एटीएम से कम नहीं स्मार्ट पत्नी

काफी प्रयास करने के बाद भी जब रमेश की नौकरी नहीं लगी तो उस के पिता ने उसे एक किराने की दुकान खुलवा दी. मगर 6 माह बीतने के बाद भी दुकान ठीक से नहीं चल पा रही थी. किसी तरह काम भर चल रहा था. कुछ समय बाद एक शिक्षित लड़की से रमेश का विवाह भी हो गया. विवाह के कुछ महीनों बाद ही उस की पत्नी भी समयसमय पर दुकान आने लगी. जहां रमेश के चिड़चिड़े और रूखे व्यवहार से ग्राहक उस की दुकान पर आना कम पसंद करते थे, वहीं उस की पत्नी के हंसमुख व्यवहार, ग्राहकों की प्रत्येक बात पर ध्यान देने और हरेक से प्यार व सम्मान से बात करने के कारण दुकान में कुछ ही समय में ग्राहकों की चहलपहल नजर आने लगी. उस की स्मार्ट पत्नी शहर के बड़ेबड़े स्टोर्स पर समयसमय पर मिलने वाले औफर्स पर अपनी पैनी नजर रखती और वहां से कम दाम पर सामान ला कर अपनी दुकान में रखती. इस से दुकान की ग्राहकी 50 हजार रूपए प्रति माह के आंकड़े को पार कर के 1 लाख रूपए प्रतिमाह जा पहुंची.

पत्नी की कुशलता और बुद्धिमत्ता से अपनी दुकान में इतनी समृद्धि होते देख रमेश ने अब अपनी पत्नी की राय से ही काम करना शुरू कर दिया, साथ ही पत्नी के कहने पर खुद के स्वभाव में भी काफी परिवर्तन कर लिया, जिस से उस के ग्राहक भी खासे खुश और संतुष्ट नजर आते हैं.

आज रमेश के विवाह को 10 वर्ष हो चुके हैं. परिवार में 2 बच्चों के आगमन के अलावा उस की निर्मल जनरल स्टोर के नाम से खोली गई छोटी सी दुकान अब तीनमंजिल की निर्मल किराना स्टोर के रूप में परिवर्तित हो कर एक मेगा स्टोर का रूप ले चुकी है. रमेश इस का पूरा श्रेय अपनी पत्नी निशा को देता है.

एक कोचिंग संचालक अजय तिवारी कहते हैं कि जब से मेरी पत्नी ने कोचिंग में मेरा साथ देना शुरू किया मेरी कोचिंग में छात्रों की संख्या निरंतर बढ़ती गई. इस का कारण था उस की प्रत्येक विषय पर अच्छी पकड़, बच्चों के मानसिक स्तर के अनुकूल पढ़ाने का तरीका, व्यवहारकुशलता, कुशल नेतृत्व क्षमता और सभी के साथ सकारात्मक व्यवहार. सच पूछा जाए तो मेरी पत्नी एटीएम से भी बढ़ कर है, जो हमेशा मेरा फायदा ही कराती है. एटीएम तो फिर भी रुपए स्टोर न होने पर पैसे न निकाल कर केवल बैलेंस ही बताता है, बीवी तो कभी अपने कामों का बैलेंस नहीं बताती, उस के गुण और प्रतिभा का खजाना कभी खाली ही नहीं होता. पत्नी की बदौलत ही आज हम एक अच्छा जीवन जी रहे हैं. किसी चीज की कमी नहीं है. उस के मेरी जिंदगी में आने के बाद से बस अच्छा ही अच्छा हुआ है. उस के पास कितनी भी बड़ी समस्या ले कर जाओ हल अवश्य मिलेगा.

क्यों है स्मार्ट पत्नी एटीएम

एटीएम मशीन एक ऐसी औटोमैटिक चलने वाली मशीन है, जिस में हमें सिर्फ एक कार्ड डालने की आवश्यकता होती है. उस में कार्ड डाल कर पिन डालते ही पैसे निकलना शुरू हो जाते हैं, ठीक उसी प्रकार एक पति के लिए स्मार्ट पत्नी ऐसा एटीएम है, जो अपने गुणों और काबिलीयत के बल पर किसी विशेष समय पर नहीं, अपितु हर समय कुशलतापूर्वक घर चला कर न केवल पैसे बचाती है, बल्कि उस धनराशि का उचित समायोजन कर के कमा कर भी देती है.

