नवरात्रि के जश्न से पहले ही आयुष्मान खुराना और पश्मीना रोशन का नया गरबा गाना “जचड़ी” रिलीज हो गया है, आयुष्मान खुराना द्वारा गाए इस गीत में पश्मीना रोशन भी नजर आ रही हैं. यह गीत नवरात्रि के उत्सव का परफैक्ट एंथम है. आयुष्मान और पश्मीना की अदाओं और शानदार कैमिस्ट्री ने इस सौंग को और भी खास बना दिया है, और उनके फैंस उन्हें एक फिल्म में साथ देखने के लिए एक्ससाइटेड हैं.
पश्मीना रोशन
पश्मीना ने अपने उत्साह को जाहिर करते हुए कहा, “जचड़ी को करना एक जबरदस्त अनुभव था! सेट पर एनर्जी बिल्कुल अलग थी, और आयुष्मान और पूरी टीम के साथ काम करना बहुत बड़ी बात थी. मैंने इस अनुभव से बहुत कुछ सीखा और इसके लिए मैं बहुत आभारी हूं. नवरात्रि हमेशा से मेरे दिल के करीब रही है— यह परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर संगीत, नृत्य और उत्सव का समय होता है. इस गीत में वही खुशी झलकती है. बचपन में मैं दोस्तों के साथ गरबा करती थी और जचड़ी उन यादों को वापस लाता है. मैं उत्साहित हूं कि हर कोई इस नवरात्रि बेंगर का अनुभव कर सकेगा और वही खुशी महसूस करेगा!”
शानदार कोरियोग्राफी और बेहतरीन दृश्य
“जचड़ी” एक बेहतरीन मेल है जो गरबा की एनर्जी और उत्साह को एक साथ करता है. इस वीडियो में शानदार कोरियोग्राफी और बेहतरीन दृश्य हैं, जो नवरात्रि की खुशियों को बखूबी दर्शाते हैं. आयुष्मान और पश्मीना की जबरदस्त परफौर्मेंस ने इस गाने में जान डाल दी है, जो डांस फ्लोर पर हिट होने के लिए तैयार है और इसे हर नवरात्रि प्लेलिस्ट में शामिल होना चाहिए.
जोशीली कैमिस्ट्री और एनर्जी
ये सौंग सभी प्रमुख स्ट्रीमिंग प्लेटफार्मों पर उपलब्ध है और वीडियो को आयुष्मान खुराना के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर देखा जा सकता है. प्रशंसक पहले से ही आयुष्मान और पश्मीना की जोशीली केमिस्ट्री और सौंग की एनर्जी की तारीफ कर रहे हैं. इस नवरात्रि स्पेशल गाने को मिस न करें – अभी “जचड़ी” स्ट्रीम करें और इसे अपनी नवरात्रि प्लेलिस्ट में शामिल करें!
हाल ही में आयुष्मान खुराना ने इसके पोस्टर को जचड़ी, म्यूजिक, कमिंग सांग जैसे हैशटैग के साथ पोस्ट किया था. इस सौंग से पहले भी आयुष्मान ने “पानी दा”, “साड्डी गली”, “ओ हीरी”, “इक वारी”, “ओ स्वीटी स्वीटी”, “मिट्टी दी खुशबू” और “रतन कलियां” जैसे कई ट्रैक सांग गाए हैं.
बॉलीवुड समय-समय पर नई और ताज़ा जोड़ियों के साथ प्रयोग करता रहता है. 2023 में कई नई ऑन-स्क्रीन जोड़ियां आई हैं, जिन्होंने अपनी शानदार केमिस्ट्री से हमारी स्क्रीन पर धूम मचा दी है.
इन अपरंपरागत जोड़ियों ने प्रशंसकों और दर्शकों के बीच काफी चर्चा पैदा की. चाहे तू झूठी मैं मक्कार में रणबीर कपूर और श्रद्धा कपूर हों, जरा हटके जरा बचके में विक्की कौशल-सारा अली खान हों या हाल ही में रिलीज हुई बवाल में वरुण धवन और जान्हवी कपूर हों, सभी अपनी केमिस्ट्री और शानदार परफॉर्मेंस से दर्शकों को प्रभावित करते दिखे.
एक दिलचस्प ऑन-स्क्रीन जोड़ी जिसका दर्शकों को बेसब्री से इंतजार है, और जो ड्रीम गर्ल 2 में एक साथ दिखाई देगी, वह है बॉलीवुड हार्टथ्रोब आयुष्मान खुराना और अनन्या पांडे. प्रशंसक और आलोचक समान रूप से उत्साह से भरे हुए हैं, यह देखने के लिए उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं कि यह जोड़ी क्या पेश करेगी.
दर्शकों को कुछ नई जोड़ियां भी देखने को मिलेंगी जैसे जवान में शाहरुख खान और नयनतारा, योद्धा में सिद्धार्थ मल्होत्रा और दिशा पटानी, एनिमल में रश्मिका मंदाना के साथ रणबीर कपूर और एक फिल्म में शाहिद कपूर और कृति सेनन, जिसका अभी तक शीर्षक नहीं है.
रोमांचक रिलीज़ों से भरे साल में, ड्रीम गर्ल 2 सबसे अधिक प्रतीक्षित कॉमेडीज़ में से एक बनी हुई है, जिसमें इस नई जोड़ी ने एक साथ अभिनय किया है और प्रशंसकों के बीच प्रत्याशा बढ़ा दी है.
मोहम्मद, हितेन पटेल,मो. तालिब, जॉन बायरन, गौरव कंडोई,जीतेंद्र राय,टाइगर रूड व अन्य.
अवधिः दो घंटे दस मिनट
‘तनु वेड्स मनु’ व ‘रांझणा’ जैसी कुछ बेहतरीन फिल्मों के निर्देशक व ‘निल बटे सन्नाटा’ जैसी फिल्म के निर्माता आनंद एल राय अब बतौर निर्माता फिल्म‘एन एक्शन हीरो’लेकर आए हैं,जिसका निर्देशन अनिरूद्ध अय्यर ने किया है.
कहानीः
कहानी के केंद्र में देश का मशहूर व घमंडी एक्शन हीरो मानव ( आयुष्मान खुराना) है,जिसे लोगों को इंतजार कराने में आनंद आता है. वह लोगों को इंतजार कराकर अपनी शोहरत को नापता रहता है. एक फिल्म की शूटिंग के लिए हरियाणा जाते समय एअरपोर्ट पर अंडरवल्र्ड के खिलाफ बयानबाजी करता है. हरियाणा में शूटिंग के लिए इजाजत दिलाने वाला स्थानीय गांव के निगम पार्षद भूरा सोलंकी (जयदीप अहलावत) का भाई विक्की सोलंकी शूटिंग के सेट पर मानव के साथ फोटो खिंचाने जाता है. मगर मानव शूटिंग में व्यस्त रहता है. पूरा दिन बीत जाता है.
शूटिंग खत्म होने के बाद मानव अपनी नई मुस्टैंग कार में बैठकर ड्ाइव पर निकल जाता है,यह देख कर विक्की अपनी कार से उसका पीछा करता है. सुनसान जगह पर विक्की,मानव की कार को रोकता है. दोनों में बहस होती है और विक्की की मौत हो जाती है. मानव डर कर चार्टर्ड प्लेन से लंदन चला जाता है. भूरा सोलंकी भी अपने भाई की मौत का बदला लेने के लिए लंदन पहुंच जाता है. लंदन पहुॅचते ही भूरा ,मानव के घर पहुॅचता है. उस वक्त मानव घर पर नही होता,पर मानव की तलज्ञश में यूके पुलिस जब पहुॅचती है तो भूरा ,उन यूके पुलिस अफसरों को मौत के घाट उताकर इस बात का परिचय देता है कि वह कितना खतरनाक है.
इधर मानव अपने सेके्रटरी रोशन (हर्ष छाया) व वकील की मदद से खुद को सुरक्षित करने में लगा हुआ है. पर हालात कुछ और हो जाते हैं. कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं. भारत मंे मानव के खिलाफ एक माहौल बन गया है. इधर जब भूरा व मानव आमने सामने होते हैं,तो भूरा,मानव को मार कर अने भाई की मौत की बजाय लड़ने ़की बात करता है.
