चर्चित कोरियोग्राफर फराह खान को एक रिऐलिटी शो के दौरान एक बच्चे ने आंटी कहा तो उन का तुरंत कहना था कि प्लीज, डोंट कौल मी आंटी. माना कि मैं 3 बच्चों की मां हूं, मगर मेरी उम्र इतनी भी अधिक नहीं है कि तुम लोग मुझे आंटी कहो. मुझे दीदी कहो तो ज्यादा अच्छा है अगर 3 बच्चों की मां दीदी कहलाना पसंद करे और वह भी बच्चों से तो इसे क्या कहेंगे? बढ़ती उम्र को ले कर इस तरह का फुतूर सैलिब्रिटीज में ही नहीं आम महिलाओं में भी देखने को मिलता है. दरअसल, यह एक मनोरोग है, जिसे ‘आंटी सिंड्रोम’ कहा जाता है.
उम्र को रिवर्स गियर में डालना असंभव
मुट्ठी में ली गई रेत की तरह हमारी उम्र आहिस्ताआहिस्ता खिसकती जाती है. ऐसा कोई भी उपाय नहीं, जिस से उम्र को रिवर्स गियर में डाला जा सके. यह जिंदगी का फलसफा है, जो बदला नहीं जा सकता. बावजूद इस के उम्र गुजरने का फोबिया महिलाओं को डराता है. इस फोबिया के चलते आंटी सिंड्रोम की गिरफ्त में आने से बचने का प्रयास करना जरूरी है. यह सच है कि बढ़ती उम्र को रोकना हमारे हाथ में नहीं, मगर अपनी पर्सनैलिटी को निरंतर बेहतर बनाते हुए जिंदगी को खूबसूरत आयाम देना हमारे हाथ में है. लोग आप को आंटी कह रहे हैं, तो उन पर खीजने के बजाय उन का शुक्रिया अदा करें, क्योंकि उन के माध्यम से आप को पता तो चला कि आप आंटी लग रही हैं. अब आप गंभीरता से खुद पर ध्यान देना शुरू कर दें. आंटी उन्हीं महिलाओं को कहा जाताहै, जो फिट ऐंड फाइन नजर आना तो चाहती हैं, लेकिन इस के लिए प्रयास नहीं करतीं. आप की चाहत और क्रिया के बीच फासला जितना बढ़ेगा, स्ट्रैस लैवल उतना ही हाई होगा और डैवलप होगा यह मनोरोग.
फिटनैस क्रेजी बनें
50 पार करने के बाद भी कुछ महिलाएं फिट ऐंड फाइन दिखती हैं. उन्हें देख कर हर किसी को रश्क होता है. एक शोध से यह तथ्य सामने आया है कि सुंदरता का आधार स्त्रीत्व होता है. उम्र भले बढ़ जाए, स्त्रीत्व सौंदर्य को सदा जवान रखता है. आप सहज, सरस और फिटनैस क्रेजी रह कर इस सौंदर्य में इजाफा कर सकती हैं. चेहरा खूबसूरत होने के बाद भी आप का आकर्षक दिखना अनिवार्य नहीं है. नैननक्श सही हैं, लेकिन चेहरे पर सख्ती है तो स्त्रीत्व की कोमलता पर ग्रहण लग जाता है. बौडी लैंग्वेज और फिटनैस क्रेजी रहने की आवश्यकता पर ध्यान देने के साथसाथ यह भी जरूरी है कि आप का पहनावा आप की उम्र और आप के मेकअप के अनुरूप हो. अपनी उम्र को काफी कम कर के बताना, पहनावे और स्टाइल में अपनी उम्र से कम उम्र के फैशन को तवज्जो देना नकारात्मक परिणाम देता है.
सनक न बने सुंदर दिखने की चाहत
तेजी से बढ़ते ब्यूटी व्यवसाय और मीडिया इंडस्ट्री द्वारा आम आवाम तक तेजी से पहुंचाई जा रही ग्लैमर वर्ल्ड की दास्तान के चलते महिलाओं में सौंदर्य के प्रति ललक बढ़ी है. लोग छोटेबड़े परदे के स्टार्स से अपनी तुलना करते हैं. फिट और फाइन दिखने (बनने का नहीं) का जनून उन पर हावी है. सुंदर दिखने की चाहत को बलवती बनाएं. उसे पूरी करने का प्रयास करें. मगर इसे जनून न बनने दें. पर्सनैलिटी ग्रूमिंग की ललक ठीक है, किंतु प्राकृतिक सचाई को झुठलाने की सनक ठीक नहीं है. सचाई से भागने का परिणाम यह होगा कि आप को उम्र छिपाने की आदत पड़ जाएगी. जैसे ही लोग आंटी कहना शुरू करेंगे, मनोरोग आप के अंदर घर करने लगेगा.
बदलाव को स्वीकारें
जो महिलाएं जीवन में तिरस्कार झेली होती हैं और जो महिलाएं हीनभावना की शिकार होती हैं, उम्र बढ़ने का तनाव उन में अधिक होता है. उन में आत्मविश्वास की कमी होती है. ऐसे में खुद को ले कर आश्वस्त रहना संभव नहीं हो पाता. सेहत और सौंदर्य के लिए बदलाव को सहजता से स्वीकारें. खूबसूरती आप के ऐटीट्यूड में होती है, आप की उम्र से इस का कोई खास लेनादेना नहीं होता. पर्सनैलिटी वाइब्रेंट है, ऐटीट्यूड लचीला है, तो आप उम्रदराज हो कर भी आकर्षक साबित हो सकती हैं. उम्र निकल जाने के कारण पहले जैसी न दिख पाने का मलाल मन में रखेंगी तो स्वाभाविक सौंदर्य भी खत्म हो जाएगा. केश कलर करने, महंगे सौंदर्य प्रसाधनों का इस्तेमाल करने और स्पैशल स्किन ट्रीटमैंट लेने से भी बात नहीं बनेगी. निश्चय करें कि सौंदर्य आप के तन से नहीं मन से फूटना चाहिए. चेहरे को सहज, शांत रखें और उसे मुसकान दें. खुद को बेशर्त और शिद्दत से प्यार करें. दूसरों से अपनी तुलना करना बंद करें. पार्लर, जिम जाएं पर अपनी ग्रूमिंग की उपेक्षा न करें. -डा. विकास मानव