‘कितने मस्ती भरे दिन थे वे…’ बीते दिनों को याद कर यामिनी की आंखें भर आईं.
कालेज में उस का पहला दिन था. कैमिस्ट्री की क्लास चल रही थी. प्रोफैसर साहब कुछ भी पूछते तो रोहित फटाफट जवाब दे देता. उस की हाजिरजवाबी और विषय की गहराई से समझ देख यामिनी के दिल में वह उतरता चला गया.
कालेज में दाखिले के बाद पहली बार क्लास शुरू हुई थी. इसीलिए सभी छात्रछात्राओं को एकदूसरे को जाननेसमझने में कुछ दिन लग गए. एक दिन यामिनी कालेज पहुंची तो रोहित कालेज के गेट पर ही मिल गया. उस ने मुसकरा कर हैलो कहा और अपना परिचय दिया. यामिनी तो उस पर पहले दिन से ही मोहित थी. उस का मिलनसार व्यवहार देख वह खुश हो गई.
‘‘और मैं यामिनी…’’ उस ने भी अपना परिचय दिया तो रोहत ने उसे कैंटीन में अपने साथ कौफी पीने का औफर कर दिया. वह मना नहीं कर सकी.
साथ कौफी पीते हुए रोहित टकटकी लगा कर यामिनी को देखने लगा. यामिनी उस की नजरों का सामना नहीं कर पा रही थी. लेकिन उस के दिल में खुशी का तूफान उमड़ रहा था. क्लास में भी दोनों साथ बैठे रहे.
शाम को घर लौटते समय रोहित ने यामिनी से अचानक प्यार का इजहार कर दिया. वह भौंचक्की रह गई. लेकिन अगले ही पल शर्म से लाल हो गई और भाग कर रिकशे पर बैठ गई. थोड़ी देर बाद यामिनी ने पीछे मुड़ कर देखा. रोहित अब तक अपनी जगह पर खड़ा उसे ही देख रहा था.
यामिनी के दिल की धड़कनें तेज हो गई थीं. खुशी से उस के होंठ लरज रहे थे. उस की आंखों में सिर्फ रोहित का मासूम चेहरा दिख रहा था. न जाने क्यों वह हर पल उसे करीब महसूस करने लगी.
अगले दिन सुबह यामिनी की नींद खुली तो आदतन उस ने अपना मोबाइल चेक किया. रोहित ने मैसेज भेजा था, ‘सुप्रभात, आप का दिन मंगलमय हो.’
यामिनी देर तक उस मैसेज को देखती रही और रोमांचित होती रही. वह भी उसे एक खूबसूरत सा जवाब देना चाहती थी. लेकिन क्या जवाब दे, सोचने लगी. मैसेज टाइप करने के लिए अनजाने में उस की उंगलियां आगे बढ़ीं. लेकिन वे कांपने लगीं.
यामिनी फिर रोहित के मैसेज को प्यार से देखने लगी और जवाब के लिए कोई अच्छा सा मैसेज सोचने लगी. लेकिन दिमाग जैसे जाम सा हो गया. अच्छा मैसेज सूझ ही नहीं रहा था. आखिरकार उस ने ‘आप को भी सुप्रभात’ टाइप कर मैसेज भेज दिया.
यामिनी की जिंदगी की एक नई शुरुआत हो चुकी थी. रोहित से मिलना, उसे देखना और प्यार भरी बातें करना यामिनी को अच्छा लगने लगा. एकदूसरे से मिले बिना उन्हें चैन नहीं आता. जिस दिन किसी प्रोफैसर के छुट्टी पर रहने के कारण क्लास नहीं रहती, उस दिन दोनों आसपास के किसी पार्क में चले जाते या बाजार घूमते. मस्तियों में उन के दिन गुजर रहे थे. हालांकि कालेज में दोनों को ले कर तरहतरह की बातें होने लगी थीं. लेकिन उन दोनों को कोई परवाह नहीं थी.
