कैसे बनाया जाता है डीपफेक, क्या है भारत में इसका कानून

इटली की पीएम जार्जिया मेलोनी का डीपफेक वीडियो सामने आया है. जांचकर्ता का दावा है कि आरोपियों ने डीपफेक का इस्तेमाल करते हुए अश्लील पोर्न वीडियो बनाया. इस वीडियो में उन्होंने जार्जिया मेलोनी का चेहरा किसी पोर्न स्टार के चेहरे पर लगा कर उसे औनलाइन पोस्ट कर दिया. रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में 50 साल का एक व्यक्ति और उस का 73 साल का पिता शामिल है.

बताया जा रहा है कि इस वीडियो को अमेरिका की एक पोर्नोग्राफ्री वैबसाइट पर अपलोड किया गया और तब से कई महीनों तक इसे लाखों बार देखा गया.

जार्जिया मेलोनी ने अपने डीपफेक वीडियो के लिए 1 लाख यूरो यानी क्व90 लाख का मुआवजा मांगा है. मुआवजे के रूप में मिलने वाली राशि का इस्तेमाल पुरुष हिंसा की शिकार हुई महिलाओं को राहत देने में किया जाएगा.

पिछले साल सोशल मीडिया पर रश्मि मंदाना का डीपफेक वीडियो वायरल हुआ था. ऐक्ट्रैस का चेहरा एक ब्रिटिश मौडल जारा पटेल के चेहरे पर एडिट किया गया था, जिसे देखने के बाद कई सैलेब्स ने रिएक्शन दिया और उन के फैंस ने भी नाराजगी जाहिर की थी. रश्मि के बाद कई बौलीवुड ऐक्ट्रैस का डीपफेक वीडियो सामने आया. कैटरीना कैफ, आलिया भट्ट, काजोल सहित कई ऐसे शख्सियत भी हैं जो डीपफेक का शिकार हो चुकी हैं और समयसमय पर इन्हें सामने आ कर अपना स्टैंड क्लीयर करना पड़ा है.

सामाजिक छवि को खराब करने की साजिश

राजस्थान विधानसभा से निर्दलीय विधायक डा. ऋतु बनावत भी डीपफेक का शिकार हो चुकी हैं. उन के कुछ आपत्तिजनक फोटो काफी वायरल हुए. महिला विधायक का कहना था कि सोशल मीडिया पर उन्हें बदनाम करने की कोशिश की जा रही है. बताया गया कि कुछ एडिटिंग टूल्स की मदद से महिला विधायक के फोटो को क्लब कर अश्लील वीडियो बनाया गया है. अब महिला विधायक ने पुलिस से काररवाई की मांग की है और कहा है कि इन फर्जी वीडियो के जरीए उन की राजनीतिक और सामाजिक छवि को खराब करने की कोशिश की जा रही है.

रोलिंग स्टोन के साथ एक साक्षात्कार में प्रगतिशील न्यूयौर्क कांग्रेस की महिला सदस्य ने बताया कि जब उन्हें अपनी छवि के साथ अश्लील सामग्री देखने को मिली तो उन्हें बहुत आघात लगा. उस महिला ने कहा कि यौन कृत्य करते हुए उन के डीपफेक संस्करण की मानसिक तसवीर पूरे दिन उन के साथ रही और उन्हें परेशान करती रही. उन का कहना है कि यौन रूप से स्पष्ट डीपफेक सामग्री का इस्तेमाल अकसर महिलाओं का शोषण और उत्पीड़न करने के लिए किया जाता है. विशेषरूप से सार्वजनिक हस्तियों, राजनेताओं और मशहूर हस्तियों का.

टैक्नोलौजी की दुनिया ने जहां लोगों के जीवन को आसान बनाया है, वहीं उन के लिए मुसीबतें भी खड़ी की हैं और इस का सब से बड़ा खतरा महिलाओं पर मंडरा रहा है. सोचिए, जब इतने बड़ेबड़े सैलिब्रिटीज, राजनेता डीपफेक से नहीं बच पा रहे हैं तो आम महिलाएं कैसे बच पाएंगी? आज डीपफेक भयावह रूप लेता जा रहा है.

