सर्दियों में बच्चे की त्वचा रखना चाहती हैं Soft, तो बड़े काम के हैं ये सुझाव

9 महीने तक एक मां के गर्भ में रहने के बाद, एक नवजात शिशु का बाहरी दुनिया में ख़ुशी और पूरे दिल से स्वागत किया जाता है. एक नवजात शिशु की स्किन और आंखें बहुत नाजुक और संवेदनशील होती हैं, नए वातावरण में आने के बाद, शिशु को रिएक्शंस और एलर्जी का खतरा हो जाता है. इसमें कोई आश्चर्य नहीं, कि शिशु की स्किन को अत्यधिक देखभाल की आवश्यकता होती है.

अपने बच्चे की कोमल स्किन और कोमल गालों पर आप सर्दियों के महीनों में कुछ रूखापन देख सकते हैं. सर्दियों के महीनों में हवा बहुत खुश्क हो जाती है, यह अक्सर स्किन की नमी को नुकसान पहुंचा सकती है, विशेष रूप से बच्चे की स्किन पर.

सभी शिशुओं की स्किन बहुत नाजुक और कोमल होती है, और बड़ो की तुलना में अधिक संवेदनशील है. इसलिए, शिशु की स्किन को उन प्रोडक्ट्स के साथ सुरक्षित करने की आवश्यकता है जो कोमल स्किन पर रूखेपन को रोक सकते हैं. कुछ सरल विंटर केयर टिप्स के साथ, नए माता-पिता अपने शिशु के साथ किसी भी चिंता के बिना सर्दियों के मौसम का आनंद ले सकते हैं.

मॉइस्चराइजेशन पहली चीज है जो हमारे दिमाग में आती है जब हम रूखी स्किन के बारे में बात करते हैं, पर हम अक्सर उन प्रोडक्ट्स को अनदेखा करते हैं जो हम शिशु की स्किन को धोने के लिए उपयोग करते हैं ताकि स्किन की नमी और स्वास्थ्य बना रहे . नीचे कुछ शिशु को नहलाने के लिए सही प्रोडक्ट्स बताये गए है:

बाथिंग जेल –

यह 100% साबुन मुक्त फार्मूला से बनाया गया है जो शिशु की नाजुक स्किन को जेंटली साफ करता है. यह नो टियर्स फार्मूला इस तरह बनाया जाता है की यह शिशु की नाजुक आंखों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा. यह मैरीगोल्ड और ग्लिसरीन जैसी प्राकृतिक चीज़ो से मिलकर बना है और यह हर रोज शिशु की नाजुक स्किन के लिए प्रयोग किया जा सकता है जिससे शिशु की स्किन सॉफ्ट और मॉइस्चरीज़ड बनी रहे.

  • बेबी सोप –

एक साबुन जो हाइड्रेटिंग, सूथिंग और मॉइस्चरीसिंग हो, वो शिशु कि रुखी स्किन में नमी बनाए रखने के लिए सबसे अच्छा है. ग्लिसरीन, एलो-वेरा और ओलिव फ्रूट आयल जैसे नेचुरल तत्वों से बने साबुन एक लम्बे समय तक नमीयुक्त और स्वस्थ स्किन बनाए रखने में सहायक होते है और याद रखें की शिशु की स्किन को रगड़े नहीं, धीरे से धोएं, थपथपाएं और नर्म टॉवल से उनका शरीर पोछें.

  • बॉडी वॉश और शैम्पू –

शिशु के बालों और स्किन की देखभाल करना एक बहुत ही महत्वपूर्ण नियम है और शिशु की स्किन को सही मॉइस्चराइजेशन प्रदान करने के लिए ग्लिसरीन और ओट्स जैसे प्राकृतिक गुणों वाले प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि कभी-कभी शिशु को नहलाने से स्किन की नमी को नुकसान होता है. ओट्स गंदगी और तेल को हटाने के लिए प्राकृतिक कंडीशनर और क्लींजर के रूप में काम करता है और ग्लिसरीन नमी की कमी को रोकता है. ओट्स में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं जो स्किन को मुलायम और नमीयुक्त बनाता है.

