डायबिटीज से बचना है, तो ऐक्सपर्ट के इन टिप्स को करें फौलो

डायबिटीज यानी मधुमेह एक ऐसी स्थिति है जब आप के शरीर में रक्त शर्करा (ग्लूकोज) का स्तर बहुत अधिक हो जाता है. यह तब विकसित होता है जब आप का आगनाशय पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनाता है या बिलकुल भी नहीं बनाता है या आप का शरीर इंसुलिन के प्रभावों पर ठीक से प्रतिक्रिया नहीं करता है. डायबिटीज किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है. अगर इस का सही तरीके से इलाज न कराया जाए तो यह शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित कर सकती है और अन्य बीमारियों को जन्म दे सकती है. कुछ सरल उपायों से डायबिटीज की जटिलताओं से बचा जा सकता है.

आइए, जानते हैं मैरिंगो एशिया हौस्पिटल गुरुग्राम के डा. शिबल भट्टाचार्य से कि इस की जटिलताओं से कैसे बचा जा सकता है:

नियमित ब्लड शुगर की जांच करें

डायबिटीज के कौंप्लिकेशन से बचने के लिए सब से जरूरी है कि आप अपने ब्लड शुगर के स्तर को नियमित रूप से जांचते रहें. ब्लड शुगर की जांच से आप को पता चलेगा कि आप का शुगर लैवल सही है या नहीं. अगर यह नौर्मल  स्तर से ऊपर है तो आप को इसे कंट्रोल करने के लिए कदम उठाने की जरूरत होगी.

ब्लड शुगर की जांच के लिए घर पर ग्लूकोमीटर का इस्तेमाल किया जा सकता है. इस के अलावा समयसमय पर डाक्टर से सलाह लेना भी जरूरी है. डाक्टर आप को शुगर कंट्रोल करने के लिए जरूरी दवाइयां और डाइट प्लान दे सकते हैं.

सही डाइट फौलो करें

डायबिटीज के मरीजों को अपने खानेपीने का विशेष ध्यान रखना चाहिए. अनियंत्रित खानपान से शुगर लैवल बढ़ सकता है, जिस से कई प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं. इसलिए डायबिटीज के मरीजों को संतुलित और हैल्दी डाइट का पालन करना चाहिए.

फाइबर युक्त भोजन करें: फाइबर युक्त भोजन जैसे साबूत अनाज, सब्जियां और फल खाने से शुगर लैवल नियंत्रित रहता है.

प्रोटीन का सेवन बढ़ाएं: दाल, अंडा, मछली और दही जैसे प्रोटीन युक्त आहार से शरीर को ऐनर्जी मिलती है और शुगर भी कंट्रोल में रहता है.

मीठे का सेवन कम करें: मीठे खाने का सेवन करने से शुगर लैवल तेजी से बढ़ सकता है. इसलिए मिठाई, शुगर युक्त पेय और पैकेज्ड फूड्स से बचें.

छोटेछोटे भाग में खाना खाएं: दिन में 5-6 बार छोटेछोटे मील्स लेने से ब्लड शुगर लैवल स्थिर रहता है.

नियमित व्यायाम करें

व्यायाम से शरीर में शुगर का स्तर कंट्रोल में  रहता है और वजन भी कंट्रोल में रहता है. डायबिटीज के मरीजों के लिए नियमित व्यायाम करना बहुत जरूरी है. व्यायाम से न केवल ब्लड शुगर नियंत्रित होती है, बल्कि यह हृदय, फेफड़ों और शरीर के अन्य अंगों को भी स्वस्थ रखता है.

ब्रिस्क वाक: हर रोज 30 मिनट तक तेज चलने की आदत डालें. इस से शरीर में इंसुलिन का उपयोग सही तरीके से होता है.

योग और ध्यान: योग और ध्यान से तनाव कम होता है, जिस से शुगर लैवल कंट्रोल में रहता है. डायबिटीज के मरीजों के लिए प्राणायाम और हलके योगासन भी लाभकारी होते हैं.

स्ट्रैंथ ट्रेनिंग: हलका वजन उठाने से मांसपेशियों की ताकत बढ़ती है और शरीर में शुगर की खपत होती है, जिस से ब्लड शुगर कंट्रोल रहती है.

तनाव से बचें

तनाव डायबिटीज के मरीजों के लिए एक बड़ा दुश्मन है. जब हम तनाव में होते हैं तो शरीर में कोर्टिसोल नामक हारमोन का स्तर बढ़ जाता है जो ब्लड शुगर को बढ़ा सकता है. इसलिए तनाव से बचना जरूरी है.

मैडिटेशन करें: मैडिटेशन करने से मानसिक शांति मिलती है और तनाव कम होता है.

अच्छी नींद लें: पर्याप्त और गहरी नींद से शरीर को आराम मिलता है, जिस से तनाव कम होता है.

पसंदीदा गतिविधियों में शामिल हों: जो चीजें आप को खुशी देती हैं जैसेकि पढ़ना, संगीत सुनना या चित्रकारी करना, उन्हें अपने रूटीन में शामिल करें.