पूरी फिल्म मंे दोेनो एक दूसरे को पछाड़ते या भागते नजर ओत हैं. अचानक अंडरवल्र्ड डाॅन मसूद अब्राहम काटकर आ जाता है,जो कि मानव को अपनी नवासी की शादी में नाचने के लिए विवश करता है. काटकर के अड्डे पर भूरा भी पहुॅच जाता है. काटकर,मानव के साथ तस्वीर खिंचवाकर वायरल कर देता है. कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं. अंत मे मानव हीरो बनकर भारत वापस लौटता है.
कहानी व निर्देशनः
फिल्म ‘एन एक्शन हीरो’ के निर्माता आनंद एल राय मशहूर निर्माता व निर्देशक हैं. उन्होने ‘तनु वेड्स मनु’,‘तनु वेड्स मनु रिर्टन’, ‘रांझणा’ जैसी फिल्में निर्देशित कर अपनी एक अलग पहचान बनायी. उसके बाद वह निर्देशन से तोबा कर सिर्फ निर्माता बन गए. फिर ‘निल बटे सन्नाटा’,‘तुम्बाड़’जैसी बेहतरीन फिल्मों के अलावा ‘मेरी निम्मो’ जैसी कुछ घटिया फिल्मों का निर्माण कर खूब पैसा कमाया.
2018 में आनंद एल राय ने शाहरुख खान को लेकर फिल्म ‘जीरो’ निर्देशित की,जिसने बाक्स आफिस पर पानी तक नही मांागा. जब आनंद एल राय ने मुझे बताया था कि वह शाहरुख खान को लेकर एक फिल्म निर्देशित करने जा रहे हैं,तभी मैने उनसे फिल्म की कहानी के आधार पर कहा था कि वह अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जा रहे हैं. उस वक्त आनंद एल राय ने अपनी बातों से खुद को भगवान और दर्शकों की नब्ज को समझने वाला सबसे बड़ा फिल्मकार साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. पर हर कोई जानता है कि ‘जीरो’ अपनी लागत भी वसूल नही कर पायी.
यहीं से आनंद एल राय के बुरे दिनों की शुरूआत भी हो गयी थी. उसके बाद से उनकी किसी भी फिल्म को सफलता नही मिल रही है. लेकिन आनंद एल राय आज भी अहम के शिकार हैं. वह ख्ुाद को ही सबसे बड़ा समझदार इंसान समझते हैं. बतौर निर्माता अपनी नई फिल्म ‘एन एक्शन हीरो’ के प्रदर्शन से कुछ दिन पहले पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत के दौरान आनंद एल राय ने कहा था-‘‘हम फिल्में अच्छी बना रहे हैं, मगर दर्शक हमसे नाराज चल रहा है.
’’बहरहाल,फिल्म ‘एन एक्शन हीरो’ की कहानी भी एक अति घमंडी अभिनेता की है,जो कि बेसिर पैर के काम करता है. पर फिल्म में उसे विजेता दिखा दिया गया है. मगर हकीकत में इस फिल्म से बतौर निर्माता आनंद एल राय के विजेता बनकर उभरने की कोई उम्मीद नजर नहीं आती. फिल्म के निर्देशक व कहानीकार अनिरूद्ध अय्यर एक बेसिरपैर की कहानी वाली फिल्म ‘एन एक्शन हीरो’ लेकर आए हैं.
फिल्म की कहानी व पटकथा दोेनों गड़बड़ है. हर मशहूर अभिनेता अपनी नई कार की डिलिवरी अपने शहर में लेता है,किसी गांव मंे नहीं और हर हीरो जहां भी जाता है, उसके साथ अब बाउंसरों की टोली होती है. मगर यह बात फिल्म के निर्माता,निर्देशक व लेखक को पता ही नही है.
एक सफल फिल्म कलाकार,जिसके पास भारत व लंदन में अपने आलीशान मकान व अकूट संपत्ति हो,तो उसके संबंध बड़े बड़े लोगों तक होते हैं. फिर भी दुर्घटना वष विक्की की मौत होेने पर मानव सीधे चार्टर्ड प्लेन पकड़कर लंदन भागता है. फिल्मकार ने लंदन की पुलिस को भी घटिया दिखा दिया. पुलिस कमिश्नर अपने आफिस में बैठकर सीसीटीवी पर सब कुद देखते रहते हैं. फिर भी अंडरवल्र्ड डाॅन काटकर के आदमी खुलेआम मानव को बीच सड़क से उठा ले जाते हैं.
हरियाणा के गांव में रहने वाला जाट भूरा सोलंकी लंदन पहुॅचकर मानव के घर में यू के पुलिस वालों की हत्या कर घूमता रहता है,उसे पुलिस पकड़ती नही. पूरी फिल्म इसी तरह के अविश्वसनीय घटनाक्रमों से भरी हुई है. मानव लंदन भगते समय मास्क पहनकर चेहरा नही छिपाता और कोई उसे पहचान नही पाता.
अभिनेता अक्षय कुमार प्लेन मंे मानव से मिलते हैं और कहते है कि वह किसी को न बताए कि प्लेन में अक्षय मिले थे. वाह क्या पटकथा है. भारत में ऐसा कौन सा एक्शन हीरो है,जो अपनी निजी जिंदगी में भी एक्शन के कारनामंे करता हो,पर एक्शन सुपर स्टार मानव तो निजी जिंदगी में भी एक्शन मंे माहिर है. वाह क्या सोच है निर्माता,निर्देशक व लेखक की.
फिल्म में संजीदगी तो कहीं है ही नही. मीडिया को मसखरा,भारतीय पुलिस इतनी निकम्मी है कि वह निगम पार्षद के इषारे पर उसके घर में बिना वस्त्र खड़े रहते हैं. अंडरवल्र्ड डाॅन जिसके पास भारत का राॅ विभाग तीस वर्षों से नही पहुॅच पाया,उस तक भूरा आसानी से पहुॅच जाता है. फिल्मकार तो न्यायपालिका का मजाक उड़ाने से भी नहीं चूके. फिल्म में इमोशन तो कहीं नजर ही नही आता. विक्की की मौत के बाद उसके भाई भूरा या परिवार के किसी सदस्य का दुःख नजर नही आता. रिष्ते तो है ही नहीं. मानव भी अपने सेक्रेटरी व मैनेजर रोशन के अलावा पूरी फिल्म में किसी को फोन नही करता.
अभिनयः
मानव के किरदार को निभाने के लिए आयुष्मान ख्रुराना ने अपनी तरफ से कड़ी मेहनत की है. पर सच यह है इस किरदार में वह फिट नही बैठते. जयदीप अहलावत का अभिनय भी काफी मोनोटोनस नजर आता है. हर्ष छाया जरुर अपने अभिनय की छाप छोड़ जाते हैं.
कलाकारः आयुष्मान खुराना, वाणी कपूर,कंवलजीत सिंह,अंजन श्रीवास्तव,गौतम शर्मा,गौरव शर्मा,तान्या ओबेरॉय,गिरीश धमीजा व अन्य
अवधिः एक घंटा 57 मिनट
आयुष्मान खुराना लगातार लीक से हटकर उन विषयों पर आधारित फिल्मों में अभिनय करते जा रहे हैं,जिन विषयों या मुद्दों पर लोग बातचीत करने से परहेज करते हैं. अब वह ट्रांस ओमन सेक्स आपरेशन करवाकर पुरूष से स्त्री बन रहे हैं,उन्हें इंसान समझने व उन्हे सम्मान देने की बात करने वाली फिल्म ‘‘चंडीगढ़ करे आशिकी’’ में नजर आ रहे हैं,जो कि दस दिसंबर से देश के सिनेमाघरों में रिलीज हुई है.
कहानीः
कहानी के केंद्र में चंडीगढ़ में जिम के मालिक,बॉडी बिल्डर, फिटनेस प्रेमी तथा अपने शहर का गबरू जवान का खिताब जीतने के लिए हर वर्ष प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले मनविंदर मंुजाल उर्फ मनु ( आयुष्मान खुराना ) के इर्द गिर्द घूमती है. मनु को शादी व्याह व लड़कियों में कोई रूचि नही है. मनु हर वर्ष प्रतियोगिता हारते रहते हैं. तो वहीं उनके अथक प्रयासों के बावजूद उनका जिम घाटे में ही रहता है. एक दिन मनु अपने जिम में बतौर जुम्बा नृत्य प्रशिक्षक मानवी ब्रार ( वाणी कपूर ) को शामिल करते हैं. फिर सब कुछ बदल जाता है. जिम फायदे में पहुंच जाता है. मानवी खूबसूरत और आकर्षक लड़की है. लेकिन मानवी का अपना अतीत है. मानवी ब्रार कभी लड़का थी. पर उसे अपने अंदर स्त्रीत्व के ही भाव व लक्षणों का अहसास होता था. अपने आपको एक पूर्ण इंसान बनाने के लिए वह अपना ‘सेक्स चेंज आपरेशन’ करवाकर खूबसूरत लड़की मानवी बन जाती है. अब उसे एक स्त्री होने पर गर्व है. जबकि समाज और उसके परिवार के लोग उसे बहिस्कृत कर देते हैं. इसी वजह से वह अंबाला छोड़कर चंडीगढ़ आ जाती है और मनु के जिम में जुम्बा नृत्य प्रशिक्षक बन जाती है.
इधर मनु और मानवी के बीच रोमांस शुरू हो जाता है. मनु की बहने,पिता व दादा सोचते हैं कि अब जल्द ही मनु व मानवी की शादी हो सकती है. उधर मनु और मानवी के बीच सेक्स शारीरिक संबंध बनते हैं और वह इसे काफी इंज्वॉय करता है. एक दिन मानवी हिम्मत जुटाकर अपने अतीत के बारे में मनु को बता देती है. मानवी कभी लड़का थी,यह जानकर मनु को खुद से ही घृणा हो जाती है. मनु के सिर से मानवी के प्यार का भूत उतर जाता है. वह मानवी से संबंध खत्म कर लेता है. फिर कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं. मानवी को उसके परिवार के सदस्यों के साथ साथ मनु व मनु के परिवार के सदस्य भी स्वीकार कर लेते हैं.
लेखन व निर्देशनः
निर्देशक अभिषेक कपूर ने मानवीय पहलुओं का चित्रण करने के साथ ही हल्के फुल्के ह्यूमरस परिस्थितियों को भी खूबसूरती से गढ़ा है. उन्होने हार्ड हीटिंग विषय को बड़ी गंभीरता,संजीदगी व परिपक्वता के साथ पेश किया है. फिल्म की शुरूआत काफी हल्की फुल्की है. इंटरवल तक फिल्म बड़े ही खुशनुमा माहौल में आगे बढ़ती है,मगर इंटरवल के बाद फिल्म गंभीर हो जाती है. लेखकद्वय ने बड़ी खूबसूरती से इस बात को रेखांकित है कि हर इंसान अपनी जिंदगी को अपने अंदाज में जीने के लिए स्वतंत्र है. हर इंसान यह तय करने के लिए स्वतंत्र है कि वह कौन है और क्या रहना चाहता है. फिल्म इस बात को साफ तौर पर कहती है कि बच्चे मां बाप की जागीर नही होते. फिल्म के अधिकांश संवाद पंजाबी भाषा में हैं. फिल्म में सेक्स से ही बात शुरू और सेक्स पर ही खत्म होती है. फिल्म में कई सेक्स व संभोग दृश्य हैं,जिन्हे देखकर इसे साफ्ट पॉर्न फिल्म भी कह सकते हैं. इस फिल्म को देखने के बाद कुछ लोग संेसर बोर्ड पर सवाल उठा सकते हैं कि सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को ‘ए’ प्रमाणपत्र देने की बजाय क्या सोचकर ‘यूए’ प्रमाणपत्र दिया है. इतना ही नही कुछ लोगों को बहनों द्वारा सेक्स को लेकर अपने भाई के साथ की गयी बातचीत भी पसंद नही आने वाली है.
मनविंदर मुंजाल उर्फ मनु के किरदार को आयुष्मान खुराना ने अपने अभिनय से जीवंत किया है. उन्होने खुद को ‘चंडीगढ़ ब्वॉय’के रूप में बदला है. मानवी ब्रार के किरदार में वाणी कपूर ने अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ अभिनय किया है. फिल्म में वाणी कपूर और आयुष्मान खुराना की केमिस्ट्री लाजवाब है. अन्य कलाकार ठीकठाक हैं.
कलाकारः अमिताभ बच्चन,आयुष्मान खुराना,विजय राज,ब्रजेंद्र काला,सृष्टि श्रीवास्तव व अन्य.
अवधिः दो घंटे चार मिनट
एक बहुत पुरानी कहावत है ‘‘बिल्ली के भाग्य से छींका टूटा. ’’ अब यह कहावत फिल्म‘‘गुलाबो सिताबो’’ के निर्माताओं और निर्देशक शुजीत सरकार पर एकदम सटीक बैठती है. इनके लिए लॉकडाउन वरदान बनकर आया. लॉकडाउन के चलते निर्माताओं ने ‘गुलाबो सिताबो’को ‘अमैजॉन प्राइम’ को बेचकर गंगा नहा लिया. अन्यथा सिनेमाघरों में इस फिल्म को दर्शक मिलने की कोई संभावनाएं नजर नहीं आती है. इतना ही नहीं ‘गुलाबो सिताबो’’ देखनें के बाद मल्टीप्लैक्स के मालिकों का इस फिल्म के निर्माताओं और निर्देशक के प्रति गुस्सा खत्म हो गया होगा.
‘‘गुलाबो सिताबो’’ देखकर कहीं से इस बात का अहसास नही होता कि इस फिल्म के निर्देशक वही शुजीत सरकार हैं, जो कि कभी ‘विक्की डोनर’,‘पीकू’ और ‘मद्रास कैफे’ जैसी फिल्में निर्देशित कर चुके हैं. सिनेमा में कला और मनोरंजन यह दो मूल तत्व होने चाहिए, अफसोस ‘गुलाबो सिताबो’में इन दोनों का घोर अभाव है. एक जर्जर हवेली के इर्द गिर्द कहानी को बुनकर कहानी व निर्देशक ने बेवजह पुरातत्व विभाग और कुछ वर्ष पहले एक महात्मा के कहने पर उत्तर प्रदेश के उन्नाव में हजारों टन सोने की तलाश में कई दिनों तक पुरातत्व विभाग ने जमीन की जो खुदाई की थी और परिणाम शून्य रहा था, उसे भी टाट के पैबंद की तरह कहानी का हिस्सा बना दिया है.
फिल्म ‘‘गुलाबो सिताबो’’ की कहानी के केंद्र में लखनउ शहर में एक जर्जर हवेली ‘‘फातिमा महल’’ है. इस मंजिल के मालिक चुनमुन मिर्जा(अमिताभ बच्चन) हैं. जहां कई किराएदार हैं,जो कि हर माह तीस से सत्तर रूप किराया देते हैं. इनमें से एक किराएदार बांके (आयुष्मान खुराना) है,जो कि आटा पीसने की चक्की चलाते हैं. वह अपनी तीन बहनों व मां के साथ रहते हैं. बांके की बहन गुड्डू (सृष्टि श्रीवास्तव) चलता पुर्जा है,हवेली की छत पर टंकी के पीछे आए दिन किसी न किसी नए मर्द के साथ पायी जाती हैं. मिर्जा और बांके के बीच हर दिन नोकझोक होती रहती है. बांके को हर माह तीस रूपए देना भी अखरता है. जबकि मिर्जा साहब इस हवेली को अपने हाथ से जाने नही देना चाहते. इस हवेली की असली मालकिन तो मिर्जा की बेगम (फारुख जफर) हैं,मिर्जा ने इस हवेली के ही लालच में अपनी उम्र से सत्रह वर्ष बड़ी होने के बावजूद बेगम को भगाकर शादी की थी. अब मिर्जा साहब को अपनी बेगम की मौत का इंतजार है,जिससे फातिमा महल उनके नाम हो जाए. इसी बीच कई लोगों की नजर इस हवेली पर लग जाती है. जिसके चलते पुरातत्व विभाग के शुक्ला (विजय राज) और वकील (ब्रजेंद्र काला) का प्रवेश होता है. अंत में बेगम,मिर्जा को छोड़कर अपने उसी पुराने आषिक अब्दुल के पास पहुंच जाती हैं, जिनके पास से बेगम को कई वर्ष पहले भगाकर मिर्जा इस हवेली में ले आए थे. अब मिर्जा के साथ साथ सभी किराएदारों को इस हवेली से बाहर होना पड़ता है.