शिशु की कोमल स्किन के लिए उन प्रोडक्ट्स को इस्तेमाल में लाएं जो 100% डर्मटोलॉजिकली टेस्टेड हो, पैराबेन मुक्त हो,SLS / SLES, मिनरल आयल, सिलिकॉन , रंग और डाई मुक्त हो.

नए माता-पिता को चाहिए कि वे अपने नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए इन बातो को ध्यान में रखें.
बेबी को का बाथ-टाइम कम रखें – टब में लंबे समय तक शिशु को न बैठाये और स्नान का समय शिशु के लिए सीमित रखें जिससे उसकी स्किन खुश्क और रूखी न हो. अधिक ठंड के दिनो आप एक गर्म वॉशक्लॉथ की मदद से शिशु को क्लीन कर सकती है . स्किन में नमी बनाये रखने के लिए पानी गुनगुना रखें.

सही मॉइस्चराइजर का उपयोग करें-

बहुत रूखी या सेंसिटिव स्किन वाले शिशुओं के लिए, उन प्रोडक्ट्स का प्रयोग करे जिनमें बिना रासायनिक योजक के मॉइस्चराइजिंग गुणों के साथ पानी और रिच आयल दोनों होते हैं. सर्वोत्तम परिणामों के लिए, नहाने के समय के बाद जब आप एक टॉवल के साथ स्किन को पोंछते हैं, तो उसके तुरंत बाद, बच्चे की स्किन को मॉइस्चराइज करें ताकि स्किन इसे अच्छी तरह से सोक कर ले.

हीटर का प्रयोग ज्यादा न करें –

ठंड के मौसम में, आपको अपने घर में हीटर इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है, लेकिन गर्म हवा से स्किन और भी अधिक रूखी हो सकती है इसीलिए हीटर का प्रयोग ज्यादा न करे.

 राजेश वोहरा, चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर, आर्ट्साना ग्रुप, इन एसोसिएशन विथ कीको ऑब्जर्वेटरी से बातचीत पर आधारित

10 बेबी स्किन केयर टिप्स

उस दिन माया बहुत परेशान थी. वह पति और 4 महीने की बच्ची के साथ अपनी कार में मायके जा रही थी. लंबा सफर तय करना था. दिल्ली से मायके यानी इलाहाबाद पहुंचने में 7-8 घंटे लग गए थे. उस पर बारिश का मौसम था. बेटी को ठंड न लग जाए इस

वजह से 2-3 ऐक्स्ट्रा कपड़े भी पहना रखे थे. बेटी आधे रास्ते तो सोती हुई गई, मगर फिर परेशान करने लगी. वह कसमसा रही थी और रोने भी लगी थी. घर पहुंच कर माया ने देखा कि उस की स्किन में कई जगह लाल चकत्ते और दाने से हो गए हैं.

जब माया की मां ने बच्ची को गोद में लिया तो कहने लगीं कि लगता है इसे घमौरियां हो गई हैं. टाइट कपड़ों या नमी वाले मौसम में लंबी यात्रा से छोटे बच्चों में पसीने की वजह से यह प्रौब्लम हो जाती है. उन्होंने तुरंत बच्ची के टाइट कपड़ों को उतार कर ढीले और आरामदायक कपड़े पहनाए और थोड़ा बेबी पाउडर भी लगाया. फिर दूध पिला कर उसे सुला दिया. सुबह जब उठी तो उसे नौर्मल देख कर माया की जान में जान आई.

दरअसल, बच्चे की स्किन वयस्कों की तुलना में 3 गुना ज्यादा सैंसिटिव और कोमल होती है. यही वजह है कि उन की स्किन पर अकसर रैशेज, दाने या ड्राइनैस की समस्या आ जाती है. मां के गर्भ के बाहर आने के बाद बच्चे की स्किन नए वातावरण में खुद को एडजस्ट करने की कोशिश कर रही होती है. इसी वजह से शिशुओं की स्किन को अतिरिक्त देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता होती है.

