जब बात बेबी बर्थ डिलीवरी की होती है, तो अधिकतर दो ऑप्शंस का नाम लिया जाता है पहला नार्मल या वजाइनल बर्थ और दूसरी सी सेक्शन डिलीवरी. लेकिन, आजकल एक और डिलीवरी ऑप्शन भी चर्चित हो रहा है, जिसे वॉटर बर्थ डिलीवरी के नाम से जाना जाता है. दूसरे देशों में यह तकनीक अधिक प्रचलित है. इसमें पानी के अंदर बेबी की डिलीवरी होती है. इस तकनीक के कई फायदे हैं लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं. आइए जानें क्या हैं इसके फायदे और क्या हो सकते हैं इसके नुकसान?
वॉटर बर्थ डिलीवरी के फायदे क्या हैं?
वॉटर बर्थ डिलीवरी का अर्थ है कि गर्भवती महिला के लेबर, डिलीवरी या दोनों का कुछ पार्ट पानी के पूल में कराना. इस डिलीवरी को अस्पताल, बर्थ सेंटर या घर में ही किया जा सकता है. डॉक्टर, नर्स आदि इसमें मदद करते हैं. इस डिलीवरी के कई फायदे हैं, जैसे:
1- आरामदायक-
वॉटर बर्थ डिलीवरी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे फीटल कॉम्प्लीकेशन्स कम होती है. इस प्रोसेस में टेंस नर्वस और मसल्स को आराम मिलने में मदद होती है. यह एक आरामदारक प्रोसेस है.
2- नेचुरल पेन रिलीफ-
वॉटर बर्थ के दौरान गर्म पानी एक नेचुरल पेन रिलीवर का काम करता है. इससे नर्वस को आराम मिलता है और ब्लड प्रेशर लेवल भी सही रहता है.
3- लेबर का समय कम होता है-
स्टडीज यह बताती हैं कि लेबर के फर्स्ट स्टेज के दौरान गर्म पानी में रहने से लेबर का समय कम होता है.
4- कम कॉम्प्लीकेशन्स-
यह बात साबित हुई है कि जो महिलाएं वॉटर में बर्थ को चुनती हैं उन्हें स्ट्रेस कम होता है. यही नहीं, इससे शिशु के जन्म के दौरान चोट लगने का खतरा भी कम होता है.
वॉटर बर्थ डिलीवरी के नुकसान
वॉटर बर्थ डिलीवरी के दौरान कुछ समस्याएं भी हो सकती हैं जो हालांकि दुर्लभ हैं. यह नुकसान इस प्रकार हैं:
-इससे गर्भवती महिला और शिशु को इंफेक्शन हो सकता है.
-शिशु के पानी से बाहर आने से पहले गर्भनाल टूट सकती है.
-शिशु के शरीर का तापमान बहुत अधिक या कम हो सकता है.
-शिशु बर्थ वॉटर में ब्रीद कर सकता है या उसे अन्य समस्याएं हो सकती हैं.
हालांकि, वॉटर बेबी बर्थ बहुत ही सुरक्षित है. लेकिन, इसे अनुभवी एक्सपर्ट्स और डॉक्टर की प्रजेंस में किया जाता है. यही नहीं, अगर किसी को प्रेग्नेंसी में डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है, तो उन्हें इससे बचना चाहिए. प्रीमेच्योर डिलीवरी में भी इसकी सलाह नहीं दी जाती है.