लेखनः
इस फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी जुही चतुर्वेदी लिखित कहानी व पटकथा है. जिन्हे शायद लखनउ की तहजीब, मकान मालिक व किराएदारों के हक वगैरह की कोई जानकारी नहीं है. जबकि इन्ही किरदारों के साथ अति बेहतरीन फिल्म बनायी जा सकती थी. पर वह किरदारों का चरित्र चित्रण, उनके बीच की नोकझोक व रिश्ते में मानवीय भावनाओं व पहलुओं को गढ़ने में बुरी तरह से विफल रही हैं. मिर्जा और बांके के बीच की नोकझोंक को अहमियत देकर इसे अच्छे ढंग से लिखा जाता,तो शायद फिल्म ठीक हो जाती, मगर लेखिका ने इस नोकझोंक से ज्यादा महत्व पुरातत्व विभाग व कानूनी पचड़ों को दे दिया, जिससे फिल्म ज्यादा निराश करती है. इसकी मूल वजह यही है कि जुही चतुर्वेदी किसी भी किरदार के चरित्र चित्रण के साथ न्याय करने में असफल रही हैं.
कभी शुजीत सरकार एक बेहतरीन निर्देशक के तौर पर उभरे थे,मगर उन्होने अपनी पिछली फिल्म ‘अक्टूबर’ से ही संकेत दे दिए थे कि अब सिनेमा व कला पर से उनकी पकड़ ढीली होती जा रही है. ‘गुलाबो सिताबो’ को तो उन्होने बेमन ही बनाया है. फिल्म शुरू होने के बीस मिनट बाद ही फिल्म पर से निर्देशक शुजीत सरकार अपनी पकड़ खो देते है. बीस मिनट बाद ही फिल्म इतनी बोर करने लगती है कि दर्शक उसे बंद कर देने में ही खुद की भलाई समक्षता है. फिल्म के अंतिम पच्चीस मिनट जरुर दर्शक को बांधते हैं.
अभिनयः
इस फिल्म में दो दिग्गज कलाकार हैं अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना. दोनों कलाकार बेदम पटकथा और कमजोर चरित्र चित्रण वाले किरदारों को अपने अभिनय के बल पर उंचा उठाने का प्रयास करते हैं,मगर कब तक अमिताभ बच्चन की गरीबी और उनकी उम्र को दर्शाने में जितना योगदान प्रोस्थेटिक मेकअप का है,उतना ही उनकी अपनी अभिनय क्षमता का भी है. उन्होने चाल ढाल आदि पर काफी मेहनत की है. जब वह दृश्य में आते हैं,तो दर्शक को कुछ सकून मिलता है. आयुष्मान खुराना ने भी अपनी तरफ से बेहतर करने की कोशिश की है. आयुष्मान खुराना की इस फिल्म को करने की एकमात्र उपलब्धि यही रही कि उन्हे अमिताभ बच्चन के साथ काम करने का अवसर मिल गया. अन्यथा यह उनके कैरियर की बेकार फिल्म है. इसके बावजूद फिल्म संभल नहीं पाती. सृष्टि श्रीवास्तव,ब्रजेंद्र काला व विजय राज ठीक ठाक रहे.
ताहिरा कश्यप खुराना में एक नहीं बल्कि कई प्रतिभायें हैं, डायरेक्शन से लेकर लिखने के अलावा उन्होंने दर्शकों तक ऐसी कहानियां लायीं हैं जो न केवल हमें भावनात्मक रूप से छूती हैं, बल्कि एक बदलाव लाने में भी सफल रही हैं. ताहिरा कश्यप कोरोनोवायरस महामारी के कारण लॉकडाउन के दौरान कैसे रह रही हैं, इससे जुड़ी हर चीज से सभी को अपडेटेड रखती है. इस बार, वह हमें लॉकडाउन की दिलचस्प कहानियों से परिचित कराने के लिए पूरी तरह तैयार है, जो वर्तमान वास्तविक जीवन की स्थिति से प्रेरित हैं और इसमें उन्होंने अपनी कल्पना से ट्विस्ट दिया है| ये कहानियां लोगों के रोजमर्रा के जीवन से भावनाओं और क्षणों को दर्शाती हैं कि कैसे वो लॉकडाउन से प्रभावित होते हैं. इन कहानियों की वीडियो सीरीज़ बनने जा रही हैं जिसे वह अपने सोशल मीडिया पर शेयर करेंगी.
ताहिरा के अनुसार, लॉकडाउन के दौरान स्थितियों को देखने के लिए दो तरीके हैं, पहला, या तो जो उपलब्ध है उसका लाभ उठाएं या फिर सिर्फ शिकायत करें. वह मानती हैं कि उन्होंने ये दोनों किये जिसके बाद उनके पास इन लॉकडाउन टेल्स का आइडिया आया.
इस बारे में बात करते हुए ताहिरा कश्यप खुराना ने एक बयान में कहा, “मैं रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ी खास कहानियों को लोगों तक पहुंचाने के लिए वास्तव में उत्साहित हूं. ये मानवता के बारे में सरल कहानियां हैं लेकिन जटिल समय में हैं. मुझे लेखन पसंद है और सच कहूं तो, बिना किसी एजेंडे के ये कहानियाँ बस बहने लगीं. ये लॉकडाउन टेल्स हमारे जीवन से लिए गए एक क्षण या विचार मात्र हैं और कई बार, हमें बस उसे संजोने की जरूरत होती है. ”
सकारात्मकता फैलाने के लिए ताहिरा के इस कदम को लेकर हम काफी रोमांचित हैं, खास बात ये है कि उन्होंने इन दिलचस्प कहानियों को बुना है ताकि हम सभी का मनोरंजन कर सकें.
‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ की एक्ट्रेस और फेमस एक्टर गौतम रोडे की एक्ट्रेस वाइफ पंखुड़ी अवस्थी एक बार फिर बड़े परदे पर नजर आ रही हैं. हाल ही में फिल्म जीरो के बाद निर्माता निर्देशक आनंद राय की अगली फिल्म ‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’ में नजर आ रही हैं. पंखुड़ी जितना टेलीविजन में अपने रोल के लिए फेमस हैं उतना ही पर्सनल लाइफ में अपने सिंपल लुक के लिए भी जानी जाती हैं. अगर आप पंखुड़ी का इंस्टाग्राम अकाउंट देखें तो आपको सिंपल लेकिन फैशनेबल लुक देखने को मिलेगा, जिसे हर कोई ट्राय कर सकता है. इसलिए आज हम आपको पंखुड़ी के सिंपल और कूल लुक्स के बारे में बताएंगे, जिसे आप भी ट्राय कर सकते हैं.
1. पंखुड़ी की सिंपल पिंक फ्लोरल ड्रेस है आपके लिए परफेक्ट
एक्ट्रेस पंखुड़ी सिंपल रहना पसंद करती हैं जो उनके कपड़ों को देखकर साफ पता चलता है. अगर आप भी सिंपल लेकन कूल दिखना चाहते हैं तो ये लुक आपके लिए परफेक्ट रहेगा. पंखुड़ी सिंपल ब्लू औफ शोल्डर फ्लोरल ड्रेस आप ट्राय कर सकते हैं और अगर आप हिल्स में कंफरटेबल न हों तो इसके साथ वाइट ड्रेस आपके लुक को कम्पलीट कर देगा.
अगर आप भी किसी मौनसून वेडिंग का हिस्सा बनने जा रहीं हैं, तो आपके लिए ये ड्रैस आपके लिए परफेक्ट रहेगी. साथी ही ये कलर आपको एक अलग लुक भी देगा. सिंपल और लाइट ज्वैलरी के साथ हैवी स्काई ब्लू कलर लहंगा आपके लिए परफेक्ट रहेगा.
अगर आप भी किसी किटी पार्टी या किसी सेलिब्रेशन में जानें का सोच रही हैं तो ये रेड औफ स्लीव रेड ड्रैस आपके लिए परफेक्ट रहेगी और अगर आप सिंपल लेकिन स्टाइलिश दिखना चाहती हैं तो कोशिश करें कि इस ड्रेस के साथ हैवी ज्वैलरी पहनने से बचें.
