गैजेट्स के इस्तेमाल से हेल्थ को नुकसान पहुंच रहा है, मैं क्या करुं?

सवाल-

मैं और मेरे पति दोनों सौफ्टवेयर इंजीनियर हैं. गैजेट्स हमारे जीवन के अभिन्न हिस्सा बन गए हैं. जानना चाहता हूं कि क्या गैजेट्स के अधिक इस्तेमाल से स्पाइन से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं?

जवाब-

गैजेट्स का बढ़ता इस्तेमाल आजकल स्पाइन से संबंधित समस्याओं का सब से प्रमुख कारण बन कर उभर रहा है. इन के इस्तेमाल के दौरान सही पोस्चर न रखना इस खतरे को और बढ़ा देता है क्योंकि इस से मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है. गैजेट्स के अत्यधिक इस्तेमाल से बचें. इन पर काम करते समय अपना पोस्चर ठीक रखें. हर 2 घंटे के बाद एक ब्रेक लें. कुछ मिनट औफिस या घर में इधरउधर चहलकदमी कर लें, थोड़ी सी स्ट्रैचिंग कर लें. इस से आप की मांसपेशियों और जोड़ों को आराम मिलेगा. सप्ताह में 1 बार डिजिटल डिटौक्स जरूर करें. इस दौरान गैजेट्स का इस्तेमाल बिलकुल न करें.

सवाल-

मुझे स्लिप डिस्क है. डाक्टर ने सर्जरी कराने की सलाह दी है. मैं जानना चाहती हूं कि क्या नौनसर्जिकल उपायों से इसे ठीक नहीं किया जा सकता है?

जवाब-

वैसे तो स्लिप डिस्क के 90% मामलों में सर्जरी की जरूरत नहीं होती है, केवल 10% मामले जो गंभीर होते हैं उन्हीं में सर्जरी कराना जरूरी होता है. अगर डाक्टर ने आप को सर्जरी की सलाह दी है तो इस का मतलब है कि आप की समस्या गंभीर है. आप सर्जरी कराने को ले कर असमंजस की स्थिति में हैं तो एक और डाक्टर की राय भी ले लें. स्लिप डिस्क का उपचार इस पर निर्भर होता है कि समस्या किस स्तर पर है और डिस्क में कितनी खराबी आ गई है. सर्जरी से पहले दवाइयों और फिजियोथेरैपी से इसे ठीक करने का प्रयास किया जाता है.

सवाल-

मुझे स्पांडिलाइटिस है, लेकिन समस्या ज्यादा गंभीर नहीं है. मैं जानना चाहती हूं कि क्या कुछ घरेलु उपाय हैं जिन से आराम मिल सकता है?

जवाब-

अगर स्पौंडिलाइटिस की समस्या मामूली है तो घरेलू उपायों से आराम मिल सकता है. इस के लिए हीट और कोल्ड थेरैपी बहुत कारगर है. इस से जोड़ों और मांसपेशियों का दर्द और कड़ापन दूर होता है. जहां भी आप को दर्द हो रहा हो हीटिंग पैड्स लगाएं. आप हौट शावर भी ले सकती हैं. सूजन को कम करने के लिए सूजे हुए स्थान पर बर्फ लगाएं. इस से सूजन भी कम होगी और दर्द से भी आराम मिलेगा. इस के अलावा सूजन, दर्द और कड़ापन कम करने के लिए नौनस्टेरौयड ऐंटीइनफ्लैमेटरी ड्रग्स भी ली जा सकती हैं. फिजिकल थेरैपी भी इस के उपचार का एक महत्त्वपूर्ण भाग है.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

मेरी उम्र 42 साल है, कई दिनों से मेरी पीठ और हाथों में अचानक दर्द होने लगता है,दर्द से कैसे छुटकारा पाऊं?

सवाल

मेरी उम्र 42 साल है. कई दिनों से मेरी पीठ और हाथों में अचानक दर्द होने लगता है. पीठ के दर्द की तीव्रता हर बार अलग होती है. मलमूत्र में भी समस्या हो रही है और कभीकभी पैरों में भी दर्द होता है. क्या ये किसी बीमारी के लक्षण हैं या कोई सामान्य समस्या हैदर्द से कैसे छुटकारा पाऊं?