लंबे समय से एडल्ट कंटैंट बनाने के लिए आर्टिफिशियन इंटैलिजैंस का इस्तेमाल किया जा रहा है. नए एआई टूल्स के आने के बाद से डीपफेक पोर्न इंडस्ट्री खूब फूलफल रही है. सैलिब्रिटीज से ले कर आम लोगों की तसवीरों को गलत तरीके से एडिट कर एडल्ट कंटैंट तैयार किया जाता है. यह सारा काम आर्टिफिशियन इंटैलिजैंस के जरीए होता है.

पहला डीपफेक केस

डीपफेक पोर्न का खुलासा कई साल पहले हुआ था जब एक रेडिट यूजर ने एक क्लिप शेयर की थी. इस में पोर्न ऐक्टर्स के साथ फीमेल सेलेब्रिटीज के चेहरे दिखाए गए थे. इस के बाद कई ऐसे वीडियो और तसवीरें सामने आई हैं जिन में इनफ्लुएंसर्स, पत्रकारों और दूसरी मशहूर हस्तियों को शिकार बनाया गया.

ब्लूमबर्ग की खबर की मानें तो रिसरचर्स के मुताबिक, महिलाओं की निर्वस्त्र तसवीरें बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस का इस्तेमाल करने वाले ऐप्स और वैबसाइट्स की लोकप्रियता बढ़ रही है. सोशल नैटवर्क विश्लेषण कंपनी के मुताबिक सिर्फ सितंबर, 2023 में 24 मिलियन लोगों ने इस तरह की वैबसाइट्स पर विजिट किया.

इन ऐप्स पर आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस के जरीए गैरसहमति वाली पोर्नोग्राफी के विकसित और वितरित करने पर चिंता जताई गई है. इसे फोटो से छेड़छाड़ कर बनाया गया है जो डीपफेक पोर्नोग्राफी कहलाता है. छेड़छाड़ करने के लिए तसवीरें अकसर सोशल मीडिया से ली जाती हैं, जिन के बारे में आमतौर पर महिलाओं को पता तक नहीं होता है और उन के आगे सर्कुलेशन कर दिया जाता है.

चिंताजनक बात

ग्राफिका के मुताबिक, ज्यादातर निर्वस्त्र तसवीरें बनाने वाली वैबसाइट्स मार्केटिंग के लिए लोकप्रिय सोशल नैटवर्किंग का इस्तेमाल करती हैं. उदाहरण के लिए 2023 में ऐक्स और रेडिट समेत अन्य सोशल मीडिया प्लेटफौर्म पर अनड्रैसिंग ऐप्स का विज्ञापन करने वाले लिंक की संख्या 2,400त्न से अधिक बढ़ गई है. एक रिसर्च के मुताबिक, इन ऐप्स के जरीए किसी भी तसवीर को एडिट करने के लिए एआई का इस्तेमाल करते हैं ताकि उन तस्वीरों को निर्वस्त्र बनाया जा सके.

ये ऐप्स सिर्फ महिलाओं की तसवीरों पर ही काम करती है. जून, 2019 में डीपन्यूड नामक एक डाउनलोड करने योग्य विंडोज और लिंक्स ऐप्लिकेशन जारी किया गया था जो महिलाओं की छवियों से कपड़े हटाने के लिए जीएएन का उपयोग करता था.

चिंताजनक बात यह है कि इंस्टाग्राम पर 94% महिला व प्रभावशाली लोग डीपफेक पोर्नोग्राफी का शिकार हो जाते हैं तथा प्रत्येक 10 हजार फौलोअर्स बढ़ाने पर यह जोखिम 15.7% बढ़ जाता है. इस के अलावा जैसेजैसे किसी प्रभावशाली व्यक्ति के फौलोअर्स बढ़ते हैं, उस के डीपफेक पोर्नोग्राफी का शिकार होने की संभावना उतनी ही बढ़ जाती है और 100 मिलियन से ज्यादा फौलोअर्स वाले व्यक्तियों में संवेदशीलता की दर 79% होती है.