4. हर किसी के लिए डैनिम लुक है परफेक्ट
अगर आफ भी कुछ नया डैनिम में ट्राई करना चाहती हैं तो डैनिम स्कर्ट जरूर ट्राय करें. डैनिम स्कर्ट के साथ अगर आप हैवी टौप न ट्राय करके सिंपल वाइट टीशर्ट को टग करके पहनेंगी तो ये लुक आपके लिए कम्फरटेबल और कूल देगा.
बता दें, एक्ट्रेस पंखुड़ी सीरियल रजिया सुल्तान में लीड रोल और सीरियल सूर्यपुत्र कर्ण में द्रौपदी का किरदार निभा चुकीं हैं और अब इस बार फिल्म ‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’ में आयुष्मान खुराना के अपोजिट नजर आएंगी. वहीं इससे पहले पंखुड़ी बौलीवुड में अनर्थ और अक्सर 2 जैसी फिल्मों में काम कर चुकी हैं. साथ ही फिल्म रमैया वस्तावैया में भी वह एक खास किरदार में नजर आ चुकी हैं.
नाटकों का लेखन और निर्देशन से एक लेखिका के तौर पर पहचान बनाने के बाद ताहिरा कश्यप खुराना ने मुंबई पहुंचने के बाद कालेज में प्रोफेसर की हैसियत से पढ़ाना शुरू किया, तो वहीं लेखन भी करती रहीं. सबसे पहले ‘‘आई प्रॉमिस’’ नामक उपन्यास लिखा. उसके बाद कई कहानियां लिखीं. ‘कै्रकिंग द कोड़’और ‘माई जर्नी इन बौलीवुड’ जैसी किताबें लिखी. उन्होने रेडियो पर भी काम किया. फिर फिल्मों की पटकथाएं लिखना शुरू किया.
अपनी लिखी कहानी पर ‘‘ईरोज इंटरनेशनल’’ के लिए लघु फिल्म ‘‘टौफी’’का निर्देशन किया. अब वह लघु फिल्म ‘‘पिन्नी‘’ का लेखन व निर्देशन किया है, जो कि ‘‘जिन्दगी इन शॉर्ट एन्थोलॉजी’’ की छह फिल्मों में से एक हैं. यह फ्लिपकार्ट के डिजिटल स्क्रीन पर रिलीज हो रही है. फिल्म ‘पिन्नी’ में मुख्य किरदार नीना गुप्ता का है और उनके पति के किरदार में शिशिर शर्मा हैं.
सवाल- किताब लिखना और फिल्म की स्क्रिप्ट लिखने में कितना फर्क महसूस करती हैं?
-किताब लिखना एक अलग बात है. उसमें आपके पास अपनी बात को कितने ही शब्दों या पन्ने में कहने की आजादी होती है. किताब लिखते समय हम सिर्फ एक कहानी पर फोकस नहीं करते,बल्कि हर किरदार की निजी जिंदगी, उसकी पृष्ठभूमि में भी उसकी जो छोटी-छोटी चीजें होती हें,उन पर भी ध्यान देते हैं. मसलन-किरदार कैसा खाना खाता हैं, उनकी आदतों की गहराई तक जा सकते हैं.
मगर फीचर फिल्म में हमें दो घंटे की समय सीमा के अंदर ही सब कुछ समाहित करना होता है. दो घंटे में आपको वह सब कुछ बताना है. ऐसे में फीचर फिल्म की पटकथा लिखते समय हम कहानी बताने के लिए बहुत ही छोटा क्रिस्पर जरिया अपनाते हैं. किताब में हमारे पास आजादी है. हम आराम से जितना चाहे लिखते रहें.
सवाल- आपने पहले किताबें लिखी हैं. अब जब आप फिल्म की पटकथा लिखने बैठती होंगी,उस वक्त भी आपका दिमाग उसी हिसाब से दौड़ता होगा,तो उस पर विराम कैसे लगाती हैं?
-सच कहूं, तो मुझे लिखना बहुत पसंद है. मैंने कई अलग-अलग चीजें लिखी हैं. मैने किताब, उपन्यास,लघु कथाएं भी लिखी हैं. मैंने अपना अभी अमैजौन के लिए जो ब्राडकास्ट किया था, उसके एपीसोड लिखे हैं. वहीं फीचर फिल्म और लघु फिल्म के लिए स्क्रीनप्ले लिखा है. यह सभी अलग -अलग फौर्मेट है. इनमें सिर्फ एक ही सामानता है ‘लिखने के प्रति प्यार’. तो मुझे लगता है यह मेरे साथ एकदम ही नेचुरल तरीके से आता है. क्योंकि मुझे लिखना बहुत पसंद है. मैं हर मीडियम और उनकी जो बाउंड्री है, उसकी रिस्पेक्ट करती हूं. मुझे यह भी पता है कि जिस भी मीडियम में लिखना है, उसकी सीमा का आदर करते हुए मुझे अपनी कहानी को सही तरीके से बताना है. ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक वह पहुंच सके. मेरे अंदर यह बेंचमार्क रहते हैं कि यह करना या क्या करना है. उसी के हिसाब से अपने आप काम हो जाता है.
सवाल- आपके अंदर लेखन के प्रति प्यार कैसे उमड़ा?
-मैं लिख तो बचपन से ही रही हूं. कौलेज में मैंने नाटकों का लेखन व निर्देशन किया. फिर किताबें लिखी. पर कभी सोचा नहीं था कि यह मेरा कैरियर बन सकता है. मैं मध्यम वर्गीय परिवार से आती हूं. जहां मेरे माता पिता ने हमेशा काम किया है. तो मेरे घर के लिए फाइनेंशली स्टेबिलिटी बहुत जरूरी थी. मेरे दिमाग में था कि मुझे पैसे कमाने हैं. जबकि मेरा हमेशा से रुझान थिएटर और लेखन की तरफ ही था. पर लेखन से पैसे कमा सकते हैंं,ऐसा कभी नहीं लगा. मेरे अंदर डर था कि आखिर मैं लेखन से कितना कमा लूंगी. इसलिए मेरे दिमाग में था कि मुझे अपने आपको ग्राउंड करना है. उस ग्राउंडिंग के चक्कर में मैं एक ऐसी इंसान बन गई, जो मैं नहीं थी. मैं बहुत ज्यादा हार्ड वर्किंग हो गयी. जब मैने रेडियो पर काम किया, तो इतना अच्छा काम किया कि प्रोग्राम हेड के अवार्ड भी मिले. कौलेज में बतौर शिक्षक पढ़ाना शुरू किया, तो बाकी शिक्षकों व प्रिंसिपल से बहुत आदर सम्मान मिला.
मैं हमेशा एक दो साल के बाद नौकरी छोड़ देती थी. क्योंकि मुझे खुशी नहीं मिल रही थी. फिर बाद में मैंने एक फिलोसाफी को फॉलो किया. मैंने चैंटिंग शुरू की, जहां मुझसे कहा गया कि, ‘आप जो करना चाहते हैं करें. अपने ऊपर कभी भी शक मत करें. अपनी क्षमता पर, अपने ख्वाब पर आप बाधा ना डालें.’ जब मैंने अपने आप पर शक करना कम किया, लिखना शुरू किया. लघु फिल्म ‘पिन्नी’’की स्क्रिप्ट तो मैंने दो साल पहले लिखी थी. मेरे पास कई स्क्रिप्ट कब की लिखी हुई पड़ी हैं, क्योंकि लिखने का शौक था. किताब व उपन्यास लिखते लिखते मुझे स्क्रिप्ट नजर आने लगी. सब कुछ ‘लाइव’ होने लगा. जब मैंने सबसे पहले लघु फिल्म ‘टॉफी’ लिखी, जिसका निर्देशन भी किया. उसके बाद मैंने ‘पिन्नी’ लिखी, इसका भी निर्देशन किया. अब अपनी ही लिखी हुई एक फीचर फिल्म का निर्देशन करने जा रही हूं. ऐसे में अब मेरी चीजें दर्शकों को देखने को मिल रही हैं. जबकि मैं तो कई वर्षों से लिखती आयी हूं.
सवाल- लेखन के साथ अब आप निर्देशक बन गयी हैं. लेखक बहुत कुछ लिखना चाहता है. उसे अपने लिखे ‘शब्दों से प्यार होता है. लेकिन निर्देशक की अपनी सीमाएं हो जाती हैं. ऐसे में सेट पर कौन हावी रहता है?
