फैशन डिज़ाइनर कश्मीरा परदेशी कैसे बनीं अभिनेत्री, पढ़ें इंटरव्यू

मुंबई की 26 वर्षीय सुंदर कद – काठी, कश्मीरा परदेशी ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत वर्ष 2018 में तेलुगु फिल्म  ‘नर्तनासाला’ से की है. इसके बाद उन्होंने मराठी फिल्म ‘रामपत’ में ‘मुन्नी’ का अभिनय किया. वर्ष 2019 में उन्होंने हिंदी फिल्म ‘मिशन मंगल’ में ‘अन्या शिंदे’ की भूमिका निभाई है. स्वभाव से विनम्र, हंसमुख और मृदुभाषी कश्मीरा महाराष्ट्र के पुणे की है. उन्हें फैशन डिज़ाइनर बनने की इच्छा थी, उन्होंने मुंबई में एडमिशन लिया और साथ में मॉडलिंग भी करने लगी, इससे उन्हें अभिनय करने की इच्छा पैदा हुई, ऑडिशन दिया और साउथ में काम मिला. इस तरह से उन्होंने कई साउथ की फिल्मों में काम किया और अब उन्हें हिंदी वेब सीरीज में भी अभिनय करने का मौका मिला है. वह अपनी जर्नी से खुश है और आगे एक अच्छी मराठी फिल्म करने की इच्छा रखती है.

डिजनी + हॉटस्टार पर रिलीज हुई थ्रिलर वेब सीरीज ‘फ्रीलांसर’ में कश्मीरा ने आलिया खान की भूमिका निभाई है, जिसे सभी तारीफ कर रहे है. कश्मीरा ने खास गृहशोभा से ज़ूम पर बात की. पेश है कुछ खास अंश.

चुनौतीपूर्ण भूमिका

वेब सीरीज की सफलता पर कश्मीरा का कहना है कि मैं इस भूमिका को करने में बहुत उत्साहित थी. जब से मैंने ऑडिशन दिया, मुझे इस भूमिका को करने की इच्छा थी. शूटिंग के लिए सभी मोरक्को गए, अनुभव बहुत अच्छा था. निर्देशक नीरज पांडे के साथ काम करना अपने आप में एक बड़ी बात होती है. उन्हें पूरी फिल्म का विजन पता होता है इसमें मुझे केवल अपना सबसे अच्छा परफोर्मेंस देना पड़ा. रिलीज के बाद सबको मेरा काम पसंद आया है, ये मेरे लिए अच्छी बात है. इसमें आलिया एक सिंपल लड़की है, जिसे एक डार्क फेज से गुजरना पड़ता है.  शुरू में मैंने जब स्क्रिप्ट पढ़ी, तो अभिनय मुश्किल लगा, टीम से मैंने बात भी की, लेकिन निर्देशक ने मुझे चिंता न करने को कहा, इससे मेरे अंदर आत्मविश्वास आया और वाकई मैंने इस चुनौतीपूर्ण भूमिका को कर लिया. सेट पर मुझे खुद को टीम के अनुसार ढालना पड़ा, ऐसे में आलिया की भूमिका को करना कठिन नहीं था.  इसके अलावा इस भूमिका से मुझे बहुत कुछ सीखने को भी मिला. इसमें अलिया एक साहसी लड़की है, जो किसी भी हालत में पीछे नहीं हटती. साहसी होने की वजह से वह कठिन परिस्थिति में भी सब कर जाती है और मैं भी ऐसी ही सोच रखने लगी हूँ.

मिली प्रेरणा

कश्मीरा शुरू में फैशन डिज़ाइनर बनने की इच्छा रखती थी, लेकिन समय के साथ उन्हें अभिनय की इच्छा पैदा हुई. वह कहती है कि मैं मुंबई फैशन डिज़ाइनर बनने आई थी, तब मैंने पढ़ाई के साथ मॉडलिंग भी साउथ और मुंबई में करने लगी थी. जब मेरा कोर्स पूरा हुआ, तो मुझे ऑडिशन भी मिलने लगे. मुझे एक्टिंग तब आती नहीं थी. फिर मैंने नीरज कवी की थिएटर ज्वाइन किया फिर मुझे अभिनय की जानकारी मिली और एक साल में 4 अलग साउथ की भाषाओँ में फिल्में की. मुझे ये एक अच्छा मौका मिला, जिससे मेरी पहचान बनी और अब वेब सीरीज भी कर डाली.