जवाब

आप के द्वारा बताए गए सभी लक्षण स्पाइनल इन्फैक्शन की ओर इशारा करते हैं. हालांकि समस्या कोई और भी हो सकती हैइसलिए एमआरआई करवा के सही समस्या की पुष्टि करें. इस में रीढ़ का आकार खराब हो सकता हैइसलिए इलाज में देरी बिलकुल न करें.

स्पाइनल संक्रमण का सब से सामान्य उपचार इंट्रावीनस ऐंटीबायोटिक दवाइयों के सेवनब्रेहेसग और शरीर को पूरी तरह आराम देने के साथ शुरू होता है. वर्टिब्रल डिस्क में रक्तप्रवाह ठीक से नहीं हो पाता हैइसलिए जब बैक्टीरिया अटैक करता है तो शरीर की इम्यून कोशिकाओं और ऐंटीबायोटिक दवाइयों को संक्रमण के स्थान तक पहुंचने में मुश्किल होती है.

वहीं ब्रेसिंग संक्रमण के उपचार के दौरान रीढ़ को सही आकार में रखने में मदद करती है. 7-8 हफ्तों के लिए ऐंटीबायोटिक्स का सेवन करने के लिए कहा जाता हैसाथ ही ब्रेसिंग की जाती है जो संक्रमण के ठीक होने तक रीढ़ को सही आकार में रखने में मदद करती है.

इस का दूसरा इलाज सर्जरी हैजिस की सलाह तब दी जाती है जब संक्रमण पर मैडिकेशन का कोई असर नहीं पड़ता है.

मुझे पीठ दर्द की समस्या रहती है, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं 22 साल का हूं, 2 साल से मुझे पीठ दर्द की समस्या है. यह दर्द गरदन से होते हुए पीठ के निचले हिस्से तक पहुंच जाता है. ज्यादा देर बैठने, खड़े रहने, चलने आदि से पीठ में बहुत दर्द होता है. गरमियों में इस दर्द को मैं सहन कर लेता हूं, लेकिन ठंड के मौसम में असहनीय हो जाता है. लेटने पर आराम मिलता है, लेकिन हर वक्त लेट नहीं सकता. कृपया मुझे बताएं कि बिना मैडिकेशन के इस  दर्द से कैसे छुटकारा पाऊं?

जवाब-

ठंड में हड्डियों और जोड़ों का दर्द बढ़ जाता है. हालांकि कम उम्र के लोगों को यह समस्या कम परेशान करती है, लेकिन लाइफस्टाइल की गलत आदतों के कारण युवा भी इस समस्या का शिकार बनते हैं. आप कोअपने लाइफस्टाइल में बदलाव लाने की जरूरत है. अच्छा खानपान, अच्छी नींद, उठनेबैठने का सही पोस्चर, सही पोस्चर में काम करना, ऐक्सरसाइज आदि करने से इस समस्या से बचा जा सकता है.

हालांकि आप की समस्या गंभीर है, इसलिए आप के लिए डाक्टर से संपर्क करना आवश्यक है. पहले यह जानने की कोशिश करें कि कहीं आप सर्वाइकल का शिकार तो नहीं हैं. इस के लिए आप को प्रौपर मैडिकेशन और फिजियोथेरैपी की सलाह दी जाएगी. इस के अलावा हर दिन धूप में कम से कम आधा घंटा बैठें. गरम कपड़े पहन कर रखें और पीठ की सिंकाई करें. मल्टी विटामिन टैबलेट्स के सेवन से भी दर्द में राहत मिल सकती है.

पीठ के निचले हिस्से का दर्द बेहद आम है. लेकिन हम में से ज्यादातर लोगों का ध्यान इस की तरफ तब जाता है जब हम झुक कर अथवा हाथ ऊपर की ओर बढ़ा कर कोई चीज उठाने की कोशिश करते हैं और तब दर्द महसूस करते हैं. पीठ का तेज दर्द हमारी रोजमर्रा की गतिविधियों, मनोरंजन और व्यायाम आदि में बाधा उत्पन्न कर सकता है. कभीकभी इस के चलते काम करना भी मुश्किल हो जाता है.

