डॉ. मनीष वैश्य, सह-निदेशक, न्युरो सर्जरी विभाग, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, वैशाली,
सिरदर्द के बाद कमर दर्द आज सब से आम स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है. बढ़ती उम्र के लोगों को ही नहीं युवाओं को भी यह दर्द बहुत सता रहा है. महिलाएं कमर दर्द की आसान शिकार होती हैं 90 प्रतिशत महिलाएं अपने जीवन के किसी न किसी स्तर पर कमर दर्द से पीड़ित रहती हैं. खासकर कामकाजी महिलाएं जो ऑफिसों में बैठ कर लगातार काम करती हैं. उन में रीढ़ की हड्डी पर दबाव बढ़ने से कमर दर्द की समस्या हो जाती है.
कमर दर्द
हमारी रीढ़ की हड्डी में 32 कशेरूकाएं होती हैं जिस में से 22 गति करती हैं जब इन की गति अपर्याप्त होती है या ठीक नहीं होती तो कई सारी समस्याएं पैदा हो जाती हैं रीढ़ की हड्डी के अलावा हमारी कमर की बनावट में कार्टिलेज (डिस्क), जोड़, मांसपेशियां, लिगामेंट आदि शामिल होते हैं इस में से किसीकिसी में भी समस्या आने पर कमर दर्द हो सकता है इस से खड़े होने, झुकने, मुड़ने में बहुत तकलीफ होती है अगर शुरूआती दर्द में ही उचित कदम उठा लिए जाएं तो यह समस्या गंभीर रूप नहीं लेगी
क्या हैं कारण
कमर दर्द की समस्या में महिलाओं की जीवनशैली महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है कामकाजी महिलाओं में यह समस्या अधिक देखी जाती है क्योंकि उन्हें अपने जॉब के कारण घंटों एक ही स्थिति में बैठकर काम करना होता है कई महिलाएं आरामतलबी की जिंदगी जीने के कारण भी कमर दर्द की शिकार हो जाती हैं इस के अलावा कई और कारण भी हैं:
· शरीर का भार सामान्य से अधिक होना
· मांसपेशियों में खिंचाव
· बिना ब्रेक के लंबे समय तक काम करना
· हमेशा आगे की ओर झुक कर चलना या बैठना
· ऑस्टियोपोरोसिस के कारण हड्डियां कमजोर हो जाना
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· अस्थमा या रूमैटिक डिस्आर्डर के कारण लंबे समय तक स्टेरॉइड युक्त दवाइयों का सेवन
· ज्यादा लंबे समय तक बेड रेस्ट करना
· शरीर का पॉस्चर खराब होना
· प्रजनन अंगों का संक्रमण; पेल्विक इन्फ्लेमैटरी डिसीज़ (पीआईडी)
· गर्भावस्था
· ऊंची एड़ी के फुटवेयर पहनना इस से रीढ़ की हड्डी पर बुरा प्रभाव पड़ता है और कमर दर्द की समस्या हो जाती है
गर्भावस्था और कमरदर्द
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में कमर दर्द होना सामान्य है गर्भावस्था के दौरान वज़न बढ़ जाता है और बच्चे को जन्म देने के लिए लिगामेंट्स को रिलैक्स करने के लिए हार्मोनों का स्त्राव बढ़ जाता हैं अधिकतर गर्भवती महिलाओं में कमर दर्द की समस्या पांचवें से सातवें महीने के दौरान होती है, लेकिन यह शुरूआती महीनों में भी हो सकती है उन महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान कमर दर्द की समस्या होने की आशंका और अधिक होती है जो पहले से ही निचले कमर दर्द की समस्या से जूझ रही हैं गर्भावस्था या उस के बाद महिलाओं में कमर दर्द की शिकायत होने का एक प्रमुख कारण गलत तरीके से बैठना और सोना है वहीं लंबे समय तक सही तरीके से न बैठ कर बच्चे को दूध पिलाना भी कमर दर्द का कारण बन सकता है गर्भावस्था के दौरान या प्रसव के बाद पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों का सेवन न करने से होने वाली शारीरिक कमजोरी के कारण भी कमर दर्द की समस्या हो सकती है
सप्लीमेंट्स लेने में न हिचकिचाएं
