बदला: मनीष के प्यार को क्या समझ पाई अंजलि

मनीष सुबह टहलने के लिए निकला था. उस के गांव के पिछवाड़े से रास्ता दूसरे गांव की ओर जाता था. उस रास्ते से अगले गांव की काफी दूरी थी. वह रास्ता गांव के विपरीत दिशा में था, इसलिए उधर सुनसान रहता था. मनीष को भीड़भाड़ से दूर वहां टहलना अच्छा लगता था. वह इस रास्ते पर दौड़ लगाता और कसरत करता था.

मनीष जैसे ही अपने घर से निकल कर गांव के आखिरी मोड़ पर पहुंचा, तो उस ने देखा कि सामने एक लड़की एक लड़के से गले लगी हुई. मनीष रुक गया था. दोनों को देख कर उस के जिस्म में सनसनाहट पैदा होने लगी थी. वह जैसे ही नजदीक पहुंचने वाला था, वह लड़की जल्दी से निकल कर पीछे की गली में गुम हो गई.

‘‘अरे, यह तो अंजलि थी,’’ वह मन ही मन बुदबुदाया. वही अंजलि, जिसे देख कर उस के मन में कभी तमन्ना मचलने लगती थी. उस के उभारों को देख कर मनीष का मन मचलने लगता था. आज उसे इस तरह देख कर वह अपनेआप को ठगा सा महसूस करने लगा था.

आज मनीष पूरे रास्ते इसी घटना के बारे में सोचता रहा. आज उस का टहलने में मन नहीं लग रहा था. वह कुछ दूर चल कर लौटने लगा था. वह जैसे ही घर पहुंचा कि गांव में शोर हुआ कि किसी की हत्या हुई है. लोग उधर ही जा रहे थे.

मनीष भी उसी रास्ते चल दिया था. वह हैरान हुआ, क्योंकि भीड़ तो वहीं जमा थी, जहां से अंजलि निकल कर भागी थी. एक पल को तो उसे लगा कि भीड़ को सब बता दे, पर वह चुप रहा.

सामने अंजलि अपने दरवाजे पर खड़ी मिल गई. शायद वह भी बाहर हो रही घटनाओं के संबंध में नजरें जमाई थी.

मनीष ने उसे धमकाते हुए कहा, ‘‘मैं ने सबकुछ देख लिया है. मैं चाहूं तो तुम सलाखों के पीछे चली जाओगी.’’

अंजलि ने हाथ जोड़ कर गिड़गिड़ाते हुए कहा, ‘‘अपना मुंह बंद रखना. मैं तुम्हारी अहसानमंद रहूंगी.’’

‘‘ठीक है. आज शाम 7 बजे झाड़ी के पीछे वाली जगह पर मिलना. मैं तुम्हारा इंतजार करूंगा.’’

‘‘अच्छा, लेकिन अभी जाओ और घटना पर नजर रखना.’’

मनीष वहां से चल दिया. घटनास्थल पर भीड़ इकट्ठा हो गई थी. कुछ देर बाद पुलिस भी आ गई थी. पुलिस ने हत्या के बारे में थोड़ीबहुत जानकारी ले कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था. मनीष अपने घर लौट आया था.

मनीष अंदर से बहुत खुश था कि आज उस की मनोकामना पूरी होगी. फिर हत्या कैसे और क्यों की गई है,  इस का राज भी वह जान पाएगा. उस के मन में बेचैनी बढ़ती जा रही थी. आज काम में बिलकुल भी मन नहीं लग रहा था, इसलिए समय बिताने के लिए वह अपने कमरे में चला गया था.

मनीष तय समय पर घर से निकल गया था. जाड़े का मौसम होने के चलते अंधेरा पहले ही हो गया था.

मनीष तय जगह पर पहुंच चुका था, तभी उस की ओर एक परछाईं आती हुई नजर आई. मनीष थोड़ा सा डर गया था. परछाईं जैसेजैसे उस की ओर बढ़ रही थी, उस के मन से डर भी खत्म हो रहा था, क्योंकि वह कोई और नहीं बल्कि अंजलि थी.

अंजलि के आते ही मनीष ने उस के दोनों हाथों को अपने हाथों में थाम लिया था. कुछ पल के बाद उसे अपने आगोश में भरते हुए उस ने पूछा, ‘‘अंजलि, तुम ने जितेंद्र की हत्या क्यों की?’’

