पति की तानाशाही से परेशान होकर किसी और लड़के को पसंद करती हूं, लेकिन इजहार करने से डरती हूं …

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल-

मैं 47 वर्षीय महिला हूं. मेरे पति बहुत ही तानाशाह किस्म के इनसान हैं. हमेशा अपनी बात मनवाते हैं. दूसरों की भावनाओं कतई कद्र नहीं करते हैं. मेरी किसी इच्छाअनिच्छा की उन्हें तनिक भी परवाह नहीं है. घर में वही होता है जो वे चाहते हैं. यहां तक कि सहवास जैसी इच्छा भी तभी पूरी होती है जब वे चाहते हैं. मेरा मन है या नहीं, यह जानने की वे कभी कोशिश नहीं करते हैं. मुझे तो लगता है कि वे मुझे बिलकुल प्यार नहीं करते. उन के साथ जिंदगी बदतर होती जा रही है. कुछ समय से मैं एक लड़के को मन ही मन चाहने लगी हूं. उस के साथ सहवास करने का मन करता है. हालांकि वह लड़का मुझे पसंद करता है या नहीं, मैं यह नहीं जानती. उस के सम्मुख प्यार का इजहार करते हुए डर लगता है. कृपया बताएं क्या करूं?

जवाब-

इतने बरसों से आप पति के साथ रह रही हैं. अब अचानक आप को उन में खोट नजर आने लगा है. कारण, एक जवान लड़के को देख कर आप खयाली पुलाव पकाने लगी हैं. आप को अपनी उम्र का ध्यान रखना चाहिए. आप कोई किशोरी नहीं अधेड़ उम्र की महिला हैं, जिसे अपनी लालसा पर नियंत्रण करना आना चाहिए, क्योंकि इस तरह के बचकाने व्यवहार से आप को कुछ हासिल नहीं होगा सिवा जगहंसाई के.

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वह जमाना गया, जिस में बेटे श्रवण कुमार की तरह पूरी पगार मांबाप के हाथों या पांवों में रख देते थे और फिर अपने जेबखर्च के लिए मांबाप का मुंह ताकते थे यानी उन्हें अपनी कमाई अपनी मरजी से खर्च करने का हक नहीं था.

परिवार सीमित होने लगे तो बच्चों के अधिकार बढ़तेबढ़ते इतने हो गए हैं कि उन्हें पूरी तरह आर्थिक स्वतंत्रता कुछ अघोषित शर्तों पर ही सही मगर मिल गई है. इन एकल परिवारों में पत्नी का रोल और दखल आमदनी और खर्च दोनों में बढ़ा है, साथ ही उस की पूछपरख भी बढ़ी है.

भोपाल के जयंत एक संपन्न जैन परिवार से हैं और पुणे की एक सौफ्टवेयर कंपनी में क्व18 लाख सालाना सैलरी पर काम कर रहे हैं. जयंत की शादी जलगांव की श्वेता से तय हुई तो शादी के भारीभरकम खर्च लगभग क्व20 लाख में से उन्होंने क्व10 लाख अपनी बचत से दिए. श्वेता खुद भी नौकरीपेशा है. जयंत से कुछ कम सैलरी पर एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करती है.

शादी तय होने से पहले दोनों मिले तो ट्यूनिंग अच्छी बैठी. उन के शौक और आदतें दोनों मैच कर चुके थे. दोनों ने 4 दिन साथ एकदूसरे को समझने की गरज से गुजारे और फिर अपनी सहमति परिवार को दे दी. जयंत श्वेता के सादगी भरे सौंदर्य पर रीझा तो श्वेता अपने भावी पति के सरल स्वभाव और काबिलीयत से प्रभावित हुई. इन 4 दिनों का घूमनेफिरने और होटलिंग का खर्च पुरुष होने के नाते स्वाभाविक रूप से जयंत ने उठाया. दोनों ने एकदूसरे की सैलरी के बारे में कोई बात नहीं की.

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