दुनियाभर में खुशियां बांटता डिलीवरी ब्वौय

आज की तारीख में तकरीबन 20 लाख नौजवान हैं जो डिलीवरी ब्वाय के रूप में काम कर रहे हैं.एक अनुमान के मुताबिक ये डिलीवरी ब्वाय हर दिन  50 लाख से ज्यादा डिस्पैच लोगों के घर पहुंचाते हैं. त्योहारों के आसपास इनकी तादाद बढ़कर 80 लाख से 1 करोड़ डिस्पैच तक हो जाती है.इनमें 15 से 20 लाख डिस्पैच देश के ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में भी पहुंच रहे हैं.दीवाली,क्रिसमस नया साल और आजकल युवाओं के बीच सबसे ज्यादा लोकप्रिय वैलेंटाइन डे जैसे मौकों में डिलीवरी ब्वाय का काम काफी ज्यादा बढ़ जाता है.डिलीवरी ब्वाय हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का एक बड़ा और महत्वपूर्ण चरित्र बनकर उभरा है.

ऐसा सिर्फ हिंदुस्तान में ही नहीं हुआ बल्कि पूरी दुनिया में हुआ है.पूरी दुनिया में डिलीवरी ब्वाय बाजार और अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनकर उभरा है.आज हमारे तमाम महत्वपूर्ण मौके डिलीवरी ब्वाय की परर्फोमेंस के भरोसे हैं. इंडियन चैंबर ऑफ़ कॉमर्स के एक अध्ययन अनुमान के मुताबिक त्यौहारों की करीब 50 फीसदी खरीदारी अब ऑनलाइन होती है, जिसे घर तक पहुंचाने का काम यही डिलीवरी ब्वाय करते हैं.आज ये हमारी जीवनशैली का एक अभिन्न हिस्सा हैं. मुंबई में हर दिन 6 लाख से ज्यादा डिलीवरी मैन लोगों के घरों का बना बनाया गर्मागर्म खाना दफ्तरों तक पहुंचाते हैं.

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डिलीवरी ब्वाय वास्तव में अपनी पीट में अपने आकार से भी काफी बड़ा बैग बांधे मोटरसाइकिल में दौड़ता भागता वह नौजवान है जिसके  पैरों के नीचे 24 घंटे में से 12 से 16 घंटे तक बाइक होती है.वह भीड़ भरी सड़कों में ही नहीं कम भीड़ वाली गलियों में भी कहीं, जल्द से जल्द पहुंचने के लिए बेचैन दिखता है. डिलीवरी ब्वाय को आप गलियों में पता पूछते, लोगों की डोर बेल बजाते और फोन में बातें करते अपने इर्दगिर्द इन दिनों हर तरफ देख सकते हैं.वैसे हमारे जीवन में भले डिलीवरी ब्वाय अभी 5-7 सालों पहले या अधिकतम एक दशक के भीतर ही दस्तक दी हो, लेकिन दुनिया में यह पिछले 60 से 70 सालों से मौजूद है. हमारे यहां डिलीवरी ब्वाय की जो भूमिका इन दिनों है, अमरीका उस भूमिका को पिछली सदी के 60 के दशक में देख चुका है.दरअसल आधुनिक डिलीवरी ब्वाय के काम का तरीका और उसकी अवधारणा अमरीका से ही आयी है.

अमरीका में यह पेशा उन दिनों तेजी से उभरा जब डोमिनो पिज्जा ने अपने ग्राहकों को घर बैठे पिज्जा की डिलीवरी देनी शुरु की.हालांकि इस दावे पर कुछ विवाद भी हैं.अमरीका में ही तमाम कंपनियों ने डोमिनो पिज्जा के संस्थापक टॉम  मोनाघन के इस दावे का खंडन किया है कि वही इस चलन के सूत्रधार हैं.फिर भी तमाम दावों प्रतिदावों के बीच जो सबसे लोकप्रिय अवधारणा डिलीवरी ब्वाय की यही है कि 1960 में टॉम मोनाघन ने ही पहली बार बाजार को डिलीवरी ब्वाय का कंसेप्ट दिया.बहरहाल भारत में पिछली सदी के 80 के दशक के पहले तक डिलीवरी ब्वाय नहीं था.

दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों में इक्का दुक्का खाने पीने की खानदानी दुकानों में जरूर ऐसा थोड़ा बहुत चलन था कि वह अपने पुराने और जाने पहचाने ग्राहकों को कभी कभार घर तक सामान पहुंचाने की सुविधा देते थे. लेकिन इसके लिए अलग से कोई पोस्ट नहीं थी जिसके जिम्मे यह काम होता हो. दुकानदार अपने यहां के किसी कामगार के जरिए ही यह सुविधा मुहैय्या कराया करते थे. मगर न तो यह नियमित रूप से बाजार का और न ही उनके व्यवसाय का हिस्सा था. साथ ही यह उस दौर के चलन का भी हिस्सा नहीं था. सही मायनों में भारत में डिलीवरी ब्वाय का कंसेप्ट 80 के दशक के उत्तरार्द्ध में आया जब महानगरों में ऐसे रेस्त्रां काफी बड़ी संख्या में खुल गए जिन्होंने ग्राहकों को उनके घरों तक खाना पहुंचाने की सुविधा शुरु की.लेकिन तब भी डिलीवरी ब्वाय शब्द न तो चलन में आया था और न ही बाजार इसके इस कदर अधीन हुआ था कि यह बाजार की गतिविधि का आईना बन सके.