दवाइयों का सही तरीके से सेवन करें

डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए अकसर दवाइयों की जरूरत होती है. आप को अपनी दवाइयों का सेवन समय पर और डाक्टर के निर्देशानुसार ही करना चाहिए. अगर आप दवाइयों का सही तरीके से सेवन नहीं करते हैं

तो इस से ब्लड शुगर का स्तर असामान्य हो सकता है और इस से कौंप्लिकेशन का खतरा बढ़ जाता है.

डाक्टर से नियमित जांच कराएं: अपनी दवाइयों की सही खुराक और असर के बारे में जानने के लिए डाक्टर से समयसमय पर परामर्श लें.

इंसुलिन का सही तरीके से इस्तेमाल करें: अगर आप को इंसुलिन लेने की जरूरत है तो इसे सही तरीके से और समय पर लें.

धूम्रपान और शराब से बचें

धूम्रपान और शराब दोनों डायबिटीज के मरीजों के लिए बेहद खतरनाक हो सकते हैं. धूम्रपान करने से हृदयरोग, फेफड़ों की बीमारी और नसों को नुकसान हो सकता है, वहीं शराब का अधिक सेवन ब्लड शुगर लैवल को अस्थिर कर सकता है.

धूम्रपान छोड़ें: अगर आप धूम्रपान करते हैं, तो इसे तुरंत बंद करें. यह डायबिटीज के कौंप्लिकेशन को रोकने में मदद करेगा.

शराब का सेवन न करें: अगर आप शराब का सेवन करते हैं तो इसे तत्काल छोड़ दें.

क्या डायबिटीज से प्रैग्नेंसी पर कोई इफेक्ट पड़ता है?

सवाल-

मैं 33 साल की विवाहित स्त्री हूं. मुझे पिछले कुछ सालों से टाइप 2 डायबिटीज है. लेकिन मैं नियम से दवा लेती हूं इसलिए मेरी ब्लड शुगर कंट्रोल में बनी हुई है. मेरा और मेरे पति का मन है कि हम अपने परिवार को आगे बढ़ाएं, लेकिन डायबिटीज होने के कारण डर लगता है कि कहीं इस का मुझ पर या हमारे बच्चे पर कोई बुरा असर न हो जाए. हमें क्या करना चाहिए?

जवाब-

प्रैगनैंट होने का मन बनाने से पहले आप अपने डाक्टर से खुल कर बातचीत कर लें. आप ने हमें यह नहीं लिखा है कि आप ब्लड शुगर कंट्रोल में रखने के लिए कौनकौन सी दवा ले रही हैं. अध्ययनों से यह बात साबित हो चुकी है कि प्रैगनैंसी में इंसुलिन सब से सुरक्षित और उपयुक्त साबित होता है. यह कितनी मात्रा में और किस रूप में लिया जाए, यह निर्णय आप की व्यक्तिगत जरूरत को समझ कर ही किया जा सकता है.

यदि प्रैगनैंट होने से पहले ब्लड शुगर संतुलित कर ली जाए और प्रैगनैंसी के दौरान में उस पर नियंत्रण बना रहे, तो डायबिटिक मदर के बच्चे में जन्मजात विकार होने की संभावना काफी घट जाती है. मां का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है.

डायबिटीज एक क्रोनिक रोग है जो हर उम्र के लोगों को प्रभावित करता है. टाइप 1 डायबिटीज बच्चों और किशोरों में ज्यादा पाई जाती है, जबकि टाइप 2 डायबिटीज ज्यादातर युवा और वयस्कों को होती है. डायबिटीज से पीडि़त बच्चों की देखभाल करना मुश्किल हो सकता है खासतौर पर तब जब आप को पता हो कि आप के बच्चे को जीवनभर इसी के साथ जीना पड़ सकता है.

मातापिता की तरह डायबिटीज का असर बच्चों के मन पर भी पड़ता है. वे हमेशा अपनेआप को दूसरे बच्चों से अलग महसूस करते हैं क्योंकि उन्हें कई चीजों के लिए रोका जाता है. ऐसे में इन बच्चों का आत्मविश्वास भी कम हो सकता है.

पेश हैं, इस संदर्भ में डा. मुदित सबरवाल (कंसलटैंट डायबेटोलौजिस्ट एवं हैड औफ मैडिकल अफेयर्स, बीटो) के कुछ सु झाव:

डायबिटीज से ग्रस्त बच्चे का जीवन

टाइप 1 डायबिटीज एक क्रोनिक रोग है. इस स्थिति में पैंक्रियाज में इंसुलिन नहीं बनता है या कम मात्रा में बनता है. इसलिए शरीर को बाहर से इंसुलिन देना पड़ता है.

टाइप 1 डायबिटीज से पीडि़त बच्चा तनाव और थकान महसूस करता है. वह अपने भविष्य को ले कर चिंतित हो सकता है. ‘डायबिटीज बर्नआउट’ एक ऐसी स्थिति है जिस में व्यक्ति अपनी डायबिटीज को नियंत्रित करतेकरते थक जाता है. ऐसी स्थिति में बच्चे अपने ब्लड ग्लूकोस लैवल को मौनिटर करना, इसे रिकौर्ड करना या इंसुलिन लेना नहीं चाहते.

