गर्मियों में शिशु की त्वचा के मॉइस्चर का रखें खयाल

जैसे-जैसे सूरज चमकता है वैसे-वैसे तापमान भी बढ़ने लगता है और इसका सीधा असर नन्हेमुन्नों की नाजुक त्वचा पर पड़ता है. गर्मी के मौसम में शिशु की त्वचा को ऐक्स्ट्रा देखभाल और निगरानी की जरूरत होती है क्योंकि गर्मी में त्वचा रूखी और नमी रहित हो सकती है. शिशु को से बचाने के लिए उसकी देखभाल में सबसे महत्त्वपूर्ण त्वचा को मॉइस्चराइज करना है, जिसे अकसर अनदेखा कर दिया जाता है. ज्यादातर पेरैंट्स सिर्फ सर्दियों या फिर जब त्वचा रूखी दिखाई देती है, तब ही शिशु को मॉइस्चराइज करते हैं. हालांकि शिशु की त्वचा को रूखेपन से बचाने, उसमें नमी बनाए रखने और हैल्दी स्किन बैरियर को बनाए रखने के लिए मॉइस्चराइज करना बहुत जरूरी है.

शिशु की त्वचा की सबसे बाहरी परत एक वयस्क व्यक्ति की त्वचा की तुलना में 3 गुना तक पतली होती है, इसलिए शिशु की त्वचा दोगुनी तेजी से नमी खो देती है और खुश्की और गर्मी के कारण होने वाले नुकसान से ज्यादा प्रभावित होती है. इसलिए नवजात शिशु की स्किन को ड्राई करने वाली कड़क गर्मी के दौरान मॉइस्चराइजर की बहुत अधिक जरूरत होती है.

कड़ी धूप और एयर कंडीशनिंग के इस्तेमाल के कारण शिशु की नाजुक त्वचा से प्राकृतिक नमी खो जाती है, जिससे त्वचा खुश्क और खुजलीदार हो जाती है. गर्मियों के दौरान, शिशुओं के लिए स्किन केयर रूटीन के हिस्से के रूप में मॉइस्चराजिंग अहम भूमिका निभाता है क्योंकि यह उनकी त्वचा को नर्म, चिकना और हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है. यह त्वचा में एक ऐसी परत बना देता है जो नमी को लॉक कर देता है और ड्राईनैस को रोक देता है. गर्मी के बावजूद स्किन मॉइस्चराइजिंग होने से भी यह उनकी त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करता है.

गर्मियों के दौरान सही मॉइस्चराइजर कैसे चुनें?

यह सच है कि अपने शिशु के लिए सही मॉइस्चराइजर चुनना बहुत मुश्किल हो सकता है. इसलिए इसे चुनते समय आपको इन पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए:

लंबे समय तक रखें मॉइस्चराइज्ड: अपने शिशु के लिए क्रीम चुनते समय ऐसी क्रीम चुनना सही है जो विशेष रूप से शिशुओं के लिए बनाई गई हो या उन्हें ध्यान में रख कर बनाई गई हो और लंबे समय तक स्किन में नमी बनाए रखने का काम करती हो.

शिशु के लिए सुरक्षित उत्पाद: शिशु की त्वचा की देखभाल के लिए ऐसे उत्पाद चुनें, जिनमें ऐसे तत्व हों, जो पहले दिन से ही शिशु की त्वचा पर इस्तेमाल के लिए सुरक्षित हों. सबसे पहले आप यह बात अच्छी तरह से जान लें कि क्रीम नैचुरल इनग्रीडिएंट्स जैसे कैमोमाइल से युक्त हो और शिशु की त्वचा पर इस्तेमाल होने वाली प्रोडक्ट्स में प्राकृतिक तरीके से प्राप्त ग्लिसरीन हो, साथ ही यह त्वचा पर सूजन न लाए.

