मई, 2022 के अंतिम सप्ताह में पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी अपने कार्यकर्ताओं के साथ बात कर रही थीं. उस में एक कार्यकर्ता कहने के लिए खड़ा हुआ था तो ममता से रहा नहीं गया. उन्होंने पूछ ही लिया, ‘‘तुम्हारा मध्य प्रदेश इतना बढ़ा हुआ है. क्या बीमार हो?’’
कार्यकर्ता बेचारा सफाई देता रहा पर ममता ने उस का पीछा नहीं छोड़ा. असल में मटके की तरह निकला पेट बहुतों की पर्सनैलिटी को चकनाचूर कर देता है.
ज्यादा खाना, पेट बढ़ना कई बीमारियों को जन्म देता है और एक पूरा फिटनैस उद्योग आज इस मोटापे को कंट्रोल करने के लिए दुनिया भर में चल रहा है और इस में खूब कमाई हो रही है.
हमारी भूख मिटाने वाला, हमारे शरीर को ऊर्जा देने वाला, शरीर का सुयोग्य पोषण करने वाला और पाक कुशलता साक्षात्कार करने वाला उचित आहार स्वस्थ, आनंदित और सब से महत्त्वपूर्ण फिट और फाइन रखता है. लेकिन कभीकभी अनजाने या उस समय की मानसिक या आसपास की परिस्थिति के अनुसार अथवा अन्य किसी वजह से अनुपात से ज्यादा खा लिया जाता है.
गलत तरीके का, गलत तरीके से और गलत समय पर खाना खाया जाता है जिस का परिणाम धीरेधीरे शरीर पर नजर आने लगता है. फिर अचानक आए इस बदलाव का न सिर्फ एहसास होता है बल्कि बदलाव भी नजर आता है और फिर शुरू होती है अपनी खुद की तलाश.
कई बार तो यह तलाश अर्थहीन, बोरियतभरी और कभी न खत्म होने वाली होती है. फिर उस के लिए ढूंढ़े जाते हैं कुछ भयानक उपाय. लेकिन इन भयानक उपायों से कई बार सिर्फ और सिर्फ निराशा हाथ लगती है. मोटापे से ले कर सुडौल काया यानी आज की आधुनिक भाषा में जीरो फिगर.
सुडौल, सुंदर और फिट दिखना किसे पसंद नहीं है? हरकिसी की यही चाहत होती है और इस का सपना दिखाने वाले और इसे सच करने का दावा करने वाले भी अनेक नाम जगमगाते हुए हमारे सामने आते रहते हैं. इन से हमें जो चाहिए वह तो हासिल होता नहीं है, पर दूसरा कुछ जरूर मिल जाता है.
कैसी हो जीवनशैली
आहार विशेषज्ञ का कहना है कि हमारे घर की रसोई में ही हमारे आहार का तरीका छिपा होता है. लेकिन घर के आहार का तरीका छोड़ कर गलत दिशा में निकल जाएं तो उस का शरीर भी बुरा प्रभाव दिखाईर् देने लगता है. आप जैसा खाते हैं वैसा ही बनते हैं. डाइट की कालावधी बहुत छोटी होती है क्योंकि केवल सूप्स, सलाद और फल और सब्जियों के जूस पर हम पूरी जिंदगी नहीं बिता सकते. हमारा आहार हमारी जीवनशैली होनी चाहिए. यह जीवनशैली केवल हमारे शरीर पर ही प्रभाव नहीं डालती इस का हमारे मन पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है.
कई बार गलत कारणों के लिए वेट लौस करने की कोशिश की जाती है. स्वस्थ और फिट रहने के लिए आहार पर कंट्रोल करने वाले या उचित आहार के तरीके को अपनी जीवनशैली बनाने वाले लोग बहुत कम होते हैं. ऊंचाई और वजन का गलत तालमेल बैठा कर गलत जानकारी से डाइट या वेटलौस किया जाता है.
गलत धारणा
सच पूछो तो हमारा वजन हमारे शरीर का बहुत छोटा हिस्सा होता है. कई लोगों को यह पता ही नहीं होता कि उन्हें फैट लौस करना है या वेट लौस. वजन कम होने से जीवन स्वस्थ और आरोग्यसंपन्न होता है आज ऐसी गलत धारणा सभी ओर प्रचलित है कि आप का वजन महत्त्वपूर्ण नहीं होता, आप खुद को कितना स्वस्थ, खुशहाल और आरोग्यसंपन्न महसूस करते हैं यह ज्यादा महत्त्वपूर्ण होता है.