एक अध्ययन में यह पाया गया है कि पीठ के निचले हिस्से में होने वाले इस दर्द का इलाज शुरुआत में ही कराना चाहिए, क्योंकि ज्यादातर मामलों में इलाज न कराने पर यह गंभीर रूप ले सकता है. जागरूकता की कमी के चलते ज्यादातर लोग डाक्टर के पास ही नहीं जाते. वे पारंपरिक तरीकों से अथवा कैमिस्ट से दवा ले कर मनमरजी से उपचार कराने की कोशिश करते हैं. ऐसा करना स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करना है.

पीठ के निचले हिस्से में होने वाले दर्द के लक्षणों और गंभीरता के आधार पर इसे 3 प्रकारों में बांटा गया है :

एक्यूट लो बैक पेन : दर्द 6 सप्ताह से कम अवधि तक रहता है.

सब क्रौनिक लो बैक पेन : दर्द 6 से 12 सप्ताह तक रहता है.

पीठ दर्द और जकड़न से परेशान हो गई हूं, मैं क्या करुं?

सवाल-

मेरी उम्र 25 साल है. लौकडाउन और उसके बाद से मैं अपना सारा काम घर से ही कर रहा था. मेरा काम लैपटौप पर होता है. मेरी पीठ में दर्द होने लगता है. जकड़न भी महसूस होती है. ऐसे में काम करने में मुश्किल होती है. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

गतिहीन जीवनशैली, गलत मुद्रा में बैठना, लेट कर लैपटौप पर काम करना, लगातार एक ही मुद्रा में काम करना और उठनेबैठने के गलत तरीकों के कारण घर से काम कर रहे लोगों में रीढ़ की समस्याएं विकसित हो रही हैं. ये सभी फैक्टर रीढ़ और पीठ की मांसपेशियों पर तेज दबाव बनाते हैं. सभी काम झुक कर करने से रीढ़ के लिगामैंट्स में ज्यादा खिंचाव आ जाता है, जिस से पीठ में तेज दर्द के साथ अन्य गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं. सर्वाइकल पेन भी इसी से संबंधित एक समस्या है, जो गरदन से शुरू होता है. यह दर्द व्यक्ति को परेशान कर देता है. हालांकि एक स्वस्थ और सक्रिय जीवनशैली के साथ इस समस्या से बचा जा सकता है. रोज ऐक्सरसाइज करना, बौडी स्ट्रैच, सही तरीके से उठनाबैठना, सही तरीके से झुकना और शरीर को सीधा रखने से आराम मिलता है.

ये भी पढ़ें- 

पीठ, हमारे शरीर का अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा.  मगर परेशानी तब शुरू होती है जब इसी हिस्से के दर्द को शुरुवात में हल्के में लिया जाता है. रही सही कसर टीवी पर आने वाले  तरह-तरह के मरहम के विज्ञापन पूरी कर देते हैं.  कमर दर्द या पीठ का दर्द कई वजहों से हो सकता है जैसे रीढ़ की हड्डियों की कमजोरी या वहां पनप रही कोई समस्या, मांसपेशियों का मजबूत ना होना, किसी प्रकार की कोई नई अथवा पुरानी चोट आदि.

वजह छोटी हो या बड़ी जरूरी यह है कि बिना देर किए समय पर चिकित्सा सलाह लें.

कुछ छोटी-छोटी बातों को अगर ध्यान में रखेंगे तो कमर या पीठ की तकलीफ से बचा जा सकता है.

 पोश्चर – 

पोश्चर यानी आपके उठने, बैठने, सोने का सही तरीका.

अक्सर देखने में आता है जब भी हम किसी को सीधे बैठने के लिए कहते हैं  तो वो तन के बैठ जाते हैं और 5 से 10 मिनट बाद ही थक कर झुक जाते हैं, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आपकी मांसपेशियां तनी हुई होने के कारण ज्यादा काम कर रही होती हैं और जल्दी ही थक जाती हैं.  सीधे बैठने का अर्थ है सीधी पर आरामदायक अवस्था में पीठ का होना.

पिछले 1 साल में कमर दर्द के मरीजों में इजाफा हुआ है. कई लोग वर्क फ्रम होम होने के बाद से कमर दर्द से परेशान थे .