-मुझे लगता है कि मेरा जो थिएटर का बैकग्राउंड है, उससे मुझे बहुत मदद मिल रही है. मैंने थिएटर में नाटक लिखे व निर्देशित भी किए हैं. बतौर लेखक हम लिखते ही रहना चाहते हैं, पर बतौर निर्देशक मुझे पता है कि मैं सीन को खो नहीं सकती हूं. सिर्फ अपनी ईगो को सटिस्फाई करने के लिए मुझे कुछ चीजें काटने से खुद को नही रोकना है. एडीटिंग के वक्त मैं और भी ज्यादा लाचार हो जाती हूं. उस वक्त मैं सोच लेती हूं कि मेरी नजर में यह दृश्य बहुत अच्छा बना है, मगर जरुरी नही कि यह दृश्य पचास लोगों को पसंद आ जाए. तो मुझे यह भी देखना पड़ता है. जो लोग देखना चाहते हैं, मैं उस चीज को छोड़ देती हूं. मैं हमेशा एक दर्शक के नजरिए से सही निर्णय लेती हूं.
सवाल- लघु फिल्म‘‘पिन्नी’’की कहानी का प्रेरणा स्रोत?
-‘‘इसकी प्रेरणा स्रोत तो मेरी सास यानी कि मेरे पति आयुष्मान खुराना की मां हैं. मेरी सासू मां पूरे परिवार को एक साथ जोड़कर रखती हैं. वह बहुत अच्छी फैट फ्री पिन्नी बनाती हैं. इस फिल्म की कथा के लिए मैंने उनसे प्रेरणा ली है, हालांकि कुछ फिक्शन भी जोड़ा है. मगर फिल्म के सुधा के किरदार में जो मिठास है, वह मेरी सास से आई है. इसमें रूढ़िवादिता को तोड़ने का मसला भी है. महिलाओं से जुड़े कई मुद्दों पर बात की है. नारीवाद पर भी कुछ कहने का प्रयास किया है.
सवाल- आपके लिए फेमिनिजम (नारीवाद) क्या है?
-मैने पहले ही कहा कि फेमिनिज्म मेरे लिए इक्वालिटी समानता है. मेरे लिए यह नहीं है कि हम महिलाएं बेहतरीन हैं. मेरे लिए फेमिनिज्म के मायने पुरूषों आदमियों को थप्पड़ लगाना या उन्हें गालियां देना बिलकुल भी नहीं है. मेरे लिए फेमिनिज्म (नारीवाद) का मतलब है कि आप उतनी ही अपॉर्चुनिटी, उतने ही प्यार से हर काहनी देखना चाहें.
आजकल हम देखें तो 10 में से साढ़े नौ कहानियां पुरूषों की होती है. मैं चाहती हूं कि हम और कहानियां देखें. ऐसा नहीं है कि औरत की कहानी होगी, तो उसमें ज्यादा ट्रेजेडी होगी. औरत फनी भी हो सकती है. नारी प्रधान कहानी में भी हंसी मजाक हो सकता है. मैं चाहती हूं कि हम लोग औरतों के यह सारे पहलुओं को देखें.
सवाल- आप दो लघु फिल्में निर्देशित कर चुकी हैं. क्या अनुभव रहे? लेखन व निर्देशन में से किसमें ज्यादा सैटिस्फैक्शन मिला?
-मुझे तो दोनों में सटिस्फैक्शन मिला. ऐसा नहीं है कि लिखने से ज्यादा निर्देशन में सटिस्फैक्शन मिल रहा है. जिस दिन मैं पांच पन्ने लिखती हूं, उस दिन मैं इतना खुश होती हूं कि मुझे अहसास होता है कि लेखन में ही सबसे अधिक सटिस्फैक्शन है. पर मुझे लगता है कि जो मैने लिखा है, उस पर अगर मैं कुछ निर्देशित कर लेती हूं, तो उससे मुझे और ज्यादा खुशी मिलती है. इस तरह मुझे दोनों से ही बराबर खुशी मिलती है. संतुष्टि मिलती है.
सवाल- जब आप लिखने बैठती हैं, तो कौन सी बात आपको लिखने के लिए प्रेरित करती हैं?आपके निजी अनुभव या कोई घटनाक्रम. . ?
-इसमें दो बाते हैं. बतौर लेखक हमारी लेखन की शुरुआत तो निजी अनुभवों के आधार पर ही होती है. फिर हम अनुभवों से प्रेरणा लेने लग जाते हैं कि आपके साथ क्या हो रहा है. तो मेरी जिंदगी में भी दोनों ही चीजों का मिश्रण है. काफी चीजें निजी अनुभव की हैं, तो वहीं काफी चीजें मैंने होते हुए भी देखा है. मुझे लगता है कि कान और आंखें दोनों चैकन्ना हो जाते हैं. क्योंकि जब आप अखबार में कुछ देखते हैं या आपके दोस्त के साथ कुछ घटित होता है, तो मैं सोचती हूं कि हां यह चीज तो मैं अपनी कहानी में डाल सकती हूं. किस संवाद को मैं अपनी कहानी का हिस्सा बना सकती हूं, इस नजरिए से सोचना शुरू कर देती हूं. हम इसी नजरिए से अपनी जिंदगी को देखने लग जाते हैं.
38 वर्ष के अभिनय कैरियर में नीना गुप्ता (Neena Gupta) की जिंदगी में ऐसा वक्त भी आया था, जब फिल्मकारों ने उन्हे तवज्जो देनी बंद कर दी थी. तब नीना गुप्ता (Neena Gupta) ने इंस्टाग्राम पर लिखा था कि मैं अभी भी अच्छी अभिनेत्री हूं और मुंबई में ही रहती हूं. नीना गुप्ता (Neena Gupta) की इंस्टाग्राम की इस पोस्ट के बाद उन्हें ‘‘बधाई हो’’(Badhai Ho) सहित कई फिल्में मिली और इन दिनों नीना गुप्ता (Neena Gupta) एक बार पुनः अति व्यस्त हो गयी हैं. इन दिनों वह हितेश केवल्य निर्देशित फिल्म ‘‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’’ (Subh Mangal Zyada Saavdhan) को लेकर चर्चा में हैं. इस फिल्म में नीना गुप्ता ने अपने ‘गे’ बेटे अमन (जीतेंद्र कुमार) की मां सुनयना का किरदार निभाया है.
सवाल- लोग कह रहे हैं कि सोशल मीडिया बहुत डैंजरस है. मगर आपके कैरियर की दूसरी शुरूआत सोशल मीडिया के ही चलते हो पायी. ऐसे में आप क्या कहना चाहेंगी?
-यह भी सच है कि सोशल मीडिया बहुत डैंजरस है, मगर मुझे तो सोशल मीडिया से बहुत फायदा हुआ. अभी भी हो रहा है. पर डैंजरस यूं है कि कई बार हम इमोशन में या गुस्से में कुछ लिख देते हैं, जो कि लोगों को पसंद नहीं आता,फिर हमें नुकसान हो जाता है. कई लोगों को नुकसान हुआ है. मैंने भी कुछ दिन पहले लिखा था कि ‘आई विश फिल्म ‘सांड़ की आंख’ में मुझे लिया गया होता.’तो इससे मुझे बहुत नुकसान हुआ. बात कहां की कहां फैल गयी. मैंने तो बस यूं ही लिखा था. इसलिए सोशल मीडिया का उपयोग बहुत सोच समझकर करना चाहिए.
सवाल- सोशल मीडिया पर किसी को भी ट्रोल करने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है?
-यह आसान काम है. बस मोबाइल पर कुछ टाइप ही तो करना है. मेरी राय में हर किसी को सोशल मीडिया पर काफी सोच समझकर लिखना चाहिए. यदि मुझे ट्वीटर या फेसबुक या इंस्टाग्राम सूट नहीं कर रहा है, तो उससे दूरी बना लेनी चाहिए. यदि मुझे लगता है कि मेरा गुस्सा और मेरा इमोशन मेरे कंट्रोल में नही है, तो फिर सोशल मीडिया पर मत जाओ. यदि आप बैंलेंस कर सकते हो, तो लिखें. बेवजह किसी का विरोध करना या गाली देना उचित नही.