बातों ही बातों में यामिनी को मालूम हुआ कि रोहित के मातापिता इस दुनिया में नहीं हैं. एक ऐक्सीडैंट में उन की मौत हो गई थी. रोहित के चाचाचाची ही उस की देखभाल कर रहे थे. रोहित का घर शहर से दूर एक गांव में था. वह यहां किराए का कमरा ले कर कालेज की पढ़ाई कर रहा था. रोहित पढ़ाई में अच्छा था. इसीलिए यामिनी को उस से मदद मिल जाती थी पढ़ाई में.
एक दिन यामिनी कालेज गई तो पाया कि रोहित कालेज नहीं आया है. बहुत देर इंतजार करने के बाद यामिनी ने उसे फोन किया, लेकिन रोहित ने फोन नहीं उठाया. जब यामिनी ने कई बार फोन किया तब रोहित ने काल रिसीव किया और दबी आवाज में बोला, ‘‘यामिनी, मैं कालेज नहीं आ पाऊंगा. बुखार है मुझे. तुम परेशान नहीं होना. मैं ठीक होते ही आऊंगा.’’
दूसरे दिन भी रोहित कालेज नहीं आया. इसीलिए कालेज में यामिनी का मन नहीं लग रहा था. उसे रहरह कर रोहित का खयाल आता. उस ने सोचा, ‘कहीं रोहित की बीमारी बढ़ न जाए. उस से मिलने जाना चाहिए. पता नहीं अकेले किस हाल में है? दवा ले रहा है या नहीं. खाना कैसे खा रहा है.’
बहुत मुश्किल से ढूंढ़तेढूंढ़ते यामिनी रोहित के कमरे पर पहुंची. देर तक दस्तक देने के बाद रोहित ने दरवाजा खोला. उस का बदन तप रहा था. उस की हालत देख कर दया से ज्यादा गुस्सा आ गया यामिनी को. बोली, ‘‘इतनी तेज बुखार है और तुम ने बताया भी नहीं. दवा ली क्या? घर पर किसी को बताया?’’
रोहित अधखुली पलकों से यामिनी को देखते हुए शिथिल आवाज में बोला, ‘‘नहीं. चाचाचाची को कष्ट नहीं देना चाहता और डाक्टर के पास जाने की मेरी हिम्मत नहीं हुई.’’
2 दिनों में ही बहुत कमजोर पड़ गया था रोहित. आंखों के नीचे कालापन दिखने लगा था. यामिनी का मन रो पड़ा. रोहित ने शायद कुछ खाया भी नहीं था, क्योंकि खाना वह खुद बनाता था. होटल से लाया हुआ खाना एक स्टूल पर पड़ा था और सूख चुका था. एक शीशे के गिलास में थोड़ा सा पानी था. एक बिस्कुट का अधखुला पैकेट बगल में पड़ा था. कमरा भी अस्तव्यस्त था.
यह सब देख यामिनी से रहा नहीं गया. वह कमरा साफ करने लगी. रोहित हाथ के इशारे से मना करता रहा. पर यामिनी उसे आराम करने को कह कर सफाई में लगी रही. कमरे की सफाई करने के बाद वह पास की दुकान से ब्रैड और दूध ले आई और रोहित को खाने को दिया. रोहित एक ही ब्रैड खा पाया.
रोहित की हालत ठीक नहीं थी. वह अकेला था. यामिनी पास के एक डाक्टर से संपर्क कर दवा ले आई और रोहित को खिलाई. वह शाम तक उसी के पास बैठी रही. रोहित आंखों में आंसू लिए यामिनी को देखता रहा. यामिनी उसे बारबार समझाती, ‘‘मुझ से जितना होगा करूंगी. रोते क्यों हो?’’