सोशल मीडिया प्रदाता ट्विक्सी द्वारा दी गई रिपोर्ट में आगे पाया गया कि फैशन जैसे उद्योगों में महिला प्रभावशाली व्यक्तियों को लक्षित किए जाने की संभावना 85% अधिक थी, मनोरंजन में 82% और सौंदर्य में 81% समाचार और राजनीति जैसे उद्योगों में पुरुष प्रभावशाली व्यक्तियों को लक्षित किए जाने की संभावना 70% अधिक थी. कुल मिला कर सोशल मीडिया के 84% प्रभावशाली लोग कथित तौर पर डीपफेक पोर्नोग्राफी के शिकार होते हैं, जिन में से 90% महिलाएं हैं. लोगों पर आधारित डीपफेक पोर्नोग्राफी को लगभग 400 मिलियन बार देखा गया.

विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में डीपफेक का दुरुपयोग और बढ़ सकता है क्योंकि टैक्नोलौजी और भी अधिक सौफिस्टिकेटेड और सुलभ होती जा रही है. एबीपी न्यूज ने डीपफेक की तकनीक पर गहराई से रिसर्च की और पाया कि डीपफेक, फेक होने के बाद भी इस कदर मजबूत होता है कि लोग सहीगलत में फर्क नहीं कर पाते हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत उन देशों में छठे स्थान पर है जो डीपफेक एडल्ट कंटैंट के मामले में सब से संवेदनशील हैं.

डीपफेक वीडियो के पीछे कौन

डीपफेक वीडियो कई लोग और संगठन विभिन्न कारणों से बना रहे हैं. कई बार डीपफेक तकनीक का उपयोग फिल्मों, विज्ञापनों और मिम्स में कलाकारों के चेहरे बदलने के उद्देश्य से किया जाता है. मगर कई बार कुछ लोग दूसरों को बदनाम करने या उन पर निजी हमला करने के लिए डीपफेक वीडियो बनाते हैं.

डीपफेक के निशाने पर कौन

डीपफेक के गलत तरीके से इस्तेमाल का पहला मामला पोर्नोग्राफी में सामने आया था. एक औनलाइन आईडी प्रमाणित करने वाली सेनसिटी डौट एआई बैवसाइट के मुताबिक, 96 फीसदी डीपफेक अश्लील वीडियो हैं. इन्हें अकेले अश्लील वैबसाइटों पर 135 मिलियन से अधिक बार देखा गया है.

इंटरनैट पर डीपफेक का कारोबार

अमेरिका की एक होम सिक्योरिज हीरोज की एक रिपोर्ट आई, जिस के मुताबिक 2023 में पूरी दुनिया में 95,820 डीपफेक वीडियो बने, जिन में 98% डीपफेक वीडियो पोर्नोग्राफी वीडियो से संबंधित हैं यानी कि इन वीडियो का कंटैंट अश्लील है. 2% ऐसे फेक वीडियो हैं जो नौनपोर्नोग्राफी वीडियो हैं यानी अश्लील नहीं हैं. इस रिपोर्ट में सब से हैरान करने वाली बात यह है कि 99% डीपफेक पोर्नोग्राफी वीडियोज महिलाओं के हैं और 1% डीपफेक वीडियो पुरुषों के हैं. यह रिपोर्ट बहुत बड़े खतरे के बारे में बता रही है. 2023 में 99% डीपफेक वीडियोज महिलाओं के बनाए गए यानी महिलाओं को टार्गेट किया गया. डीपफेक वीडियो बनाने वालों ने इसे एक कारोबार की तरह इस्तेमाल किया.