किये संघर्ष   

संघर्ष के बारें में कश्मीरा कहती है कि पुणे से आने के बाद संघर्ष रहा. बाहर से आने पर हज़ार लोग हज़ार बातें करते है, उसमे सही क्या और गलत क्या है, उसे चुनने में समय लगता है.

परिवार का सहयोग

परिवार के सहयोग के बारें में कश्मीरा हंसती हुई कहती है कि मेरे पिता पुलिस में है, और वे हर बात में कुछ गलत को पहले से भांपते है. पहले तो उन्होंने ना कहा, पर बाद में वे मान गए, क्योंकि मैंने उनको मना लिया और एक साल का समय लिया. मेरे काम को देखने के बाद उन्होंने बहुत सहयोग दिया.

फैशन पसंद

कश्मीरा फैशन डिज़ाइनर है और उन्हें फैशन पसंद है वह कहती है कि फैशन डिज़ाइनर होने की वजह से कपड़ों को लेकर थोड़ी चूजी हूँ, लेकिन इंडस्ट्री डिज़ाइनर और स्टाइलिस्ट काफी टैलेंटेड है, इसलिए मुझे फिल्मों में कपड़ों के बारें में अधिक सोचना नहीं पड़ता. दैनिक जीवन में मुझे अरामदायक कपडे पहनना पसंद है. अवसर के अनुसार कपडे पहनती हूँ.

पसंदीदा व्यजंन  

कश्मीरा आगे कहती है कि मैं महाराष्ट्रियन हूँ और बहुत फूडी हूँ, लेकिन स्वास्थ्य का ध्यान रखना पड़ता है. महाराष्ट्रियन कोई भी व्यंजन मुझे बहुत पसंद है. माँ के हाथ का बना हुआ वरण भात मुझे बहुत पसंद है. अधिक नहीं खा पाती, क्योंकि इसे घी के साथ खाना पड़ता है. माँ के पास जाने पर अवश्य खा लेती हूँ.

कश्मीरा का यूथ से कहना है कि दुनिया में इम्पॉसिबल कुछ नहीं होता, केवल धीरज धरने की होती है और हिम्मती होना बहुत जरुरी है.

हार्ड वर्क और कमिंटमेंट है सफलता का राज- प्रीति शिनौय

प्रीति शिनौय भारत के मशहूर लेखकों में गिनी जाती हैं. साहित्य में योगदान के लिए इन्हें ‘इंडियन औफ द ईयर’ ब्रैंड्स अकादमी अवार्ड, 2017 से सम्मानित किया गया. नई दिल्ली इंस्टिट्यूट औफ मैनेजमैंट ने इन्हें ‘ऐकैडमिया अवार्ड फौर बिजनैस ऐक्सीलैंस’ से सम्मानित किया. प्रीति ने आईआईटी, आईआईएम, इसरो, इन्फोसिस जैसे कई प्रमुख कौरपोरेट संगठनों में प्रेरक भाषण दिए. पेश हैं, उनसे किए गए कुछ सवाल-जवाब:

आपकी सफलता का राज क्या है?

मेहनत और दृढ़ निश्चय. जब मेरे लिखने की बात आती है या ऐसी किसी भी चीज की जो मेरे लिए महत्त्वपूर्ण होती है तो मैं बहुत अनुशासित रूप से कार्य करती हूं. सफलता के लिए कोई शौर्टकट नहीं होता. सफलता का रास्ता मुश्किल होता है. आप को वह सब करना पड़ता है जो कामयाबी के लिए जरूरी होता है.

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आपके अंदर ऐसी कौन सी इनर स्ट्रैंथ है, जो आप को ये सब करने को प्रेरित करती है?

मुझे लगता है कि अगर मैं लिखूंगी नहीं तो मेरे दिमाग में विस्फोट हो जाएगा. मेरे दिमाग में हर समय बहुत सारे खयाल दौड़ रहे होते हैं. मैं अपने आसपास की दुनिया को बेहतर समझने के लिए लिखती हूं. मैं 5 साल की उम्र से लिख रही हूं. लिखने से मुझे खुशी और आराम मिलता है. लेखन मेरे लिए खुद को व्यक्त करने का प्राकृतिक तरीका है. इसी को कुछ लोग ‘इनर स्ट्रैंथ’ कहते हैं.