स्मार्ट पत्नी अपनी प्रतिभा के बल पर घरबाहर दोनों मोरचों को बखूबी संभालती है. अपने घर और परिवार के साथसाथ अपने पति को स्मार्टली संभाल कर अपने परिवार को खुशहाल भी बनाती है.

अब रश्मि को ही देखिए. जब वह ब्याह कर अपनी ससुराल आई थी तो 2 साल से बीमार पिताजी के इलाज में घर की आर्थिक स्थिति तंगहाल हो चुकी थी. परिवार में विवाह योग्य

2 ननदें और सास थीं. आय का जरीया उस के पति की एकमात्र नौकरी थी. एक नौकरी के सहारे इतने बड़े परिवार का गुजारा कर पाना वास्तव में बहुत बड़ी चुनौती थी. पति और सास को विश्वास में ले कर उस ने पास के ही स्कूल में अपनी दोनों ननदों की नौकरी लगवा दी. सिलाईकढ़ाई में पारंगत होने के कारण उस ने स्वयं सास की मदद से बुटीक खोल लिया.

देखतेदेखते परिवार की आर्थिक तंगहाली कम होने लगी. दोनों ननदों की शादी कर के जब फ्री हुई तो उस के अपने बच्चे भी स्कूल जाने लायक हो गए. स्वयं ही उन्हें घर पर पढ़ा कर उस ने न सिर्फ अपनी शिक्षा का सदुपयोग किया, बल्कि उन की ट्यूशंस पर होने वाले खर्च को भी बचाया. आज उस का परिवार समृद्ध और खुशहाल जीवन जी रहा है.

हम यदि अपने आसपास नजर उठा कर देखें तो अनेक ऐसे उदाहरण देखने को मिलेंगे जहां पत्नी की मदद से पति अपने कैरियर में सफलता की सीढि़यां चढ़ता गया.

तिथि इस की जीतीजागती मिसाल है. विवाह के बाद जब वह अपनी ससुराल में आई तो देखा कि 2 वर्ष पूर्व ससुर के देहांत के बाद से सास एकदम टूट सी गई थीं. पति राहुल का पालनपोषण एक पैंपर्ड चाइल्ड के रूप में किए जाने से वे दुनियादारी से कोसों दूर थे. सर्वसुखसुविधा से संपन्न घर को संभालने के लिए दोनों ननदें अभी काफी छोटी थीं. अत: परिस्थितियों और अवसर का लाभ उठा कर घर में अनेक दूरदराज के रिश्तेदारों ने कब्जा किया हुआ था, जो घर की जमापूंजी को पानी की तरह बहा रहे थे और अपनी जेबें भी जम कर भर रहे थे.

तिथि ने अपनी बुद्धि का प्रयोग कर के धीरेधीरे परिस्थितियों को अपने अनुकूल बनाया. ननदों को सुशिक्षित कर उन की शादियां कीं. अपनी बुद्धिचातुर्य, कुशलता और बुद्धिमत्ता से न केवल पति राहुल के बिजनैस को व्यवस्थित किया, अपितु समस्त संपत्ति को एक सीए की मदद से उचित योजनाओं में निवेश कर के अपने भविष्य को भी सुरक्षित कर लिया है.

कैसे बनें स्मार्ट पत्नी

हौबी खोजें

अधिकांश महिलाएं विवाह के बाद अपने सारे शौकों का त्याग कर देती हैं, जिस से वे शरीर के साथसाथ मानसिक रूप से भी कमजोर हो जाती हैं.

अपनी हौबी को विकसित करें. उसे अधिकाधिक निखार कर उस में पारंगत बनने का प्रयास करें और चाहें तो उसे अपनी कमाई का एक सशक्त माध्यम भी बनाएं. अपने द्वारा की गई छोटी सी कमाई से आप के आत्मविश्वास में अतिवृद्धि होती है. इसलिए अपनी हौबी पर काम करना प्रत्येक महिला के लिए बेहद आवश्यक है.

शिक्षा का करें सही उपयोग

भारतीय महिलाएं विवाह से पूर्व जिस पढ़ाई के लिए पूरा दिन किताबों में सिर खपाए नजर आती हैं, वे ही शादी होते ही घरपरिवार और बच्चों में स्वयं को इतना व्यस्त कर लेती हैं कि किताबों और पत्रिकाओं से अपना कोई नाता नहीं रखतीं जैसे शिक्षा की प्राप्ति महज केवल विवाह के लिए ही की गई थी.