कभी सोचा था आप ने कि एक समय ऐसा भी आएगा जब आप का चेहरा और आप की आवाज भी चोरी हो सकती है? हां, यह बात सुनने में थोड़ा अजीब जरूर लगे लेकिन आप की आवाज, आप का चेहरा हूबहू यानी 100% कौपी किया जा सकता है. आज टैक्नोलौजी इतनी तेजी से आगे बढ़ रही है कि इस का अंदाजा भी लगाना मुश्किल है. डीपफेक आज के समय की सब से बड़ी समस्या है जो दुनिया के हर देश और हर नागरिक को प्रभावित कर सकती है लेकिन इस की सब से ज्यादा शिकार महिलाएं हो रही हैं.

डीपफेक से 80% लोग अनजान

80% लोगों को नहीं पता कि डीपफेक होता क्या है? आज बिना सहमति वाले डीपफेक पोर्न के पीडि़तों के लिए कुछ कानूनी विकल्प हैं. अमेरिका में 46 राज्यों में रिवेंज पोर्न पर कुछ हद तक प्रतिबंध है लेकिन केवल वर्जीनिया और कैलिफोर्निया में फेक और डीपफेक मीडिया शामिल है. यूके में रिवेंज पोर्न पर प्रतिबंध.

सर्वे में चौंकने वाले आंकड़े

भारत में डीपफेक कंटैंट का ज्यादातर इस्तेमाल सरबर फ्रौड और अफवाह फैलाने के लिए किया जाता है. एआई जनरेटेड कंटैंट को यूजर सच मान लेते हैं और फिर इस के शिकार हो जाते हैं. एमसीएएफईई द्वारा हाल में किए गए सर्वे के मुताबिक, 2023 के मुकाबले 80% से ज्यादा लोग अब डीपफेक की वजह से चिंचित हैं तो वहीं करीब 64% लोगों का कहना है कि एआई द्वारा होने वाले साइबर फ्रौड में असली और नकली की पहचान बेहद मुश्किल है. हालांकि इस सर्वे में भाग लेने वाले 30% लोगों का कहना है कि वे एआई जनरेटेड कंटैंट की पहचान करने में सक्षम हैं.

डीपफेक तकनीकी रूप से महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं रह गया क्योंकि इस का दुरुपयोग उन की अस्मिता, मन, सार्वजनिक छवि और गोपनीयता को क्षति पहुंचा रही है. डीपफेक का इस्तेमान गलत तरीके से किया जाने लगा है जिस से महिलाओं को सार्वजनिक स्तर पर बदनाम किया जाने लगा है.

डीपफेक को ले कर भारत में क्या है कानून

भारत में डीपफेक को ले कर कड़े कानून हैं. आईटी एक्ट 66ई और आईटी एक्ट 67 में इस तरह के कंटैंट का औनलाइन शेयर करने पर जुरमाना के साथसाथ जेल का भी प्रावधान है. आईटी एक्ट 66ई के मुताबिक, अगर किसी शख्स का फोटो या वीडियो बिना उस की अनुमति के सोशल और औनलाइन प्लेटफौर्म पर पब्लिश किया जाता है तो 3 साल तक की जेल और 2 लाख रुपए तक का जुरमाना लगाया जा सकता है.

डीपफेक कैसे बनाया जाता है

डीपफेक शब्द पहली बार 2017 में यूज किया गया था. तब अमेरिका के सोशल न्यूज एग्रीगेटर रेडिट पर डीपफेक आईडी से कई सैलिब्रिटीज के वीडियो पोस्ट किए गए थे. इस में ऐक्ट्रैस एमा वाटसन, गैल गैडोट, स्कारलेट जोहानसन के कई पोर्न वीडियो थे. किसी रियल वीडियो, फोटो या औडियो में दूसरे के चेहरे, आवाज और ऐक्स्प्रैशन को फिट कर देने को डीपफेक नाम दिया गया है. यह इतनी सफाई से होता है कि फेक, 100त्न सच लगने लगता है और इस पर कोई भी यकीन कर सकता है.