‘‘तुम कितनी अच्छी हो यामिनी. बचपन से मैं प्यार को तरसा हूं. मम्मीपापा मुझे छोड़ कर चले गए. साथ में मेरी सारी खुशियां भी ले गए. चाचाचाची ने मुझे आश्रय जरूर दिया. लेकिन एक बोझ समझ कर. उन से प्यार कभी नहीं मिला. जब तुम मेरी जिंदगी में आई तो मैं ने जाना कि प्यार क्या होता है? तुम्हारा प्यार, तुम्हार सेवाभाव देख कर मुझे अपने मम्मीपापा की याद आ गई. इसीलिए मेरी आंखों में आंसू आ गए.
‘‘खैर मुझे अपने चाचाचाची से कोई शिकायत नहीं है. मैं उन की अपनी औलाद तो नहीं हूं. लेकिन बचपन से मुझे किसी का साया तो नसीब हुआ,’’ रोहित की आंखों से आंसू की धारा बह रही थी.
‘‘बस करो रोहित. अभी यह सब सोचने का वक्त नहीं. स्वास्थ्य पर ध्यान दो. खुद को अकेला नहीं समझो. मैं साथ देने से कभी पीछे नहीं हटूंगी,’’ कहते हुए यामिनी ने दुपट्टे से रोहित के आंसू पोंछ दिए.
वह करीब 2 घंटे तक रोहित के पास बैठी रही. शाम होने को आ गई थी. दवा के प्रभाव से रोहित को पसीना आ गया था. बुखार कम हुआ तो वह कुछ अच्छा महसूस करने लगा था. यामिनी ने कहा, ‘‘अब मैं चलूंगी. घर पर सब मेरा इंतजार कर रहे होंगे. तुम रात में दूध गरम कर ब्रैड के साथ ले लेना. दवा भी ले लेना. किसी तरह की परेशानी हो तो फोन जरूर करना. यह नहीं सोचना कि मैं क्या कर पाऊंगी? तुम्हारे लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं.’’
रोहित को ढांढ़स बंधा कर यामिनी अपने घर आ गई. लेकिन उसे चिंता होती रही. रात में वह सब की नजर बचा कर घर की छत पर गई और फोन कर रोहित का हाल पूछा. रोहित ने कहा कि अभी वह ठीक महसूस कर रहा है. यह जान कर यामिनी को राहत महसूस हुई.
चौथे दिन रोहित ठीक हो गया. यामिनी पिछले 2 दिन उस के घर गई थी. सब से नजर बचा कर वह रोहित के लिए घर से खाना ले जाती थी और घंटों उस के पास बैठ कर बातें करती थी. 5वें दिन रोहित कालेज आया तो यामिनी बहुत खुश हुई. उस के ठीक होने की खुशी में वह उस के गले से लिपट गई. यामिनी अब रोहित के बहुत करीब आ चुकी थी.
ऐसे ही 3 साल कब बीत गए उन्हें एहसास ही न हुआ. खुशियों के वे पल जैसे पंख लगा कर उड़ गए और उन के जुदाई के दिन आ गए. दरअसल, उन की कालेज की पढ़ाई पूरी हो गई थी. रोहित ने आगे की पढ़ाई के लिए कालेज में ही पुन: दाखिला ले लिया. वह प्रोफैसर बनना चाहता था. लेकिन यामिनी के आगे की पढ़ाई के लिए उस के पापा ने मना कर दिया. इसीलिए अब उस का रोहित से मिलनाजुलना बेहद मुश्किल हो गया. हर पल उसे रोहित की याद आती. रोहित से दूर रहने के कारण उसे कुछ भी अच्छा नहीं लगता.
यामिनी के मम्मीपापा अब उस की शादी कर के अपनी जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहते थे. इसीलिए यामिनी के लिए लड़का ढूंढ़ा जाने लगा था. उस का घर से बाहर निकलना बंद कर दिया गया था. रोहित से दिल की बात कहना भी कठिन हो गया उस के लिए. मोबाइल फोन का ही आसरा रह गया था. वह जब भी मौका पाती, रोहित को फोन कर देती और उसे कुछ करने के लिए कहती ताकि दोनों हमेशा के लिए एक हो जाएं. लेकिन रोहित को कोई उपाय नहीं दिखता.