‘‘उस की हत्या मैं ने नहीं की है, उस ने मेरे साथ सिर्फ शारीरिक संबंध बनाए थे, जो तुम देख चुके हो.’’

‘‘हां, लेकिन हत्या किस ने की?’’

‘‘शायद मेरे जाने के बाद किसी ने हत्या कर दी हो. यही तो मुझे भी समझ में नहीं आ रहा है… और इसीलिए मैं डर रही थी और तुम्हारी बात मानने के लिए राजी हो गई,’’ अंजलि अपनी सफाई देते हुए बोली थी.

‘‘क्या उस की किसी से दुश्मनी रही होगी?’’ मनीष ने सवाल किया.

‘‘मुझे नहीं पता… अब तुम पता करो.’’

‘‘ठीक है, मैं पता करता हूं.’’

‘‘मुझे तो डर लग रहा है, कहीं मैं इस हत्या में फंस न जाऊं.’’

‘‘मेरी रानी, डरने की कोई बात नहीं है, मैं तुम्हारे साथ हूं. मैं तुम्हारी मदद करूंगा. बस, तुम मेरी जरूरतें पूरी करती रहो,’’ मनीष के हाथ उस की पीठ से फिसल कर उस के कोमल अंगों को छूने लगे थे.

थोड़ी सी नानुकुर के बाद जब मनीष का जोश ठंडा हुआ, तो उस ने अंजलि को अपनी पकड़ से आजाद कर दिया.

मनीष अगले सप्ताह रविवार को मिलने के लिए अंजलि से वादा किया था. अंजलि राजी हो गई थी. इधर अंजलि के मन का बोझ थोड़ा शांत हुआ कि वह मनीष को समझाने में कामयाब रही. मनीष को मुझ पर शक नहीं हुआ है. वह हत्यारे के बारे में पता करने में मदद करेगा.

अब अंजलि और मनीष के मिलने का सिलसिला जारी हो चुका था. मनीष एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाता था. अभी उस की शादी नहीं हुई थी. अंजलि महसूस कर रही थी कि मनीष दिल का बुरा नहीं है. उस की सिर्फ एक ही कमजोरी है. वह हुस्न का दीवाना है. कई बार अंजलि महसूस कर चुकी है कि आतेजाते मनीष उसे देखने की कोशिश करता था, लेकिन वह जानबूझकर शरीफ होने का नाटक करता था. इसीलिए औरों की तरह वह मेरा पीछा नहीं कर पाया था.

जितेंद्र की हत्या की जांच कई बार की गई, लेकिन यह पता नहीं चल पाया कि उस की हत्या किस ने की. पुलिस द्वारा जहरीली शराब पीने से मौत की पुष्टि कर तकरीबन उस की फाइल बंद कर दी गई थी. अब अंजलि भी समझ चुकी थी कि पुलिस की ओर से कोई डर नहीं है.

जितेंद्र की हत्या के बारे में गांव के लोगों की ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी. इस के पीछे वजह यह थी कि वह लोगों की नजरों में अच्छा इनसान नहीं था. वह शराब तो पीता ही था, औरतों व लड़कियों को भी छेड़ता रहता था. बहुत से लोग उस के मरने पर खुश भी थे.

अंजलि तकरीबन एक साल से मनीष से मिल रही थी. कई बार मनीष उसे उपहार भी देता था. अब तो अंजलि का भी मनीष के बगैर मन नहीं लगता था.

एक दिन मनीष अंजलि को अपने गोद में ले कर उस के बालों से खेल रहा था. उस ने अपनी इच्छा जाहिर की, ‘‘क्यों न हम दोनों शादी कर लें? कब तक यों ही हम छिपछिप कर मिलते रहेंगे?’’

इस पर अंजलि बोली, ‘‘मुझे कोई एतराज नहीं है, पर मुझे अपनी मां से पूछना होगा.’’

‘‘तुम अपनी मां को जल्दी से राजी करो.’’

‘‘मां तो राजी हो जाएंगी, लेकिन यह बात मैं राज नहीं रखना चाहती हूं.’’

‘‘कौन सी बात?’’

‘‘यही कि जितेंद्र की हत्या किस ने की थी.’’