इस में मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस का सहारा लिया जाता है. इस में वीडियो और औडियो को टैक्नोलौजी और सौफ्टवेयर की मदद से बनाया जाता है.  ्नढ्ढ और साइबर ऐक्सपर्ट पुनीत पांडे बताते हैं कि अब रैडी टू यूज, टैक्नोलौजी और पैकेज उपलब्ध है. अब इसे कोई भी उपयोग कर सकता है. वर्तमान टैक्नोलौजी में अब आवाज भी इंपू्रव हो गई है. इस में वौइस क्लोनिंग बेहद खतरनाक है.

डीपफेक दुनियाभर में एक बढ़ती समस्या बन गई है क्योंकि आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस की ताकत अब इंटरनैट पर यूजर के लिए आसानी से उपलब्ध है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस समस्या पर अपनी चिंता व्यक्त कर चुके हैं जब उन्होंने गरबा गाते और नृत्य करते हुए अपना एक डीपफेक वीडियो देखा.

डीपफेक एक ऐसी बीमारी बनती जा रही है जो समाज को दीमक की तरह चाट रही है खासकर यह महिलाओं की इज्जत पर धाबा बोल रहा है, जिस का महिलाओं को कुछ पता भी नहीं है और उन का नग्न वीडियो दुनियाभर में घूम रहा है और यह उन के लिए कितनी दर्दनाक बात है. डीपफेक तकनीक वह घुन है जो अन्य तकनीक को भी बरबाद कर रहा है.

कुछ शातिर लोग बिना कंप्यूटर के मोबाइल से भी डीपफेक वीडियो बनाने लगे हैं जो साइबर अपराधियों का नया हथियार बन गया है. इस का इस्तेमाल ब्लैकमेल व फिरौती वसूलने तक के लिए किया जा रहा है. देश के किसी भी सामाजिक व्यक्ति की छवि को खराब करने के लिए डीपफेक वीडियो को सोशल मीडिया पर डाल कर वे अपने खतरनाक मंसूबे को अंजाम देते हैं. 60 सैकंड का डीपफेक अश्लील वीडियो बनाने में 25 मिनट से भी कम समय लगता है और उस में खर्च एक पैसा भी नहीं आता है.

बढ़ सकते हैं संगठित अपराध

केपिअस की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दुनिया के करीब 64.5त्न लोग अलगअलग सोशल मीडिया पर मौजूद हैं. पिछले साल के आंकड़ों से तुलना करें तो सोशल मीडिया यूजर्स की संख्या में 3.7त्न की बढ़ोतरी हुई है. इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पिछले 12 महीनों में 150 मिलियन यानी लगभग 15 करोड़ लोग सोशल मीडिया प्लेटफौर्म पर आए हैं.

भारत की बात करें तो देश का हर तीसरा व्यक्तिसोशल मीडिया पर ऐक्टिव है. सोशल मीडिया का क्रेज सिर चढ़ कर बोल रहा है. लेटैस्ट रिपोर्ट के मुताबिक, ज्यादातर लोग फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर और टिकटौक जैसे सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं. करीब 95 फीसदी लोग आमतौर पर अपनी तसवीरें इस प्लेटफौर्म पर शेयर करते हैं. ऐसे में कोई भी शख्स आसानी से किसी यूजर की तसवीर ले कर उसे किसी भी वीडियो में लगा सकता है.

अब जबकि भारत में भी इस तरह के एप प्रचलित हो गए हैं तो ये महिलाओं के खिलाफ संगठित अपराध को अंजाम देने लगे हैं. आम या खास, किसी भी महिला को इस एप के जरीए आसानी से शिकार बनाया जाने लगा है. कोई भी कुंठाग्रस्त शख्स इस एप के जरीए महिलाओं की तसवीरों के साथ छेड़छाड़ कर उन की इज्जत को तारतार करने की कूवत रखने लगा है. देश में बड़ी संख्या में महिलाएं निजी तसवीरों या वीडियो लीक होने पर आत्महत्या करने का कदम तक उठा चुकी हैं.

सदी के महान वैज्ञानिकों में शामिल रहे स्टीफन हाकिंग ने कहा था कि आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस के सम्पूर्ण विकास से मानव जाति का अंत हो सकता है. वहीं टेस्ला के सीईओ एलन मास्क ने कहा था कि एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हमारे अस्तित्व के लिए सब से बड़ा खतरा है.

2019 में साइबर सुरक्षा की एक कंपनी डीपट्रेस लैब की एक स्टडी के अनुसार, छेड़छाड़़ कर बनाए इस तरह के फेक वीडियो में से 96 फीसदी में अश्लील दृश्य सामने आए थे. इन फेक वीडियो में हौलीवुड की कई सैलेब्स के चेहरे का इस्तेमाल किया गया था.

डीपफेक पोर्नोग्राफी महिलाओं और लड़़कियों के शोषण और उत्पीड़न को और बढ़ावा देने का काम कर रही है. गैरसरकारी संगठन जनरल सैंस द्वारा 2023 में जारी आंकड़ों में पाया गया कि पोर्नोग्राफी देखने वाले 10 में से 8 किशोर स्टार्टअप समूह के लिए ऐसा करते हैं. उन में से 50% से अधिक ने कहा कि उन्होंने लोगों को बलात्कार या शारीरिक उत्पीड़न में ग्राफिक्स पौर्न चित्रित करते देखा है. जब मैनुअल का पौर्न हिंसा और वस्तुकारण का प्रतीक है तो हम युवाओं से सम्मान और सहमति की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?

महिलाओं के खिलाफ हिंसा बढ़ रही है. यह तब तक जारी रहेगा जब तक यौन शिक्षा का अभाव, आक्रामकता, यौन हिंसा और बलात्कार को बढ़ावा दिया जाता रहेगा.

डीपफेक तकनीक सिर्फ महिलाओं के लिए खतरा नहीं है बल्कि इस का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए भी किया जा सकता है, चुनाव में हस्तक्षेप से ले कर युद्ध तक शुरू हो सकता है. डीपफेक तकनीक प्रत्यक्ष वास्तविकता और सत्य की अवधारणा को खतरे में डालने का काम करती है.

वैसे यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस बिग डेटा ऐनालिटिक्स और इंटरनैट औफ थिंग्स की प्रमुख सूत्रधार है. लेकिन साथ ही इस की चुनौतियां तथा निजता एवं स्वायत्तता भी सिर उठाए खड़ी है. विशेषज्ञों के अनुसार, एआई के जरीए हेराफेरी कर के विभिन्न राष्ट्रों की संप्रभुता के लिए संकट भी पैदा किया जा रहा है. यह तकनीक मानव की नैसर्गिक सोच एवं स्वाभाविक विचारशील पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है. आशंका व्यक्त की जा रही है कि इस के उपयोग से भविष्य में कई रोजगार के अवसर भी समाप्त हो सकते हैं.

दुनियाभर की 46 आईटी विटैक कंपनियों ने 7,500 से ज्यादा कर्मचारियों को काम से निकाल दिया. इन कंपनियों में स्टार्टअप भी शामिल है. मोटे तौर पर बताया गया कि इस माहौल की बड़ी वजह यह है कि औटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस ऐसी कंपनियों की जगह ले रही है.

डीपफेक रोकने के लिए आईटी मंत्रालय ने नए नियम तैयार किए हैं. इन के मुताबिक, जो सोशल मीडिया प्लेटफौर्म नए नियमों का उल्लंघन करेगा, उस का भारत में कारोबार रोक दिया जाएगा. डीपफेक कंटैंट डालने वालों पर आईपीसी की धाराओं और आईटी एक्ट के तहत केस दर्ज होगा. फेक कंटैंट जहां से अपलोड होगा, उस प्लेटफौर्म को जिम्मेदार माना जाएगा.

ऐसे होंगे नए नियम

डीपफेक कंटेंट मिलते ही कोई भी एफआईआर दर्ज करा सकता है.

सोशल मीडिया प्लेटफौर्म यूजर्स से यह शपथ लेगा कि वह डीपफेक नहीं डालेगा. इस के अलावा प्लेटफौर्म अपने यूजर्स को इस संबंध में अलर्ट मैसेज देंगे. सहमति के बाद ही यूजर अकाउंट ऐक्सैस कर सकेगा.

डीपफेक कंटैंट को 24 घंटे में हटाना होगा. जिस यूजर ने कंटैंट अपलोड किया है उस का अकाउंट बंद कर सूचना दूसरे प्लेटफौर्म को देनी होगी ताकि आरोपी वहां अकाउंट न बना सके.

बच्चे भी कर रहे हैं इन ऐप्स का इस्तेमाल

इलैक्ट्रोनिक फ्रंटीयर फाउंडेशन में साइबर सुरक्षा के निदेशक ईवा गैल्परिन के मुताबिक, इस का दुरुपयोग लोग आम महिलाओं को टार्गेट बनाने के लिए कर रहे हैं. यहां तक कि स्कूल और कालेज में पढ़ने वाले बच्चे भी इन ऐप्स का इस्तेमाल कर रहे हैं. कई बार ऐसा होता है कि पीडि़त को पता ही नहीं चलता है कि उस की इस तरह की कोई इमेज इंटरनैट पर सर्कुलेट हो रही है और जिन्हें पता चल जाता है उन के लिए कानूनी लड़ाई मुश्किल होती है या शर्मिंदगी के कारण वे आगे नहीं आ पाती हैं.

सतर्कता से रहें सुरक्षित

हमेशा ऐसे कैमरे से तसवीर लें जो उस को एनिकृपटेड कर दे ताकि फोटो को बदला न जा सके. ये फीचर स्मार्ट कैमरे में आते हैं. स्मार्ट मोबाइल में इस के लिए ऐप्स भी मौजूद हैं. सरल शब्दों में सम?ाएं तो क्रिप्टोग्राफी एक प्रक्रिया है जिस में जानकारी जैसे टैक्स्ट, फोटो या वीडियो को सीक्रेट कोड में बदल दिया जाता है. जब हम किसी जानकारी को इस प्रक्रिया की मदद से सामने वाले व्यक्ति को भेजते हैं तो यह एक कोड में बदल जाती है. उस व्यक्ति को मिली जानकारी को देखने के लिए कोड का उपयोग करना होता है यानी सैंडर और रिसीवर दोनों एनिक्रप्श्न की (चाबी) का उपयोग करते हैं. दोनों फाइल को देखने के लिए इस चाबी की जरूरत होती है.

सोशल मीडिया पर अपने ज्यादा फोटो या वीडियो शेयर न करें. अपना अकाउंट प्राइवेट रखें.

एकसाथ 15-20 फोटो शेयर न करें क्योंकि इस से साइबर अटैक की संभावना बढ़ सकती है.

ऐक्सपर्ट के मुताबिक, महिलाएं अपना सोशल मीडिया अकाउंट लौकरखें.

अनजान लोगों को अपने निजी खातों में न जोड़ें और फेक अकाउंट पहचानें.

फोन में लौगिंग अलर्ट और सैटिंग्स में हमेश लैवल टू वैरिफिकेशन औन रखें.

अनजान लिंक्स पर क्लिक न करें.

व्हाट्सऐप पर अपना अथवा अपने परिजनों की तसवीरें, गु्रप में शेयर न करें.

सोशल मीडिया पर लिमिटेड औडियंस के साथ ही तसवीरें या वीडियो शेयर करें.

यदि बहुत जरूरी हो तो वन टाइम व्यू औप्शन के साथ फोटो शेयर या पोस्ट करें.

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