ऐसे में मातापिता होने के नाते आप को अपने बच्चे के डायबिटीज मैनेजमैंट में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी होती है. बच्चे को खुद अपनी स्थिति पर नियंत्रण रखने दें. इस बीच उसे पूरा सहयोग दें और मार्गदर्शन करें.

बच्चों को डायबिटीज से कैसे बचाएं

डायबिटीज एक क्रोनिक रोग है जो हर उम्र के लोगों को प्रभावित करता है. टाइप 1 डायबिटीज बच्चों और किशोरों में ज्यादा पाई जाती है, जबकि टाइप 2 डायबिटीज ज्यादातर युवा और वयस्कों को होती है. डायबिटीज से पीडि़त बच्चों की देखभाल करना मुश्किल हो सकता है खासतौर पर तब जब आप को पता हो कि आप के बच्चे को जीवनभर इसी के साथ जीना पड़ सकता है.

मातापिता की तरह डायबिटीज का असर बच्चों के मन पर भी पड़ता है. वे हमेशा अपनेआप को दूसरे बच्चों से अलग महसूस करते हैं क्योंकि उन्हें कई चीजों के लिए रोका जाता है. ऐसे में इन बच्चों का आत्मविश्वास भी कम हो सकता है.

पेश हैं, इस संदर्भ में डा. मुदित सबरवाल (कंसलटैंट डायबेटोलौजिस्ट एवं हैड औफ मैडिकल अफेयर्स, बीटो) के कुछ सु झाव:

डायबिटीज से ग्रस्त बच्चे का जीवन

टाइप 1 डायबिटीज एक क्रोनिक रोग है. इस स्थिति में पैंक्रियाज में इंसुलिन नहीं बनता है या कम मात्रा में बनता है. इसलिए शरीर को बाहर से इंसुलिन देना पड़ता है.

टाइप 1 डायबिटीज से पीडि़त बच्चा तनाव और थकान महसूस करता है. वह अपने भविष्य को ले कर चिंतित हो सकता है. ‘डायबिटीज बर्नआउट’ एक ऐसी स्थिति है जिस में व्यक्ति अपनी डायबिटीज को नियंत्रित करतेकरते थक जाता है. ऐसी स्थिति में बच्चे अपने ब्लड ग्लूकोस लैवल को मौनिटर करना, इसे रिकौर्ड करना या इंसुलिन लेना नहीं चाहते.

ऐसे में मातापिता होने के नाते आप को अपने बच्चे के डायबिटीज मैनेजमैंट में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी होती है. बच्चे को खुद अपनी स्थिति पर नियंत्रण रखने दें. इस बीच उसे पूरा सहयोग दें और मार्गदर्शन करें.

डायबिटीज से पीडि़त बच्चों की देखभाल

डायबिटीज मैनेजमैंट में सब से जरूरी चीज है ब्लड शुगर लैवल को सही रेंज में रखना. इस के लिए आप के बच्चे को इंसुलिन लेना पड़ सकता है, हर बार के खाने में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा सीमित करनी पड़ती है और साथ ही ऐक्टिव भी रहना होता है.

रोजाना डाक्टर की सलाह के अनुसार निर्धारित समय पर ब्लड शुगर नापें. इस के लिए आप बीटो का स्मार्टफोन कनैक्टेड ग्लूकोमीटर इस्तेमाल कर सकते हैं. इस के साथ ब्लड शुगर को मौनिटर करना बेहद आसान हो जाता है. आप जब चाहें, जहां चाहें ब्लड ग्लूकोस नाप सकते हैं.

मातापिता के लिए सुझाव

जरूरत से ज्यादा रोकटोक न करें:

आप को अपने बच्चे को अनचाही जटिलताओं से सुरक्षित रखना है. लेकिन ध्यान रखें कि उसे स्पेस दें. आप की मदद से बच्चा खुद अपनी जिम्मेदारी सम झेगा और डायबिटीज मैनेजमैंट कर सकेगा. इस से बच्चे में आत्मविश्वास भी पैदा होगा.

उस की सामान्य जीवन जीने में मदद करें:

हमेशा बच्चे का उत्साह बढ़ाएं. जिस चीज में उस की रुचि है उसे वह करने का मौका दें. आप उसे सिंगिंग, पेंटिंग, स्विमिंग क्लासेज में भेज सकते हैं. देखें कि उसे किस चीज का शौक है.

उसे सिखाएं कि अगर कोई उसे चिढ़ाता है तो उसे क्या करना है:

अकसर डायबिटीज से पीडि़त बच्चे को क्लास के दूसरे बच्चे चिढ़ाते हैं. ऐसे में बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर असर हो सकता है. ध्यान रखें कि इन चीजों का बच्चे पर बुरा असर न पड़े. इस की वजह से वह स्कूल में ब्लड ग्लूकोस मौनिटर करना बंद न कर दे. अगर आप के बच्चे के साथ ऐसा होता है, तो उसे सिखाएं कि उसे ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए, साथ ही दूसरे बच्चों को भी सम झाएं कि वे ऐसा न करें. इस के लिए आप उन के मातापिता, अभिभावकों या अन्य साथियों की मदद ले सकते हैं.