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में पचास साल से अधिक उम्र की महिलाओं में से हर दूसरी महिला ऑस्टियोपोरोसिस की शिकार है ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित 50 प्रतिशत महिलाओं में विटामिन डी की कमी पाई जाती है ऐसे में उन्हें कैल्शियम और विटामिन डी विशेष कर विटामिन डी3 और बायोफास्फोनेट को सप्लीमेंट के रूप में लेने की सलाह दी जाती हे विटामिन k भी बोन डेनसिटी बढ़ाता है इसलिए कई महिलाओं को यह भी सप्लीमेंट के रूप में दिया जाता है एक सामान्य महिला को प्रतिदिन 1000 मिलिग्राम तथा एक गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिला को 1300 मिलिग्राम कैल्शियम की आवश्यकता होती है. जब भोजन से यह आवश्कता पूरी नहीं होती तो इसे डाएट्री सप्लीमेंट्स के द्वारा पूरा किया जाता है कई मामलों में सप्लीमेंट्स बहुत कारगर होते हैं लेकिन अगर इन का सेवन बिना सोचेसमझे किया जाये ये घातक भी हो सकते हैं इसलिये यह आवश्यक है कि इनका सेवन डॉक्टर की सलाह के बगैर न किया जाये
कमर दर्द में छिपे खतरे अनेक
कमर दर्द सिर्फ रीढ़ की हड्डी या कमर की मांपेशियों की समस्या के कारण नहीं होता है यह कईं गंभीर बीमारियों का संकेत भी हो सकता है, इसलिए कमर दर्द को हल्के में न लें और तुरंत डाग्नोसिस करा कर उपचार कराएं
· किडनी से सबंधित बीमारियां या संक्रमण
· ब्लेडर में संक्रमण
· स्पाइनल ट्युमर
· रीढ़ की हड्डी में संक्रमण से भी कमर दर्द होता है लेकिन यह बहुत कम मामलों में देखा जाता है
उपचार
कमर दर्द के मामले में लापरवाही न करें प्रारंभिक अवस्था में यदि डॉक्टर को दिखा दिया जाए तो सामान्य से उपाय और थोड़ी सी सावधानी अपना कर इसे ठीक किया जा सकता है इस के ज्यादा गंभीर होने जैसे रीढ़ की हड्डी का मुड़ जाना, डिस्क डैमेज हो जाने पर ऑपरेशन की नौबत आ जाती है आमतौर पर 85-95 प्रतिशत कमर दर्द बिना सर्जरी के दवाइयों, एक्सरसाइज, पॉश्चर करेक्शन तकनीकों और फिजियोथेरेपी की विभिन्न तकनीकों से ठीक किए जा सकते हैं केवल 5-10 प्रतिशत मामलों में ही ऑपरेशत की जरूरत पड़ती है
डॉक्टर एक्स-रे, एमआरआई या सीटी स्कैन के द्वारा कमर दर्द के कारणों का पता लगाकर मरीज का उपचार करते हैं
सर्जरी
सर्जरी जनरल एनेस्थिसिया दे कर की जाती है सर्जरी द्वारा पूरी डिस्क को या आंशिक रूप से इसे बाहर निकाल लिया जाता है पूरी डिस्क निकालने के बाद वहां कृत्रिम डिस्क प्रत्यारोपित की जाती है इसके अलावा स्पाइन फ्युजन के द्वारा भी कमर की हड्डी की मजबूती फिर से पाई जा सकती है सर्जरी के बाद 1-3 महीने आराम करने की सलाह दी जाती है इस दौरान ड्राइविंग करने, वजन उठाने, आगे की ओर झुकने, लंबे समय तक बैठने, भागने-दौड़ने की मनाही होती है
ओजोन थेरेपी
कमर और डिस्क के दर्द के लिए ओजोन थेरेपी सब से अत्याधुनिक तकनीक है ओजोन थेरेपी लोकल एनिस्थिसिया में की जाती है इस पूरी प्रक्रिया में एक-एक घंटे की छह सीटिंग तीन हफ्ते के दौरान लेना होती हैं इसमें बिना अस्पताल में भर्ती हुए ही कमर दर्द ठीक किया जा सकता है यह एक माइक्रोस्कोपिक सर्जरी है इसमें चीरा भी नहीं लगाना पड़ता इसमें ओजोन को डिस्क के आंतरिक हिस्से तक पहुंचाया जाता है लेकिन हर तरह के कमरदर्द में यह कारगर नहीं है
सर्जरी के बाद दोबारा कमरदर्द होने की आशंका 15 प्रतिशत होती है लेकिन ओजोन थेरेपी में सिर्फ 3 प्रतिशत इसमें खर्च भी परंपरागत सर्जरी से एक तिहाई आता है.
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भ्रम से रहें दूर
कमर दर्द लाइलाज नहीं है सही पहचान और उपचार से इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है
आपॅरेशन के बाद हमेशा बिस्तर पर रहने की नौबत नहीं आती. अत्याधुनिक चिकित्सा पद्धतियों से रीढ़ की हड्डी का सफल ऑपरेशन संभव है और कुछ दिनों के आराम के बाद व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता.