विशाल रोजाना की तरह अपने औफिस गया. वहां जाने पर उसे पता चला कि कंपनी घाटे में चलने और आर्थिक मंदी के कारण कर्मचारियों की छंटनी कर रही है जिस में उस का नाम भी है. कंपनी ने अपने 1,600 कर्मचारियों में से 600 की छुट्टी कर दी.
विशाल के पैरों तले जमीन खिसक गई. उस पर अपने परिवार का दायित्व था. उसे वह कैसे निभाएगा? यह सोचते हुए वह लौट रहा था कि अचानक उस की मुलाकात उस के एक प्रोफैसर से हुई, जिन्होंने उसे 10 वर्ष पूर्व पढ़ाया था. बातों ही बातों में उस ने बताया कि छंटनी की वजह से उस की नौकरी चली गई और अब वह बेरोजगार हो गया है.
प्रोफैसर ने उसे दिलासा देते हुए कहा, ‘‘कोई बात नहीं. एक दरवाजा बंद होता है तो दूसरा खुलता है. इसलिए निराश न हो. तुम पढ़ेलिखे हो, अनुभवी हो और काबिल भी हो. आज नहीं तो कल, तुम्हें जौब अवश्य मिल जाएगी. हां, इस के लिए कोशिश अभी से जारी कर दो. अपनी सोच सकारात्मक रखो और आत्मविश्वास को डगमगाने मत दो, फिर देखो कितनी जल्दी दूसरी नौकरी मिलती है.’’
रोहित जिस फैक्ट्री में काम करता था, उसे किसी अन्य ने खरीद लिया और उसे कंप्यूटरीकृत कर दिया. इस से उस की जगह कंप्यूटरों ने ले ली. कंपनी ने उसे नौकरी से हटा दिया. वह पिछले 8 सालों से सुपरवाइजर का काम कर रहा था.
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राकेश विगत 12 सालों से संविदा आधार पर शिक्षक के रूप में कार्यरत था. हर साल उस का कौंट्रैक्ट सालभर के लिए बढ़ा दिया जाता था. लेकिन, सरकार बदलते ही नीति में बदलाव होने से संविदा व्यवस्था समाप्त कर दी गई और उस की नौकरी चली गई.
आज नौकरी बड़ी मुश्किल से मिलती है. एक पद के लिए हजारों आवेदन आते हैं. ऐसे में लगीलगाई नौकरी का छूट जाना कितना पीड़ादायक होता है, यह एक भुक्तभोगी ही जानता है. लेकिन नौकरी के चले जाने का मतलब यह नहीं कि दुनिया समाप्त हो गई. आशा का दीप कभी बुझने न दें.
परीक्षा की घड़ी
एक नौकरी छूटने और दूसरी मिलने के बीच का समय संक्रमण काल होता है. यह व्यक्ति के लिए परीक्षा की घड़ी होती है. यदि इस दौरान हिम्मत छोड़ दी, तो बुरी तरह टूट जाएंगे. हिम्मत वालों की कभी हार नहीं होती. यकीन मानिए, आप को काम अवश्य मिल जाएगा. हां, यह बात अलग है कि पूर्व में जिस पद और वेतन पर आप काम रहे थे, उस से कमतर पर आप को समझौता करना पड़े. एक बार नई नौकरी मिल जाए, फिर सामने वाला आप की योग्यता और काबिलीयत को देखते हुए प्रमोशन अवश्य देगा.
कुछ लोग बौस के डांटने पर तैश में आ जाते हैं और अपनी नौकरी छोड़ने का फैसला कर बैठते हैं. वे अपना त्यागपत्र प्रस्तुत कर देते हैं, जिसे स्वीकार करने में बौस जरा भी देर नहीं करता. ऐसे में अपने क्रोधी स्वभाव की वजह से व्यक्ति अपनी जौब खो देता है. यदि उस ने अपने स्वभाव में बदलाव नहीं किया, तो दूसरी नौकरी छोड़ते भी उसे देर नहीं लगेगी.
यदि आप कंप्यूटर के जानकार हैं या नई स्किल्स से वाकिफ हैं तो आप को नई नौकरी ढूंढ़ने में अधिक परेशानी नहीं होगी. लेकिन, यदि आप बदलते युग के साथ अपनेआप को ढालने में असमर्थ हैं तो फिर नई नौकरी के कई दरवाजे आप को बंद मिलेंगे और लंबे इंतजार के बाद ही आप रोजगार पाने में सफल होंगे.
धैर्य न खोएं
जब किसी की नौकरी छूट जाती है तो वह घबरा जाता है. उस के मन में संशय होता है कि नई नौकरी मिलेगी या नहीं. वह मानसिक रूप से टूट जाता है और अपनेआप को अयोग्य मानने लगता है. कुछ तो नौकरी छूटने को बरदाश्त नहीं कर पाते और डिप्रैशन में चले जाते हैं. ऐसे लोग भी हैं जिन्हें स्वयं पर भरोसा नहीं होता, वे खुदकुशी कर लेते हैं. क्या खुदकुशी करना समस्या का हल है? यह तो कायरतापूर्ण कदम है. इसलिए नौकरी छूट जाने पर भी धैर्य न खोएं.
आज इंटरनैट का जमाना है. यहां से आप नौकरी के अवसरों को तलाश सकते हैं तथा अपनी योग्यतानुसार नौकरी का विकल्प चुन कर वहां आवेदन कर सकते हैं. इस के अलावा, अपने कौंट्रैक्ट्स को भी बढ़ाएं. आप की नैटवर्किंग अच्छी होगी, तो काम तलाशना आसान हो जाएगा.