हिंदी फिल्म ‘कल हो न हो’ में स्वीटू की भूमिका निभाकर चर्चित हुई अभिनेत्री डेलनाज ईरानी ने फिल्में ही नहीं, कई टीवी शो में काम किया है. उनकी कॉमेडी के अंदाज की दर्शक हमेशा तारीफ़ करते है. उन्होंने मनोरंजन की दुनिया में एक लम्बी पारी बिताई है, पर अभी भी खुद को नया समझती है. उन्हें हर नया किरदार प्रेरित करता है. उन्होंने हर भूमिका को संजीदगी के साथ जिया है. हंसमुख और खूबसूरत डेलनाज अपने जीवन में टीवी को काफी महत्व देती है, जिसकी वजह से वह घर-घर में जानी गयी. उन्होंने अपनी जर्नी के बारें में बात की, आइये जानते है, उनकी कहानी उनकी जुबानी.
सवाल-टीवी इंडस्ट्री में आपने बहुत सारा काम किया है, पहले और आज की टीवी शो में क्या अंतर पाती है? टीवी का भविष्य को आप कैसे देखती है?
टीवी हमेशा लोगों के बीच में रहा है और रहेगा. ये लोगों के बीच में हमेशा रहेगा. मैंने अपनी माँ को लॉकडाउन में कुछ और शो दिखाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने सिरे से मना कर दिया. इससे टीवी की अहमियत समझी जा सकती है. टीवी की तकनीक में काफी विकास पहले से हुआ है और एक कलाकार के तौर पर ये सही है कि इसका फायदा लेखक से लेकर सभी को हो रहा है. साथ ही नए-नए काम हो रहे है. दर्शकों के लिए यह उनके घर का गोल्डन हाउस है. मैंने भी टीवी पर बहुत काम किया है और लोग मुझे फिल्मों से अधिक टीवी अभिनेत्री के तौर पर पहचानते है. इतना ही नहीं टेलीविज़न में काम करते हुए मैंने मुंबई में अपना घर बनाया है.मेरा लगाव टीवी के प्रति बेहद है, इसे मैं कभी छोड़ नहीं सकती. मैं टीवी के अलावा थिएटर और फिल्में भी करती हूं. आगे वेब के क्षेत्र में भी जाना चाहती हूं.
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पहले और आज के शो में काफी अंतर आया है. 90 के दशक में मैंने शो ‘कमांडर’ से काम करना शुरू किया. ये श्री अधिकारी ब्रदर्स का पहला शो था. उस समय से लेकर अगर मैं अर्ली 20 की बात करूँ, तो वो जमाना बहुत अलग था. डेली शोप का जमाना नहीं था. तब कहानी से लेकर शो को फिल्माने तक सारी चीजों को महत्व दिया जाता था. अभी टीआरपी का जमाना है. ये गिरते ही सारे लोग इसकी चर्चा कर कहानी को अदल बदल करते रहते है. जब मैंने काम शुरू किया था, तब एक कहानी जो पहले से थी और वह कभी बदलती नहीं थी, क्योंकि ये एक सेट स्क्रिप्टेड कहानी हुआ करती थी. इसका शुरू से अंत तक के किरदार के बारें में मुझे पता होता था और उसमें कोई बदलाव नहीं होता था. अब तो टीआरपी बादशाह है. कंटेंट के बदलाव पसंद न होने पर भी काम करना पड़ता है और इसे कलाकार से लेकर लेखक, निर्देशक सभी भुगतते है.
सवाल-आज के इस टीआरपी होड़ में एक्टर को काम करना कितना मुश्किल होता है?
एक अच्छे कलाकार किसी भी हालात में काम कर लेता है, क्योंकि स्क्रिप्ट ताबड़तोड़ वाली आती है, जिसमें कल या अगले हफ्ते क्या होने वाला है किसी को पता नहीं होता . एक जमाना था जब निर्देशक का काम एक कलाकार को सही माइने में निर्देश देना था, लेकिन अब कलाकार को क्रिएटिविटी के साथ एक बार समझ लेना है खुद अपना काम करने है. निर्देशक आकर सिर्फ ‘एक्शन’ और ‘कट’ बोलता है.
सवाल-ऐसे में नए कलाकारों को कितनी मुश्किलें आती है?
नए को बहुत मुश्किल होता है. वे काम करते-करते ही सीखते है. डेली सोप में एक चेहरे को रोज एक समय पर देखने से कुछ दिनों में वो चेहरा आपको पसंद आ जाएगा. आज के दर्शक इन सब चीजों से परिचित है. बार-बार चेहरा बदल देने से भी उन्हें कोई ऐतराज नहीं होता. इसलिए कलाकार अच्छे हो या नहीं, उसका कोई फर्क शो पर नहीं पड़ता. ये आज का ट्रेंड है. आज एक कलाकार एक रात में चर्चित हो जाता है. इसके अलावा आज बहुत सारी तकनीक भी शो को बनाने में सहयोग देती है. कलाकार अगर अच्छा न भी हो, तो तकनीक उसे सम्हाल लेती है. पहले स्क्रिप्ट और कलाकार का महत्व होता था, जिसमें निर्देशक ‘कैप्टेन ऑफ़ द शिप’ होता था. आज तो एक शो के निर्देशक भी बदलते रहते है. आज किसी के पास समय नहीं है. आज टीवी के शो फिल्म की तरह बन रहे है.
सवाल-आपने रियलिटी शो, डेली सोप और फिल्मों में काम किया है, आपको किसमें काम करने में अधिक मज़ा आता है?
मैं सही बात बोलूँ, तो रियलिटी शो में पैसे बहुत अच्छे मिलते है. 3 से 4 महीने में एक अच्छा अमाउंट मिल जाता है, इसलिए सबको वह पसंद आता है. मैं जब बिग बॉस 6 में गयी थी तो मुझे कुछ प्रूव नहीं करना था. लोग मुझे जानते है और दर्शक मेरा रियल रूप देखना चाहते थे. इस सोच से मैं उसमें गयी थी. आज लोग रियलिटी शो में जाने पर कुछ और बनना चाहते है. खुद के व्यक्तित्व को एन्हांस नहीं करते. उन्हें लगता है कि रोमांटिक होने, चिल्लम चिल्ली करने या गाली गलौज देने पर वे अधिक दिनों तक अंदर टिक सकते है. आज के दर्शकों की रूचि भी वैसी हो चुकी है, इसलिए शो चल रहा है. रियलिटी शो से डेली सोप की तुलना नहीं की जा सकती. मुझे दोनों ही पसंद है.
सवाल-रियल लाइफ में आप कैसी है?
मैं कॉमेडियन की भूमिका निभा चुकी हूं, पर रियल लाइफ में एक जोक भी नहीं कर पाती. मैं बहुत पॉजिटिव स्वभाव की हूं और हर बात को सकारात्मक रूप में और नए रूप में शुरू करना पसंद करती हूं. कॉमेडी करते समय मैं पूरी तरह से चरित्र में घुसकर काम करती हूं और वही मुझे अच्छा लगता है.
सवाल-एक्टिंग आपका पैशन था या इत्तफाक?
मुझे बचपन से ही अभिनय का शौक था. मैंने बहुत कम उम्र से ड्रामा, इलोक्यूशन आदि किया करती थी. मुझे कॉन्फिडेंस स्कूल और कॉलेज से आ गया था. कॉलेज के बाद मैंने काम शुरू कर दिया और इसमें परिवार ने बहुत सहयोग दिया.
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सवाल-अभी मनोरंजन की दुनिया में मनोरंजन कम और रियलिटी का प्रवेश अधिक हो चुका है, आप इस बात से कितनी सहमत है?
हर चीज का एक फेज होता है. इसका भी एक समय है, जो कुछ दिनों बाद निकलकर कुछ और आएगा. वेब में इतनी लिबर्टी है, जो दिखती है. मारधाड़, वायलेंस बहुत होता है, जिसे देखना भी कई बार मुश्किल होता है, लेकिन इसे व्यक्ति अकेले देख सकता है, इसलिए इसमें इतनी रियल दिखाने की कोशिश की जाती है. सर्टिफिकेशन आने पर अच्छा इसलिए होगा, क्योंकि रियल-रियल बोलकर लोग एक सीमा रेखा को लांघ जाते है, उस पर लगाम लग सकेगा.
सवाल-एक्टिंग के अलावा क्या पसंद करती है? परिवार में अभी कौन-कौन है?
मुझे डांस का बहुत शौक है. मेरा बर्षों से डांस का पैशन रहा है. लॉकडाउन के बाद तो कुकिंग का भी शौक लग गया है. समय मिलता है तो मूवी देखती हूं.
मैं अपनी माँ और फियांसे पर्सी के साथ रहती हूं.
सवाल-आप अपनी जर्नी से कितनी संतुष्ट है? क्या कोई रिग्रेट है?
मैं अपनी जर्नी से बहुत खुश हूं, लेकिन अभी बहुत सारे काम करने है. रियल सिनेमा का अभी युग है और मैं इसमें माँ की भूमिका करने की इच्छा रखती हूं. कॉमेडी के अलावा मैंने टीवी शो ‘छोटी सरदारनी’ में निगेटिव भूमिका निभाई है. मैं अलग-अलग काम अलग प्लेटफॉर्म पर करना चाहती हूं. मुझे चुनौतीपूर्ण काम पसंद है. मैं प्यारी अनन्या पांडे, सारा अलीखान और तारा सुतारिया की प्यारी माँ की भूमिका निभाना चाहती हूं.
सवाल-क्या कोई मेसेज देना चाहती है?
मैं बॉडी पोजिटिविटी पर अधिक महत्व देती हूं. जिस काम में आपको ख़ुशी मिले, उसे करें और खुश रहे, क्योंकि ये लाइफ आपकी है और महिलाएं खुद को भूलकर सबका ध्यान रखती है. अपनी ख़ुशी को समझे और उसे करने की कोशिश करें. आप जैसी भी रंगरूप, की हो, उसमें खुश रहे.
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