वास्तव में हमारे यहां डिलीवरी ब्वाय शब्द 21वीं सदी की शुरुआत में में ही प्रचलन में आया.डिलीवरी ब्वाय को हमारी जिदंगी में सबसे जाना पहचाना शब्द बनाने का काम ई-शोपिंग कंपनियों, अमेजान फ्लिपकार्ट, मंत्रा और स्नैपडील ने किया. आज हमारी जीवनशैली में डिलीवरी ब्वाय एक ऐसा शब्द नहीं है कि उसका मतलब समझने के लिए हमें डिक्शनरी देखना पड़े या कि किसी से उसके बारे में कुछ पूछना पड़े. आज डिलीवरी ब्वाय हमारी जीवनशैली का एक बेहद परिचित किरदार है. इस क्षेत्र में रोजगार खोजने वाला भले बहुत मामूली ही पढ़ा हो लेकिन उसे को हर हाल में दो पहिया गाड़ी चलानी आनी चाहिए.इसके साथ ही उसे हिंदुस्तानी शहरों की भीड़ भरी सड़कों में इधर उधर से रास्ता बनाकर जल्द से जल्द अपनी मंजिल तक पहुंचने में महारत हासिल होनी चाहिए.

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. हालांकि आजकल हर पेशे में तमाम खूबियों की खोज होने लगी है और अगर सैद्धांतिक रूप से देखें तो हर प्रोफेशन इसी तरह की मांग भी अपने यहां आने वाले लोगों से करता है. लेकिन तमाम दूसरे क्षेत्रों की मांगे जहां सिर्फ सैद्धांतिक होती हैं,वहीं डिलीवरी ब्वाय के संबंध में मांगे प्रैक्टिकल होती हैं यानी उससे उनमें खरे उतरने की पूरी उम्मीद की जाती है. क्योंकि डिलीवरी ब्वाय एक ऐसा सौ तालों की चाबी वाला प्रोफेशन बनकर उभरा है,जिसमें हर क्षेत्र कहीं न कहीं आकर जुड़ता है. इस लिहाज से देखें तो डिलीवरी ब्वाय में वो तमाम गुण चाहिए जो किसी एक प्रोफेशन के लिए भी जरूरी हो सकते हैं और तमाम प्रोफेशन के साझे गुण भी हो सकते हैं.

डिलीवरी ब्वाय सिर्फ एक पेशा भर नहीं है बल्कि बदलती हुई दुनिया, बदलती हुई जीवनशैली और बदलती हुई अर्थव्यवस्था का साझा प्रतीक है.डिलीवरी ब्वाय एक साथ किसी समाज की तस्वीर भी पेश करता है और उस समाज के भविष्य की दिशा को भी इंगित करता है. यह दुनिया के सबसे ज्यादा लोकप्रिय टाप 10 पेशों में शुमार होता है.दुनिया में जितना सक्रिय कार्यबल है उसमें से तकरीबन 8-10 फीसदी इस प्रोफेशन से जुड़ा है. अगर डिलीवरी ब्वाय न हों तो आज की तारीख में पूरी दुनियावी अर्थव्यवस्था एक हफ्ते में बैठ जाए.क्योंकि 200 ट्रिलियन डालर का कारोबार हर साल डिलीवरी ब्वाय के कंधों पर ही निर्भर है. आर्थिक आंकड़ों के नजरिए से देखें तो डिलीवरी ब्वाय कंप्यूटर इंजीनियरों, डॉक्टरों, सिविल इंजीनियरों से कहीं ज्यादा बड़ी अर्थव्यवस्था को अपने कंधों पर ढो रहा है.

डिलीवरी ब्वाय दुनिया की चाल में यानी जीवनशैली की रफ्तार में सालाना तकरीबन 300 घंटों का इजाफा करते हैं. कहने का मतलब यह है कि अगर डिलीवरी ब्वाय न हों तो दुनिया में कामकाज की रफ्तार लगभग एक घंटे औसतन हर दिन कम हो जाए.डिलीवरी ब्वाय ने एक तरफ जहां हमारी अर्थव्यवस्था को रफ्तार दिया है, वहीं हमारी रोजमर्रा की भागदौड़ भरी जिंदगी में थोड़ा चैन, थोड़ा सुकून लाया है.इनके चलते हर दिन 10 करोड़ से ज्यादा लोग अपनी भागदौड़ में आधे से एक घंटे की कटौती कर लेते हैं और सुकून से अपने परिवार के लोगों, दोस्तों आदि के साथ बिता पाते हैं.

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