पहले तलाक को शर्मनाक समझते थे लोग – पूजा चोपड़ा

मिस वर्ल्ड 2009 में सेमी फाइनलिस्ट की लिस्ट में पहुंचकर पहली भारतीय महिला का ख़िताब ‘ब्यूटी विथ ए पर्पज’ जितने वाली पूजा चोपड़ा पुणे की है. सिंगल मदर और ग्रैंडमदर के साथ रहकर बड़ी हुई पूजा को हमेशा से ही कुछ अलग करने की चाहत रही है, जिसमें साथ दिया उनकी मां नीरा चोपड़ा ने. पूजा को अपना बचपन हमेशा याद आता है, जब उसके पिता ने उसकी मां को इसलिए छोड़ दिया, क्योंकि उसने पूजा को जन्म दिया है, बेटे को नहीं. आज पूजा खुश है और अपनी कामयाबी को अपनी मां और बहन के साथ बांटना पसंद करती है. मिस इंडिया बनने के बाद उसने दक्षिण की कई फिल्मों और हिंदी फिल्मों में काम किया है. अभी उसकी फिल्म ‘बबलू बैचलर’ रिलीज पर है. पेश है उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश.

सवाल- इस फिल्म को करने की खास वजह क्या रही?

मुझे हमेशा से स्क्रिप्ट ही आकर्षित करती रही . मैंने कभी अपने चरित्र कि लेंथ नहीं देखी है. मैं अच्छी कहानी की एक हिस्सा बनना पसंद करती हूं. ये चाहे बड़ी हो या छोटी मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता. इस फिल्म में मेरी भूमिका एक पत्रकार अवंतिका की है, जो बहुत महत्वाकांक्षी है और अपने कैरियर को आगे बढाने के लिए मुंबई जाना चाहती है. इसके लिए किसी का प्यार भी उतना माइने नहीं रखता, जितना वह अपने कैरियर को लेकर जागरूक है. इस आत्मविश्वास को दिखाने की कोशिश की गयी है, जो आज के परिवेश में लागू होती है.

सवाल- अभिनय में आना इत्तफाक था या बचपन से ही आना चाहती थी?

मैं साल 2009 में मिस वर्ल्ड में जाने के बाद वहां स्टेज पर मेरे एक पैर का फ्रैक्चर हो गया, इसके बाद मुझे कुछ दिनों तक रेस्ट में रहना पड़ा, इसके बाद मैंने दक्षिण की फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया. इस दौरान मुझे हिंदी फिल्म ‘कमांडो’ मिली जिसमें लोगों ने मेरे काम की काफी सराहना की. इससे पहले मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं अभिनय करुँगी. मैं स्कूल कॉलेज मैंने पढ़ते हुए आई ए एस ऑफिसर बनना चाहती थी. मेरे परिवार में किसी का भी फ़िल्मी दुनिया से कोई सम्बन्ध नहीं था. किसी को भी इस क्षेत्र के बारें में कोई जानकारी नहीं थी, लेकिन मुझे मिस इंडिया के बाद फिल्मों के काफी ऑफर मिल रहे थे, इसलिए मैंने उस दिशा में कुछ करने की सोची. कमांडो फिल्म मेरे लिए गेम चेंजर साबित हुई. इसके बाद मुझे इस दिशा में काम करने की प्रेरणा जगी. मुझे आज भी अगर स्क्रिप्ट पसंद नहीं आती, तो मैं बिना सोचे मना कर देती हूं और तब मैं जिम जाना, डांस की प्रैक्टिस करना आदि करती रहती हूं.

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सवाल- अभी किस तरह की संघर्ष या चुनौती आपके साथ रहता है?

इंडस्ट्री के बच्चों के लिए हर कोई मामा या चाचा आपके आसपास रहते है, जो उनके लिए लगातार अच्छी स्क्रिप्ट की सप्लाई करते रहते है. हमारे लिए एक बड़ी और अच्छी प्रोजेक्ट का मिलना बहुत मुश्किल होता है, साथ ही लोग हमें जाने ये साबित करना भी एक चुनौती होती है. एक अच्छा प्रोजेक्ट कामयाबी के लिए काफी नहीं होता. लगातार आपको काम कर दर्शकों के बीच में पहचान बनानी पड़ती है, जो बहुत कठिन और संघर्षपूर्ण होता है. कई बार क्या अच्छा होगा मेरे लिए इसे भी समझना मुश्किल होता है. ये एक लम्बी युद्ध आउटसाइडर के लिए होता है.

सवाल- आपको किस तरह की रिजेक्शन का सामना करना पड़ा?

मैं पार्टी पर्सन नहीं हूं और अगर कोई मुझसे मिलना भी चाहता है तो उसे दिन में ही मिलना मैं पसंद करती हूं. मैं स्पष्टभाषी हूं और कुछ भी गलत होने पर सामने ही कह देना पसंद करती हूं. इसके अलावा मैं कुछ भी गलत दृश्य जो मुझे असहज लगे, नहीं करना चाहती. इससे काम कम अवश्य मिलता है, पर मैं उससे मायूस नहीं होती.

सवाल- परिवार का सहयोग कितना रहा?

मेरी मां ने मुझे हर काम में भरपूर सहयोग दिया है और कभी कुछ करने से मना नहीं किया. उन्हें मुझपर भरोषा है और उसे मैं कभी तोडना नहीं चाहती. मैं जब भी किसी फिल्म की स्क्रिप्ट को चुनती हूं, तो मां को पहले याद करती हूं. उन्होंने मेरी दुनिया बनायीं है. मेरे काम से मां को ख़ुशी मिलनी चाहिए और उसे मैं अवश्य देखती हूं. मैं अपनी दर्द और ख़ुशी दोनों में मां को याद करती हूं. मेरे पिता ने तब मेरी मां को छोड़ दिया था जब मैं बहुत छोटी थी. मेरी मां और दीदी ने मुझे बड़ा किया है. मैंने उनके संघर्ष को देखा है.

सवाल- मी टू का प्रभाव आउटसाइडर कलाकारों के लिए कितना कारगर रहा है?

ये केवल फिल्म इंडस्ट्री ही नहीं, हर फील्ड के लिए कारगर रहा है. मैं रात को किसी पार्टी में जाना पसंद नहीं करती, ताकि किसी को कुछ कहने का मौका ही न मिले.  मेरे हिसाब से जिन पुरुषों ने ऐसा गलत काम किया है, उन्हें इस मूवमेंट से शर्म आने की जरुरत है. इससे उनका स्वभाव कुछ हद तक बदलने की संभावना है.

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सवाल- मिस इंडिया के बाद आपने किस तरह के सामाजिक कार्यों को करना पसंद किया है?

मैंने कॉलेज के समय से ही गरीब बच्चों को मैथ और साइंस पढ़ाने का काम किया है. मेरे पिता ने मां को इसलिए छोड़ दिया था कि मैं लड़की हूं. वे दूसरी गर्ल चाइल्ड नहीं चाहते थे. मैं जब 20 दिन की थी, तब उन्होंने मां को छोड़ दिया था. इसलिए मैंने ‘नन्ही कली’ संस्था को सपोर्ट करना शुरू कर दिया है. जहाँ गर्ल चाइल्ड को शिक्षा दी जाती है. मुझे जो भी अवार्ड मिस इंडिया वर्ल्ड के रूप में मिली, उसे मैंने नन्ही कली संस्था को दे दिया है. उससे 50 हज़ार लड़कियों को शिक्षा मिल रही है.

 

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सवाल- महिला सशक्तिकरण की दिशा में काम होने के बावजूद आज भी महिलाएं हर जगह प्रताड़ित होती है, इसकी वजह क्या मानती है?

केवल लड़कियों को ही नहीं, लड़कों को भी महिलाओं से अच्छे व्यवहार करना सिखाएं. औरतों ने  ही अपने लड़कों को सही शिक्षा नहीं दी है, तभी वे लड़कियों को मारते है. ये बदल रहा है और लड़कियां आत्मनिर्भर हो रही है. वे अपना निर्णय खुद ले पा रही है. पहले डिवोर्स को लोग शर्मनाक समझते थे. मुझे याद आता है, जब मेरे पिता ने मेरी मां को छोड़ दिया था और मैं स्कूल में नहीं कह पाती थी कि मेरी मां डिवोर्सी है. मैं अपने दोस्तों को कहती थी कि वे बाहर गाँव में रहते है. यही बहुत बड़ी बदलाव है.

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