इसके पीछे सबसे बड़ा कारण पोश्चर का सही ना होना है. आप जब भी लंबे समय के लिए बैठे ध्यान  रखें कि आपकी कुर्सी आरामदायक हो. एर्गोनॉमिकली डिजाइन की गई कुर्सी आसानी से बाजार में उपलब्ध है, और अगर वह नहीं है तो बैठते वक्त एक तकिया आपकी कमर के पीछे लगाएं, ध्यान रखें कि तकिया ना तो बहुत कठोर हो ना ही मुलायम.  इसके अलावा एक टॉवल को रोल कर के अपनी गर्दन के पीछे रखें .

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

मेरी उम्र 28 साल है, 1-2 महीनों से पीठ के दर्द ने परेशान कर रखा है, कृपया बताएं इस से कैसे छुटकारा पाऊं?

सवाल

मेरी उम्र 28 साल है. 1-2 महीनों से पीठ के दर्द ने परेशान कर रखा है. घर का काम करने और ?ाकने में अब बहुत मुश्किल होती है. कृपया बताएं इस से कैसे छुटकारा पाऊं?

जवाब

इस प्रकार का पीठ का दर्द रीढ़ की हड्डी में आए खिंचाव और दबाव के कारण होता है. मरहम लगाने और आराम करने से दर्द में राहत मिलेगी. एक सक्रिय जीवनशैली के साथ संतुलित आहार और बैठनेचलने और ?ाकने के दौरान सतर्कता के साथ इस दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है. रीढ़ को प्रभावित होने से रोकना चाहती हैं तो एक मुद्रा में बहुत देर तक खड़ी या बैठी न रहें. प्रैस करनेबरतन धोने व खाना बनाने आदि कामों के लिए पीठ और गरदन ?ाकानी पड़ती हैइसलिए अपने शरीर के पोस्चर पर ध्यान दें. यदि यह दर्द गंभीर है और आराम के बाद भी ठीक न हो या बारबार दर्द की शिकायत हो तो जांच अवश्य कराएं. समय पर इलाज से समस्या पूरी तरह ठीक हो जाएगी.

लौकडाउन के दैरान मैं अपना सारा काम घर से ही कर रहा था,ऐसे में काम करने में मुश्किल होती है, बताएं मैं क्या करूं?

सवाल

मेरी उम्र 25 साल है. लौकडाउन के दैरान मैं अपना सारा काम घर से ही कर रहा था. मेरा काम लैपटौप पर होता है. मेरी पीठ में दर्द होने लगा है. जकड़न भी महसूस होती है. ऐसे में काम करने में मुश्किल होती है. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब

गतिहीन जीवनशैलीगलत मुद्रा में बैठनालेट कर लैपटौप पर काम करनालगातार एक ही मुद्रा में काम करना और उठनेबैठने के गलत तरीकों के कारण घर से काम कर रहे लोगों में रीढ़ की समस्याएं विकसित हो रही हैं. ये सभी फैक्टर रीढ़ और पीठ की मांसपेशियों पर तेज दबाव बनाते हैं. सभी काम ?ाक कर करने से रीढ़ के लगामैंट्स में ज्यादा खिंचाव आ जाता है जिस से पीठ में तेज दर्द के साथसाथ अन्य गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं.

सर्वाइकल पेन भी इसी से संबंधित एक समस्या है जो गरदन से शुरू होता है. यह दर्द व्यक्ति को परेशान कर देता है. हालांकि एक स्वस्थ और सक्रिय जीवनशैली के साथ इस समस्या से बचा जा सकता है.

ऐसे में रोज ऐक्सरसाइज करनाबौडी स्ट्रैचसही तरीके से उठनाबैठनासही तरीके से ?ाकना और शरीर को सीधा रखना आदि चीजें जरूरी हैं. पोषणयुक्त डाइट लेंजिस में प्रोटीनसलादफल और हरी सब्जियां भरपूर मात्रा में मौजूद हों. शरीर में विटामिन डी की कमी न हो इसलिए रोज थोड़ी देर धूप में बैठना जरूरी है.