उसे सिखाएं कि उसे सही पोषक आहार ही खाना चाहिए:

बच्चों को चौकलेट, फास्ट फूड बहुत पसंद होता है. हालांकि डायबिटीज से पीडि़त बच्चों को थोड़ा सतर्क रहना होता है. बच्चे को डांटने के बजाय आराम से सम झाएं कि पोषक और सेहतमंद आहार से ही उसे फायदा होगा. उसे साबूत अनाज, ताजा फल और सब्जियां, लीन प्रोटीन और सेहतमंद फैट्स का सेवन करने के लिए कहें.

किसी डायबिटीज ग्रुप के साथ जुड़े:

डायबिटीज से पीडि़त बच्चे की देखभाल करना मुश्किल हो सकता है. इस के लिए आप किसी डायबिटीज गु्रप में शामिल हो सकते हैं जहां आप अपनी समस्याओं पर चर्चा कर सकते हैं. जरूरत पड़ने पर नोट्स बनाएं, एकदूसरे के सु झाव लें. इस के अलावा अपने पार्टनर की मदद लें. ऐसे बच्चे के लिए परिवार का सहयोग बहुत महत्त्वपूर्ण होता है.

ध्यान रखें:

अगर बच्चे में डिप्रैशन के लक्षण दिखते हैं जैसे उदासी, चिड़चिड़ापन, थकान, भूख में बदलाव, सोने की आदत में बदलाव तो डाक्टर से संपर्क करें. नियमित रिमाइंडर्स और नोटिफिकेशंस के द्वारा आप डायबिटीज को बेहतर तरीके से नियंत्रित कर सकते हैं. बीटो ऐप डायबिटीज मैनेजमैंट के लिए हर जरूरी समाधान उपलब्ध कराता है.

Holi 2024: शुगर के हैं मरीज, तो त्योहार में इन तरीकों से रखें अपना ख्याल

डायबिटीज़/ मधुमेह क्या है……?

डायबिटीज़ मेलिटस टाईप 1 या टाईप 2 प्रकार का होता है. इस बीमारी में शरीर में ब्लड ग्लुकोज़ की मात्रा बढ़ जाती है. ऐसा इंसुलिन का उत्पादन कम होने या शरीर में इसका सही उपयोग न होने के कारण होता है. अगर डायबिटीज़ का ठीक से नियन्त्रण न किया जाए इसके गंभीर प्रभाव हो सकते हैं. यह जानलेवा दिल की बीमारियों, किडनी रोगों, आंखों की समस्याओं और तंत्रिकाओं की समस्याओं का कारण तक बन सकता है. लेकिन इसका यह अर्थ बिल्कुल नहीं कि आप त्योहार का आनंद न लें आप डायबिटीज़ के साथ भी त्योहारों का पूरा आनंद ले सकते हैं. इसके लिए आपको सिर्फ अपने डायबिटीज़ पर नियन्त्रण रखना है.

डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए होली के दौरान सुझावः

यहां हम कुछ सुझाव लेकर आए हैं, जिनकी मदद से आप होली का पूरा आनंद ले सकते हैं.

1. खूब पानी पीएं/ हाइड्रेटेड रहें

त्योहार के दौरान खूब सारा पानी पीएं, इससे न केवल आपका पेट साफ रहता है बल्कि आप हमेशा फुल महसूस करते हैं और आपको ऐसा खाना खाने की इच्छा नहीं करती, जो आपके लिए सेहतमंद नहीं है. जहां तक हो सके, चाय, काॅफी, शराब या कार्बोनेटेड पेय के बजाए नींबू पानी, नारियल पानी, लस्सी का सेवन करें.

2. अपनी प्लेट पर नियंत्रण रखें

त्योहारों में सब जगह मीठा ही मीठा दिखाई देता है, एक बीकाजी गुजिया में 174 कैलोरी और एक पूरन पोली में 291 कैलोरी होती हैं. इसलिए अच्छा होगा आप अपने खाने पर ध्यान दें. आजकल कई ब्राण्डस चीनी रहित भारतीय मिठाईयां भी बनाते हैं. आप इन मिठाईयों का सेवन कर सकते हैं. मीठा खाते समय इसकी मात्रा पर खास ध्यान दें, कम से कम मात्रा में ही मिठाई खाएं. ध्यान रखें कि आप क्या और कितनी मात्रा में खा रहे हैं.

3. सेहतमंद स्नैक्स खाएं

खाने के बीच स्नैक्स खाने का मन करे तो मूंगफली क बजाए बादाम, अखरोट, पिस्ता खाएं. तले हुए समोसे- कचोरी से बचें. प्रोटीन युक्त आहार जैसे दाल, पनीर तथा फाइबर युक्त आहार जैसे सलाद, फलों का सेवन करें. इससे आपको मिठाई खाने की इच्छा कम होगी.

4. व्यायाम करना न भूलें

सैर, जौगिंग, सूर्य नमस्कार जैसे व्यायाम करें, इनसे ब्लड शुगर नियन्त्रित बनी रहती है. आउटडोर गतिविधियां करें और त्योहार का भरपूर आनंद लें. डांस करना भी बहुत अच्छा व्यायाम है.

