बच्चों से लेकर युवाओं तक ब्लड प्रेशर पर रखें नजर

लेखक- श्री  प्रकाश

बच्चा , युवा या बूढ़ा कोई भी हो ब्लड प्रेशर किसी को भी हो सकता है. अनियंत्रित ब्लड प्रेशर मध्य आयु के लोगों में हार्ट अटैक का मुख्य कारण है. आरम्भ में हाई ब्लड प्रेशर या हाइपर टेंशन का कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिख सकता है भले ही देखने में  किशोर या युवा स्वस्थ क्यों न लगे. डॉक्टरों के अनुसार ब्लड प्रेशर अंदर ही अंदर धीरे धीरे शरीर के अंगों पर बुरा असर डालता है और आगे चल कर यह गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो सकती है.

 नार्मल ब्लड प्रेशरजैसा कि हम जानते हैं स्वस्थ युवा के लिए 120 / 80 mmHg ( सिस्टॉलिक / डायस्टोलिक )  ब्लड प्रेशर माना जाता है जबकि

129 / 80   mmHg को एलेवेटेड ( यानि बढ़ा हुआ ) ,

130 / 80 – 90  mmHg स्टेज 1 हाई ब्लड प्रेशर और

140 / 90 या अधिक  mmHg स्टेज 2 हाई ब्लड प्रेशर कहलाता है.

एलिवेटेड या हाई ब्लड प्रेशर हार्ट के लिए नुकसानदेह होता है क्योंकि

1 . इस से हार्ट को  ब्लड पंप करने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती  है.इसके चलते  धीरे धीरे हार्ट की मांसपेशियाँ मोटी और सख्त हो जाती हैं. फलस्वरूप हार्ट में समुचित मात्रा में ब्लड नहीं पहुँचता है और इसे पंप करना भी कठिन होता है.

2 . हार्ट के आर्टरी  ( धमनी )  संकीर्ण और सख्त हो जाते हैं और शरीर में रक्त संचार सुचारू रूप से नहीं हो पाता है.

3 . इसके चलते  आर्थिक समस्या भी हो सकती है , जैसे ब्लड प्रेशर की दवाओं पर या भविष्य में अगर हार्ट पर असर हुआ तो उसके  इलाज में खर्च.

4 . Covid 19 में हाई ब्लड प्रेशर से समस्या और भी गंभीर हो सकती है.

बच्चों ,किशोरों और युवाओं में ब्लड प्रेशर भले ही नजर में न आता हो पर  इस पर नजर नहीं रखने से भविष्य में स्ट्रोक , ह्रदय रोग जैसी गंभीर समस्या हो सकती है.

बच्चों किशोरों और युवाओं में हाइपरटेंशन आजकल ब्लड प्रेशर की समस्या सभी उम्र में देखने को मिलती है , यहाँ तक कि 6 – 18 / 20 साल की उम्र में. कुछ वर्ष पूर्व के एक अध्ययन में भारत में स्कूल के विद्यार्थियों  में करीब 11 % बच्चों में प्री हाइपर टेंशन और  4.6 % में हाइपर टेंशन देखा गया था. युवाओं में करीब 20  % युवा ब्लड प्रेशर से प्रभावित हैं.

बच्चों / किशोरों में हाइपर टेंशन के लक्षण सर दर्द , मिचली और उल्टी , सीजर , सीने में दर्द , असामन्य हार्ट बीट और शॉर्टनेस ऑफ़ ब्रीदिंग.

बच्चे / किशोरों में हाइपरटेंशन के कारणमोटापा , हार्मोनल  असंतुलन , जेनेटिक , हार्ट और किडनी की समस्या , लाइफ स्टाइल , थयरॉइड की समस्या , अनिद्रा या अल्पनिद्रा , ड्रग  का सेवन. आजकल पढ़ाई लिखाई , खेलकूद सभी जगह प्रतिस्पर्धा बढ़ जाने से कुछ किशोरों और युवकों में हाइपर टेंशन देखा गया  है.