इसके अलावा ये प्रोडक्ट त्वचा की जलन को रोकते हों और आराम देते हों. ये शिशु की त्वचा को विशेष रूप से गर्मियों के दौरान ड्राईनैस से बचाने के लिए बैस्ट हों.

मॉइस्चराइजर या लोशन का इस्तेमाल करते समय ऐसे प्रोडक्ट्स की तलाश करने की सलाह दी जाती है, जिनमें नारियल तेल, दूध, प्रोटीन और चावल के अर्क जैसे तत्व हों क्योंकि वे अपने पोषक गुणों के लिए जाने जाते हैं.

वाटर बेस्ड, हल्का और चिपचिपा न हो: गर्मी के मौसम में शिशु की त्वचा को हाइड्रेट रखने में मदद करने के लिए वाटर बेस्ड हल्का लोशन या क्रीम ही चुनें क्योंकि यह बिना किसी चिकनाई के जल्दी स्किन में ऑब्सर्व हो जाती है, जिससे यह रोजाना इस्तेमाल के लिए बैस्ट होती है.

कोई हानिकारक कैमिकल न हो: हमेशा यह जांचें कि शिशु की त्वचा पर इस्तेमाल किए जाने वाले प्रोडक्ट में पैराबेंस, सल्फेट्स, फथलेट्स और ड्राई न हो. इनके बजाय ऐसे प्रोडक्ट्स चुनें, जिन्हें हाइपोएलर्जेनिक के रूप में लेबल किया गया हो क्योंकि इनसे ऐलर्जी होने के चांस कम होते हैं.

इस गर्मी में अपने बच्चे की त्वचा को कोमल, मुलायम और सॉफ्ट बनाए रखने के लिए उसे मॉइस्चराइज करना न भूलें.

 

बेबी स्किन केयर स्मार्ट टिप्स

साक्षी उस दिन स्कूल से रोती हुई घर लौटी. मां ने वजह पूछी तो 8 साल की साक्षी रोते हुए बोली, ‘‘मां मैं क्या भालू की बेटी हूं? तुम मु?ो चिडि़याघर से लाई थीं?’’

‘‘नहीं मेरी प्यारी गुडि़या… तुम मेरी बेटी हो… किस ने कहा कि तुम भालू की बेटी हो?’’ मां ने बच्ची के आंसू पोछते हुए पूछा.

‘‘सब बोलते हैं. आज तो हिंदी की टीचर ने भी बोला कि मैं भालू जैसी दिखती हूं,’’ साक्षी सुबकते हुए बोली.

‘‘क्यों? ऐसा क्यों बोली वे?’’

‘‘मेरे हाथपैर पर इतने बाल जो हैं. सब को मैं भालू लगती हूं,’’ साक्षी मां के सामने अपने दोनों हाथ फैलाते हुए बोली.

मां साक्षी की बात सुन कर परेशान हो गई. दरअसल, साक्षी के पूरे शरीर और चेहरे पर घने रोएं हैं. इस के कारण उस का रंग भी दबा हुआ है. अब इतनी कम उम्र में उसे पार्लर ले जा कर वैक्सिंग भी नहीं करवा सकते हैं. साक्षी पढ़ने में अच्छी है. डांस और ऐक्टिंग भी बढि़या करती है, मगर स्कूल के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में उसे मौका नहीं मिलता है. अगर टीचर्स डांस बगैरा में ले भी लें तो अच्छा डांस करने के बाद भी उस को पीछे की लाइन में रखा जाता है. वजह है उस का रोयों से भरा चेहरा और हाथपैर. जिन्हें मेकअप में भी छिपाया नहीं जा सकता.

1- शरीर मजबूत और साफ होता है

दरअसल, साक्षी के पैदा होने के बाद उस के शरीर की जो मालिश होनी चाहिए थी वह कभी हुई नहीं. अकसर नवजातों के शरीर पर जन्म से ही कुछ रोएं होते हैं जो लगातार मालिश से साल 6 महीने में साफ हो जाते हैं. अकसर देखा होगा कि गांवदेहात की महिलाएं अपने नवजातों को अपने पैरों पर लिटा कर सरसों के तेल, हलदी और बेसन के उबटन से उन की मालिश करती हैं.