ऐसे में बेबी की स्किन की केयर करने में कई बातों का खास ध्यान रखना होता है जैसे:

सूरज की रोशनी

जन्म के शुरुआती दिनों में बेबी को डाइरैक्ट सनलाइट में ले कर नहीं आना चाहिए. इस से बच्चों को सनबर्न हो सकता है. अगर आप कहीं बाहर जा रहे हैं और बच्चा लंबे समय तक धूप में रहने वाला है तो उसे पूरी बांह के कपड़े, फुल पैंट पहनाएं और कैप लगाएं, साथ ही बाकी खुले हुए हिस्सों में बेबी सेफ सनस्क्रीन लगाना बेहतर रहेगा.

जब बच्चा बड़ा हो जाए तो उसे कुछ समय के लिए धूप में ले जाया जा सकता है. इस से विटामिन डी मिलता है.

कौटन के कपड़े पहनाएं

बच्चों को गरमी से रैशेज बहुत आसानी से हो जाते हैं क्योंकि उन की स्किन फोल्ड्स में पसीना बहुत ज्यादा आता है. इसलिए बच्चों को जितना हो सके कौटन के कपड़े पहनाने चाहिए. ये सौफ्ट, पसीना सोखने वाले और काफी कंफर्टेबल होते हैं. सिंथैटिक कपड़ों से बच्चों को ऐलर्जिक रिएक्शन हो सकते हैं.

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मसाज जरूरी

यह बहुत जरूरी है कि आप नियमित रूप से बच्चे की मालिश करें. मालिश से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और इस से आप के बच्चे की स्किन बेहतर बनेगी. बच्चों की मालिश के लिए नारियल, सरसों, बादाम या जैतून के तेल को चुन सकती हैं. इस से उन की स्किन को पोषण मिलेगा और स्किन हाइड्रेट और मौइस्चराइज रहेगी.

मालिश से पहले तेल को कुनकुना कर लें. बच्चे की मसाज करते समय इस बात का ध्यान रखें कि कमरे का तापमान 280 सी से 320 सी के बीच होना चाहिए. हलके गरम कमरे में ही बच्चे की मसाज करें और ज्यादा से ज्यादा 5 से 7 मिनट तक ही करें.

साफसफाई पर दें ध्यान

अपने बच्चे को नियमित अंतराल पर वेट वाइप्स से साफ करें. उसे रोजाना नहलाने के बजाए आल्टरनेटिव दिनों में नहलाएं. स्पौंज बाथ ज्यादा दें.

अगर बच्चा बहुत ही छोटा है तो उसे हफ्ते में 3 बार केवल स्पौंज बाथ दें और 4 बार नौर्मल बाथ. स्पौंज बाथ देने के लिए एक स्पौंज या बहुत ही मुलायम कपड़े को कुनकुने पानी में भिगो लें. इस के बाद बहुत ही हलके हाथों से बेबी के पूरे शरीर को पोंछ लें.

नहलाने के लिए एक जैंटल कैमिकल फ्री क्लींजर या बेबी बौडी वाश चुनें जो स्किन को कोमल और स्वस्थ रखने में मदद करता हो. रोजाना सफाई करने से आप के बच्चे को किसी तरह का इन्फैक्शन आदि नहीं होता खासकर जाड़े में अधिक कपड़े पहनने की वजह से पसीने के कारण बच्चे की स्किन के पोर्स बंद हो जाते हैं. नहाने से बंद हुए छिद्रों को खोलने में मदद मिलती है. बौडी के पोर खुलने से बच्चा फ्रैश महसूस करेगा. सर्दियों में बच्चे को 5 मिनट से ज्यादा न नहलाएं.

ज्यादा गरम पानी से न नहलाएं

कई बार माताएं यह गलती करती हैं कि ठंड के मौसम में शिशु को सर्दीजुकाम के खतरे से बचाने के लिए बहुत गरम पानी से नहला देती हैं. मगर याद रखें कि गरम पानी शिशु की स्किन के लिए नुकसानदेह हो सकता है. इसलिए सादे पानी में थोड़ा सा गरम पानी मिला कर शिशु को नहलाएं.

सौफ्ट टौवेल ही यूज करें

नहलाने के बाद बेबी की स्किन को बहुत ही सौफ्ट टौवेल से पोंछ लें. यह जरूर ध्यान रखें कि आप जिस भी टौवेल का यूज करें वह मुलायम होने के साथसाथ साफ भी हो. एक बात का और ध्यान रखना चाहिए कि उस के कपड़े माइल्ड डिटर्जैंट से ही धोने चाहिए. वयस्कों के डिटर्जैंट में कई हानिकारक कैमिकल्स होते हैं जो बच्चे के कपड़ों पर रह सकते हैं. इस से बच्चे की स्किन पर इरिटेशन या रैशेज हो सकते हैं.

स्किन को 2 बार लोशन से मौइस्चराइज करें

नहलाने और स्किन को टौवेल से पोंछने के बाद बच्चे की स्किन को मौइस्चराइज करने की जरूरत होती है. बेबी की स्किन बहुत जल्दी ड्राई हो जाती है. इसलिए उसे लगातार हाइड्रेट रखने की जरूरत होती है. बेबी की स्किन पर दिन में 2 बार मौइस्चराइज, बेबी क्रीम या मिल्क लोशन अप्लाई किया जा सकता है.

एक बार नहाने के तुरंत बाद और दूसरी बार शाम के समय. यहां यह ध्यान रखने की जरूरत है कि मौइस्चराइजर अच्छी क्वालिटी का होना चाहिए. इस में मुख्य रूप से पानी के अलावा प्रोपिलीन ग्लाइकोल होना चाहिए. प्रोपिलीन बच्चे की नाजुक स्किन को मुलायम और नर्म बनाए रखता है.

डायपर रैशेज का रखें ध्यान

छोटे बच्चे को डायपर से जल्दी रैशेज हो जाते हैं क्योंकि उस की स्किन बहुत कोमल और संवेदनशील होती है. इसलिए अपने बच्चे को कस कर या बहुत लंबे समय तक डायपर पहना कर न रखें. डायपर से अगर रैशेज हो भी गए हों तो उसे खुला रहने दें और बेबी पाउडर लगाएं.

इस से बच्चे को आराम मिलेगा. बहुत देर तक उसे गीले डायपर में न रहने दें. रैशेज वाली जगह पर नारियल का तेल भी लगा सकती हैं. यह फंगल इन्फैक्शन होने से रोकता है और बच्चे की स्किन को राहत पहुंचाता है. बच्चे के लिए ऐसे डायपर का चुनाव करें जो सौफ्ट और ज्यादा सोखने वाला हो.

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सही उत्पाद करें इस्तेमाल

शिशु की स्किन बड़ों से बहुत अलग होती है, इसलिए उस की स्किन की जरूरतें भी अलग होती हैं. अगर आप शिशु की स्किन पर बड़ों के लिए इस्तेमाल होने वाले उत्पादों का इस्तेमाल करेंगी तो उस की स्किन को नुकसान पहुंच

सकता है. बाजार में बच्चों के लिए अलग से साबुन, क्रीम, पाउडर और मौइस्चराइजर उपलब्ध होते हैं, जिन का इस्तेमाल आप शिशु के लिए कर सकती हैं.

बच्चे के नाखूनों का भी रखें ध्यान

बच्चे के नाखूनों को छोटा रखना भी जरूरी है. कई बार बच्चा अपने नाखूनों से ही खुद को चोट पहुंचा लेता है, साथ ही इन में मैल भरने से इन्फैक्शन का भी खतरा रहता है क्योंकि बच्चा अकसर अपने हाथों को मुंह में डालता रहता है. बच्चे के नाखून बढ़ते भी बहुत जल्दी हैं. उन्हें काटने के लिए नेल क्लीपर पर का इस्तेमाल करें और बेहद सावधानी से इन्हें काटें.

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Winter Special: सर्दियों में बच्चे की स्किन का ध्यान रखें कुछ ऐसे

जाड़े की कड़ाके की ठण्ड में आदित्य के जन्म के बाद उसके सिर के मध्य भाग में सूखी चमडी जैसे दिखाई पड़ने लगी थी, उसकी माँ उस न्यू बोर्न बेबी को नहलाते समय उसे साफ़ करने की कोशिश करती रही, पर वह निकाल नहीं सकी, उस चमड़े की वजह से उसके केश भी उलझ जाते थे. डॉक्टर से कंसल्ट करने पर पता चला कि ये जाड़े की ठण्ड की वजह से जमा हुआ डेनड्रफ़ है, जिसे शैम्पू से निकाला जा सकेगा और ये कई बार शैम्पू करने के बाद ही धीरे-धीरे निकलेगा. ये सही था, चार-पांच बार शैम्पू करने के बाद स्कैल्प पूरी तरह क्लीन हो गया.