हाइपरटेंशन से संभावित खतरेअनियंत्रित हाइपर टेंशन से स्ट्रोक , हार्ट अटैक या हार्ट फेल , आँखों और किडनी की समस्या हो सकती है.

डॉयग्नोसिसब्लड प्रेशर मेजर करना  या आवश्यकतानुसार  डॉक्टर ब्लड , पेशाब टेस्ट , इको और अल्ट्रा साउंड की सलाह दे सकते हैं.

उपचार स्टेज 1 हाइपरटेंशन में आमतौर पर डॉक्टर लाइफ स्टाइल में बदलाव कर इसे कंट्रोल करने की सलाह देते हैं.  स्टेज 2 हाइपरटेंशन में डॉक्टर आवश्यकतानुसार दवा देते हैं.

माता पिता बच्चों में  हाइपर टेंशन की समस्या में क्या करें समय समय पर बच्चे का ब्लड प्रेशर खुद मेजर करें या डॉक्टर के क्लिनिक में जा कर नपवायें. हाइपर टेंशन होने से डॉक्टर की सलाह के अनुसार उपचार करें. बच्चे के वजन पर नजर रखें , पौष्टिक भोजन दें और नियमित व्यायाम के लिए प्रोत्साहित करें.

खानपानपौष्टिक और संतुलित भोजन जिसमें  कैलोरी कम हो दें.  स्नैक्स , फ़ास्ट फ़ूड , सुगरी ड्रिंक आदि जिसमें  हाई फैट और शुगर होते हैं , न दें.  इनके बदले फल और सब्जी पर जोर दें. सोडियम यानि नमक ज्यादा न हो.

फिजिकल एक्टिविटी बच्चे / किशोर को उनकी  आयु के अनुसार नियमित व्यायाम के लिए प्रोत्साहित करें जैसे –

स्कूल ऐज बच्चेवाकिंग , साइकिलिंग , बॉल फेंकना और पकड़ना , रस्सी खींचना , पेड़ पर चढ़ना , स्विमिंग , बैडमिंटन , बास्केटबॉल  ,  स्किपिंग , योगा आदि.

3. किशोर  और युवा वाकिंग , जॉगिंग , हाईकिंग , चढ़ाई पर साइकिलिंग ,   स्पोर्ट्स और गेम – टेनिस , मार्शल आर्ट्स , हाई जम्प या लॉन्ग जम्प , क्रॉस कंट्री दौड़ , टग ऑफ़ वॉर ,  योग आदि

हेल्दी वजनबच्चों या किशोरों में हाइपरटेंशन का एक मुख्य कारण मोटापा है. इसके लिए BMI , बॉडी मास इंडेक्स , जो शरीर के वजन ( Kg में ) को लम्बाई के  वर्ग ( sq meter में  ) से भाग देने पर मिलता है. BMI ऐज और सेक्स पर भी निर्भर करता है.आमतौर पर  19 – 24 BMI  ( kg / sq met ) नार्मल है , 24 से 29  ओवर वेट और 30 से ज्यादा BMI मोटापा होता है.

इन्वॉल्वमेंटबच्चों की  एक्टिविटी में दिसलचस्पी लें और खुद भी शामिल हों , जैसे उनके खानपान और व्यायाम में.

हाई ब्लडप्रेशर को नजरअंदाज करना हो सकता है घातक

हमारी धमनियों में जब रक्त का दबाव बढ़ जाता है तो उच्च रक्तचाप यानी कि हाई ब्लडप्रेशर की समस्या जन्म लेती है. ब्लडप्रेशर लाइफस्टाइल की वजह से होने वाली एक ऐसी बीमारी है जिसके मरीजों की संख्या दुनिया भर में बहुत तेजी से बढ़ रही है. यह आजकल की एक आम समस्या है. अगर समय रहते इसपर ध्यान न दिया जाए तो यह अपने साथ कई अन्य बीमारियां भी साथ लाती हैं. वस्तुत: हाई ब्लडप्रेशर के साथ तमाम लोगों में गंभीर बीमारियां घर कर लेती हैं. जैसे हृदय रोग- कोरोनरी आर्टरी डिजीज, डाइबिटीज, गुर्दा रोग, स्ट्रोक-यानी सेरिब्रल थ्रॉम्बोसिस और ब्रेन हेमरेज आदि.