सवाल- लेकिन सोशल मीडिया के चलते निर्माता व निर्देशक ‘इंस्टाग्राम’ पर कलाकार के फॉलोअर्स की संख्या के आधार पर कलाकारों को काम देने लगे हैं. क्या यह सही तरीका है?
-मैं ऐसा नही मानती. इंस्टाग्राम के आधार पर फिल्म में किरदार नहीं मिलते हैं. इसके आधार पर कलाकार को ‘एड’मिलते हैं. आपको गिफ्ट मिलते हैं. आपको फ्री घूमने का मौका मिलता है. गिफ्ट वाउचर मिलते हैं. आपको फ्री एयर टिकट मिलता है.
सवाल- आप सोशल मीडिया पर क्या लिखना पसंद करती हैं?
-मैं तो बहुत कुछ लिखना पसंद करती हूं, लेकिन कई बार चाहकर भी चुप रह जाती हूं. सोशल मीडिया का मिजाज समझ नहीं पा रही हूं. मैं यदि फ्राक में अपनी तस्वीर इंस्टाग्राम पर पोस्ट करती हूं, तो इतने लाइक्स मिल जाते हैं कि क्या कहूं. मगर जब मैने ढंकी हुई तस्वीर डाली, तो कोई उसे देखना नहीं चाहता. इसके बावजूद मैने एक सीरीज लिखनी शुरू की थी, जो कि कुछ समय से बंद है, फिर शुरू करने की सोच रही हूं. मैने सीरीज शुरू की थी- ‘‘सच कहॅूं तो..’’. इसके अंतर्गत मैं तीन चार मिनट फैशन, फिटनेस सहित विविध विषयों पर बोलती थी, पर इसमें कोई उपदेश नहीं देती थी. यह लोगों को बहुत पसंद आता था. इसका रिस्पॉंस अच्छा है. मुझे लगता है कि मुझे यह सीरीज लोगों को लगातार देते रहना चाहिए. लोगों को मेरी इस सीरीज का बेसब्री से इंतजार है. जल्द शुरू करने वाली हूं. मसलन इस सीरीज में एक दिन मैने कहा कि मुझे आज भी पटरे पर बैठकर बालती में पानी भरकर स्नान करना पसंद है. इसी तरह की चीजों पर बात करती रहती हूं.
सवाल- फिल्म ‘‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’’ में भी आप मां के ही किरदार में हैं?
-उपरी सतह पर वह मां नजर आती है. मगर यह आधुनिक मां है, जो कि पूरे परिवार को लेकर चलती है. ‘बधाई हो’ के बाद यह कमाल की स्क्रिप्ट मुझे मिली है. जब इस फिल्म के लेखक व निर्देशक हितेश केवल्य ने मुझे स्क्रिप्ट सुनायी, तो मुझे स्क्रिप्ट इतनी पसंद आ गयी कि मैने कह दिया कि मुझे अभी की अभी यह फिल्म करनी है. यह कमाल की स्क्रिप्ट है. जब मैने स्क्रिप्ट सुनी, तो मुझे लगा कि यह स्क्रिप्ट हंसते खेलते बहुत बड़ी यानी कि होमोसेक्सुआलिटी पर बात कह रही है. धमाल फिल्म है, पर बहुत गंभीर बात कह रही है. मेरा एक एक संवाद मीटर में बंधा हुआ है. फिल्म ‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’ में कई किरदार हैं और हर किरदार का अपना ग्राफ है, हर किरदार की अहमियत है.
सवाल- फिल्म के अपने किरदार पर रोशनी डालना चाहेंगी?
-मैंने इसमें अमन त्रिपाठी (जीतेंद्र कुमार) और गौगल त्रिपाठी (मानवी गगरू ) की मां सुनयना त्रिपाठी का किरदार निभाया है. बहुत फनी है. पति के हिसाब से चलती है, तो वहीं वह अपनी बात भी कहती है. परिवार में सामंजस्य बैठाकर रखने का प्रयास करती है. मगर डफर नहीं है. सुनयना डोमीनेटिंग या बेचारी मां नही है, बल्कि कुछ अलग किस्म की है. अंततः वह अपने बेटे के साथ ही खड़ी नजर आती है.
सवाल- बतौर निर्देशक हितेश केवल्य की यह पहली फिल्म है.उनके साथ काम करने के आपके अनुभव क्या रहे?
-इस फिल्म के वह लेखक भी हैं, इसलिए सेट पर निर्देशन के दौरान वह आवश्यक बदलाव कर लेते थे. अगर सेट पर किसी कलाकार ने कुछ कहा तो वह उसकी बात पर गौर करते थे. उनका सेंस औफ ह्यूमर बहुत अच्छा व बहुत कमाल का है.
एक दिन मेरा एक सीन कहीं खत्म नहीं हो रहा था, मतलब मुझसे नहीं हो रहा था. हर सीन का एक सुर होता है, तो वह सुर बैठ नहीं रहा था, हितेश ने देखा और उसे तुरंत ऐसा इंप्रूव कर दिया कि मैं उनकी प्रतिभा की कायल हो गयी. बतौर निर्देशक उन्हे पता रहता था कि उन्हें क्या चाहिए.
सवाल- ‘म्यूजिक टीचर’ सही ढंग से प्रदर्शित भी नहीं हुई? इसे डिजिटल पर दे दिया गया.
-जी हॉ! अब फिल्म बनाना आसान हो गया है, पर उसे रिलीज कर पाना कठिन हो गया है. फिल्म रिलीज करने के लिए बहुत बड़ी रकम खर्च करनी पड़ती है. आपको याद होगा कि रमेश सिप्पी को भी अपनी फिल्म ‘‘शिमला मिर्च’’को डिजिटल पर ही रिलीज करना पड़ा. शायद अब हमारी फिल्म ‘‘ग्वालियर’’ भी डिजिटल प्लेटफार्म यानी कि ‘नेटफ्लिक्स’ पर आने वाली है. अब सिर्फ बड़ी कंपनियां ही अपनी फिल्में ठीक से रिलीज कर सकती हैं. एक बात यह थी कि ‘म्यूजिक टीचर’ में बड़े स्टार नहीं थे. मार्केटिंग में कई चीजे होती हैं. मैं तो यह भी मानती हूं कि फिल्म ‘‘बधाई हो’’ में यदि आयुश्मान खुराना और सान्या न होती तो फिल्म को सफलता न मिलती. नीना गुप्ता और गजराज राव को परदे पर देखने कोई नहीं आता.
सवाल- फिल्म‘‘ग्वालियर’’भी अब अमैजॉन यानी कि डिजिटल पर आएगी.मगर आपने इस फिल्म में अभिनय यह सोचकर किया था कि यह फिल्म ‘‘थिएटर’’में रिलीज होगी.पर अब यह थिएटर में नहीं हो रही है.तो बतौर कलाकार कितनी तकलीफ होती है?
-कम से कम यह प्रदर्शित हो रही हैं.पर उन फिल्मों की सोचिए,जो बिलकुल प्रदर्शित नहीं होती.अब मुझे लगता है कि मैं उन फिल्मों से दूर ही रहूं, जो रिलीज नही होती.जब फिल्म रिलीज नही होती,तो बहुत तकलीफ होती है.क्योंकि मेहनत उतनी ही जाती है. फिल्म ‘‘ग्वालियर’’ की शूटिंग करने से आप समझ लें कि मेरी जिंदगी के पांच साल कम हो गए होंगे. क्योंकि 45 डिग्री के तापमान में हम लोग रिक्शा में शूटिंग करते थे. सुविधाएं भी नहीं थी. क्योंकि यह छोटी फिल्म थी. मेरे पूरे शरीर में रैशेज हो गए थे. खुजलाते हुए मैं सीन करती थी. मैं बहुत कठिन समय से गुजरी थी. पर मुझे करने में मजा आया. अच्छा भी लगा. कोई शिकायत नहीं है. फिल्म ‘ग्वालियर’ पति पत्नी की एक बेहतरीन कहानी है, जिसमें मेरे साथ संजय मिश्रा है. मगर ऐसे में आप यह उम्मीद करते हैं कि फिल्म बहुत अच्छे से ढंग से रिलीज हो और ज्यादा से ज्यादा लोग देखें, लेकिन नेटफ्लिक्स और अमैजॉन के दर्शक काफी हैं. इसलिए अब मुझे इतना बुरा नहीं लगता,पर जो फिल्में बिल्कुल रिलीज नहीं होती, उस पर बुरा लगता है.