5. ब्लड ग्लुकोज़ को मौनिटर करें

नियमित रूप से अपनी ब्लड शुगर जांचते रहें, साथ ही अपनी दवा लेना भी न भूलें. होली के दौरान आप रोज़मर्रा से अलग खाना खाते हैं, इसलिए ब्लड शुगर पर निगरानी रखना ज़रूरी है. हाई एवं लो ब्लड शुगर के लक्षणों को पहचानों. अगर आप इंसुलिन लेते हैं तो अपने कार्बोहाइड्रेट सेवन के आधार पर इंसुलिन की खुराक एडजस्ट करें.

6. धीरे-धीरे खाएं

धीरे धीरे खाने से आपका पेट जल्दी भरता है और आप ज़्यादा कैलोरीज़ से अपने आप को बचा पाते हैं.

हम त्योहार मनाते हैं उन्हें यादगार बनाने के लिए. इसलिए अपनी सीमाओं को पहचानें, अपनी सहत का ख्याल रखें और त्योहारों का भरपूर लुत्फ़ उठाएं.

माता-पिता को डायबिटीज होने से क्या मुझे भी खतरा है, इलाज बताएं?

सवाल-

मैं 43 वर्षीय महिला हूं. मेरा स्वास्थ्य सामान्य है. पर मेरे मातापिता दोनों को ही डायबिटीज थी, जिस के कारण उन्हें ढेरों परेशानियां उठानी पड़ीं. क्या परिवार में मातापिता, भाईबहन को यह रोग हो तो इस के होने का खतरा बढ़ जाता है? मुझे डायबिटीज न हो, इस के लिए मुझे क्याक्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

जवाब-

यह बात सच है कि जैनेटिक कारणों से डायबिटीज कई परिवारों में पीढ़ी दर पीढ़ी पाई जाती है. रक्त संबंधियों जैसे मातापिता और सगे भाईबहन को डायबिटीज हो तो व्यक्ति को डायबिटीज होने का रिस्क कई गुना बढ़ जाता है. टाइप 2 डायबिटीज में पिता के डायबिटिक होने पर संतान में डायबिटीज की दर 14%, मां के डायबिटिक होने पर 19% और मातापिता दोनों के डायबिटिक होने पर 25% आंकी गई है. भाई या बहन को डायबिटीज हो तो 75% मामलों में दूसरे भाईबहनों को भी डायबिटीज होती है. डायबिटीज होने का यह रिस्क कई दूसरी चीजों के साथ भी बढ़ जाता है. जैसेजैसे उम्र बढ़ती है और 45 पार करती है, वैसेवैसे डायबिटीज का खतरा बढ़ता जाता है. इसी प्रकार शरीर पर चरबी बढ़ने, पूरापूरा दिन बैठेबैठे बिताने और शारीरिक कामकाज, व्यायाम के लिए समय न देने, ब्लडप्रैशर 140/190 अंकों से अधिक हो जाने, एचडीएल कोलैस्ट्रौल का प्रतिशत 35 मिलीग्राम से कम होने व ट्राइग्लिसराइड का प्रतिशत बढ़ कर 250 मिलीग्राम के पार जाने और धमनियों में रुकावट के लक्षण उपजने पर डायबिटीज का रिस्क बढ़ जाता है. जिस स्त्री को पोलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज रही होती है या जिस स्त्री की प्रैगनैंसी में ब्लडशुगर बढ़ने की हिस्ट्री होती है या जिस स्त्री ने पहले कभी 9 पाउंड से अधिक वजन के बच्चे को जन्म दिया होता है, उसे भी ब्लडशुगर पर खास निगरानी रखने की जरूरत होती है.

लेकिन इन जानकारियों को पा कर आप न तो घबराएं ही, न ही परेशान हों. अगर आप सही जीवनशैली अपना लें, तो बहुत संभव है कि आप इस रोग से साफ बच जाएं. संतुलित खानपान, नियमित व्यायाम और वजन पर विशेष ध्यान रखने से टाइप 2 डायबिटीज की दर 50-60% घटाई जा सकती है. संतुलित खानपान का माने है कि रोजाना कैलोरी जरूरत के मुताबिक ही लें. फैट कम मात्रा में लें यानी जंक फूड और फास्ट फूड को तिलांजलि दे दें और घी, मक्खन सीमित मात्रा में प्रयोग करें. खाना पकाने के लिए सूरजमुखी, सरसों और मूंगफली का तेल मिला कर इस्तेमाल करें और भोजन में प्राकृतिक रेशेदार चीजों पर जोर रखें. रोजाना नियम से शारीरिक कसरत करें. चुस्त चाल से की गई सैर, तैराकी, साइक्लिंग और बैडमिंटन जैसा कोई खेल इस दृष्टि से अच्छा होता है. तीसरी बात यह है कि यदि वजन अधिक है, तो उसे घटाने की पूरी कोशिश करें. मात्र 5% वजन कम करने से भी डायबिटीज का जोखिम घट जाता है.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

डाइबिटीज को हराना चाहती हैं तो आज ही अपनाएं ये डाइट

आज लोगों के बीच तेजी से फैलने वाली बीमारियों में से एक है डायबिटीज. समय के साथ इसका रूप भयावह होता जा रहा है, ये एक जानलेवा बीमारी के तौर पर सामने आई है. ये बीमारी शरीर में इंसुलिन का अच्छे से प्रोड्कशन ना होने के कारण होती है. जानकारों की माने तो अगर डायबिटीज को नियंत्रण में न रखा जाए तो इससे किडनी और दिल की बीमारी होने के साथ व्यक्ति का वजन भी बढ़ने लगता है.