एक स्वस्थ शरीर वाले व्यक्ति का ब्लड प्रेशर अधिकतम 120 और न्यूनतम 80 होता है. अगर आपका ब्लडप्रेशर सामान्य नहीं है तो इसका मतलब आप पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हैं. उच्च रक्तचाप की समस्या से निपटने के लिए सबसे पहले उसके लक्षणों के बारे में जानना बेहद जरूरी है. आज हम आपको हाई ब्लड प्रेशर के कुछ सामान्य लक्षणों और उसके इलाज के बारे में बताने जा रहे हैं.

हाई ब्लडप्रेशर के लक्षण

– हाई ब्लड प्रेशर के शुरुआती दौर में रोगी के सिर के पीछे गर्दन में हमेशा दर्द की समस्या बनी रहती है. कई बार हम इस परेशानी को नजरअंदाज कर देते हैं जो बाद में एक गंभीर समस्या के रूप में सामने आ सकती है.

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– अगर आप बहुत ज्यादा तनाव महसूस कर रहे हों तो यह भी हाई ब्लडप्रेशर का लक्षण होता है. ऐसे में आपको छोटी-छोटी बात पर गुस्सा आता है और आप सही-गलत की पहचान नहीं कर पाते हैं.

– नाक से खून, सांस लेने में तकलीफ आदि हाई ब्लड प्रेशर का संकेत हो सकता है.

– हाई ब्लड प्रेशर में सर चकराना आम है. कई बार शारीरिक कमजोरी की वजह से भी सर चकराने की समस्या सामने आती है.

– अनिद्रा भी उच्च रक्तचाप के लक्षणों में से एक है. उच्च रक्तचाप के ज्यादातर रोगियों को अनिद्रा की शिकायत जरूर होती है.

– अगर आप थोड़ा सा काम करते ही थक जाते हों या फिर जरा सा तेज चलने पर आपकी सांसें फूलने लगती हों तो आप हाई ब्लड प्रेशर के मरीज हो सकते हैं. इस तरह के किसी भी लक्षण के दिखाई देते ही तुरंत डाक्टर से संपर्क करें.

क्या है इसका इलाज

इस रोग का घरेलू उपचार भी संभव है, जरूरत है संयमपूर्वक नियम पालन की.

– तीन ग्राम मेथीदाना पावडर सुबह-शाम पानी के साथ पंद्रह दिनों तक लगातार लें. ऐसा करने से आपको काफी लाभ मिलेगा.

– दिन में भोजन के बाद नियमित रूप से छाछ जरूर लें.

– गेहूं व चने के आटे को बराबर मात्रा में लेकर बनाई गई रोटी खूब चबा-चबाकर खाएं, आटे से चोकर न निकालें.

– तरबूज के बीज की गिरि तथा खसखस अलग-अलग पीसकर बराबर मात्रा में मिलाकर रख लें. एक चम्मच मात्रा में प्रतिदिन खाली पेट पानी के साथ लें.

– हाई ब्लडप्रेशर के मरीजों के लिए पपीता भी बहुत लाभ करता है, इसे प्रतिदिन खाली पेट चबा-चबाकर खाएं.

– तुलसी का रस एक या दो चम्मच पानी में मिलाकर खाली पेट सेवन करें. इसके एक घंटे बाद तक कुछ भी न खाएं.

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– डाक्टर के परामर्श के बगैर कोई भी दवा किसी के कहने पर या फिर अपने आप न लें. स्वचिकित्सा (सेल्फ मेडिकेशन) से बचें.

मुझे छोटी-छोटी बात पर बहुत जल्दी गुस्सा आता है?

सवाल-

मेरी उम्र 41 साल है. मुझे छोटीछोटी बात पर बहुत जल्दी गुस्सा आता है. शौपिंग में ज्यादा समय लगना, भीड़भाड़ वाली जगह, गरमी आदि में मुझे बेचैनी होने लगती है, साथ ही पसीना भी आता है. इस का क्या कारण हो सकता है और इस से राहत कैसे मिलेगी?