अपनी शिक्षा का सही उपयोग कर के अपने घर में पठनपाठन का वातावरण बनाएं, जिस से आप के बच्चों में भी पत्रपत्रिकाओं के प्रति रुचि उत्पन्न हो सके. पत्रपत्रिकाएं न केवल आप के ज्ञान में वृद्धि करती हैं, बल्कि आप के व्यक्तित्व को भी निखारती हैं. जहां तक संभव हो अपने बच्चों को स्वयं पढ़ाने की कोशिश करें ताकि आप पढ़ातेपढ़ाते उन में जीवनमूल्यों का बीजारोपण भी कर सकें.

पति की सहचरी बनें

कार्तिक जब भी अनामिका को अपने औफिस की कोई बात बताना चाहता अथवा किसी मुद्दे पर राय जानना चाहता अनामिका का एक ही जवाब होता कि अरे ये अपने औफिस की बातें अपने पास ही रखो. मैं क्या राय दूं तुम्हारे औफिस के मैटर पर? धीरेधीरे कार्तिक ने अनामिका को औफिस से संबंधित कोई भी बात बतानी बंद कर दी. इस के विपरीत धवल जब भी अपने कुलीग या औफिस की कोई भी बात या घटना जिज्ञासा को बताता वह बहुत ध्यान से सुनती और जहां आवश्यकता होती उसे राय भी देती. धवल कहते हैं कि कितनी ही बार जिज्ञासा ने मु झे अनेक गंभीर औफिसियल मुद्दों पर मु झे राय दी, जो मेरे लिए बहुत लाभकारी साबित हुई.

आत्मनिर्भर बनें

छोटेछोटे कार्यों के लिए पति पर निर्भर होने के स्थान पर आप स्वयं दोपहिया अथवा चारपहिया वाहन चलाना सीख कर बैंक, पोस्टऔफिस, बच्चों के स्कूल और बाजार आदि के काम स्वयं निबटाएं ताकि औफिस से आने के बाद आप का पूरा परिवार एकसाथ वक्त बिता सके. यदि आप के घर की स्थितियों अनुकूल नहीं हैं और आप घर से बाहर निकल कर कार्य करने नहीं जा पा रही हैं तो घर पर ही कोई छोटामोटा कार्य शुरू करें. कुछ कमा कर के आप पति की आर्थिक रूप से भी सपोर्ट कर सकती हैं.

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धर्म के फेर में न पड़ें

धर्म बहुत खर्चीला है. यह सोच कर कि भगवान को चढ़ाया हुआ पैसा वापस आ जाता है तो यह पंडितों द्वारा फैलाया गया कोरा भ्रम है. अपना पैसा अपने पर खर्च करें, बच्चों पर खर्च करें, उन की पढ़ाई पर खर्च करें पर फालतू की तीर्थयात्राओं, पूजाओं, मंदिरों पर खर्च न करें. बहुत से अमीर जम कर धर्म पर खर्च करते दिखते हैं पर अधिकांश ने जनता को लूट कर पैसा कमाया होता है और उन में गहरा अपराधबोध होता है. आप का पैसा मेहनत का है तो स्वाभिमान व आत्मविश्वास में जीएं. अंधविश्वास में नहीं.

कुछ स्मार्ट पत्नियां

प्रसिद्ध उद्योगपति मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अंबानी, राज कुंद्रा की पत्नी शिल्पा शेट्टी, प्रसिद्ध अभिनेता शाहरुख खान की पत्नी गौरी खान, पूर्व अमेरिकन राष्ट्रपति बराक ओबामा की पत्नी मिशेल ओबामा, आईटी कंपनी इन्फोसिस के मालिक नारायणमूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति, बिल गेट्स की पत्नी मिलिंडा गेट्स कुछ ऐसी सफल और स्मार्ट पत्नियों के नाम हैं, जिन्होंने अपने पति का हर कदम पर साथ दे कर न केवल उन्हें शिखर पर पहुंचाया, बल्कि स्वयं भी अनेक क्षेत्रों में कार्य कर के अपना भी एक अलग नाम बनाया.

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