जब घर में शादी की बात चलती तो यामिनी की हालत बुरी हो जाती. रोहित से दूर होने की बात सोच कर उस का मन अजीब हो जाता. अपने मम्मीपापा को रोहित के बारे में बताने की उस की हिम्मत नहीं होती थी. पापा पुलिस में थे. इसीलिए गरम मिजाज के थे. हालांकि शायद ही वह कभी गुस्सा हुए हों यामिनी पर. वह उन की इकलौती बेटी जो थी.
एक दिन यामिनी को उस की मां ने बताया कि उसे देखने कुछ मेहमान आएंगे. लड़का डाक्टर है. यह जान कर यामिनी की आंखों से आंसू निकल गए. वह किसी तरह सब से बच कर रोहित से मिलने गई. उस के गले से लिपट कर रो पड़ी. जब उस ने अपने लिए लड़का देखे जाने की बात बताई तो रोहित भी अपने आंसू नहीं रोक पाया.
तभी यामिनी बोली, ‘‘रोहित, तुम मुझे मेरे पापा से मांग लो. तुम्हारे बिना मैं जी नहीं पाऊंगी.’’
कुछ सोचते हुए मायूस शब्दों में रोहित बोला, ‘‘अभी इस दुनिया में मेरा खुद का ही कोई ठिकाना नहीं है. मैं किस मुंह से तुम्हारे पापा से तुम्हें मांग पाऊंगा. अगर उन्होंने मना कर दिया तो हमारी उम्मीद टूट जाएगी. जब तक मैं अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो जाता, तुम्हें धीरज रखना होगा. मेरे किसी योग्य होने तक अपनी शादी को किसी बहाने टलवा लो. मैं जल्दी ही तुम्हारा हाथ मांगने आऊंगा.’’
‘‘काश, मैं ऐसा कर पाती. जीवन की अंतिम सांस तक तुम्हारा इंतजार करूं, पर न जाने क्यों मेरे मम्मीपापा को मेरी शादी की जल्दी पड़ी है? रोहित, मेरे पापा से मेरा हाथ मांग लो. मैं जिंदगी भर तुम्हारा एहसान मानूंगी.’’ यामिनी अपनी रौ में कहती चली गई, ‘‘मैं किसी और से शादी नहीं कर सकती. तुम नहीं मिले तो मैं अपनी जान दे दूंगी.’’
रोहित ने घबरा कर कहा, ‘‘ऐसा गजब नहीं करना. तुम से दूर होने की बात मैं सोच भी नहीं सकता. लेकिन फिलहाल हमें इंतजार करना ही पड़ेगा.’’
यामिनी एक उम्मीद लिए अपने घर लौट आई. रोहित से जिंदगी भर के लिए मिलने के खयाल से उस के दिल की धड़कन बढ़ जाती. उस ने सोचा, क्या हसीन समां होगा जब वह और रोहित हमेशा के लिए साथ होंगे.
लेकिन चंद दिनों बाद ही यामिनी के खयालों की हसीन दुनिया ढहती नजर आई. उन की मां ने बताया कि अगले दिन ही उसे देखने मेहमान आ रहे हैं. यामिनी को काटो तो खून नहीं. उस ने घबरा कर रोहित को फोन किया. पर यह क्या? वह काल पर काल करती गई और उधर रिंग होती रही लेकिन रोहित ने फोन रिसीव नहीं किया. आखिर रोहित को आज हो क्या गया है? फोन क्यों नहीं उठा रहा है? वह काफी परेशान हो गई.
शायद वह किसी काम में व्यस्त होगा. इसलिए यामिनी ने थोड़ी देर ठहर कर कौल किया. लेकिन फिर भी उस ने फोन नहीं उठाया. ऐसा कभी नहीं हुआ था. वह तो तुरंत कौल रिसीव करता था या मिस्ड होने पर खुद ही कौलबैक करता था. आधी रात हो गई लेकिन यामिनी की आंखों से नींद कोसों दूर थी. वह रोहित को कौल करती रही. अंत में कोई जवाब दिए बिना रोहित का मोबाइल फोन स्विच औफ हो गया तो यामिनी की रुलाई फूट पड़ी.