जवाब-

आप के द्वारा बताए गए लक्षणों से उच्च रक्तचाप का पता चलता है. इसे हाइपरटैंशन या हाई बीपी के नाम से भी जाना जाता है. हाई बीपी के दौरान धमनियों में खून का दबाव तेज हो जाता है. इस दबाव की वजह से धमनियों में रक्त का प्रवाह बनाए रखने के लिए दिल को सामान्य से अधिक काम करने की आवश्यकता पड़ती है. ऐसे में आप की धड़कन भी तेज हो सकती है. यही नहीं उच्च रक्तचाप हार्ट फेल्योर और हार्ट अटैक का एक बड़ा कारण माना जाता है, इसलिए इसे नियंत्रित करना बेहद जरूरी है. यह समस्या धूम्रपान, मोटापा, शारीरिक गतिविधियों में कमी, शराब का अत्यािक सेवन, तनाव आदि के कारण होती है. हालांकि, हाई ब्लड प्रैशर के उपचार के लिए बाजार में कई दवाइयां मिल जाएंगी. इस समस्या को कुछ हद तक घर बैठे ही नियंत्रित किया जा सकता है. रोज सुबहशाम 1 चम्मच शहद के साथ लहसुन की 1 कली खाएं. 1 गिलास पानी में 2 चम्मच आंवले का रस मिलाएं. इसे हर सुबह खाली पेट पीएं. बेचैनी होने पर ठंडा पानी पीएं. इस से राहत मिलेगी.

ये भी पढ़ें-

ब्लडप्रैशर या हाइपरटैंशन की समस्या आज आम समस्या बन गई है, जो जीवन शैली से जुड़ी हुई है, लेकिन कहते हैं न कि भले ही समस्या कितनी ही बड़ी हो लेकिन समय पर जानकारी से ही बचाव संभव होता है. ऐसे में जब पूरी दुनिया पर कोविड-19 का खतरा है, तब आप अपने लाइफस्टाइल में बदलाव ला कर हृदय रोग और हाई ब्लडप्रैशर के खतरे को काफी हद तक कंट्रोल कर सकते हैं. इस संबंध में जानते हैं डा. के के अग्रवाल से:

हाइपरटैंशन क्या है

खून की धमनियों में जब रक्त का बल ज्यादा होता है तब हमारी धमनियों पर ज्यादा दबाव पड़ता है, जिसे हम ब्लडप्रैशर की स्थिति कहते हैं. ये 2 तरह के होते हैं एक सिटोलिक ब्लडप्रैशर और दूसरा डायास्टोलिक ब्लडप्रैशर. 2017 की नई गाइडलाइंस के अनुसार अगर ब्लडप्रैशर 120/80 से कम हो तो उसे उचित ब्लडप्रैशर की श्रेणी में माना जाता है. इस की रीडिंग मिलीमीटर औफ मरकरी में नापी जाती है.

130/80 एमएम एचजी से ऊपर हाई ब्लडप्रैशर होता है. अगर ब्लडप्रैशर 180 से पार है, तब तुरंत इलाज की जरूरत होती है. वरना स्थिति गंभीर हो सकती है.

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ब्लडप्रैशर पर रखें नजर

ब्लडप्रैशर या हाइपरटैंशन की समस्या आज आम समस्या बन गई है, जो जीवन शैली से जुड़ी हुई है, लेकिन कहते हैं न कि भले ही समस्या कितनी ही बड़ी हो लेकिन समय पर जानकारी से ही बचाव संभव होता है. ऐसे में जब पूरी दुनिया पर कोविड-19 का खतरा है, तब आप अपने लाइफस्टाइल में बदलाव ला कर हृदय रोग और हाई ब्लडप्रैशर के खतरे को काफी हद तक कंट्रोल कर सकते हैं. इस संबंध में जानते हैं डा. के के अग्रवाल से:

हाइपरटैंशन क्या है

खून की धमनियों में जब रक्त का बल ज्यादा होता है तब हमारी धमनियों पर ज्यादा दबाव पड़ता है, जिसे हम ब्लडप्रैशर की स्थिति कहते हैं. ये 2 तरह के होते हैं एक सिटोलिक ब्लडप्रैशर और दूसरा डायास्टोलिक ब्लडप्रैशर. 2017 की नई गाइडलाइंस के अनुसार अगर ब्लडप्रैशर 120/80 से कम हो तो उसे उचित ब्लडप्रैशर की श्रेणी में माना जाता है. इस की रीडिंग मिलीमीटर औफ मरकरी में नापी जाती है.

