औफिस का समय था. बस स्टौप पर बस में सवारियां चढ़ रही थीं. ड्राइवर ने दरवाजा बंद किया तो एक महिला के लंबे बाल दरवाजे में फंस गए. लोगों के चिल्लाने पर ड्राइवर ने दरवाजा खोला, महिला के बालों का एक गुच्छा टूट कर गिर गया. इस घटना से महिला को दर्द तो हुआ ही, साथ ही शर्मिंदगी भी हुई.
ऐसे ही एक दिन बस की अगली सीट पर एक महिला बैठी थी. इस के पीछे वाली सीट पर 16-17 साल का लड़का बैठा था. लड़का महिला की सीट की सपोर्ट ले के सिर रख कर सोया था. महिला ने खिड़की के शीशे खोले थे उस के बंधे बालों के जूड़े से कुछ बाल बाहर निकल हवा में लहलहा रहे थे. जैसे ही महिला का स्टैंड आया और वह उठी तो ऐसा लगा जैसे किसी ने पीछे से जोर से बाल खींच दिए हों. जैसे ही वह बालों के बंधन से मुक्त हुई तो पता चला कि उस सोते हुए लड़के के सिर और बाजुओं के बीच उस के लंबे बाल फंसे थे, जिस से कई बाल टूट गए.
पौराणिक पोंगापंथ से कब तक चिपके रहेंगे
आमतौर पर एक महिला को यही बताया जाता है कि उस की सुंदरता उस के लंबे बालों से है. लंबे बालों को महिला की सुंदरता का अभिन्न अंग माना जाता रहा है. यह वही समाज है जिस में पुरुषों को अधिकारों से भरपूर किया गया तो महिलाओं को अनेक सीमाओं में बांधा गया. महिलाओं पर उन के रहनसहन, उठनेबैठने, खानपान, बोलचाल, हंसनाखेलना आदि पर खासा नियंत्रण किया गया और इस के साथसाथ उन की सुंदरता को भी यह समाज अपने अनुरूप नियंत्रित करता रहा, फिर चाहे वह शारीरिक बनावट हो या महिला के शरीर पर लादे गए भारीभरकम आभूषण हों.