अगले दिन सुबह पापा के ड्यूटी पर जाने के बाद यामिनी बहाना बना कर घर से निकल गई और रोहित के कमरे पर जा पहुंची, क्योंकि मेहमान शाम को आने वाले थे. पर यह क्या? वहां ताला लगा था. आसपास के लोगों से उस ने पूछा तो पता चला कि रोहित कमरा खाली कर कहीं जा चुका है. वह कहां गया है, यह कोई
नहीं बता पाया. यामिनी की आंखों में आंसू आ गए. अब वह क्या करे? कहां जाए? रोहित बिना कुछ कहे जाने कहां चला गया था. लेकिन रोहित ऐसा कर सकता है, यामिनी को यकीन नहीं हो रहा था.
शाम निकट आती जा रही थी और उस की दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी.
अगर लड़के वालों ने उसे पसंद कर लिया तो क्या होगा? वह कैसे मना कर पाएगी शादी के लिए? उसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था. उस ने सोचा, यह वक्त कहीं ठहर जाए तो कितना अच्छा हो. लेकिन गुजरते वक्त पर किस का अधिकार होता है.
धीरेधीरे शाम आ ही गई. लड़के वाले कई लोगों के साथ यामिनी को देखने आ गए. यामिनी का कलेजा जैसे मुंह को आ गया. जीवन में कभी खुद को उस ने इतना लाचार नहीं महसूस किया था. मां की जिद पर उस ने मन ही मन रोते हुए अपना शृंगार किया. उसे लड़के वालों के सामने ले जाया गया.
उस का दिल रो रहा था. रोहित से वह जुदा नहीं होना चाहती थी. यह सोच कर यामिनी की पीड़ा और बढ़ जाती कि अगर सब रजामंद हो गए तो क्या होगा? इस कठिन घड़ी में रोहित उसे बिना कुछ कहे कहां गायब हो गया था. यामिनी अकेले दम पर कैसे प्यार निभा पाएगी? उस ने क्या सिर्फ मस्ती करने के लिए प्यार किया था? जब निभाने और जिम्मेदारी उठाने की बात आई तो उसे छोड़ कर चुपचाप गायब हो गया. यह कैसा प्यार था उस का?
लेकिन यामिनी का मन रोहित के अलावा किसी और को स्वीकार करने को तैयार नहीं था. वह मन ही मन कामना कर रही थी कि लड़के वाले उसे नापसंद कर दें. लेकिन उन लोगों ने उसे पसंद कर लिया. अपने प्यार को टूटता देख यामिनी बेसब्र होती जा रही थी. इतनी कठिन घड़ी में वह अपनी भावनाओं के साथ अकेली थी. रोहित तो जाने किस दुनिया में गुम था. आखिर उस ने ऐसा क्यों किया? क्या प्यार उस के लिए मन बहलाने की चीज थी? यामिनी का विकल मन रोने को हो रहा था.
घर में खुशी का माहौल था. उस की मां सभी परिचितों एवं रिश्तेदारों को फोन पर लड़के वालों द्वारा यामिनी को पसंद किए जाने की सूचना दे रही थीं. पापा धूमधाम से शादी करने के लिए जरूरी इंतजाम के बारे में सोच रहे थे. लेकिन यामिनी मन ही मन घुट रही थी. रोहित को वह भूल नहीं पा रही थी. वह सोचती कि काश, उस की यह शादी न हो. उस के दिल में तो सिर्फ रोहित बसा था. वह कैसे किसी और के साथ न्याय कर पाएगी.
