  लैंगिक भेद भाव (केजुअल सेक्सिज़्म) कहा जाता है. इस पितृसत्तात्मक समाज में ज्यादातर महिलाओं को यह सहना पड़ता है. लगभग हर जगह ही जैसे काम पर या घर पर, समाज में हर जगह महिलाएं इसका शिकार बनती हैं. आइए जानते हैं यह महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य को किस प्रकार प्रभावित करता है?

समाज द्वारा स्थापित रोल तय करना : अक्सर समाज महिलाओं से पहले से स्थापित तय किए गए नियमो को मानने की अपेक्षा करता है. यदि आप एक लड़की हैं तो आप ने अपने घर वालों को अक्सर यह कहते सुना होगा कि एक लड़की की तरह पेश आओ या आप के लिए सुंदर दिखना जरूरी होता है.

महिलाओं का उदाहरण देकर ताने मारना : आप ने अक्सर देखा होगा की कुछ पुरुषों को हम यह कह कर चिड़ाते हैं की यह महिलाओं की तरह चल रहा है या हम महिलाओं को भी कई बार ऐसे उदाहरण देते हैं कि उनका दिमाग घुटनों में होता है जोकि एक प्रकार से उन्हें नीचा दिखाना होता है.

ये भी पढ़ें- वादे हैं वादों का क्या

यौन वस्तुकर्ण : इसका उदाहरण है मां बहन की गंदी गालियां या आपके कार्यस्थल पर कसी गई फब्तियां, आप कैसी दिखती हैं इस पर टिप्पणी , आप को गलत तरह से छूना आदि.  यह भी महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य को नकारत्मक रूप से प्रभावित करता है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...