इस खबर में हम आपको कुछ घरेरू चीजों के बारे में बताएंगे जिसके नियमित प्रयोग से आप इस बीमारी से निजात पा सकती हैं.

तांबे के बर्तन में पिएं पानी

जानकारों की माने तो डाइबिटिक मरीजों को तांबे के बर्तन में पानी पीना पेट के लिए काफी असरदार होता है. इसके लिए तांबे के बर्तन में पानी भरकर रातभर रख दें, सुबह उठकर उस पानी को पीलें. इससे तांबे के एंटीऔक्सीडेंट और एंटी इंफ्लामेट्री गुण पानी में आ जाते हैं, जो डायबिटीज को कंट्रोल में रखने में मदद करते हैं.

मेथी का दाना

कई स्टडीज में ये बात स्पष्ट हुई है कि डाइबिटीज को कंट्रोल करने में मेथी का दाना काफी लाभकारी है. इस पर हुए शोधों के मुताबिक , रोजाना गर्म पानी में भीगी हुई 10 ग्राम मेथी दाने का सेवन करने से टाइप-2 डायबिटीज कंट्रोल में रहती है. मेथी दाने में मौजूद फाइबर धीरे-धीरे ही ब्लडस्ट्रीम में शुगर को रिलीज करता है.

डाइबिटीज मरीजों को केवल मीठी चीजों को छोड़ना ही काफी नहीं होता, बल्कि उन्हें अपनी डाइट में बहुत सी चीजें जोड़नी होती हैं. इस रोग के मरीजों को करेला, आंवला और एलोवेरा जैसे खाद्य पदार्थों को अपनी डाइट से जोड़ना चाहिए. डाइबिटीज में ये तत्व काफी असरदार होते हैं. आंवला में मौजूद फाइबर डायबिटीज के मरीजों को बहुत फायदा पहुंचाता है.

इन महिलाओं को होती है डाइबिटीज की परेशानी

पुरुष हो या महिलाएं सबके लिए डाइबिटीज किसी चुनौती से कम नहीं है. इस परेशानी से बचने के लिए जरूरी है कि आप शांत रहें, कूल रहें किसी भी तरह की परेशानी में अपना पौजिटिव अप्रोच रखें. आपके स्वभाव में कई तरह की गंभीर बीमारियों का राज झुपा है.

हाल ही में हुई एक स्टडी में ये बात सामने आई है कि जो महिलाएं पौजिटिव अप्रोच के साथ अपना जीवन गुजारती हैं, उनमें टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा बहुत कम होता है. यह दावा मेनोपौज के बाद महिलाओं पर की गई स्टडी में किया गया है.

इस स्टडी में वूमेन हेल्थ इनिशिएटिव के आंकड़ो का इस्तेमाल भी किया गया है. इस शोध में करीब एक लाख तीस हजार महिलाओं को शामिल किया गया था. इन महिलाओं को शुरू में डाइबिटीज की परेशानी नहीं थी. लेकिन बाद में इनमें से कइयों को डाइबिटीज की परेशानी हुई.

स्टडी में सकारात्मक और नकारात्मक स्वभाव की महिलाओं की तुलना की गई. शोध में शामिल एक एक्सपर्ट की माने तो किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व जीवनभर एक समान ही रहता है. यही कारण है कि नेगेटिव स्वभाव वाली महिलाओं को पॉजिटिव स्वभाओं वाली माहिलाओं के मुकाबले डायबिटीज का खतरा अधिक होता है.

उन्होंने आगे बताया कि महिलाओं के व्यक्तित्व से हमें ये जानने में मदद मिलेगी कि उन्होंने डायबिटीज होने की कितनी संभावना है. स्टडी के नतीजों में यह भी सामने आया कि मेनोपौज के बाद नेगेटिव स्वाभाव और डायबिटीज होने का गहरा संबंध है.

क्या है बेरियाट्रिक सर्जरी और कब की जाती है

मोटापा एक गंभीर वैश्विक स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या बन चुका है जिसके कारण कई तरह के क्रोनिक विकार जैसे कि मधुमेह (डायबिटीज़), हृदय रोग (कार्डियोवास्‍क्‍युलर डिज़ीज़) और जोड़ों की समस्‍याएं (बोन ज्‍वाइंट्स) पनपने लगती हैं. बेहद गंभीर किस्‍म के मोटापे से पीड़ि‍त लोगों के लिए बेरियाट्रिक सर्जरी एक ऐसे संभावित समाधान के रूप में सामने आयी है जो वज़न घटाने के साथ-साथ स्‍वास्‍थ्‍य में भी सुधार लाने में मददगार है. लेकिन यह याद रखना महत्‍वपूर्ण है कि बेरियाट्रिक सर्जरी सभी के लिए एक जैसे तरीके से उपयोगी साबित नहीं होती और लंबे समय तक इसकी कामयाबी के लिए अपने लक्ष्‍यों के लिए प्रतिबद्धता होना और लाइफस्‍टाइल में बदलाव लाना जरूरी होता है.