ज्यादा देर बैठ रहने से मेरी रीढ़ में दर्द होने लगता है, मै क्या करूं?

सवाल-

मैं 32 साल की कामकाजी महिला हूं. मेरा सारा काम कंप्यूटर पर होता है, इसलिए ज्यादा देर बैठने से मेरी रीढ़ में दर्द होने लगता है. मेरी समस्या यह है कि ठंड में यह दर्द और असहनीय हो जाता है, जिस के कारण मु झे काम करने में परेशानी होती है. कृपया इस से छुटकारा पाने का उपाय बताएं?

जवाब-

इस उम्र में हड्डियों की समस्या शुरू होना आम बात है विशेषकर कंप्यूटर पर काम करने वालों में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है. ठंड के दौरान रीढ़ में जकड़न होने की संभावना ज्यादा होती है. जब आप एक ही स्थिति में कई घंटों तक बैठे रहते हैं तो हड्डी में दर्द की समस्या होती है. ठंड में जकड़न के कारण डिस्क की नसों पर दबाव पड़ने लगता है, जिस से दर्द तेज हो जाता है. दर्द से बचाव के लिए काम के दौरान बीचबीच में ब्रेक ले कर बौडी स्ट्रैच करें. आगे और पीछे की ओर  झुकने वाली ऐक्सरसाइज करें. बैठने का पोस्चर सही रखें. दर्द से बचाव के लिए सही आहार लें और पानी का ज्यादा सेवन करें. समय मिलने पर पीठ की कुनकुने तेल से मालिश कराएं. हलके हाथों से की गई मालिश दर्द से राहत दिलाएगी.

जो लोग कामगर हैं, जिन्हें पूरे दिन कंप्यूटर पर बैठ के काम करना पड़ता है उन्हें गर्दन और पीठ दर्द की शिकायत रहती है. पर क्या आपको पता है कि अपने बैठने की आदत में बदलाव कर के आप इस परेशानी से निजात पा सकती हैं. आपको बता दें कि कंप्यूटर के सामने अधिक देर तक बैठने से आपके गर्दन और रीढ़ की हड्डियों पर काफी नुकसान पहुंचता है. इससे आपको अधिक थकान, सिर में दर्द और एकाग्रता में कमी जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अगर आप अधिक देर तक इसी अवस्था में बैठी रहती हैं तो आपके स्पाइनल कौर्ड में भी घाव हो सकता है.

इस मुद्दे पर शोध कर रहे जानकारों का मानना है कि इन परेशानियों के लिए बैठने का गलत तरीका जिम्मेदार है. अगर आप सीधे बैठें तो इन परेशानियों से निजात पा सकती हैं. अगर आप सीधे बैठती हैं तो आपकी पीछे की मांसपेशियां आपके गर्दन और सिर के भार को सहारा देती हैं.

स्पाइनल इन्फैक्शन के दर्द से परेशान हूं, मैं क्या करुं?

सवाल-

मेरी उम्र 42 साल है. कई दिनों से पीठ और हाथों में अचानक दर्द होने लगता है. पीठ के दर्द की तीव्रता हर बार अलग होती है. मलमूत्र में भी समस्या हो रही है और कभीकभी पैरों में भी दर्द होता है. क्या ये किसी बीमारी के लक्षण हैं या कोई सामान्य समस्या है? इस दर्द से कैसे छुटकारा पाऊं?

जवाब-

आप के द्वारा बताए गए सभी लक्षण स्पाइनल इन्फैक्शन की ओर इशारा करते हैं. हालांकि समस्या कोई और भी हो सकती है, इसलिए एमआरआई करवा के सही समस्या की पुष्टि करें. इस में रीढ़ का आकार खराब हो सकता है, इसलिए इलाज में देरी बिलकुल न करें. स्पाइनल संक्रमण का सब से सामान्य उपचार इंट्रावीनस ऐंटीबायेटिक दवाइयों के सेवन, ब्रेसिंग और शरीर को पूरी तरह आराम देने के साथ शुरू होता है. वर्टिकल डिस्क में रक्त प्रवाह ठीक से नहीं हो पाता है, इसलिए जब बैक्टीरिया अटैक करता है तो शरीर की इम्यून कोशिकाओं और एंटीबायोटिक दवाइयों को संक्रमण के स्थान तक पहुंचने में मुश्किल होती है. वहीं, संक्रमण के उपचार के दौरान रीढ़ को सही आकार में रखने में मदद करती हैं. बे्रसिंग संक्रमण के उपचार के दौरान रीढ़ को सही आकार में रखने में मदद करती है. इस का दूसरा इलाज सर्जरी है, जिस की सलाह तब दी जाती है जब संक्रमण पर दवा का कोई असर नहीं पड़ता है.

ये भी पढ़ें- सांवलेपन से परेशान हो गई हूं, मैं क्या करुं?

ये भी पढ़ें- 

32 साल का अंकित पीठ के दर्द से बुरी तरह परेशान था. उस की पीठ का मूवमैंट पूरी तरह रुक सा गया था. रैस्ट करने और दवा लेने के बाद भी हालत में कुछ खास सुधार नहीं हो रहा था. 6 हफ्ते पहले जब उस की पीठ में दर्द शुरू हुआ था, तभी से असामान्य तरीके से उस का वजन भी घटता जा रहा था.

अंकित ने डाक्टर से अपौइंटमैंट लिया. एक्स रे से कुछ पता नहीं चला, तो ब्लड टैस्ट कराने को कहा गया. अतिरिक्त जांच के लिए एमआरआई कराया गया, तो पता चला कि अंकित की रीढ़ की हड्डी में इन्फैक्शन हो गया है और डिस्क स्पेस व उस के आसपास की कोशिकाओं में मवाद भर गया है.

मामले की गंभीरता को देखते हुए उसे तुरंत स्पाइनल ब्रेसेस लगवाने की सलाह दी गई और प्रभावित हिस्से की सीटी गाइडेड बायोप्सी की गई. 6 हफ्ते के लिए ऐंटीबायोटिक खाने, बैड रैस्ट करने और स्पाइनल ब्रेसेस के साथ मूवमैंट की सलाह दी गई.

हालांकि नियमित चैकअप के दौरान यह भी नोट किया गया कि उस की रीढ़ की हड्डी सिकुड़ रही है और उसी की वजह से मरीज की टांगों, ब्लैडर और आंतों पर भी असर पड़ रहा था. इस से नजात पाने के लिए तुरंत सर्जिकल ट्रीटमैंट की जरूरत थी. न्यूरोलौजिकल कंप्रैशन को दूर करने और साथ ही पेडिकल स्क्रू और रौड्स की मदद से स्पाइन को स्थिर बनाए रखने के लिए अंकित की सर्जरी की गई. इस का मकसद दर्द को दूर करना, मरीज को विकलांग होने से बचाने और रीढ़ की हड्डी के आकार को और ज्यादा विकृत होने से रोकना भी था. सर्जरी के बाद मरीज की हालत में तेजी से सुधार हुआ. उस का दर्र्द भी पूरी तरह दूर हो गया.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- लाइलाज नहीं है स्पाइनल इन्फैक्शन, ऐसे पहचानें लक्षणों को

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

पीठ और कमर की देखभाल के लिए ज़रूरी टिप्स

लेखक- तोषी व्यास

पीठ, हमारे शरीर का अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा.  मगर परेशानी तब शुरू होती है जब इसी हिस्से के दर्द को शुरुवात में हल्के में लिया जाता है. रही सही कसर टीवी पर आने वाले  तरह-तरह के मरहम के विज्ञापन पूरी कर देते हैं.  कमर दर्द या पीठ का दर्द कई वजहों से हो सकता है जैसे रीढ़ की हड्डियों की कमजोरी या वहां पनप रही कोई समस्या, मांसपेशियों का मजबूत ना होना, किसी प्रकार की कोई नई अथवा पुरानी चोट आदि.

वजह छोटी हो या बड़ी जरूरी यह है कि बिना देर किए समय पर चिकित्सा सलाह लें.

कुछ छोटी-छोटी बातों को अगर ध्यान में रखेंगे तो कमर या पीठ की तकलीफ से बचा जा सकता है.

 पोश्चर – 

पोश्चर यानी आपके उठने, बैठने, सोने का सही तरीका.

अक्सर देखने में आता है जब भी हम किसी को सीधे बैठने के लिए कहते हैं  तो वो तन के बैठ जाते हैं और 5 से 10 मिनट बाद ही थक कर झुक जाते हैं, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आपकी मांसपेशियां तनी हुई होने के कारण ज्यादा काम कर रही होती हैं और जल्दी ही थक जाती हैं.  सीधे बैठने का अर्थ है सीधी पर आरामदायक अवस्था में पीठ का होना.

पिछले 1 साल में कमर दर्द के मरीजों में इजाफा हुआ है. कई लोग वर्क फ्रम होम होने के बाद से कमर दर्द से परेशान थे .

इसके पीछे सबसे बड़ा कारण पोश्चर का सही ना होना है. आप जब भी लंबे समय के लिए बैठे ध्यान  रखें कि आपकी कुर्सी आरामदायक हो. एर्गोनॉमिकली डिजाइन की गई कुर्सी आसानी से बाजार में उपलब्ध है, और अगर वह नहीं है तो बैठते वक्त एक तकिया आपकी कमर के पीछे लगाएं, ध्यान रखें कि तकिया ना तो बहुत कठोर हो ना ही मुलायम.  इसके अलावा एक टॉवल को रोल कर के अपनी गर्दन के पीछे रखें .

ये भी पढ़ें- Vegan Diet को हेल्दी बनाएंगे प्रोटीन से भरपूर ये 5 Food

पैरों को नीचे लटकाने की बजाय उन्हें किसी स्टूल या पटे पर रखें.  दोनों पैरों के बीच में कंधे जितनी  दूरी रखें.

 लिफ्टिंग पोश्चर –

जब भी आपको कोई सामान नीचे से उठाना हो चाहे छोटा सा हो या बड़ा, आप कभी भी कमर को ना झुकाएं.  झुकना कमर के लिए घातक हो सकता है, इसके बजाय दोनों घुटनों को मोड़कर  बैठते हुए फिर उठाएं.  यदि कोई सामान नीचे से उठाना है और घुटनों में तकलीफ है तो कोई छोटे बाथरूम स्टूल वगैरह का इस्तेमाल कर सकते हैं, उस पर बैठे और फिर उठाएं. झुक कर कभी भी कोई भी चीज ज़मीन से ना उठाएं.

फ्रिज के निचले हिस्से से बार बार कुछ निकालना हो तो भी छोटे स्टूल का इस्तेमाल करें.

एक्सरसाइज-

एरोबिक एक्सरसाइज जैसे तेज़ चलना, तैराकी, साइकिल चलाना आदि और मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करने वाली यानी मसल्स स्ट्रैंथनिंग एक्सरसाइज,  दोनों ही प्रकार के व्यायाम आपकी पीठ के लिए जरूरी हैं. आप मसल स्ट्रैंथनिंग में केवल पीठ के व्यायाम ना करते हुए पीठ और पेट दोनों के  लिए व्यायाम करिए.  लचीलापन बना रहे इसलिए स्ट्रेचिंग ज़रूर करें.  ब्रीदिंग एक्सरसाइज को भी अपने रूटीन में  शामिल करें. एक्सरसाइज शुरू करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें.

 डायट- 

हाई प्रोटीन डाइट और हाई कैलशियम डायट का उपयोग करें . दही, मट्ठा, छाछ या अन्य डेयरी पदार्थ और प्रोटीन से भरपूर जैसे साबुत अनाज, अंडे आदि जरूर अपनी डाइट में शामिल करें.

स्लीपिंग पोश्चर –

6 से 8 घंटे की भरपूर नींद लें और ध्यान रखें सोते वक्त आपका गद्दा आरामदायक हो  और आपकी कमर को अच्छी तरह से सपोर्ट करता हों.  गद्दा ना बहुत मुलायम रखें ना ही बहुत कड़क.  जितना गद्दा फर्म होगा उतना ही आपकी कमर के लिए अच्छा है.

रूटीन मेडिकल चेकअप –

समय-समय पर अपना मेडिकल चेकअप ज़रूर  करवाते रहें और खासकर आपका सीरम कैल्शियम और विटामिन डी का टेस्ट समय समय पर जरूर करवाते रहें ताकि समय रहते आप किसी भी कमी को पूरा कर सकें.