‘‘किस ने की थी?’’

‘‘मैं ने…’’

‘‘कैसे और क्यों?’’

‘‘3 साल पहले की बात है. मेरी एक बहन रिया भी थी. घर में मां और मेरी बहन समेत हम सभी काफी खुश थे. पिताजी के नहीं होने के चलते मेरी छोटी बहन रिया मौल में काम कर के अच्छा पैसा कमा लेती थी. उसी के पैसों से हमारा घर चल रहा था.

‘‘जब भी मेरी बहन घर से निकलती थी, जितेंद्र अपनी मोटरसाइकिल से उस का पीछा करता था. मना करने के बाद भी वह नहीं मानता था.

‘‘मेरी बहन रिया उस से प्यार करने लगी थी. जितेंद्र ने मेरी बहन से कई बार शारीरिक संबंध बनाए. बहन को विश्वास था कि जितेंद्र उस से शादी जरूर करेगा.

‘‘लेकिन, जितेंद्र धोखेबाज निकला. मेरी बहन रिया को जितेंद्र के बारे में पता चला कि वह कई लड़कियों की जिंदगी बरबाद कर चुका है. मेरी बहन पेट से हो गई थी. 5 महीने तक मेरी बहन शादी के लिए इंतजार करती रही. जितेंद्र केवल झांसा देता रहा.

‘‘आखिरकार जितेंद्र ने शादी करने से इनकार कर दिया था. उस का मेरी बहन से झगड़ा भी हुआ था.

‘‘मेरी बहन परेशान रहने लगी थी. उस ने मुझे सबकुछ बता दिया था. मैं बहन को ले कर अस्पताल गई थी. वहां मैं ने उस का बच्चा गिरवाया, पर वह कोमा में चली गई थी. उस का बच्चा तो मरा ही, मेरी बहन भी दुनिया छोड़ कर चली गई. उसी दिन मैं ने कसम खाई थी कि जितेंद्र का अंत मैं ही करूंगी.

‘‘इस बार मैं ने गोरा को फंसाया था. मैं भी उस से प्यार का खेल खेलती रही. उस ने कई बार मुझे हवस का शिकार बनाना चाहा, लेकिन मैं उस से अपनेआप को बचाती रही.

‘‘उस दिन जितेंद्र ने मुझे अपने गुसलखाने में बुलाया था. मैं सोच कर गई थी कि आज रात काम तमाम कर के आना है. मैं ने उस की शराब में जहर मिला दिया.

‘‘मैं उस की मौत को नजदीक से महसूस करना चाहती थी, इसलिए उस की हत्या करने के बाद मैं भी उस के साथ रातभर रही. वह तड़पतड़प कर मेरे सामने ही मरा था.

‘‘सुबह मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं. जानबूझ कर उस के शरीर से मैं लिपटी हुई थी, ताकि कोई देखे तो गोरा को जिंदा समझे. पकड़े जाने पर पुलिस को गुमराह किया जा सके. हत्या के बारे में शक किसी और पर हो. यही हुआ भी. तुम ने मुझे बेकुसूर समझा.

‘‘मैं शादी करने से पहले सबकुछ तुम्हें बता देना चाहती हूं, ताकि भविष्य में पता चलने पर तुम मुझे गलत न समझ सको. मैं ने अपनी बहन रिया की मौत का बदला ले लिया, इसलिए मुझे इस बात का कोई अफसोस नहीं है.’’

मनीष यह सुन कर हक्काबक्का था. उस के मन में थोड़ा डर भी हुआ, लेकिन जल्द ही अपनेआप को संभालते हुए बोला, ‘‘तुम ने ठीक ही किया. तुम ने उस को उचित सजा दी है. तुम्हारे ऊपर किसी तरह का इलजाम लगता भी तो मैं अपने ऊपर ले लेता, क्योंकि मैं अब तुम से प्यार करने लगा हूं.’’

अंजलि ने मनीष को अपनी बांहों में ले कर चूम लिया था. वह अपनेआप पर गर्व कर रही थी कि उस ने गलत इनसान को नहीं चुना है. फिर वह सुखद भविष्य के सपने देखने लगी थी. उन दोनों ने जल्दी ही शादी कर ली. अंजलि अब मनीष को अपना राजदार समझती थी.

 

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