कुछ दिन बीते और इसी दौरान एक नई घटना घट गई. जिस बात को ले कर यामिनी घुली जा रही थी वह बिना कोशिश के ही हल हो गई. लड़के वाले शादी को ले कर आनाकानी करने लगे थे. जो शादी में मध्यस्थ का काम कर रहे थे उन्होंने बताया कि लड़के वालों ने ज्यादा दहेज के लालच में दूसरी जगह शादी पक्की कर ली. यह जान कर यामिनी को राहत सी महसूस हुई. कई दिनों के बाद उस की होंठों पर मुसकराहट आई.
शादी की बात टलते ही यामिनी को राहत मिली. पर अफसोस, रोहित अब भी उस के संपर्क में नहीं था. वह रोहित को याद कर हर पल बेचैन रहने लगी. बिना बताए वह कहां चला गया है? उस ने अपना मोबाइल फोन क्यों स्विच औफ कर लिया है? ज्योंज्यों दिन बीत रहे थे उस की बेचैनी बढ़ती जा रही थी. कभीकभी उसे लगता कि रोहित ने उस के साथ धोखा किया है.
यामिनी हमेशा रोहित के नंबर पर कौल करती. लेकिन मोबाइल फोन हमेशा स्विच औफ मिलता. उस ने फेसबुक पर भी कई मैसेज पोस्ट किए पर कोई जवाब नहीं मिला. एक दिन उस ने देखा कि रोहित ने उसे फेसबुक पर भी ब्लौक कर रखा था. उस की इस हरकत पर यामिनी को बहुत गुस्सा आया. जिस के लिए उस ने अपना सारा चैन खो दिया, वह उस से दूर होने की हर कोशिश कर रहा है.
गुस्से से उस के होंठ कांपने लगे. बिना बताए इस तरह की हरकत? शादी नहीं करनी थी तो पहले बता देता. चोरों की तरह बिना कुछ बताए गायब हो जाना तो उस की कायरता है.
यामिनी की जिंदगी अजीब हो गई थी. रोहित पर उसे बहुत गुस्सा आता. लेकिन वह उस की यादों से दूर जाता ही नहीं था. उस की आंखों से जबतब आंसू छलक पड़ते. किसी काम में जी नहीं लगता. वह कभी मोबाइल चैक करती, कभी टीवी का चैनल बदलती तो कभी बालकनी में जा कर बाहर का नजारा देखती.
हर पल वह रोहितरोहित कह कर पुकारती. पता नहीं रोहित तक उस की आवाज पहुंचती भी थी या नहीं? वह यामिनी को लेने लौट कर आएगा भी या नहीं? कहीं वह अपनी नई दुनिया न बसा ले. यामिनी के दिल में डर बैठने लगता. फिर वह खुद ही अपने दिल को समझाती कि रोहित ऐसा नहीं है. एक दिन जरूर लौट कर आएगा और उसे अपना बना कर ले जाएगा.
लेकिन जैसेजैसे समय बीत रहा था यामिनी का मन डूबता जा रहा था. उस की उंगलियां रोहित का मोबाइल नंबर डायल करतेकरते शिथिल हो गईं. हर दिन वह उस की कौल आने का इंतजार करती. लेकिन न तो रोहित का कौल आया, न ही वह खुद आया. 2 महीने तक फोन लगालगा कर यामिनी हार गई तो उस ने मोबाइल फोन को छूना भी बंद कर दिया. उसे नफरत सी हो गई मोबाइल फोन से. एक दिन गुस्से में उस ने रोहित का मोबाइल नंबर ही अपने मोबाइल फोन से डिलीट कर दिया.
दिन बीतते रहे. एक दिन यामिनी के पापा के तबादले की खबर आई. वह उत्तर प्रदेश पुलिस में कौंस्टेबल थे. तबादले की वजह से पूरा परिवार आगरा आ गया.
यामिनी के मन से रोहित की उम्मीद अब लगभग खत्म सी हो गई थी.