शहरी मांएं कई तरह के बेबी औयल से अपने उन की मालिश करती हैं जिस से बच्चों का शरीर मजबूत और साफ होता है. मालिश से उन के शरीर में रक्तसंचार भी बढि़या होता है और ऊर्जा प्राप्त होती है. मगर साक्षी के जन्म के बाद उस की मां को पैरालिसिस का अटैक पड़ा और वे करीब 2 साल बिस्तर पर रहीं. उन का आधा शरीर लकवाग्रस्त हो गया. लंबे इलाज और थेरैपी के बाद अब वे चलनेफिरने के काबिल हुई हैं.

जन्म के बाद से करीब 4 साल तक साक्षी अपनी नानी के पास रही. नानी काफी बुजुर्ग थीं. लिहाजा साक्षी की उस तरह अच्छी देखभाल नहीं हो पाई जो आमतौर पर नवजातों की होती है. उस के शरीर की कभी ठीक से मालिश भी नहीं हुई. यही वजह है कि उस के शरीर पर जन्म के समय जो बाल थे वे उम्र बढ़ने के साथ ज्यादा घने और कड़े हो गए और अब उसे भद्दा बनाते हैं.

2- बच्चों का सही विकास

शिशुओं के शरीर की मालिश कई वजहों से बहुत जरूरी होती है. मालिश से न केवल अनचाहे बालों से शरीर मुक्त होता है बल्कि इस से हड्डियों को मजबूती मिलती है और पूरे शरीर में बढि़या रक्तसंचार होने से बच्चे का ठीक तरीके से विकास होता है.

शिशुओं की त्वचा फूल जैसी कोमल होती है और इसीलिए उन की त्वचा को खास देखभाल की जरूरत होती है. यहां पर यह सम?ाना भी जरूरी है कि शिशुओं की त्वचा की देखभाल का मतलब सिर्फ उन के चेहरे की त्वचा की देखभाल करने तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह पूरे शरीर की त्वचा की देखभाल करने से जुड़ा है.

बच्चे में मालिश की आवश्यकता को देखते हुए बाजार में तरहतरह के बेबी केयर प्रोडक्ट्स मौजूद हैं. मालिश के लिए इन प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल आज शहरी मांएं ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों की मांएं भी खूब करने लगी हैं.

3- प्रोडक्ट्स खरीदने से पहले

मगर अपने बच्चे की नाजुक त्वचा के लिए प्रोडक्ट खरीदने से पहले जानकारी प्राप्त करना और सावधानी बरतनी बहुत जरूरी है.

इन प्रोडक्ट्स में अनेक प्रकार के रसायन, खुशबू वाली चीजें, कपड़ों को रंगने में इस्तेमाल होने वाले पदार्थ, डिटर्जैंट या कोई अन्य शिशु उत्पाद, नवजात की सेहत के साथसाथ उस की त्वचा

में दाग, चकत्ते, दरदरापन, जलन और खुशकी पैदा कर सकते हैं, इसलिए यह जानना बहुत जरूरी है कि बेबी स्किन केयर प्रोडक्ट्स का चुनाव करते समय किन बातों का ध्यान रखा जाए.

आमतौर पर शिशु के शरीर की देखभाल के लिए जिन चीजों का सब से ज्यादा जरूरत होती है वे हैं- बेबी क्रीम, शैंपू, बेबी सोप, हेयर औयल, मसाज औयल, पाउडर और शिशु को पहनाए जाने वाले कपड़े.

शिशुओं की स्किन बहुत नाजुक होती है. अगर उन की स्किन केयर में जरा भी लापरवाही हुई तो स्किन पर रैशज और दानें निकल आते हैं. इन की जलन से शिशु असहज महसूस करते हैं और रातदिन रोते हैं. ऐसे में अगर आप पहली बार पेरैंट्स बने हैं तो आप को अपने बच्चे की स्किन का खास खयाल रखना सीखना जरूरी है.

4- मां के लिए जानना जरूरी

जन्म के बाद शुरुआती समय में बच्चे की स्किन और बालों में लगातार बदलाव आता है. न्यू बौर्न बेबीज के शरीर से कई दिनों तक सफेद रंग की पपड़ी निकलती है जोकि एक नौर्मल प्रक्रिया है. इसे वेरनिक्स कहा जाता है. हलके हाथों से बच्चे के शरीर की तेल मालिश से यह पपड़ी पूरी तरह हट जाती है, साथ ही अनावश्यक बाल भी निकल जाते हैं.

पर कुछ लोग इसे जल्दी हटाने के लिए बच्चे को अत्यधिक रगड़ कर नहलाने या स्क्रब करने की कोशिश करते हैं जो सही तरीका नहीं है. शिशुओं की स्किन केयर के लिए हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं, यह जानना एक नई मां के लिए बहुत जरूरी है.

5- त्वचा को पोषण दें

शिशु की त्वचा को पोषण की जरूरत होती है. इस के लिए दिन में 2 समय उस की मालिश कर सकती हैं. मालिश के लिए कोई भी असली तेल जैसे नारियल का तेल, बादाम तेल, औलिव औयल आदि ले सकती हैं. ध्यान रहे कि बेबी औयल के नाम से बिकने वाले उन तेलों से दूर रहें जिन में तेज खुशबू, तेज रंग और कैमिकल्स होते हैं.

6- माइल्ड साबुन करें इस्तेमाल

शिशु की त्वचा पर कैमिकल वाले प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करने से सूखेपन या रैशेज की समस्या हो जाती है इसलिए बाल और स्किन के लिए हमेशा माइल्ड शैंपू और साबुन का इस्तेमाल करना चाहिए.

7- ज्यादा पाउडर न लगाएं

शिशु की त्वचा पर पाउडर का कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए. नहलाने के बाद त्वचा को अच्छी तरह से सूती मुलायम कपड़े से सुखाएं और उस के बाद ही पाउडर लगाएं. ध्यान रहे पाउडर अच्छी कंपनी का और ऐसा लें जिस में ज्यादा खुशबू न हो. जरूरत न होने पर पाउडर का इस्तेमाल न करें.

8- धुले कपड़े पहनाएं

बच्चे को कपड़े हमेशा धुले हुए ही पहनाएं. गंदे कपड़ों से त्वचा पर रैशेज, रूखापन, खुजली या अन्य कोई समस्या हो सकती है.

9- नाखूनों को रखें साफ

शिशुओं के नाखून तेजी से बढ़ते हैं और अगर इन्हें न काटा जाए तो उन के चेहरे पर चोट लग सकती है.

10- कौटन नैपी पहनाएं

डायपर के इस्तेमाल से बच्चे को रैशेज की समस्या होती है और गीला होने के कारण बच्चे को खुजली, रैशेज और रैडनैस की समस्या हो सकती है. ऐसे में बच्चे को कम डायपर पहनाएं और बेहतर होगा कि कौटन का नैपी ही पहनाएं.

11- अंधविश्वासी टोटकों से बचें

बच्चों की त्वचा बहुत कोमल होती है. उन पर व्यर्थ में काजल, सिंदूर, हलदी, चंदन आदि न लगाएं. इन उत्पादों में न जाने किसकिस तरह के कैमिकल्स मिले हो सकते हैं.

12- सनबर्न से बचाएं

कभी अपने बच्चे को तेज धूप में डाइरैक्ट न रखें. शिशुओं के लिए सुबह की धूप सब से अच्छी होती है. अगर शिशु की स्किन पर रैश आ या लाल चकत्ते हो रहे हैं तो उसे तुरंत डाक्टर को दिखाएं. यह ऐलर्जी भी हो सकती है.

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