आमतौर पर इंसान का स्वभाव नहीं बदलता. मगर जब किसी की शादी हो जाती है, तो उसे अपने पार्टनर की खुशी की खातिर अपना स्वभाव बदलना चाहिए, तभी दांपत्य में मधुरता आ पाती है वरना अपने स्वभाव, आदतों और व्यवहार के प्रति अडि़यल रवैया रखने से दांपत्य में दूरियां बढ़ती जाती हैं. आप के समक्ष भी यह नौबत न आए इस के लिए छोड़ें ये आदतें:
– आप शादी के पहले चाहे जब सोते या सोती हों अथवा उठते या उठती हों, लेकिन शादी के बाद आप को अपने पार्टनर के साने और उठने के समय से तालमेल बैठाना होगा यानी अपने स्वभाव को बदलना होगा. देर रात जगने या रात होते ही सोने की आदत बदलनी होगी. यदि पतिपत्नी एक समय ही सोएं तो सवेरे वे एकसाथ उठ सकते हैं अन्यथा एक सुबह 6 बजे तो दूसरा 10 बजे सो कर उठेगा.
– शादी से पहले आप भले कितने ही क्रोधी या जिद्दी स्वभाव के रहे या रही हों, लेकिन शादी के बाद अपने पार्टनर की खुशी की खातिर आप को अपने स्वभाव को शांत बनाना होगा और जिद पर अड़े रहने की प्रवृत्ति छोड़नी होगी. पार्टनर की इच्छा का भी सम्मान करना होगा. यदि आप ने अपने क्रोध पर काबू रखना नहीं छोड़ा तो दांपत्य में मिठास नहीं आ पाएगी.
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– शादी से पहले आप की खानपान संबंधी आदतें चाहें जैसी रही हों, शादी के बाद पार्टनर से समझौता करने में ही भलाई है. हालांकि खाने के मामले में आप की अपनी पसंद या नापसंद हो सकती है, लेकिन पार्टनर की इच्छा की खातिर आप को उस में बदलाव लाना चाहिए.
– शादी पूर्व भले ही आप घर का कोई भी काम नहीं करते या करती हों अथवा उसे करने की जरूरत नहीं पड़ी हो, लेकिन शादी के बाद दोनों को ही घरेलू कार्यों में रुचि ले कर एकदूसरे का हाथ बंटाना चाहिए. पति को पुरुष होने का अहम त्यागना होगा. घर का कोई भी काम ओछा या घटिया नहीं होता. इस में किसी तरह की कोई शर्म नहीं करनी चाहिए.
– शादी पूर्व आप अपनी मरजी से शौपिंग करते या करती थीं, लेकिन शादी के बाद अपने पार्टनर की रुचि और पसंद का भी ध्यान रखना चाहिए, इस से आपसी प्रेम बढ़ता है.
– शादी के पूर्व भले ही आप कितने ही स्वार्थी रहे या रही हों, लेकिन शादी के बाद आप को यह स्वभाव छोड़ कर अपने पार्टनर के बारे में भी सोचना चाहिए. उस की भावनाओं की कद्र भी करनी होगी. सदैव अपने को सर्वोपरि या सर्वाधिक बुद्धिमान मानने की प्रवृत्ति छोड़नी होगी. अपने पार्टनर को अपने से कमतर न समझें.
– शादी के पूर्व आप चाहे जितनी मौजमस्ती करते या करती हों, घर से बाहर यारदोस्तों, सखीसहेलियों के बीच समय गुजारती हों, लेकिन शादी के बाद अपने इस स्वभाव को बदलना होगा, क्योंकि अब आप अकेले या अकेली नहीं हैं, आप का पार्टनर भी है. उस की खुशी साथ रहने और साथ समय गुजारने में है.
– शादी से पहले आप भले ही धूम्रपान या मदिरापान करते या करती हों, लेकिन शादी के बाद यदि पार्टनर को आप की यह आदत पसंद नहीं है, तो इसे तत्काल छोड़ना ही अच्छा है. इस से दांपत्य की खुशियां बढ़ जाती हैं. धूम्रपान या मदिरापान अथवा और किसी व्यसन को त्याग कर तो देखें, जिंदगी कितनी हसीन है.
– शादी के पूर्व आप का भले ही बौयफ्रैंड या गर्लफ्रैंड रही हो, लेकिन शादी के बाद उस से दूरी बनाए रखनी चाहिए अन्यथा दांपत्य की सारी खुशियां तबाह हो सकती हैं. अपने पार्टनर के प्रति पूर्ण वफादार बनें.