खाने के विषय में अपना वैचारिक नजरिया हमेशा विशाल रखें. इस के लिए हमारा शरीर स्वस्थ और मन शांत होना चाहिए. जब हमारे द्वारा खाए गए आहार में अधिक मात्रा में पोषक घटक हों तब ही यह संभव होता है. हम जहां रहते वहां मौसम के अनुसार खाने से पेट समतल रहता है. हम जहां रहते है वहां उगने वाले अनाज, फल और सब्जियों में होने वाले पोषक घटक वहां के वातावरण द्वारा निर्मित खतरे से हमारी रक्षा करते हैं, इसलिए लोकल फूड को महत्त्व देना जरूरी होता है.
आप कितना खाना चाहते हैं यह अपने पेट को तय करने दें, डाक्टर, मां, प्रशिक्षक, आहारविशेषज्ञ या और किसी को नहीं. हम अपने पेट की मांग के अनुसार खाने लगें तो मोटे होने का डर नहीं और सब से महत्त्वपूर्ण बात यह है कि आप जो बचपन से खाते आए हैं या जो खा कर बड़े हुए हैं वही चीजें खाएं क्योंकि उन चीजों की आप के पेट को आदत होती है. उन से कोई तकलीफ नहीं होती.
ऐसे दिखें तरोताजा
एक ही बार में पेटभर खाना और बाद में व्रत रखना ये दोनों ही बातें बहुत मुश्किल हैं. इस पर एक मात्र उपाय पाने के लिए आप अपने पेट और मन की सुने और आप की जितनी इच्छा हो उतना ही खाएं. हमारी भूख कभी 1 रोटी से मिट जाती है तो कभी 3 रोटियों से. ऐसे समय आप खाने की मात्रा निश्चित न करें.
हर 2 घंटे में कुछ न कुछ खाना बहुत महत्त्वपूर्ण होता है. अगर हम यह नियम बना लें तो अपनेआप ही थोड़ा खाने से भी हमारा पेट भर जाएगा. कम खाना हमारा उद्देश्य नहीं है बल्कि पेट को जितने खाने की जरूरत हो उतना खाना ही महत्त्वपूर्ण होता है.
आवश्यकतानुसार खाना महत्त्वपूर्ण होता है. भूख लगना यह जवां बने रहने और स्वास्थ्य की निशानी है. इसलिए सही तरीके से खाएं और अपनी भूख बनाए रखें.
एक बात पर आप जरूर गौर करें कि आप को ठीक तरह से भूख लगती है या नहीं? अगर आप का जवाब हां है तो समझ लीजिए कि आप सही रास्ते पर आ रहे हैं. उचित समय पर खाएं, स्वस्थ और तरोताजा दिखें और इस के लिए अपनी हंगर को समयसमय पर ऊर्जा दे कर प्रदीप्त रखें.
आहार और व्यायाम
सुयोग्य आहार के साथ ही व्यायाम भी जरूरी है. व्यायाम करना हमारे शरीर को स्वस्थ और मजबूत रखने के लिए बहुत जरूरी होता है. आप को जो व्यायाम अच्छा लगे वही करें.
चाहें तो मार्शल आर्ट के लिए जाएं, डांस करें, दौड़ लगाएं, वेट ट्रेनिंग करें या तैरने जाएं ताकि आप के जोड़ों, पेशियों और हड्डियों को गति मिले. व्यायाम करने के लिए प्रशिक्षण भी जरूरी होता है. हमारा शरीर जितना हलका होगा उतना ही स्वस्थ, मजबूत होगा.
सामान्य तौर पर ऐसा कहा जाता है कि वजन उठाने वाला व्यायाम केवल पुरुष ही करते हैं, लेकिन वजन उठाने वाले व्यायाम करना यानी अपनी मांसपेशियां मजबूत करना होता है. जब कोई महिला कहती है कि वह सुडौल, सुघड़ बनना चाहती है तब उस का संबंध सीधेसीधे मांसपेशियों की सुडौलता से होता है.
सिर्फ चलते रहना ऐसा कहना मानो पहली के बच्चे को अगले 10 सालों तक पहली में ही रहे ऐसा कहना होगा. केवल चलना पूरा नहीं व्यायाम कहलाया जा सकता. कोई चैलेजिंग ऐक्टीविटी करना ही पूरा व्यायाम कहलाएगा. सप्ताह में कम से कम 5 दिनों तक नियमित व्यायाम करें. व्यायाम हमेशा बदलते रहें ताकि आप और आप के शरीर को बोरियत महसूस न हो.