असल में बच्चे की स्किन की देखभाल अलग-अलग मौसम में अलग-अलग तरीके से करनी पड़ती है. सर्दियां शुरू हो चुकी है,इसलिए बच्चे की स्किन की देखभाल में बदलाव करना ज़रूरी है.इस बारें में पुणे की नियोनेटोलॉजी विभागकी प्रोफेसर और प्रमुख डॉ प्रदीप सूर्यवंशी, जो इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (IAP) के सदस्य भी है, उनका कहना है कि सर्दियों में हवा ठंडी और शुष्क होती है,जिससे स्किन भी रुखी हो जाती है. छोटे बच्चों की स्किन बड़ों की तुलना में अधिक नाजुक और संवेदनशील होती है, इसलिए छोटे बच्चों की स्किन की नमी कम होने का खतरा सबसे अधिक होता है.साथ ही बड़ों की स्किन की तुलना में नवजात बच्चे की स्किन 30 प्रतिशत पतली होती है, नमी कम होने की वजह से इसमें नैचुरल नमी पैदा करने वाले तत्वों की कमी हो जाती है. सर्दियों में, छोटे बच्चों में शुष्क स्किन, एलर्जी और खुजली होना यह बहुत आम समस्याएं हैऔर इससे निपटने के लिए माता-पिता को अपने बच्चे के स्किन की देखभाल अत्यंत भावनात्मक तरीके से करने की आवश्यकता होती है.

सर्दियों में छोटे बच्चे की स्किन को कोमल और स्वस्थ रखने में पेरेंट्स की भूमिका मुख्य होती है, कुछ टिप्स निम्न है,

मॉइश्चराइज़ करें,

बच्चे की मालिश करना हो, स्नान कराना हो, या कोई बच्चे के देखभाल की कोई अन्य विकल्प होने पर भी यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि उसके लिए उपयोग किए जाने वाले उत्पादों में मॉइस्चराइज़र हो. विटामिन ई, विटामिन बी5, मिल्क प्रोटीन और चावल का अर्क ये कुछ ऐसे तत्व है, जो गहरा पोषण प्रदान करते है और बच्चे की नाजुक स्किन की रक्षा करते है.

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नहाने का समय करें कम

बच्चे की स्किन की उचित देखभाल के लिए उसे नहलाना बहुत ज़रूरी है, लेकिन सर्दियों में गर्म पानी से, ज्यादा देर तक न नहलाएं, क्योंकि नहाने के दौरान बच्चे की स्किन रूखी हो सकती है. कम से कम समय में, गुनगुने पानी से नहलाने से स्किन से नमी खो जाने की समस्या कम हो जाती है, ध्यान रखें कि पानी, खासकर गर्म पानी के संपर्क में आने से बच्चे की स्किन से नमी निकल जाती है और स्किन सूख जाती है. स्पॉन्ज से नहलाना भी एक विकल्प है. बच्चे की स्किन बहुत नाजुक और संवेदनशील होती है, इसलिए विशेष रूप से बच्चे की स्किन के लिए तैयार किए गए pH (पीएच)संतुलित, हाइपोएलर्जेनिक और चिकित्सकीय रूप से सिद्ध माइल्ड क्लींजर का उपयोग किया जा सकता है. इससे बच्चे की स्किन में मॉइश्चर संतुलन बना रहेगा.

स्किन में नमी बनाए रखना जरुरी

नहलाने या स्पॉन्ज करने के बाद बच्चे की स्किन में पर्याप्त नमी पैदा करने की ज़रूरत होती है. इसके लिए सबसे अच्छा उपाय है कि बच्चे को नहलाने के बाद स्किन थोड़ी गीली होने पर ही मॉइस्चराइजिंग लोशन लगाएं. चावल का अर्क और दूध प्रोटीन जैसे पोषक तत्वों के साथ सही माइल्ड बेबी लोशन बच्चे की स्किन को पोषण देने में मदद करता है. इस प्रकार के घटक वाले लोशन अधिक मॉइस्चराइजिंग होते हैऔर इसमें विटामिन ई, विटामिन बी5 होते है, बच्चे की स्किन में नमी को पूरे दिन भर बनाए रखते है, जिससे बच्चे की स्किन कोमल रहती है.बच्चे की स्किन के लिए लोशन और क्रीम का उपयोग करना सबसे अच्छा होता है, ठंड के मौसम में बच्चों के गाल तुरंत सूख सकते है, इसलिएबच्चे के साथ बातें करते हुए, अपनी उंगलियों को हल्के से गोलाकार घुमाते हुए उसके गालों पर क्रीम लगाने की कोशिश करें. इस तरह बच्चे के गालों की स्किन को रूखेपन से बचाया जा सकता है और उसमें नमी बनाये रखी जा सकती है. बच्चे को बाहर ले जाने से पहले और घर लौटने के बाद मॉइस्चराइज़ करने से स्किन को कोमल और स्वस्थ रखने में मदद मिलती है. अगर घर के भीतर की हवा बहुत शुष्क है, तो आप ह्यूमिडिफायर का भी इस्तेमाल कर सकते है. हवा में नमी बढ़ने से स्किन के रूखेपन को कम करने में मदद मिलेगी.

डायपर की वजह से स्किन पर होने वाले रैशेज से बचाव

बच्चों में डायपर रैशेज हर मौसम में होने वाली समस्या है. यह समस्या सर्दियों में अधिक गंभीर होती है, क्योंकि उस समय बच्चे को ज़्यादा कपड़ें पहनाए जाते हैं, जिससे डायपर को बार-बार बदलना मुश्किल हो जाता है.रैशेज, सूजन या खुजली को रोकने के लिएडायपर वाले स्थानों की स्किन को अल्कोहल फ्री और सोप फ्री वाइप्स से साफ करें, जिसमें मॉइस्चराइजिंग के गुण हो, गीला डायपर लंबे समय तक पहने रहने से संक्रमण और रैशेज  पैदा हो सकते है,इसलिए डायपर को नियमित रूप से बदलते रहना चाहिए.

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स्किन का रूखापन

यदि बच्चे की स्किन पहले से सूखी या संवेदनशील है,तो एक्जिमा जैसी समस्या हो सकती है. ठंड के मौसम से बचाने के लिए विशेष देखभाल की ज़रूरत होती है, क्योंकि सर्दियों में स्किन का सूखापन और एक्जिमा जैसी समस्याएं अधिक गंभीर हो जाती है.IAP की  दिशानिर्देशों के मुताबिक, ये समस्याएं स्किन की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करती है, इसलिए स्किन के प्रतिरक्षा गुणों को बनाए रखने, संक्रमण को रोकने और बच्चे की स्किन को नुकसान से बचाने के लिए मॉइश्चराइज़िंग क्रीम जैसे अमोलिएंट्स का उपयोग करना बहुत महत्वपूर्ण है.

इस प्रकार मॉइश्चराइज़िंग टिप्स का पालन रोज करने पर सर्दियों के कारण बच्चे की स्किन में रूखापन आने की आम समस्या को आसानी से खत्म किया जा सकता है, लेकिन ये सब करने के बाद भी बच्चे की स्किन या उसके स्वास्थ्य के बारे में किसी प्रकार की समस्या है, तो बच्चे के डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए.

4 टिप्स: बेबी की स्किन रहेगी हमेशा सौफ्ट

नवजात और बड़ों की स्किन में कुछ खास अंतर होते हैं जैसे नवजात की एपिडर्मिस यानी बाह्य स्किन बड़ों की तुलना में काफी पतली होती है. नवजात की पसीने की ग्रंथियां बड़ों की तुलना में कम काम करती हैं, जिस से स्किन नमी जल्दी सोखती भी है और जल्दी खो भी देती है. इस के अलावा नवजात की स्किन बहुत कोमल भी होती है. आइए, जानते हैं कि शिशु की कोमल स्किन को इन समस्याओं से कैसे सुरक्षित रखा जा सकता है:

1. उत्पादों के लेबल जरूर पढ़ें

यदि किसी बेबी स्किन केयर प्रोडक्ट पर हाइपोऐलर्जिक लिखा है तो इस का मतलब यह है कि हो सकता है कि उत्पाद के इस्तेमाल से शिशु को ऐलर्जी हो जाए. जरूरी नहीं कि ऐसा उत्पाद शिशु की स्किन के लिए सुरक्षित हो. ऐसे में नैचुरल उत्पादों को प्राथमिकता दें. यदि उत्पाद की सामग्री में थैलेट और पैराबीन हो तो उसे बिलकुल न खरीदें.

यों तो नैचुरल बीबी केयर उत्पाद नवजात के लिए सुरक्षित होते हैं, लेकिन यदि परिवार में किसी को ऐलर्जिक अस्थमा इत्यादि की समस्या रही हो तो संभव है कि शिशु को भी किसी खास हर्ब से ऐलर्जी हो. ऐसे में डाक्टर की सलाह से ही बेबी स्किन केयर उत्पाद खरीदें.

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2. गरमी में बेबी मसाज

कई नई मांएं इस डर से गरमी में शिशु की मालिश करना बंद कर देती हैं कि कहीं उसे हीट रैशेज न हो जाएं. ऐसा कतई न करें, क्योंकि मालिश हड्डियों को मजबूत बनाने के साथसाथ शिशु के नर्वस सिस्टम को भी फायदा पहुंचाती है. हां, इस मौसम में मालिश के लिए नारियल तेल, औलिव औयल या फिर बाजार में मौजूद कोई भी हलका मसाज औयल इस्तेमाल करें, साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि उसे नहलाते समय तेल उस के शरीर से पूरी तरह निकल जाए. ऐसा न होने पर उस के रोमछिद्र बंद हो सकते हैं और उसे हीट रैशेज की समस्या हो सकती है.

3. बेबी ड्रैस ऐंड रूम टैंपरेचर

आप को यह नई बात लग सकती है, मगर इस का ध्यान रखना जरूरी है. इस के लिए बारबार रूम टैंपरेचर चैक करने की जरूरत नहीं है, बस उसे ब्रीदिंग फैब्रिक वाले कपड़े पहनाएं. शिशु हैड और फेस के जरीए हीट रिलीज कर बौडी टैंपरेचर को नियंत्रित करता है, इसलिए उसे सुलाते समय उस का सिर और चेहरा कवर न करें. ऐसा करने से वह ओवरहीट हो सकता है. इस का शिशु की स्किन पर भी गहरा असर पड़ता है. सौफ्ट फैब्रिक न होने से जहां शिशु को स्किन इरिटेशन की समस्या हो सकती है, वहीं कमरा ज्यादा ठंडा होने से उस की स्किन ड्राई भी हो सकती है.

4. स्किन हाइजीन के लिए वाइप्स

ज्यादातर मांएं नवजात को ब्रैस्ट फीड कराने, डायपर बदलने या उस का मलमूत्र साफ करने के लिए कपड़े का इस्तेमाल करती हैं. ऐसा करना न सिर्फ शिशु के हाइजीन के लिए खतरनाक है, बल्कि उस की कोमल स्किन को भी नुकसान पहुंचाता है. कई बार तो सुबह से ले कर शाम तक शिशु के गले में एक ही बिब बंधा रहता है, जिस का इस्तेमाल दिनभर उस का मुंह साफ करने के लिए किया जाता है. ये सभी विकल्प शिशु की स्किन से कोमलता को छीन लेते हैं और उसे बैक्टीरिया के संपर्क में ला देते हैं. आजकल बाजार में खासतौर पर नवजात के लिए तैयार किए गए बेबी वेट वाइप्स उपलब्ध हैं, जो उस की स्किन को बिना नुकसान पहुंचाए उसे साफ करते हैं. इन के इस्तेमाल से शिशु की स्किन पर रैशेज भी नहीं पड़ते.

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ध्यान रखें कि जन्म से 1 साल तक नवजात की स्किन बेहद कोमल होती है और छोटीमोटी स्किन संबंधी समस्याओं के लिए स्किन बैरियर बना रही होती है. अत: इस दौरान उस की स्किन की ऐक्स्ट्रा केयर न की जाए तो उसे स्किन से जुड़ी कौमन प्रौब्लम्स का शिकार होना पड़ सकता है.

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