बतौर स्त्री आगे बढ़ने के क्रम में क्या कभी असुरक्षा का एहसास हुआ?

मुझे लिखते समय अपने स्त्री होने की वजह से कभी असुरक्षा महसूस नहीं हुई और न ही सफर करते हुए या अपनी किताबों से संबंधित यात्राओं पर. मैं सफर करते हुए सावधानियां बरतती हूं. लेखन एक ऐसा व्यवसाय है जहां आप का स्त्री या पुरुष होना माने नहीं रखता. अगर आप के शब्दों में वह ताकत है कि पाठक उन्हें समझ पाएं और अपनी जिंदगी से जोड़ पाएं, उन्हें पढ़ कर उन से भावुक तौर पर जुड़ जाएं, तो कोई फर्क नहीं पड़ता आप स्त्री हैं या पुरुष.

आपका मी टाइम क्या होता है और महिलाओं को क्या सलाह देना चाहेंगी?

जब मेरे बच्चे बड़े हो रहे थे, मेरा मी टाइम था सुबह 8 बजे से दोपहर 3.30 बजे तक, क्योंकि तब वे स्कूल में होते थे. उन्हें स्कूल भेज कर मैं अपने लेखन पर ध्यान देती थी. अगर आप एक भारतीय नारी हैं, तो मैं दृढ़ता से सलाह दूंगी कि अपने लिए कुछ ऐसा जरूर रखें, जिस में आप के पति, परिवार या बच्चे शामिल न हों. वह कुछ भी ऐसा हो सकता है जो आप को खुशी दे.

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महिलाओं की सबसे बड़ी ताकत क्या होती है?

यह बहुत जरूरी है कि हर महिला का खुद पर अटूट विश्वास हो, अपने लिए बोलने की क्षमता हो, मेरी किताब ‘द रूल ब्रेकर्स’ में नायिका वेदा में शुरुआत में यही कमी थी. वह एक पारंपरिक लड़की है जिस की जल्दी शादी हो जाती है. वह धीरे-धीरे अपनी ताकत ढूंढ़ती है, अपने लिए खड़ा होना सीखती है.

अपने परिवार के बारे में बताएं. घर वालों की कितनी सपोर्ट मिलती है?

जब भी मुझ से कोई यह सवाल पूछता है, मैं उन से पूछती हूं कि क्या वे यह सवाल किसी पुरुष लेखक से पूछेंगे. जहां तक मेरी बात है, मेरे परिवार में मेरे पति हैं और 2 बच्चे जो अब बड़े हो गए हैं. उन्हें मुझ पर गर्व है. अगर मैं एक सफल लेखिका न भी होती, तो भी उन्हें मुझ पर उतना ही गर्व होता.

ग्लास सीलिंग के संदर्भ में क्या कहेंगी?

मुझे नहीं पता यह ग्लास सीलिंग क्या है और कौन बनाता है. इसे तोड़ दीजिए. कांच ही तो है. सिर उठा कर खुद पर गर्व कीजिए. अजेय बनिए. किसी भी दीवार या सीलिंग को खुद को रोकने मत दीजिए.

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कोई ऐसी घटना जिसने आप की जिंदगी और सोचने का नजरिया बदल दिया?

मेरे पिता की 2006 में हुई मृत्यु. मैं उन के बहुत करीब थी. मैं ने उन्हें एक झटके में खो दिया. वे काफी स्वस्थ थे. अपनी उम्र के लोगों की तरह कोई उम्र से संबंधित परेशानी भी नहीं थी. उस दिन सुबह भी वे 5 किलोमीटर लंबी सैर पर गए थे. उस एक घटना ने मेरी सोच बदल दी. मुझ में बदलाव आ गया. मुझे यह एहसास हुआ कि जिंदगी बहुत नाजुक है. हमारा किसी चीज पर कोई बस नहीं. उस घटना ने मुझे हर पल को कैद करने की प्रेरणा दी.

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