आगरा में आ कर यामिनी को लगा कि शायद अपनी बीती जिंदगी को भूलने में अब आसानी हो. वह अकसर सोचती, ‘आगरा में ताजमहल है. कहते हैं वह मोहब्बत का प्रतीक है. लेकिन सचाई तो सारी दुनिया जानती है कि वह एक कब्र है. सही माने में वह मोहब्बत की कब्र है. ऊपर से रौनक है जबकि भीतर में एक दर्द दफन है. तो क्या उस के प्यार का भी यही हश्र होगा?’
घर में यामिनी की शादी की बात जब कभी होती तो उस का मन खिन्न हो जाता. शादी और प्यार दोनों से नफरत होने लगी थी उसे. जो चाहा वह मिला नहीं तो अनचाहे से भला क्या उम्मीद हो? उस ने सब को मना कर दिया कि कोई उस की शादी की बात न करे.
यामिनी को आगरा आए हुए 1 साल बीत चुका था. रोहित 3 साल से जाने किस दुनिया में गुम था. वह सोचती, ‘क्या रोहित को कभी मेरी याद नहीं आती होगी? अगर उस का प्यार छलावा था तो मुझे भुलावे में रखने की क्या जरूरत थी? एक बार अपने दिल की बात कह तो देता. मैं दिल में चाहे जितना भी रोती पर उसे माफ कर देती. कम से कम मेरा भ्रम तो टूट जाता कि प्यार सच्चा भी होता है?’
जब से यामिनी आगरा आई थी वह कहीं आतीजाती नहीं थी. नई जगह, नए लोग और अपने अधूरे प्यार में जलती रहती. कहीं भी उस का मन नहीं लगता. लेकिन एक दिन मां की जिद पर उसे पड़ोस में जाना पड़ा, क्योंकि पड़ोस की संध्या आंटी की बेटी नीला को लड़के देखने वाले आ रहे थे.
मां को लगा कि शायद शादीविवाह का माहौल देख कर यामिनी का मन कुछ बहल जाए. नीला का शृंगार करने की जिम्मेदारी यामिनी को सौंपी गई. अपना साजशृंगार भूल चुकी यामिनी नीला को सजाने में इतनी मसरूफ हुई कि नीला भी उस के कुशल हाथों की मुरीद हो गई. उस की सुंदरता से यामिनी को रश्क सा हो गया. शायद उस में ही कमी थी जो रोहित उस की दुनिया से दूर हो गया.
लड़के वाले आ चुके थे. नीला का शृंगार भी पूरा हो चुका था. नीला की मां चाहती थीं कि वही नीला को ले कर लड़के के पास जाए. यामिनी का जी नहीं कर रहा था. लेकिन संध्या आंटी का जी दुखाने का उस का इरादा न हुआ. वह बेमन से नीला के कंधे पर हाथ रख कर हाल की ओर चल पड़ी.
सामने सोफे पर बैठे लड़के को देख कर यामिनी गश खा कर गिर पड़ी. जिस का उस ने पलपल इंतजार किया, जिस के लिए आंसू बहाए, अपना सुखचैन छोड़ा और जो जाने क्यों चुपके से उस की जिंदगी से दूर चला गया था, वह बेवफा रोहित उस के सामने बैठा था, नीला के लिए किसी राजकुमार की तरह सज कर.
‘यामिनी… यामिनी…’ आंखें खोलो, तभी कोई मधुर आवाज यामिनी के कानों से टकराई. उस के मुंह पर पानी के छीटे मारे जा रहे थे. उस ने आंखें खोली. चिरपरिचित बांहों में उसे खुद के होने का एहसास हुआ.
‘‘आंखें खोलो यामिनी…’’ फिर वही मधुर आवाज हाल में गूंजी.
यामिनी के होंठ से कुछ शब्द फिसले, ‘‘तुम रोहित हो न?’’
‘‘हां यामिनी…मैं रोहित हूं.’’