एक्सपर्ट व्यू

डॉ संजय वर्मा, डायरेक्‍टर, मिनीमल एक्‍सेस, जीआई एंड बेरियाट्रिक सर्जरी, फोर्टिस एस्‍कॉर्ट्स, ओखला रोड, नई दिल्‍ली बताते हैं कि बेरियाट्रिक सर्जरी में कई तरह की प्रक्रियाओं को शामिल किया जाता है, जिसमें गैस्ट्रिक बायपास, स्‍लीव गैस्‍ट्रैक्‍टमी, और एडजस्‍टैबल गैस्ट्रिक बैंडिंग प्रमुख हैं. ये प्रक्रियाएं या तो पेट में खाद्य पदार्थों के समाने की क्षमता सीमित करती हैं या न्यूट्रिएंट्स का अवशोषण घटाती हैं. जिसके चलते तेजी से न सिर्फ वज़न कम होता है बल्कि मोटापे से जुड़ी कई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं भी दूर होती हैं. इस प्रक्रिया से मरीजों को न केवल ब्‍लड शुगर कंट्रोल होता है, वरन ब्‍लड प्रेशर और कलेस्‍ट्रॉल में भी सुधार होता है और इनसे जुड़े रोगों का जोखिम भी घटता है.

कैसे करती है कार्य

बेरियाट्रिक सर्जरी द्वारा लंबे समय के लिए वज़न कम होने की संभावना के पीछे एक प्रमुख कारण है कि यह भूख को नियंत्रित करती है. इस प्रक्रिया से आंतों और मस्तिष्‍क के बीच संचार में बदलाव होता है. जिसके परिणामस्‍वरूप भूख घटती है और मरीज को पेट भरा होने का अहसास बना रहता है. लेकिन बेरियाट्रिक सर्जरी की सफलता मरीज द्वारा स्वस्थ जीवनशैली अपनाने और उसका पालन करने पर निर्भर करती है. हालांकि सर्जरी के बाद से ही वेट लॉस की शुरुआत हो जाती है लेकिन वजन को बढ़ने नहीं देने के लिए आहार में सुधार, नियमित शारीरिक व्‍यायाम और मनोवैज्ञानिक सपोर्ट की आवश्‍यकता भी होती है.

 क्या व्यक्ति हमेशा के लिए वजन कम कर पता है

यह भी समझना होगा कि बेरियाट्रिक सर्जरी भविष्‍य में वजन न बढ़ने की गारंटी नहीं होती. इस प्रक्रिया को करवाने वाले मरीजों को आहार संबंधी निर्देशों और बतायी गई शारीरिक गतिविधियों का नियमित रूप से पालन करना जरूरी है, ताकि पेट की थैली में कोई फैलाव न हो. जिसकी वजह से वजन दोबारा बढ़ने लगता है. इसके अलावा, बेरियाट्रिक सर्जरी की उपयोगिता अलग-अलग व्‍यक्तियों पर अलग-अलग ढंग से अपना असर दिखाती है जो उनकी मेडिकल तथा मनोवैज्ञानिक स्थितियों पर निर्भर है.

यह सर्जरी कब है कामयाब

बेरियाट्रिक सर्जरी की सफलता काफी हद तक पोस्‍ट-ऑपरेटिव सपोर्ट तथा फौलो-अप पर टिकी होती है. चिकित्‍सक, आहार-विशेषज्ञ और मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पेशेवरों की भी भूमिका अहम् होती है जो मरीजों को खान-पान की नई आदतों के मुताबिक ढालने की चुनौतियों और भावनात्‍मक स्‍तर पर आ रहे बदलावों के लिए तैयार करते हैं. नियमित जांच और लगातार दिया गया मार्गदर्शन मरीजों को वजन घटाने की राह में आने वाली परेशानियों से निपटने में भी सहायक साबित होता है.

निष्कर्ष

संक्षेप में, बेरियाट्रिक सर्जरी मोटापे को दूर करने का एक संभावनाशील समाधान है, जो तुरंत वेट लॉस की शुरुआत कर संबंधित स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं में भी सुधार ला सकती है. लेकिन यह समझना महत्‍वपूर्ण है कि सर्जरी अपने आप में कोई जादू की छड़ी नहीं. लंबे समय तक वजन नियंत्रित रखने के लिए काफी कुछ करना जरूरी है जैसे कि लाइफस्‍टाइल में बदलाव, खान-पान में सुधार, नियमित रूप से शारीरिक गतिविधियां और मनोवैज्ञानिक स्‍तर पर सपोर्ट. बेरियाट्रिक सर्जरी ऐसा टूल है जो मरीजों के समर्पण और सहयोगी हेल्थकेयर टीम के साथ मिलकर वेट लॉस के लक्ष्‍य को स्‍थायी रूप से साकार कर मरीजों के स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार का भरोसा भी दिला सकता है.

एक्सपर्ट के मुताबिक बेरियाट्रिक सर्जरी वास्‍तव में, मोटापे के खिलाफ एक महत्‍वपूर्ण टूल साबित हो सकता है, लेकिन इसके लिए मरीजों का अपना नजरिया और स्‍वस्‍थ जीवनशैली के लिए उनके खुद के प्रयास भी काफी मायने रखते हैं.