130/80 एमएम एचजी से ऊपर हाई ब्लडप्रैशर होता है. अगर ब्लडप्रैशर 180 से पार है, तब तुरंत इलाज की जरूरत होती है. वरना स्थिति गंभीर हो सकती है.

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बता दें कि हाइपरटैंशन के लिए निम्न कारण जिम्मेदार हैं:

– उम्र सब से बड़ा कारक माना

जाता है, क्योंकि उम्र बढ़ने के कारण रक्त धमनियां की इलास्टिसिटी में कमी आने के साथसाथ होर्मोन्स में उतार चढ़ाव आने से ब्लडप्रैशर के बढ़ने का खतरा बना रहता है.

– अस्वस्थ जीवन शैली की वजह से भी हाइपरटैंशन की समस्या होती है. क्योंकि जब हमारी

शारीरिक गतिविधि कम होने से हमारा वजन बढ़ता है, तब हाइपरटैंशन की समस्या होती है, क्योंकि दिल को औक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए ज्यादा खून पंप करना पड़ता है, जिस से रक्त पर दबाव पड़ता है.

– अनुवांशिक कारणों से भी हाइपरटैंशन की समस्या होती है.

हाइपरटेंशन की स्थिति को नियंत्रण करने के लिए निम्न चीजों को अपनी दिनचर्या में जरूर शामिल करें:

स्वस्थ व ताजा भोजन खाएं

आहार स्वस्थ जीवन का आधार होता है. यदि आप का आहार ठीक नहीं है तो कुछ समय बाद आप को रोग घेर लेंगे. अपने भोजन में जितना हो सके हरी सब्जियां, दाल, फल और अनाज का इस्तेमाल करें. इस के अलावा फैट बढ़ाने वाले पदार्थों से दूर रहें.

समयसमय पर ब्लडप्रैशर की जांच

आप समयसमय पर ब्लडप्रैशर की जांच करते रहें. इस से आप को अपने ब्लडप्रैशर के लेवल का पता चलता रहेगा और आप के मन में चिंता नहीं रहेगी.

नींद पूरी लें

नींद का पूरा होना बहुत जरूरी है. यदि दिमाग को आराम नहीं मिलेगा तो वह टैंशन, चिंता, तनाव से भरा रहेगा और इस से डिप्रैशन तक हो सकता है.

खुद को हाइड्रेट रखें

ब्लडप्रैशर चाहे हाई हो या लो या फिर उचित हमेशा एक बात याद रखिए कि आप पानी प्रचुर मात्रा में पीएं. यदि आप के शरीर में पानी की मात्रा ठीक रहेगी तो आप को ब्लडप्रैशर संबंधित समस्या कम होगी.

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सरका रेंज

माइक्रोलाइफ के द्वारा निर्मित इस रेंज की मार्केटिंग एरिस लाइफसाइंसेज द्वारा की जाती है. इसके बीपी मौनिटर्स को 11 क्लिनिकल कंडीशंस में परखा गया है ताकि इस के सही परिणाम मिल सकें. बीपी मौनिटर्स 5 साल की वारंटी के साथ आते हैं. इसके 98 एफएक्स थर्मोमीटर भी उपलब्ध हैं जो कि एफडीए द्वारा प्रमाणित हैं.

ध्यान रखें यदि आप का बीपी मौनिटर प्रमाणित नहीं है तो वह सही माप नहीं दे सकता, जो कि आप की सेहत के लिए काफी हानिकारक हो सकता है.

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