सवाल- आप एक सीरियल लिख रही थीं, जिसका निर्माण व निर्देशन करना चाहती थी. उसकी क्या प्रगति है?
-आप ‘सांस 2’ की बात कर रहे हैं. उस पर काम चल रहा है पर अब मैं इसे ‘स्टार प्लस’ के लिए नहीं कर रही हूं. पहले ‘स्टार प्लस’ के लिए किया था. अब मैं किसी अन्य चैनल के लिए कर रही हूं. इस बार मैं इसे पूर्णेन्दु शेखर के साथ मिलकर लिख रही हूं.
स्टूडियो और कारपोरेट कंपनियों के आने से सिनेमा या टीवी को फायदा हुआ है या नुकसान हुआ है?
-टीवी को तो नुकसान हुआ है पर फिल्मों को फायदा हुआ है. टीवी को बहुत नुकसान हुआ है. डिजिटल प्लेटफार्म से फायदा हुआ है. डिजिटल प्लेटफॉर्म पर छोटे छोटे लोग अच्छे कंटेंट को लेकर काम कर रहे हैं. डिजिटल प्लेटफार्म के चलते अब हमें 100 करोड़ की फिल्म बनाने की बाध्यता नही रही. अब 5 करोड़ की भी फिल्म बनाएंगे, तो भी दर्शको तक पहुंच जाएगी. हर किसी को अपने टैलेंट के साथ अपनी बात कहने का मौका मिला रहा है. लोगों के लिए यह बहुत अच्छी बात है. मैंने खुद भी दो लघु फिल्में की हैं.एक लघु फिल्म ‘‘पिन्नी’’का निर्देशन ताहिरा खुराना कश्यप ने किया है, जिसकी निर्माता गुनीत मोंगा हैं. मेरी एक लघु फिल्म ‘एडीशन सिंधी’ अभी ‘मिफ’ में दिखायी गयी है. ‘पिन्नी’ बहुत अच्छी फिल्म है, मुझ पर आधारित है.
सवाल- टैलेंट और पीआर दो अलग-अलग चीजें होती हैं.इस वक्त पीआर बहुत ज्यादा हावी हो गया है.तो आपको नहीं लगता कि टैलेंट की कद्र बहुत कम हो रही है?
– टैलेंट की कद्र तो हमेशा से कम थी. कम से कम अब पीआर की वजह से थोड़ी सी बेहतर हो रही है.
‘‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’’के बाद कहां नजर आएंगी?
-‘अमैजॉन’पर मार्च माह में एक आठ एपीसोड का वेब शो ‘‘पंचायत’’ आएगा. इसमें मेरे साथ रघुवीर यादव और जीतेंद्र कुमार हैं. मुझे लगता है कि इस साल के अंत तक औस्कर मे नोमीनेट हुई फिल्म‘‘द लास्ट कलर’’भी प्रदर्शित हो ही जाएगी.मार्च अप्रैल में ही ‘‘नेटफ्लिक्स’’पर एक अति रोमांचक वेब सीरीज‘‘मासाबा मासाबा’’आएगी.यह वेब सीरीज मसाबा के जीवन पर है. मासाबा ने खुद एक्टिंग की है. मैंने इसमें उसकी मां का किरदार निभाया है.यह भी बहुत कमाल की बनी है.इसका निर्माण अश्विनी यार्डी तथा निर्देशन ‘खुजली फेम सोनम नायर ने किया.
-‘83’में मैंने ‘पंगा’से भी छोटा रोल किया है, इसलिए इसका नाम नहीं लेती. इसमें मैं क्रिकेटर कपिल शर्मा(रणवीर सिंह)की मां का किरदार कर रही हूं.अब उसकी मां लंदन गई नहीं थी.सिर्फ एक दिन मैंने शूटिंग की.पर एक दिन में भी मुझे बड़ी तृप्ति हो गई.कुल आठ बार पोशाक बदली है.
बौलीवुड अभिनेता आयुष्मान खुराना ने अपनी पत्नी ताहिरा कश्यप को बहुत ही प्यारे अंदाज़ में जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं. आयुष्मान ने अपने इंस्टाग्राम पर अपनी पत्नी ताहिरा के लिए उनके जन्मदिन पर एक बहुत इमोशनल पोस्ट फोटो के साथ शेयर किया. आइए आपको दिखाते हैं ऐसे किया आयुष्मान ने अपनी वाइफ को बर्थडे विश…
ताहिरा के लिए लिखा इमोशनल मैसेज
आयुष्मान ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर लिखा, “ताहिरा का अर्थ है शुद्ध और गुणी. यही तुम हो. यह तुम्हारा मुंबई में और मेरे जीवन में पहला साल था. संतोष, हमारा पहला हाउस हेल्प छुट्टी पर गया हुआ था और हमने अपना पूरा दिन घर की सफाई में लगा दिया था. तुम आई और दुनिया बदल गयी मेरी. ”उन्होंने यह नोट ताहिरा की फोटो के साथ लिखा जिसमें वो व्हाइट कलर की ड्रेस पहने हुए हैं. इसी के साथ आयुष्मान ने एक और पोस्ट शेयर किया कि ताहिरा ने ‘जीवन और प्रेम’ के प्रति उनका दृष्टिकोण बदल दिया है. उन्होंने कहा, “ताहिरा का मतलब है शुद्ध और गुणी. यही तुम हो. हैप्पी बर्थडे love”.
यह पहली बार नहीं है जब आयुष्मान ने इस अंदाज़ में अपनी पत्नी ताहिरा हो बर्थडे विश किया है .पिछले साल भी आयुष्मान ने अपनी पत्नी ताहिरा को एक अनोखे अंदाज़ में बर्थडे विश किया था. दरअसल 2018 में ताहिरा के ब्रैस्ट कैंसर होने की खबर सामने आई थी.ताहिरा ने कैंसर से जंग जीत ली थी. पिछले साल आयुष्मान ने अपनी पत्नी ताहिरा को सोशल मीडिया पर उनकी 2 फोटोज पोस्ट करते हुए विश किया था. आयुष्मान ने ताहिरा की 2 तस्वीरें पोस्ट की थी जिनमे वो बिना बालो के नज़र आ रही थी. इन फोटोज के साथ उन्होंने बहुत खूबसूरत कैप्शन भी दिया था. उन्होंने लिखा था “हैप्पी बर्थडे love. हमेशा प्रेरित करती रहो.”
2017 में एक इंटरव्यू के दौरान आयुष्मान ने खुलासा किया था, “जब मेरी शादी हुई, तो मेरे पास पैसे नहीं थे. ताहिरा काफी लम्बे समय से प्रोफेशनल रूप में मुझसे बेहतर काम कर रही हैं. वह एक रौकस्टार है. वह एक प्रोफेसर थी, चंडीगढ़ में उसकी पीआर फर्म थी. वह पंजाब के एक रेडियो स्टेशन की प्रोग्रामिंग हेड भी थीं.
आयुष्मान ने ये भी कहा कि ताहिरा ने एक बड़ा साहसिक कदम उठाया जब उन्होंने उनके संघर्ष के दिनों में उनसे शादी करने का फैसला किया. उन्होंने आगे कहा, “उसने हर संभव तरीके से मेरा समर्थन किया. मैं एक संघर्षशील अभिनेता था, जो अक्सर एक जुआ की तरह होता है लेकिन हमारे बीच कभी कोई अहंकार नहीं था. जब प्यार होता है, तो अहंकार की कोई गुंजाइश नहीं होती ” कोई आश्चर्य नहीं कि आयुष्मान और उनकी पत्नी ताहिरा के बीच का संबंध अटूट है.
ताहिरा के जन्मदिन के समारोहों की बात करें तो, उन्होंने एक पार्टी रखी थी, जिसमें ट्विंकल खन्ना, यामी गौतम, सोनाली बेंद्रे और राजकुमारी राव जैसी हस्तियां शामिल हुई. अपने जन्मदिन की पार्टी से कुछ तस्वीरें साझा करते हुए ताहिरा ने अपने प्रशंसकों का शुक्रिया भी अदा किया.
हम आपको बता दें की ताहिरा और आयुष्मान सन 2008 में शादी के बंधन में बांध गए थे .उनके दो बच्चे है बेटे विराजवीर और बेटी वरुष्का.