यामिनी की आंखों से झरझर आंसू बहने लगे. वह बोल पड़ी, ‘‘तुम ने मुझ से बेवफाई क्यों की रोहित? कहां चले गए थे तुम मुझे बिना बताए. मैं आज तक तुम्हें ढूंढ़ रही हूं. तुम्हारे दूर जाने के बाद मैं कितना रोई हूं, कितना तड़पी हूं, तुम क्या जानो. अगर तुम मुझ से दूर होना चाहते थे तो मुझे बता देना चाहिए था न. मैं ही पागल थी जो तुम्हारे प्यार में घुलती रही आज तक.’’
‘‘मैं भी बहुत रोया हूं…बहुत तड़पा हूं,’’ रोहित बोला. उस ने कहा, ‘‘क्या वह दिन तुम्हें याद है जब तुम अंतिम बार मुझ से मिली थीं?’’
‘‘हां,’’ यामिनी बोली.
‘‘उस दिन तुम्हारे जाने के ठीक बाद तुम्हारे पापा आए थे 4-5 लोगों के साथ. सभी पुलिस की वरदी में थे.’’
‘‘क्या…’’ हैरानी से यामिनी की आंखें फटी की फटी रह गई.
रोहित ने आगे कहा, ‘‘तुम्हारे पापा ने कहा कि मैं तुम से कभी न मिलूं और तुम्हारी दुनिया से दूर हो जाऊं, नहीं तो अंजाम बुरा होगा. उन के एक सहकर्मी ने हम दोनों को एकसाथ पार्क में देख लिया था और तुम्हारे पापा को बता दिया था. इसीलिए तुम्हारे पापा बेहद नाराज थे. वे मुझे तुम से दूर कर तुम्हारी जल्द शादी कर देना चाहते थे. अब तुम्हीं बताओ यामिनी, मैं क्या करता? पुलिस वालों से मैं कैसे लड़ता वह भी तुम्हारे पापा से. तुम्हारी जिंदगी में कोई तूफान नहीं आए, इसीलिए तुम से दूर जाने के सिवा मेरे पास कोई उपाय नहीं था.’’
‘‘और इसीलिए मैं ने अपना सिम कार्ड तोड़ कर फेंक दिया और दिल पर पत्थर रख कर दिल्ली आ गया. दिल्ली में मैं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने लगा. 1 साल के बाद मुझे बैंक में पीओ के पद के लिए चुन लिया गया. लेकिन मेरी जिंदगी में तुम नहीं थीं. इसीलिए खुशियां भी मुझ से रूठ गई थीं. हर पल मेरी आंखें तुम्हें ढूंढ़ती रहती थीं. लेकिन फिर खयाल आता कि तुम्हारी शादी हो गई होगी अब तक. यादों के सहारे ही जिंदगी गुजारनी होगी मुझे. पर न जाने क्यों, मेरा दिल यह मानता ही न था. लगता था कि तुम मेरे सिवा किसी और की हो ही नहीं सकती.’’
‘‘कहीं तुम अब भी मेरा इंतजार न कर रही हो, इसीलिए हिम्मत कर तुम से मिलने इलाहाबाद गया ताकि सचाई का पता चल सके. पर तुम सपरिवार कहीं और जा चुकी थीं. तुम्हें ढूंढ़ने की हर मुमकिन कोशिश के बाद भी जब तुम नहीं मिलीं तो अपने चाचाचाची की जिद पर खुद को हालात के हवाले कर दिया. इसीलिए आज मैं यहां हूं. लेकिन अब तुम मुझे मिल गई. अब कोई मुझे तुम से जुदा नहीं कर सकता.’’
रोहित के मुंह से इन शब्दों को सुन कर यामिनी के दिल को एक सुकून सा मिला. यामिनी को महसूस होने लगा कि सच में सच्चा प्यार अटूट होता है. लेकिन उस के पापा रोहित को धमकाने गए थे, यह जान यामिनी हैरत में थी. उसे अब रोहित पर गर्व हो रहा था, क्योंकि वह बेवफा नहीं था. वह चाहता तो यामिनी को ढूंढ़ने के बजाए पहले ही कहीं और शादी कर लेता.