– शादी के पूर्व आप चाहे जितनी बहस करते या करती हों, लेकिन शादी के बाद अपना यह स्वभाव बदलें. बात का बतंगड़ बनाने से कोई लाभ नहीं. इस से विवाद को जन्म मिलता है. इसलिए चुप रहने में ही भलाई है. हां, उचित अवसर देख कर आप अपनी बात पार्टनर के समक्ष रख सकते या सकती हैं.
– कुछ लोगों का स्वभाव होता है कि वे अनावश्यक रूप से दूसरों को टोकते हैं या अपनी सलाह देते हैं. यह उन का स्वभाव बन जाता है. लेकिन शादी के बाद अपने पार्टनर की टोकाटाकी नहीं करनी चाहिए. वह भी समझदार है. उस की समझदारी पर प्रश्नचिह्न न लगाएं.
– यदि शादी के पहले आप होस्टल में रह कर पढ़े या पढ़ी हैं, तो आप को अपना कमरा व्यवस्थित रखने की आदत नहीं होती. कपड़े, कापीकिताबें, अन्य सामान जहांवहां बिखरा रहता है. पढ़ाई पूरी करने के बाद भी आप का यह स्वभाव नहीं बदलता. लेकिन यह प्रवृत्ति गलत है. इसलिए आप पति हों या पत्नी, अपना सामान व्यवस्थित रखने की आदत डालें अन्यथा इस बात पर भी अनावश्यक कलह पैदा हो सकती है, जो दांपत्य की खुशियों को लील सकती है.
– यदि आप किसी बड़े पद पर कार्यरत हों और अपने अधीनस्थों से आदेशात्मक लहजे में बात करने की आदत हो तो इसे बदलिए, क्योंकि पार्टनर में कोई किसी का अधिकारी या अधीनस्थ नहीं होता. दोनों का दर्जा समान होता है. इसलिए अफसरी का रोब पार्टनर पर न झाडे़ं.
– कुछ लोगों का स्वभाव होता है कि वे हरकिसी की आलोचना करते हैं या उस के कार्य में मीनमेख निकालते हैं. लेकिन शादी के बाद उन्हें अपने इस स्वभाव को बदलना होगा. अपने भीतर से नकारात्मकता का विचार निकालना होगा. यदि पार्टनर एकदूसरे की आलोचना करें, कार्य में कमियां गिनाने लगें, तो उन के बीच खुशियां कैसे कायम रह सकती हैं- इसलिए बुराई करने के बजाय गुणों आदि की तारीफ करना सीखें.
– कुछ लोगों की आदत होती है कि वे सदैव अपने को सही और सामने वाले या वाली को गलत समझते हैं. यह उन का अपना स्वभाव होता है. लेकिन शादी के बाद ये सब नहीं चलेगा, क्योंकि सदैव आप ही सही नहीं होते या होतीं. आप का पार्टनर भी सही हो सकता या सकती है. इसलिए उस का पक्ष जाने बगैर उसे गलत मानना ठीक नहीं.
– शादी के पहले भले ही आप अपने काम की वजह से कितने ही व्यस्त रहते या रहती हों, लेकिन शादी के बाद आप को अपने पार्टनर के लिए भी समय निकालना चाहिए. उस की इच्छाओं, भावनाओं की अनदेखी करना ठीक नहीं.
– कुछ लोगों का स्वभाव होता है कि सामने वाले या वाली पर हावी होना चाहते या चाहती हैं. यह मानसिकता ठीक नहीं. पतिपत्नी के बीच हावी होने का स्वभाव उन के बीच नफरत की दीवार खड़ी कर सकता है.
– यदि आप तुनकमिजाज स्वभाव के रहे या रहीं हैं, तो शादी के बाद वक्त आ गया है अपने इस स्वभाव में बदलाव का, क्योंकि अब तुनकमिजाजी नहीं चलेगी. यदि आप ने अपना स्वभाव नहीं बदला तो दांपत्य जीवन में तकरार थमने का नाम नहीं लेगी.
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– यदि आप में धैर्य नाम की कोई चीज नहीं है और सदैव अधीर रहते या रहती हैं, तो शादी के बाद अपने स्वभाव में परिवर्तन लाएं. धैर्यपूर्वक एकदूसरे की बात सुनें, समझें. उस के बाद ही अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें. अकारण विरोध न करें.
– बहुत से लोग शक्की स्वभाव के होते हैं. वे हर बात, घटना, रिश्ते आदि को शक की निगाह से देखते हैं, जबकि वास्तव में यह उन का संदेह होता है. यदि आप भी शक्की स्वभाव वाले या वाली हैं, तो इसे बदलें, क्योंकि शादी के बाद यदि पतिपत्नी ने एकदूसरे पर शक किया, तो दांपत्य को बिखरते देर नहीं लगेगी. दांपत्य की बुनियाद विश्वास पर टिकी होती है.