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नशे से दूरी बनाएं-

किसी भी तरह के नशे से दूर रहें. अल्कोहल या शराब, सिगरेट, तंबाकू आदि के नशे से जितना हो सके दूर रहें.

ध्यान रखें कि आपका शरीर एक ही अवस्था में लंबे समय तक ना रहे. यदि बैठ कर लंबे समय काम करते हैं तो छोटे छोटे ब्रेक लें जैसे हर 40 से 50 मिनिट पर अपनी कुर्सी से उठें, स्ट्रेचिंग करें, पानी पिएं और फिर काम शुरू करें.

ऊपर दी गई बातों को ध्यान में रखने के बाद भी यदि कमर दर्द होता है तो बिना देर किए विशेषज्ञ  की सलाह लें.

  डॉ. तोषी व्यास

  सीनियर फ़िज़ियोथैरेपिस्ट

  भोपाल

स्लिप डिस्क से जुड़ी समस्या और उसका इलाज बताएं?

सवाल-

मेरी उम्र 42 साल है. कोविड-19 के कारण वर्क फ्रौम होम के चलते मुझे कमर के निचले हिस्से में दर्द रहने लगा है. कभीकभी यह दर्द असहनीय हो जाता है. क्या करूं?

जवाब

कोविड-19 के दौरान गैजेट्स के अत्यधिक इस्तेमाल के कारण कई लोग स्पाइन से संबंधित समस्याओं के शिकार हुए हैं. अगर आप ध्यान न देंगी तो समस्या गंभीर हो जाएगी. तुरंत डाक्टर को दिखाएं. फिजियोथेरैपी और पेन किलर की सहायता से 80% लोगों को आराम मिल जाता है. जिन की समस्या गंभीर होती है उन के लिए एमआरआई, ऐक्सरे और दूसरी जांच की जाती है.

सवाल-

मैं 22 वर्षीय कालेज स्टूडैंट हूं. कुछ समय पहले मेरा माइनर ऐक्सीडैंट हो गया था. उस के बाद से मुझे स्लिप डिस्क की समस्या हो गई है. मैं क्या करूं?

जवाब

आप की उम्र बहुत कम है, इसलिए आप किसी अच्छे न्यूरोसर्जन से जांच कराएं. स्लिप डिस्क का उपचार इस पर निर्भर होता है कि समस्या किस स्तर पर है और डिस्क में कितनी खराबी आ गई है. दवाइयों और फिजियोथेरैपी से इसे ठीक करने का प्रयास किया जा सकता है. स्लिम डिस्क के 90% मामलों में औपरेशन की जरूरत नहीं पड़ती है. लेकिन 10% मामलों में सर्जरी कराना जरूरी हो जाता है.

सवाल-

मैं 32 वर्षीय कंप्यूटर औपरेटर हूं. पिछले 2 माह से कमर में दर्द हो रहा है. जांच करवाने पर बल्जिंग डिस्क होने का पता चला है. कृपया बताएं कि इस से कैसे बचा जा सकता है और इस का क्या उपचार है?

जवाब

इस बीमारी से बचाव के लिए आप एक ही जगह पर लगातार न बैठे. थोड़ीथोड़ी देर में उठें और चले तथा अपने बैठने और खड़े रहने का ढंग सही रखें ताकि रीढ़ और डिस्क पर दबाव कम पड़े. इस के अलावा हर दिन कम से कम 20 से 30 मिनट तक व्यायाम जरूर करें. मामूली समस्या को फिजियोथेरैपी द्वारा भी ठीक किया जा सकता है, लेकिन इस का सब से कारगर उपचार आर्टिफिशियल डिस्क रिप्लेसमैंट है. इस सर्जिकल प्रक्रिया के द्वारा क्षतिग्रस्त डिस्क को कृत्रिम डिस्क से बदल दिया जाता है.

-डा. मनीष वैश्य

निदेशक, न्यूरो विभाग, मैक्स सुपर स्पैश्यलिटी हौस्पिटल, वैशाली, गाजियाबाद. 

 ये भी पढ़ें- क्या करें जब सताए कमर दर्द

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
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