बच्चों में डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए किस तरह के बदलाव कर सकते हैं?

सवाल

मेरे बच्चे को डायबिटीज है. डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए हम उस की दिनचर्या में किस तरह के बदलाव कर सकते हैं?

 जवाब

 अगर बच्चे को टाइप 2 डायबिटीज हो जाती है तो सब से पहले तो उसे पौष्टिक खाना खाने के लिए प्रोत्साहित करें. साथ ही ऐसे में सब से ज्यादा ध्यान देने वाली बात यह है कि बच्चा अपने वजन पर नियंत्रण रखे. इसलिए आप सुनिश्चित करें कि वह नियमित रूप से व्यायाम या अन्य शारीरिक गतिविधियों को हमेशा बनाए रखे. अपनी दिनचर्या में इन सभी बदलावों से बच्चे को डायबिटीज प्रबंधन में बहुत मदद मिल सकती है.

सवाल

मेरा बच्चा मधुमेह की समस्या से कई सालों से ग्रस्त है. मुझे काफी चिंता होती है. डायबिटीज जैसी समस्या के साथ भी क्या वह एक सामान्य और स्वस्थ जीवन जी सकता है?

जवाब

बिलकुल यदि आप के बच्चे को टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज है तो एक सही डायबिटीज प्रबंधन के साथ वह सामान्य जीवन जी सकता है. उस के लिए आप को कुछ बातों का ध्यान रखना होगा जैसेकि आप अपने बच्चे के ब्लड शुगर लैवल की नियमित निगरानी रखें, सही समय पर इंसुलिन का इंजैक्शन लगवाएं, समयसमय पर उस के हैल्थ कोच से मिलें, अनियमित ब्लड शुगर लैवल से निबटने और बच्चे के खाने में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा पर नजर रखने की सभी बातों के संबंध में अपने साथसाथ उसे भी जागरूक करें.

जब बच्चों में टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज से निबटने की बात आती है तो ऐसे में डायबिटीज केयर करने वालों और मातापिता दोनों की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण हो जाती है. मातापिता को एक मार्गदर्शक की भूमिका निभाते हुए अपने बच्चों को उन की मौजूदा स्थिति के बारे में हमेशा जानकारी देनी चाहिए.

-डा. नवनीत अग्रवाल

चीफ क्लीनिकल औफिसरबीटओ.

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अगर गर्भावस्था के दौरान मां से बच्चे को डायबिटीज हो जाती है, तो उस के क्या लक्षण होते हैं?

सवाल

मैं गर्भावस्था के 7वें महीने में हूं. मैं ने सुना है की इस अवस्था में गैस्टेशनल डायबिटीज होने की बहुत संभावना होती है. मेरा सवाल यह है कि यदि गर्भावस्था के दौरान मां से बच्चे को डायबिटीज हो जाती है तो उस के क्या लक्षण होते हैं?

जवाब

हर व्यक्ति में डायबिटीज के अलगअलग लक्षण देखे जा सकते हैं. इस कारण हमें टाइप 2 डायबिटीज होने पर अलगअलग समस्या का सामना करना पड़ सकता है. अब अगर बात की जाए बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज की तो उस के कुछ सामान्य लक्षण हैं जैसे धुंधली नजर, का धुंधला होना, भूख बढ़ना, बारबार पेशाब आना, थकान, त्वचा का काला पड़ना, तेजी से वजन घटना आदि.

मेरे बच्चे की उम्र 5 साल है और उस का वजन अपनी उम्र से काफी ज्यादा है. अगर बच्चा मोटापे की समस्या से ग्रस्त है तो क्या उसे डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है और बच्चों में डायबिटीज की समस्या के निदान के लिए डाक्टर से परामर्श लेने का सही समय क्या है?

मोटापा टाइप 2 डायबिटीज के विकास के लिए प्रमुख जोखिम कारकों में से एक है. इसलिए इसे नजरअंदाज बिलकुल न करें. साथ ही अगर आप का बच्चा अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त होने के साथ युवावस्था में प्रवेश कर चुका है और उसे निम्नलिखित स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है जैसे नजर का धुंधला होना, बारबार प्यास लगना, भूख बढ़ना, बारबार पेशाब आना, थकान, त्वचा का काला पड़ना, तेजी से वजन घटना आदि तो तुरंत डाक्टर से परामर्श करें.

सवाल

मेरा बच्चा मधुमेह की समस्या से ग्रस्त है. मैं जानना चाहती हूं कि अपने बच्चे का सही डाक्टरी इलाज कैसे करूं?

बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज होने पर उन्हें वह हारमोन दिया जाना चाहिए जिस की उन के शरीर में कमी है जैसेकि इंसुलिन. यह इंजैक्शन के रूप में दिया जा सकता है. यह इंजैक्शन बांहों के ऊपरी हिस्से, पेट की चरबीदार त्वचा और जांघों के सामने दिए जाते हैं. इसे इंसुलिन पंप के रूप में भी दिया जा सकता है.

. -डा. नवनीत अग्रवाल

चीफ क्लीनिकल औफिसर, बीटओ.

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